Different Words With Meaning and Examples
No:1. हिंदी भाषा में अनेक ऐसे
शब्द हैं, जो पढ़ने और सुनने में
लगभग एक-से लगते हैं। जबकि उनके अर्थ अलग-अलग होते है यानि दोनों शब्दों के अर्थ
में सूक्ष्म अंतर होता है।
No:2. ऐसे शब्द ही
श्रुतिसम/समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द (Homonyms Words) कहलाते है।
No:3. सरल शब्दों में कहे तो
भिन्नार्थक शब्द ऐसे शब्द है जिनमें स्वर, मात्रा अथवा व्यंजन में
थोड़ा-सा अंतर होता है।
No:4. इसी दृष्टि से यहां आमतौर
पर प्रयोग किये जाने वाले भिन्नार्थक शब्दों की सूची प्रस्तुत की गई है–
Word Meanings with Examples
अबला : अबला स्त्री मात्र को कहते हैं।
निर्बला : बलहीन नारी।
अभिमान : सच्चा वर्ग।
अहंकार : झूठा घमंड।
दर्प : नियम के विरुद्ध काम करने पर भी घमंड।
घमंड : सभी परिस्थितियों में अपने को बड़ा और दूसरे को
हीन समझना।
अवस्था : उम्र, जीवन के कुछ बीते समय।
आयु : जीवन की पूरी गणना।
अलौकिक : अद्भुत, उत्तम गुणवाला।
अस्वाभाविक : प्रकृति के विरुद्ध।
ईर्ष्या : दूसरे की उन्नति से जलना।
द्वेष : वैर-भाव।
उद्योग : उद्यम, परिश्रम।
उपाय : समस्या सुलझाने का तरीका या तरकीब।
कृपा : किसी के कष्ट दूर करने की साधारण चेष्टा या किसी
की सहायता।
दया : दीन-दुःखी पर पिघलना अथवा दुःखियों के दुःख दूर करने
की स्वाभाविक इच्छा।
खेद : मन का खिन्न होना।
शोक : मृत्यु आदि पर अफसोस।
कष्ट : साधारण तकलीफ।
दुःख : तन-मन या आत्मा का दुःखी होना।
निर्णय : फैसला।
न्याय : इनसाफ।
पाप : धर्म के विरुद्ध कार्य।
अपराध : कानून के विरुद्ध कार्य करना।
देखना : साधारण अर्थ में देखना।
दर्शन देना : सम्मान के अर्थ में।
श्रद्धा : महात्माओं, धर्मों के प्रति।
भक्ति : ईश्वर के प्रति।
भिन्न : अलग।
विपरीत : उलटा।
भ्रम : जो नहीं है उसे समझ बैठना, जैसे- रस्सी को सांप
समझना।
संदेह : दुविधा, जैसे- सांप है या रस्सी।
धर्म : सत्य आदि मानवता के आदर्श।
मत : मजहब।
मूर्ख : मुढ़ बुद्धिहीन।
अनभिज्ञ : जिसे पता न हो।
अज्ञात : जिसका पता न हो।
अपरिचित : नावाकिफ।
स्त्री : संपूर्ण नारी जाति।
पत्नी : किसी की विवाहिता।
लज्जा : शर्म।
ग्लानि : किसी पाप या अपराध का अफसोस।
शंका : शक।
आशंका : खतरा।
भय : साधारण डर।
त्रास : भयंकर भय।
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Shabd) सूची
हिंदी में
बहुमूल्य : बहुत कीमती।
अमूल्य : जिसका मूल्य न आंका जा सके।
यत्न : कोशिश।
चेष्टा : हरकत।
वेदना : शारीरिक कष्ट।
व्यथा : मानसिक कष्ट।
कलंक : भारी दोष लगना।
अपयश : अपकीर्ति।
प्रलाप : बकना, बकवाद।
विलाप : किसी के मरने पर रोना।
परिचर्या : रोगी की सेवा।
सेवा : किसी की भी सेवा।
अनुग्रह : कृपा करना।
अनुकंपा : बहुत कृपा।
अनुरोध : बराबर वालों से अनुरोध किया जाता है।
प्रार्थना : ईश्वर या अपने से बड़ों से प्रार्थना की
जाती है।
अस्त्र : वह हथियार जो फेंककर चलाया जाता है।
शस्त्र : वह हथियार जो हाथ में लेकर चलाया जाता है।
अधिक : आवश्यकता से ज्यादा।
काफी : पर्याप्त।
