राजस्थान की स्थिति, विस्तार एवं भौगोलिक
प्रदेश | Rajasthan
ki Sthiti Vistar, Bhotik Pardesh
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राजस्थान की स्थिति, विस्तार एवं भौतिक प्रदेश, Rajasthan
ki Sthiti Vistar, Bhotik Pardesh
No:1. राजस्थान की स्थिति, विस्तार एवं भौतिक प्रदेश
(Rajasthan ki
Sthiti Vistar avm Bhotik Pardesh / Rajasthan Bhotik Pardesh ) – राजस्थान भारत के उत्तर – पश्चिम में स्थित है तथा
क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य (1 नवम्बर, 2000 को मध्यप्रदेश से
छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद) है । इसका क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किमी (132140 वर्ग मील) है , जो भारत के कुल क्षेत्रफल
का 10.41 % है ।
No:2. राज्य के मध्य में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक फैली
अरावली पर्वतमाला इसे जलवायु एवं भू – धरातल की दृष्टि से दो
असमान भागों में विभाजित करती है । राजस्थान की भौगोलिक स्थिति को निम्न प्रकार
समझा जा सकता है:-
राजस्थान की स्थिति (Rajasthan ki Sthiti Vistar)
No:1.अक्षांशीय स्थिति
23°3 ‘ उत्तरी अक्षांश से 30°12 ‘ उत्तरी अक्षांश
( अक्षांशीय विस्तार 7°9′ )
No:2.देशान्तरीय स्थिति
69°30 ‘ पूर्वी देशान्तर से 78°17 ‘ पूर्वी देशान्तर
( देशान्तरीय विस्तार 8°47 )
No:3. कर्क रेखा (23°30′ उत्तरी अक्षांश रेखा)
राज्य में डूंगरपुर जिले की दक्षिणी सीमा से होती हुई बाँसवाड़ा जिले के लगभग
मुध्य में से गुजरती है ।
No:4. बाँसवाड़ा शहर कर्क रेखा से राज्य का सर्वाधिक नजदीक
स्थित शहर है ।
No:5. कर्क रेखा के उत्तर में होने के कारण जलवायु की दृष्टि
से राज्य का अधिकांश भाग उपोष्ण या शीतोष्ण कटिबन्ध में स्थित हैं । बाँसवाड़ा
जिले का अधिकांश भाग उष्ण कटिबंध में है ।
No:6. उत्तर से दक्षिण तक राज्य
की लम्बाई 826 किमी
व विस्तार उत्तर में कोणा गाँव ( गंगानगर ) से दक्षिण में बोरकुंड गाँव ( कुशलगढ़ , बाँसवाड़ा ) तक है ।
No:7. पूर्व से पश्चिम तक राज्य
की चौड़ाई 869 किमी
तथा विस्तार पश्चिम में कटरा गाँव ( सम , जैसलमेर ) से पूर्व में
सिलान गाँव ( राजाखेड़ा , धौलपुर ) तक है ।
No:8. आकृति :- विषमकोणीय
चतुर्भुज या पतंग के समान ।
स्थलीय सीमा:- 5920 किमी. (1070 किमी. अन्तरराष्ट्रीय + 4850 किमी. अन्तरराज्यीय) (Rajasthan
Vistar Bhotik Pardesh)
राजस्थान की अन्य राज्यों के साथ स्थिति
उत्तर :-
पंजाब (फाजिल्का व मुक्तसर – 2 जिले) सीमा पर गंगानगर व
हनुमानगढ़ – 2 जिले
उत्तर पूर्व :-
हरियाणा (मेवात, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, भिवानी, हिसार, सिरसा व फतेहाबाद – 7 जिले ) सीमा पर
हनुमानगढ़, चुरू, झुंझुनूं , सीकर, जयपुर, अलवर व भरतपुर – 7 जिले
पूर्व :-
उत्तर प्रदेश (आगरा व मथुरा – 2 जिले) सीमा पर भरतपुर व
धौलपुर – 2 जिले
दक्षिण पूर्व :-
मध्यप्रदेश (झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, अगर मालवा, राजगढ़, गुना, शिवपुरी, श्योपुर व मुरैना – 10 जिले ) सीमा पर धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बाराँ, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़ व बाँसवाड़ा – 10 जिले
