No.-1.वाक्य में प्रयुक्त पदों को अलग-अलग कर उनका पारस्परिक संबंध बतलाना ही वाक्य-विश्लेषण कहलाता है।
वाक्य विश्लेषण में पहले उद्देश्य एवं
विधेय को छाँट लिया जाता है। उसके बाद उनके विस्तार का अलग-अलग उल्लेख किया जाता
है।
सरल वाक्य का विश्लेषणसरल वाक्य का विश्लेषण करते समय हमें
निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-
No.-1. उद्देश्य और विधेय को पहचानकर अलग कर लें।
No.-2.पहले उद्देश्य (कर्ता) तथा बाद में उद्देश्य के
विस्तार का उल्लेख करें।
No-3.यदि क्रिया सकर्मक हो तो विधेय में कर्म तथा कर्म के विस्तार का उल्लेख करने के बाद क्रिया तथा क्रिया के विस्तार (क्रियाविशेषण) का उल्लेख करें।
उद्देश्य (कर्ता) - व्यक्ति
उद्देश्य का विस्तार (विशेषण) -
परिश्रमी
विद्येय - हर क्षेत्र में सफल होता है।
कर्म - सफल
क्रिया - होता है
क्रिया का विस्तार (क्रियाविशेषण) - हर
क्षेत्र में
संयुक्त वाक्य का विश्लेषण
संयुक्त वाक्यों का विश्लेषण सरल
वाक्यों की तरह ही होता है। संयुक्त वाक्यों में दो सरल वाक्य होते हैं जो योजक
अव्यय द्वारा जुड़े होते हैं। इसमें दोनों वाक्यों का अलग-अलग विश्लेषण किया जाता
है।
जैसे- रमेश बैठकर पुस्तक पढ़ रहा था तथा
दिनेश लेटकर टीo वीo देख रहा है।
No.-1. रमेश बैठकर पुस्तक पढ़ रहा है।
No.-2. दिनेश लेटकर टीo वीo
देख रहा है।
योजक- तथा
विधेय - बैठकर पुस्तक पढ़ रहा है
क्रिया - पुस्तक
क्रिया - पढ़ रहा है
क्रिया का विस्तार (क्रियाविशेषण) -
बैठकर
विद्येय - लेटकर टीo वीo देख
रहा है।
कर्म - टीo वीo
क्रिया - देख रहा है
क्रिया का विस्तार (क्रियाविशेषण) -
लेटकर
मिश्र वाक्य का विश्लेषण
मिश्र वाक्य का विश्लेषण करते समय
प्रधान उपवाक्य तथा आश्रित उपवाक्य को अलग छाँट लेना चाहिए। तत्पश्चात् दोनों
उपवाक्यों के उद्देश्य तथा विद्येय का अलग-अलग परिचय प्रस्तुत करना चाहिए।
प्रधान उपवाक्य - प्रवीण ने कहा
आश्रित उपवाक्य - उसका लड़का पढ़ लिखकर
डॉक्टर बनेगा।
No.-1. उद्देश्य - प्रवीण ने
विद्येय - कहा
No.-2. उद्देश्य - लड़का
उद्देश्य का विस्तार - उसका
विद्येय - पढ़-लिखकर डॉक्टर बनेगा
कर्म - डॉक्टर
क्रिया - बनेगा
क्रिया का विस्तार (क्रियाविशेषण) - पढ़
लिखकर
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