अनुराग : किसी विषय-वस्तु पर शुद्ध भाव से मन का
केंद्रित होना।
आसक्ति : मोहजनित प्रेम।
अंतःकरण : विशुद्ध मन की केंद्रीय शक्ति।
आत्मा : अनश्वर, जीवों की चेतना।
अध्यक्ष : किसी गोष्ठी, समिति या संस्था के
स्थायी प्रधान।
सभापति : अस्थायी प्रधान।
अर्चना : धूप, दीप, फूल इत्यादि से पूजा
करना।
पूजा : बिना किसी सामग्री के भी भक्तिपूर्ण विनय अथवा
प्रार्थना।
अभिनंदन : किसी श्रेष्ठ का मान या स्वागत।
स्वागत : अपनी सभ्यता-संस्कृति से संबंधित किसी को
सम्मान देना।
आदि : साधारणतः एक या दो उदाहरण के बाद।
इत्यादि : दो से अधिक या पूरे उदाहरण के बाद।
आज्ञा : पूज्य व्यक्ति द्वारा दिया गया कार्य-निर्देश।
आदेश : किसी अधिकारी द्वारा दिया गया कार्य-निर्देश।
आदरणीय : अपने से बड़ों या महान् व्यक्तियों के प्रति
सम्मान सूचक शब्द।
पूजनीय : पिता, गुरु या महान् पुरुषों के
प्रति सम्मान सूचक शब्द।
इच्छा : साधारण चाह।
अभिलाषा : किसी विशेष वस्तु की हार्दिक इच्छा।
उत्साह : काम करने की बढ़ती हुई इच्छा।
साहस : भय पर विजय प्राप्त करना।
कंगाल : जिसे पेट पालने के लिए भीख मांगनी पड़े।
दीन : निर्धनता के कारण जो दया का पात्र हो।
ग्रंथ : इससे पुस्तक के आकार की गुरुता और विषय के
गांभीर्य का बोध होता है।
पुस्तक : साधारणतः सभी प्रकार की किताबें।
दक्ष : जो हाथ से किये जाने वाले काम को अच्छी तरह और
जल्दी करें।
निपुण : जिसने अपने कार्य विषय का पूरा-पूरा ज्ञान
प्राप्त कर लिया हो।
कुशल : जो हर काम में मानसिक तथा शारीरिक शक्तियों का
अच्छा प्रयोग करना जानता है।
कर्मठ : जिस काम पर लगाया जाये उस पर लगा रहने वाला।
निबंध : ऐसी गद्य रचना जिसमें विषय गौण और लेखक का
व्यक्तित्त्व एवं शैली प्रधान हो।
लेख : ऐसी गद्य रचना जिसमें वस्तु या विषय की ही प्रधानता
हो।
निधन : महान् और लोकप्रिय व्यक्ति की मृत्यु।
मृत्यु : सामान्य शारीरांत की मृत्यु।
निकट : सामीप्य का बोध।
पास : अधिकार के सामीप्य का बोध।
प्रणाम : बड़ों को प्रणाम किया जाता है।
नमस्कार/नमस्ते : बराबर वालों को।
पारितोषिक : किसी प्रतियोगिता में विजयी होने पर।
पुरस्कार : किसी व्यक्ति के अच्छे काम या सेवा पर।
पुत्र : अपना बेटा।
बालक : कोई भी लड़का।
बड़ा : आकार का बोधक।
बहुत : परिणाम का बोधक।
बुद्धि : प्रज्ञा कर्तव्य का निश्चय करती है।
ज्ञान : इंद्रियों द्वारा प्राप्त अनुभव।
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मित्र : वह पराया व्यक्ति जिसके साथ आत्मीयता हो जाती
है।
बंधु : आत्मीय मित्र, संबंधी।
मन : जहां संकल्प-विकल्प हो।
चित्त : जहां बातों का स्मरण-विस्मरण हो।
महाशय : सामान्य लोगों के लिए महाशय का प्रयोग होता है।
महोदय : अपने से बड़ों या अधिकारिकयों को महोदय कहा जाता
है।
यंत्रणा : असहाय दुःख का अनुभव।
यातना : आघात से उत्पन्न कष्ट की अनुभूति, विशेषकर शारीरिक क्षेत्र
में या रूप में।
विषाद : अतिशय दुःखी होने के कारण किंकर्तव्यविमूढ़
होना।
व्यथा : किसी आघात के कारण मानसिक कष्ट या पीड़ा।
सेवा : गुरुजनों की टहल।