पश्चिम :-
गुजरात (कच्छ, बनासकाँठा, साबरकाँठा, अरावली, महीसागर एवं दाहोद 6 जिले) सीमा पर बाँसवाड़ा,उदयपुर, डूंगरपुर, सिरोही, जालौर व बाड़मेर – 6 जिले
अंतर्राष्ट्रीय सीमा
No:1. पाकिस्तान (पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का बहावलनगर, बहावलपुर व रहीमयार खान
तथा सिंध प्रांत के घोटकी, सुकुर, खैरपुर, संघर, उमरकोट व थारपारकर जिले – 9 जिले) सीमा पर बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर व गंगानगर – 4 जिले
No:2. इस अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा का नाम रेडक्लिफ रेखा है ।
यह राज्य में उत्तर में गंगानगर के हिंदुमल कोट से लेकर दक्षिण में बाड़मेर के
भागल गाँव ( बाखासर ) तक विस्तृत है ।
No:3.सर्वाधिक लम्बी सीमा :- अंतरराष्ट्रीय (पाकिस्तान से
लगती हुई रेडक्लिफ रेखा) जैसलमेर जिले की ।
No:4.सर्वाधिक लम्बी अंतरराज्यीय सीमा :- झालावाड़ जिले की
सबसे लम्बी सीमा है जो मध्यप्रदेश से लगती है ।
No:5. सबसे कम लम्बी सीमा :-
अंतरराष्ट्रीय (पाकिस्तान से लगती हुई रेडक्लिफ रेखा) – बीकानेर जिले की ।
No:6. सबसे कम लम्बी
अंतरराज्यीय सीमा :- बाड़मेर जिले की , जो गुजरात से मिलती है ।
गुजरात की सर्वाधिक लम्बी अन्तर्राज्यीय सीमा उदयपुर जिले से लगती है ।
No:7. राज्य की सबसे कम लम्बी
अन्तर्राज्यीय सीमा पंजाब राज्य से लगती है एवं सर्वाधिक लम्बी अन्तरराज्यीय सीमा
मध्यप्रदेश से मिलती है ।
# राज्य की स्थलीय सीमा पर
स्थित जिलों की संख्या 25 है। – राजस्थान के 23 जिले अंतरराज्यीय सीमा
पर स्थित है तथा 4 जिले अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित है।
राजस्थान के भौतिक प्रदेश (Rajasthan ke
Bhotik Pardesh)
राजस्थान को चार भौतिक प्रदेशों (Rajasthan ke
Bhotik Pardesh) में
बांटा गया है।
1). उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
No:1. जिले :- जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, पाली, हनुमानगढ़, गंगानगर, नागौर, जालौर, चुरू, सीकर, झुंंझुनूं
विशेषताएँ :-
No:1. क्षेत्रफल :- राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 61 % भाग (लगभग 20,9000 वर्ग किमी क्षेत्र) । यह
प्रदेश उत्तर पश्चिम से दक्षिण – पूर्व में 640 किमी . लम्बा एवं पूर्व
से पश्चिम में 300 किमी
. चौड़ा है ।
No:2. जनसंख्या :- राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 40 %
No:3. वर्षा :- 20 सेमी से 50 सेमी ।
No:4. तापमान :- गर्मियों में उच्चतम 49° से.ग्रे. तक तथा
सर्दियों में -3°
से.ग्रे. तक ।
No:5. जलवायु :- शुष्क व अत्यधिक विषम ।
No:6. मिट्टी :- रेतीली बलुई
No:7. यह भू भाग अरावली पर्वतमाला के उत्तर – पश्चिम एवं पश्चिम में
विस्तृत है । अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण दक्षिणी – पश्चिमी मानसून (अरब सागर
व बंगाल की खाड़ी का मानसून) सामान्यत : यहाँ वर्षा बहुत कम करता है। अत : वर्षा
का वार्षिक औसत 20 – 50 सेमी . रहता है ।
No:8. इस प्रदेश का सामान्य ढाल पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से
दक्षिण की ओर है ( या उत्तर – पूर्व से दक्षिण पश्चिम की ओर )
No:9. इसकी समुद्र तल से सामान्य ऊँचाई 200 से 300 मीटर है
No:10. यह भू – भाग टेथीस सागर (इयोसीन व प्लीस्टोसीन काल में विद्यमान
था) का अवशेष है ।
No:11. 25 सेमी सम वर्षा रेखा मरुस्थलीय भाग को दो भागों में
बांटती है। –
(A). पश्चिमी विशाल मरुस्थल
या रेतीला शुष्क मैदान या महान् मरुभूमि (Great Indian Desert)
No:1. इसमें वर्षा का वार्षिक औसत 20 सेमी तक रहता है ।
(बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर आदि क्षेत्र)
No:2. वर्षा अत्यधिक कम होने के कारण इस प्रदेश को शुष्क बालका
मैदान भी कहते हैं ।
No:3. पश्चिमी रेतीले शुष्क मैदान के दो उपविभाग हैं
(1). बालुकास्तूप युक्त मरुस्थलीय प्रदेश
(2). बालकास्तुप मुक्त ( रहित ) क्षेत्र
(B). राजस्थान बांगर ( बांगड़ ) या अर्द्धशुष्क मैदान
No:1. अर्द्धशुष्क मैदान महान् शुष्क रेतीले प्रदेश के पूर्व
में व अरावली पहाड़ियों के पश्चिम में लूनी नदी के जल प्रवाह क्षेत्र में अवस्थित
है ।
No:2. यह आन्तरिक प्रवाह क्षेत्र है । इसका उत्तरी भाग घग्घर
का मैदान , उत्तरपूर्वी
भाग शेखावाटी का आन्तरिक जल प्रवाह क्षेत्र , व दक्षिण – पश्चिमी भाग लूनी नदी
बेसिन तथा मध्यवर्ती भाग नागौरी उच्च भूमि है ।
No:3. इस सम्पूर्ण प्रदेश को निम्न चार भागों में विभाजित करते
हैं
(1). घग्घर का मैदान :- यह मुख्यत: हनुमानगढ़ एंव गंगानगर
जिलों में विस्तृत है । इस क्षेत्र में वर्तमान में घग्घर नदी प्रवाहित होती है, जो मृत नदी के नाम से भी
जानी जाती है ।
(2). लूनी बेसिन या गौड़वाड़ क्षेत्र :- लूनी एवं उसकी सहायक
नदियों के इस अपवाह क्षेत्र को गौड़वाड़ प्रदेश कहते हैं । इस क्षेत्र में जालौर – सिवाना की ग्रेनाइट
पहाड़ियाँ स्थित हैं ।
(3). नागौरी उच्च भूमि प्रदेशः- राजस्थान बांगड़ प्रदेश के
मध्यवर्ती भाग को नागौर उच्च भूमि कहते हैं । इस क्षेत्र में डीडवाना , कुचामन , सांभर , नावां आदि खारे पानी की
झीलें हैं जहाँ नमक उत्पादित होता है ।
(4). शेखावाटी आंतरिक प्रवाह क्षेत्र :- बांगड़ प्रदेश के इस
भू – भाग में चुरू , सीकर , झुंझुनूं व नागौर का कुछ
भाग आता है । इसके उत्तर में घग्घर का मैदान तथा पूर्व में अरावली पर्वत श्रृंखला
है । इस प्रदेश में बरखान प्रकार के बालुकास्तूपों का बाहुल्य है ।
No:1. मुख्य फसलें :- बाजरा, मोठ व ग्वार
No:2. वनस्पति :- बबूल , फोग , खेजड़ा , कैर , बेर व सेवण घास आदि ।
No:3. इंदिरा गाँधी नहर :- इस
क्षेत्र की मुख्य नहर व जीवन रेखा नहर आने के बाद इस क्षेत्र में अन्य फसलें भी
होने लगी हैं ।
No:4. इस सम्पुर्ण मरुस्थल में
बालुका – स्तूपों के बीच में कहीं – कहीं निम्न भूमि मिलती है
जिसमें वर्षा का जल भर जाने से अस्थायी झीलों व दलदली भूमि का निर्माण होता है
जिसे ‘ रन ‘ ( Rann ) कहते हैं । कनोड़ , बरमसर , भाकरी , पोकरण (जैसलमेर ) , बाप ( जोधपुर ) तथा थोब (
बाड़मेर ) प्रमुख रन हैं ।
No:5. इस प्रदेश की प्रमुख नदी
लूनी है , जो नागपहाड़ (अजमेर) से
निकलकर नागौर , पाली , जोधपर, बाड़मेर व जालौर में बहकर
कच्छ के रन ( गुजरात ) में विलुप्त हो जाती है
2). अरावली पर्वतीय प्रदेश