शुश्रुषा : दीन-दुःखियों या रोगियों की सेवा।
साधारण : जो वस्तु या व्यक्ति एक ही आधार पर आश्रित हो।
सामान्य : जो बात दो अथवा कई वस्तुओं तथा व्यक्तियों आदि
में समान रूप से पायी जाती है।
सहानुभूति : दूसरे के दुःख को निज दुःख मानना।
स्नेह : छोटों के प्रति प्रेम-भाव रखना।
सम्राट : राजाओं का राजा।
राजा : साधारण राजा।
अनुरूप : रूप के अनुसार।
अनुकूल : अपने पक्ष के मुताबिक।
अनुभव : अभ्यासादि द्वारा प्राप्त ज्ञान।
अनुभूति : चिंतन मननादि द्वारा प्राप्त आंतरिक ज्ञान।
अनबन : दो व्यक्तियों का आपस में नहीं बनना।
खटपट : दो पात्रों या व्यक्तियों में साधारण झगड़ा।
अर्पण : अपने से बड़े को जो भेंट दी जाती है।
प्रदान : बड़ों की ओर से छोटों को दिया जाना।
अन्वेषण : अज्ञात पदार्थ, स्थानादि का पता लगाना।
अनुसंधान : छानबीन, जांच-पड़ताल करना।
गवेषणा : किसी गूढ़ विषय की मूल स्थिति जानने के लिए
गम्भीर अध्ययन-मननादि।
अशुद्धि : लाई गयी भूल।
भूल : कार्य-व्यवहारादि में किसी चीज का छूट जाना, रह जाना।
आधि : मानसिक कष्ट।
व्याधि : शारीरिक कष्ट।
आह्लाद : वह प्रसन्नता जो क्षणिक, पर तीव्र भावों से
समन्वित हो।
उल्लास : किसी अभिलषित पदार्थ की प्राप्ति की आशा में जो
आनंद आता है।
आगामी : आगे आने वाला समय।
भावी : भविष्य का बोध हो जाना।
आराधना : किसी देवता या गुरुजन के समक्ष दया की याचना।
उपासना : अपने इष्टदेव से किसी उद्देश्य की पूर्ति के
लिए एकनिष्ठ साधना करना।
उपकरण : वह सामग्री जो किसी कार्य की सिद्धि के लिए
जुटाई जाती है।
उपादान : किसी पदार्थ के निर्माण की सामग्री।
उदाहरण : किसी पदार्थ को सिद्ध करने के लिए दिया गया
प्रमाण आदि।
दृष्टांत : किसी बात की परिपुष्टि के लिए दिया गया तथ्य।
अभिनेत्री : रंगमंच पर नारी की भूमिका अदा करने वाली
अभिनेत्री कहलाती है।
नायिका : नाटक या उपन्यासादि की मुख्य नारी पात्र।
त्रुटि : कमी का भाव प्रकट होना।
दोष : उचित-अनुचित का भाव।
निवेदन : अधिकारी व्यक्ति के समक्ष नम्रता का भाव बरतना।
आवेदन : दरख्वास्त।
क्रांति : जनसाधारण द्वारा शासन को उलटने के लिए संघर्ष।
विद्रोह : शासन के विरुद्ध कार्य।
आज्ञा : किसी गुरुजन की आज्ञा।
अनुज्ञा : अनुमति स्वीकृति।
आमंत्रण : किसी समारोह में सम्मिलित होने के लिए बुलावा।
निमंत्रण : कहीं भोजन करने के लिए बुलाहट।
ऋषि : सत्य का साक्षात्कार, आविष्कार करने वाला।
मुनि : सत्य का मनन करने वाला।
संत : पवित्र, निष्काम तथा निर्विरोध
जीवन बिताने वाला।
बालक : अल्पवयस्क मानव, शिशु से अधिक उम्र वाला।
लड़का : बालक और बेटा दोनों अर्थों में प्रसंगानुसार
प्रयुक्त।
बचपन : बच्चे की अवस्था।
बचपना : बच्चों का स्वभाव, बच्चे जैसी चेष्टा।
धन्यवाद : किसी की सहायता पाकर उसके प्रति कृतज्ञता का
भाव प्रकट करना।
बधाई : किसी की उपलब्धि से अपनी प्रसन्नता प्रकट करते
हुए उसकी उन्नति की शुभकामना।
सहयोग : किसी काम को मिल-जुलकर करना।
सहायता : किसी काम में मदद, हाथ बंटाना।
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