No:1. जिले :- उदयपुर, चितौड़गढ़, राजसमंद, डूँगरपुर, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनूं, अजमेर, सिरोही, अलवर, पाली, जयपुर।
No:2. विश्व की प्राचीनतम पर्वत
श्रेणियों में से एक अरावली पर्वतमाला राजस्थान के भू – भाग को दो असमान भागों
में विभक्त करती है । इन पर्वतों में ग्रेनाइट चट्टानें भी मिलती है जो सेंदड़ा (
ब्यावर ) के पास अधिक फैली हुई है ।
No:3. क्षेत्रफल :- राज्य के
सम्पूर्ण भू – भाग का
9%
No:4. जनसंख्या :- राज्य की कुल
जनसंख्या का लगभग 10%
No:5. वर्षा :- 50 सेमी से 90 सेमी । अरावली पर्वत
राज्य में एक वर्षा ( जल ) विभाजक रेखा का कार्य करते हैं
No:6. राज्य का सर्वाधिक वर्षा
वाला स्थान माउन्ट आबू ( लगभग 150 सेमी ) इसी में स्थित है ।
No:7. जलवायु :- उपआर्द्र
जलवायु
No:8. मिट्टी :- काली , भूरी लाल व कंकरीली
मिट्टी
No:9. अरावली पर्वतमाला का विस्तार कर्णवत रूप में दक्षिण – पश्चिम में गुजरात में
खेड़ ब्रह्म , पालनपुर
लेकर उत्तर – पूर्व
में खेतडी सिंघाना (झंझुनूं ) तक शृंखलाबद्ध रूप में है , उसके बाद छोटे-छोटे
हिस्सों में दिल्ली तक ( रायसीना पहाड़ी तक ) फैली हुई हैं । इन शृंखलाओं की
चौड़ाई व ऊँचाई दक्षिण पश्चिम में अधिक है जो धीरे धीरे उत्तर – पूर्व में कम होती चली
जाती है ।
No:10. अरावली पर्वत श्रृंखला गोंडवाना लैंड का अवशेष है। इनकी
उत्पत्ति भूगर्भिक इतिहास के प्री , केम्ब्रियन कल्प (
प्राचीन काल ) में हुई थी ।
No:11. अरावली के दक्षिणी भाग में पठार , उत्तरों एवं पूर्वी भाग
में मैदान एवं पश्चिमी भाग में मरुस्थल है । अरावली पर्वत प्रारंभ में बहुत ऊँचे
थे परंतु अनाच्छादन के कारण ये आज अवशिष्ट पर्वतों के रूप हैं ।
No:12. इस क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण खनिज बहुतायत से मिलते
हैं , जैसे , ताँबा , सोसा , जस्ता , अभ्रक , चाँदी , लोहा मैंगनीज , फेल्सपार , ग्रेनाइट , मार्बल , चूना पत्थर , पन्ना आदि ।
No:13. मुख्य दर्रे :- देसूरी नाल व हाथी दर्रा, केवड़ा की नाल (उदयपुर) , जीलवाड़ा नाल , सोमेश्वर नाल आदि ।
No:14. अरावली श्रृंखला की कुल लम्बाई 692 किमी में से 550 किमी ( 80% ) राजस्थान में हैं ।
No:15. अरावली पर्वत विश्व के प्राचीनतम वलित पर्वत हैं ।
No:16. अरावली पर्वतीय प्रदेश की समुद्र तल से औसत ऊँचाई 930 मीटर है ।
अरावली पर्वतीय प्रदेश को निम्न चार भागों में विभाजित किया जाता है ।
1). उत्तर पूर्वी पहाड़ी प्रदेश :- अरावली पर्वतीय क्षेत्र
का यह भाग जयपुर की सांभर झील के उत्तर – पूर्व में राजस्थान – हरियाणा सीमा तक फैला हुआ
है । इसमें जयपुर जिले के उत्तर – पूर्व में स्थित शेखावाटी एवं तोरावाटी क्षेत्र की
पहाड़ियाँ , जयपुर
एवं अलवर की पहाड़ियाँ शामिल की जाती हैं । रघुनाथगढ़,सीकर (1055 मी.) , खो,जयपुर (920मी.) एवं बाबाई, झुंझुनूं (780मी.) , भैराच (अलवर ,792मी.) एवं बैराठ, जयपुर (704 मी.) इस भाग की प्रमुख
पर्वत चोटियाँ हैं
2). मध्यवर्ती अरावली श्रेणी : अरावली पर्वतीय प्रदेश के इस
भाग में अजमेर , जयपुर
एवं पश्चिमी टोंक जिले की पहाड़ियाँ तथा शेखावाटी क्षेत्र ( सीकर – झुंझुनूं ) की निम्न
पहाड़ियाँ आती हैं । इस क्षेत्र में मेरवाड़ा की पहाड़ियों में अजमेर स्थित
तारागढ़ (872 मी.)
एवं नाग पहाड़ (795 मी.) आदि प्रमुख चोटियाँ है ।
3). भोरठ का पठारी क्षेत्र :- अरावली श्रेणी के इस भू – भाग में उदयपुर डूंगरपुर , राजसमंद , चित्तौड़गढ़ एवं
प्रतापगढ़ तथा सिरोही के पूर्वी भाग की पहाड़ियाँ सम्मिलित की जाती हैं । आबू
पर्वत खण्ड के अलावा अरावली पर्वत श्रेणी का उच्चतम भाग कुम्भलगढ़ व गौगन्दा के बीच
(उदयपुर के उत्तर पश्चिम में) स्थित भोरठ का पठार है जिसकी औसत ऊँचाई 1225 मीटर है ।
No:1. राज्य की चौथी सर्वोच्च चोटी जरगा (1431 मी.) भी इसी क्षेत्र में
स्थित है । इस क्षेत्र की अन्य चोटियाँ गोगुन्दा (840 मी.) , सायरा (900 मी) , कोटड़ा (450 मी.) आदि हैं
4). आबू पर्वत खण्ड़ :- अरावली पर्वतीय क्षेत्र का उच्चतम
भाग आबू पर्वत है जो सिरोही जिले में अवस्थित है । इसकी समुद्रतल से औसत ऊँचाई 1200 मी. से भी अधिक हैं ।
इसमें ग्रेनाइट चट्टानों की बहुलता हैं ।
No:1. आबू पर्वत से सटा हुआ उड़िया पठार ( ऊँचाई 1360 मीटर ) राज्य का
सर्वोच्च पठार हैं । जो सबसे ऊँची चोटी गरुशिखर के नीचे है । इसी क्षेत्र में
राज्य की दूसरी सर्वोच्च चोटी सेर (1597मी.) दिलवाड़ा (1442 मी ) एवं अचलगढ़ (1380 मी) स्थित है । (Rajasthan
Vistar Bhotik Pardesh)
3). पूर्वी मैदानी भाग
No:1.जिले :- जयपुर, भरतपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, करौली, टोंक, अलवर, धौलपुर, अजमेर, प्रतापगढ़, ढूंगरपुर
No:2. यह मैदानी भाग अरावली पर्वतमाला के पूर्व में स्थित है ।
इस मैदान का उत्तरी पूर्वी भाग गंगा – यमुना के मैदानी भाग से
मिला हुआ है । इसका ढाल पूर्व की ओर है ।
No:3. इसका क्षेत्रफल राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 23% है
No:4. यह मैदानी भाग 50 सेमी. सम वर्षा रेखा
द्वारा पश्चिमी मरुस्थलीय भाग से विभाजित है ।
No:5. जनसंख्या :- राज्य की लगभग 39 % जनसंख्या यहाँ निवास करती
है । इस क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक है।
No:6. वर्षा :- 50 सेमी से 80 सेमी वार्षिक के मध्य
No:7. जलवायु :- आर्द्र जलवायु
No:8. मिट्टी :- जलोढ व दोमट मिट्टी
No:9. छप्पन का मैदान :- बाँसवाड़ा – प्रतापगढ – ढूंगरपुर के मध्यवर्ती
मैदानी भाग को में विस्तत है ।
No:10. कृषि मुख्य व्यवसाय है गेहूँ , जौ , चना , ज्वार , मक्का , बाजरा , तिलहन , सरसों , दालें ( मूंग , उड़द , अरहर ) , गन्ना आदि का बहुत
उत्पादन होता है । इस क्षेत्र में कुओं द्वारा सिंचाई अधिक होती है ।
No:11. नहरें :- भरतपुर नहर व गुड़गाँव नहर ।
No:12. इस प्रदेश का ढाल पूर्व दिशा में है , अत: सभी नदियाँ पश्चिम से
पूर्व की ओर बहकर बंगाल की खाड़ी में अपना जल ले जाती हैं । दक्षिणी मैदानी
क्षेत्र का ढाल पश्चिम में होने के कारण माही नदी खम्भात की खाड़ी में गिरती है ।
No:13. चंबल बेसिन का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर एवं बनास बेसिन
का ढाल उत्तर पूर्व व पूर्व की ओर तथा माहीं बेसिन का ढाल पश्चिम में गुजरात राज्य
की तरफ है।
No:14. इस मैदानी भाग की दक्षिणी – पूर्वी सीमा पर विन्ध्यन
पठार व हाड़ौती का पठार स्थित है ।
No:15. इस बेसिन के पश्चिमी भाग देवगढ़ के आसपास को पीडमांट का
मैदान कहते हैं ।
पूर्वी मैदानी भाग के उपभाग
पूर्वी मैदानी भाग को निम्न तीन उप – विभागों में विभाजित किया
गया है –
1). बनास बेसिन : बनास व उसकी सहायक नदियों खारी, मोरेल, बेडच, मेनाल, कोठारी, कालीसिल, माशी आदि द्वारा सिंचित
मैदानी भाग।
2). चम्बल बेसिन : इस बेसिन में विशाल बीहड़ हैं जिनमें चोर – डाकुओं का आतंक रहता है ।
इस मैदानी क्षेत्र में कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर एवं धौलपुर के क्षेत्र शामिल हैं ।
3). छप्पन बेसिन : माही एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा सिंचित
राजस्थान का यह दक्षिणी भाग ‘वागड’ नाम से प्रसिद्ध है । बाँसवाड़ा व प्रतापगढ़ के बीच का
क्षेत्र ‘छप्पन का मैदान’ है ।(Rajasthan
Vistar Bhotik Pardesh)
4). दक्षिण-पूर्वी पठारी भाग
जिले:- कोटा, बूँदी, झालावाड़, बांरा, बाँसवाड़ा, चितौरगढ़, भीलवाड़ा।
No:1. यह मालवा के पठार का ही एक भाग है तथा चम्बल नदी के
सहारे पूर्वी भाग में विस्तृत है । इस क्षेत्र में राज्य का लगभग 7 % भाग आता है तथा 11 % जनसंख्या निवास करती है ।
इसे हाड़ौती का पठार/ लावा का पठार भी कहते हैं । यह आगे जाकर मालवा के पठार में
मिल जाता है ।
No:2. वर्षा : 80 सेमी से 120 सेमी । राज्य का
सर्वाधिक वार्षिक वर्षा वाला क्षेत्र
No:3. मिट्टी : काली उपजाऊ मिट्टी , जिसका निर्माण प्रारम्भिक
ज्वालामुखी चट्टानों से हुआ है । इसके अलावा लाल और कछारी मिट्टी भी पाई जाती है।
धरातल पथरीला व चट्टानी है।
No:4. जलवायु : अति आर्द्र जलवायु प्रदेश
No:5. फसलें : कपास , गन्ना , अफीम , तम्बाकू , चावल धनिया , मेथी , संतरा
No:6. वनस्पति : लम्बी घास , झाड़ियाँ , बाँस , खेर , गूलर , सालर , धोंक , ढाक , सागवान आदि । यह संपूर्ण
प्रदेश चम्बल और उसकी सहायक काली सिंध , परवन और पार्वती नदियों
द्वारा प्रवाहित है ।
No:7. इस प्रदेश का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है । इसी कारण
चम्बल व इसकी कई सहायक नदियाँ दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हैं । यह पठारी भाग
अरावली और विंध्याचल पर्वत के बीच संक्रान्ति प्रदेश है । इस भू – भाग के दो भाग हैं –
(i). विन्ध्यन कागार भूमि – यह क्षेत्र विशाल बलुआ
पत्थरों से निर्मित्त है ।
(ii). दक्कन का लावा पठार – इस क्षेत्र में बलुआ
पत्थरों के साथ – साथ बीच – बीच में स्लेटी पत्थर भी
मिलता है । बूंदी व मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ियाँ इसी पठारी भाग में हैं ।
No:8. ऊपरमाल का पठार एवं मेवाड़ का पठार इसी के भाग हैं । (Rajasthan
Vistar Bhotik Pardesh)
राजस्थान के प्रमुख पर्वत, पहाड़ियाँ व पठार
No:1. गुरु शिखर :-
1). अरावली की पहाड़ियों में माउण्ट आबू (सिरोही) में स्थित
राजस्थान की सबसे ऊँची पर्वत चोटी।
2). इसकी ऊँचाई 1722 मीटर है । यह हिमालय व
पश्चिमी घाट की नीलगिरी के मध्य स्थित सर्वाधिक ऊँची चोटी है ।
3). कर्नल टॉड ने इसे संतों का शिखर कहा है ।
No:2. सेर ( सिरोही ) :- 1597 मीटर ऊँची राज्य की
दूसरी सबसे ऊँची चोटी एवं दिलवाड़ा (1442 मी) : राज्य की तीसरी
सबसे ऊँची पर्वत चोटी
No:3. जरगा ( उदयपुर ) :- 1431 मीटर ऊँची राज्य की चौथी
सबसे ऊँची चोटी , जो भोरट के पठार में स्थित है । मेसा पठार ( 620 मीटर ऊँचा ) पर
चित्तौड़गढ़ का किला स्थित है
No:4. अचलगढ़ ( सिरोही ) :- 1380 मीटर ऊँची पर्वत श्रेणी
।
No:5. रघुनाथगढ़ ( सीकर ) :- 1055 मी .
No:6. खौ – 920 मी. , तारागढ़ 873 मी .
No:7. मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ियाँ : कोटा व झालरापाटन
(झालावाड़) के बीच स्थित इस भू – भाग का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है , अत: चम्बल नदी दक्षिण से
उत्तर की ओर बहती है । (Rajasthan Vistar Bhotik Pardesh)
No:8. मालखेत की पहाड़ियाँ :
सीकर जिले की पहाड़ियों का स्थानीय नाम । हर्ष की पहाड़ियाँ सीकर जिले में स्थित
हैं जिस पर जीणमाता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है ।
No:9. सुण्डा पर्वत : भीनमाल (
जालौर ) के निकट स्थित पहाड़ियाँ , जिनमें सुण्डा माता का
मंदिर स्थित है । इस पर्वत पर 2008 में राज्य का पहला रोप वे प्रारंभ किया गया है ।
No:10. मालाणी पर्वत श्रृंखला :
लूनी बेसिन का मध्यवर्ती घाटी के भाग जो मुख्यत : जालौर एवं बालोतरा के मध्य स्थित
है ।
No:11. उड़िया पठार : राज्य का
सबसे ऊँचा पठार , जो गुरू शिखर से नीचे स्थित है । यह आबू पर्वत से 160 मीटर ऊँचा है ।
No:12. आबू पर्वत : आबू पर्वत
खंड का दूसरा सबसे ऊँचा पठार (उड़िया पठार के बाद) , जिसकी औसत ऊँचाई 1200 मी. से अधिक है । यहीं
पर टॉड रॉक एवं हार्न रॉक स्थित है ।
No:13. भोरठ का पठार : आबू पर्वत
खंड के बाद राज्य का उच्चतम पठार , जो उदयपुर के उत्तर
पश्चिम में गोगुन्दा व कुम्भलगढ़ के बीच स्थित है । इसकी औसत ऊँचाई 1225 मी. है ।
No:14. भाकर : पूर्वी सिरोही
क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली व ऊबड़ – खाबड़ कटक ( पहाड़ियां )
स्थानीय भाषा में ‘भाकर’ नाम से जानी जाती है ।
अन्य चोटियाँ
कुम्भलगढ़ (1224 मीटर), कमलनाथ की पहाड़ी (1001 मीटर), ऋषीकेश (1017 मीटर), सज्जनगढ़ (938 मीटर) एवं लालगढ़ (874 मीटर)
No:1. गिरवा :- उदयपुर क्षेत्र
में तस्तरीनुमा आकृति वाले पहाडों की मेखला ( श्रखला ) को स्थानीय भाषा में गिरवा
कहते है ।
No:2. मेरवाड़ा की पहाड़ियाँ :-
अरावली पर्वत श्रेणियों का टाडगढ़ के समीप का भाग जो मारवाड़ के मैदान को मेवाड़
के उच्च पठार से अलग करता है ।
No:3. छप्पन की पहाड़ियाँ व
नाकोड़ा पर्वत :- बाड़मेर में सिवाणा पर्वत क्षेत्र में स्थित मुख्यतः गोलाकार
पहाडियाँ इन्हें ‘नाकोड़ा पर्वत’ के नाम से भी जाना जाता
है ।
No:4. लासड़िया का पठार :-
उदयपुर में जयसमंद से आगे पूर्व की और विच्छेदित व कटाफटा पठार ।
No:5. त्रिकूट पहाड़ी :-
जैसलमेर किला इसी पर स्थित है ।
No:6. उपरमाल : चित्तौड़गढ़ के
भैंसरोडगढ़ से भीलवाड़ा के बिजोलिया तक का पठारी भाग रियासत काल में ‘ उपरमाल ‘ के नाम से जाना जाता था ।
No:7. भैराच एवं उदयनाथ : अलवर
में स्थित पहाड़ियाँ ।
No:8. मगरा : उदयपुर का उत्तर
पश्चिमी पर्वतीय भाग, यहीं जरगा पर्वत चोटी स्थित है ।
No:9. खो जयपुर जिले में व
बाबाई ( झुंझुनू ) में स्थित पहाड़ियाँ
No:10. डोरा पर्वत ( 869 मी . ) : जसवंतपुरा
पर्वतीय क्षेत्र जालौर में स्थित ।
No:11. रोजाभाखर ( 730 मी . ) , इसराना भाखर ( 839 मी . ) एवं झारोला पहाड़
:- ये सभी जालौर पर्वतीय क्षेत्र (जसवंतपुरा को पहाडियाँ) में स्थित हैं ।
★ नालः- अरावली श्रेणियों के मध्य मेवाड़ क्षेत्र में
स्थित तंगरास्तों ( दर्रों ) को स्थानीय भाषा में नाल कहते हैं ।
मेवाड़ में प्रमुख नालें –
(1). जीलवा की नाल ( पगल्या नाल ) :- यह मारवाड़ से मेवाड़ में
आने का रास्ता प्रदान करती है ।
(2). सोमेश्वर की नाल :- देसूरी से कुछ मील उत्तर में स्थित
विकट तंग दर्रा ।
(3). हाथी गुड़ा की नाल :- देसूरी से दक्षिण में 5 मील दूरी पर स्थित नाल ।
कुंभलगढ़ का किला इसी नाल के नजदीक है।
राजस्थान के भौतिक प्रदेश से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान के भौतिक प्रदेश (Rajasthan
Bhotik Pardesh) से
सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-
No:1. खादर : चंबल बेसिन में 5 से 30 मीटर गहरी खड्डू युक्त
बीहड़ भूमि को स्थानीय भाषा में खादर कहते हैं ।
No:2. धोरे : रेगिस्तान में रेत
के बड़े – बड़े टीले , जिनकी आकृति लहरदार होती
हैं ।
No:3. बरखान : रेगिस्तान में
रेत के अर्द्धचन्द्राकार बड़े – बड़े टीले ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर गतिशील रहते
हैं ।
No:4. लघु मरुस्थल : महान थार
मरुस्थल का पूर्वी भाग जो कच्छ से बीकानेर तक फैला हैं ।
No:5. बीहड़ भूमि या कंदराएँ :
चम्बल नदी के द्वारा मिट्टी के भारी कटाव के कारण प्रवाह क्षेत्र में बन गई गहरी
घाटियाँ व टीले । राजस्थान में सर्वाधिक बीहड़ भूमि धौलपुर जिले में हैं ।
राजस्थान व मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिले भिण्ड , मुरैना , धौलपुर आदि में ये
कंदराएँ बहुत हैं ।
No:6. खड़ीन : जैसलमेर के उत्तर
दिशा में बड़ी संख्या में स्थित प्लाया झीलें जो प्राय : निम्न कागारों से घिरी
रहती हैं ।
No:7. धरियन : जैसलमेर जिले के
ऐसे भू – भाग में , जहाँ आबादी लगभग नगण्य है
, स्थानान्तरित बालुका
स्तुपों को स्थानीय भाषा में धरियन नाम से पुकारते हैं ।
No:8. बांगड़ ( बांगर ) : यह
अरावली पर्वत एवं पश्चिम मरुस्थल के मध्य का भाग है जो मुख्यत : झुंझुनूं , सीकर व नागौर जिले में
विस्तृत है । (Rajasthan Vistar Bhotik Pardesh)
No:9. छप्पन के मैदान :
बाँसवाड़ , डूंगरपुर
व प्रतापगढ़ के बीच माही बेसिन में 56 ग्राम समूहों (56 नदी नालों का प्रवाह
क्षेत्र) का क्षेत्र
No:10. पीडमान्ट मैदान : अरावली
श्रेणी में देवगढ़ के समीप स्थित पृथक निर्जन पहाड़ियाँ जिनके उच्च भू – भाग टीलेनुमा है
No:11. बीजासण का पहाड़ :
मांडलगढ़ कस्बे के पास स्थित है ।
No:12. विन्ध्याचल पर्वत :
राजस्थान के दक्षिण – पूर्व में मध्यप्रदेश में स्थित है ।
No:13. लाठी सीरीज क्षेत्र :
जैसलमेर में पोकरण से मोहनगढ़ तक पाकिस्तानी सीमा के सहारे विस्तृत एक भूगर्भीय जल
की चौड़ी पट्टी जहाँ उपयोगी सेवण घास अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है ।
No:14. कूबड़ पट्टी : राजस्थान
के नागौर एवं अजमेर जिले के कुछ क्षेत्रों में भूगर्भीय पानी में फ्लोराइड की
मात्रा अत्यधिक होने के कारण; वहाँ के निवासियों की हड्डियों में टेड़ापन आ जाता है।
एवं पीठ झुक जाती है इसलिए इसे कूबड़ पट्टी कहते है। (Rajasthan
Vistar Bhotik Pardesh)
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