पुस्तक का नाम |
लेखक |
पुस्तक का संक्षिप्त विवरण |
No.-1. इस्त्वार
द-ला लिटेरात्यूर ओं इंदी फ्रेंच लेखक गादी-दँ तासी (हिन्दी कवियों का इतिहास-दो
भागों में) |
फ्रेंच लेखक |
पहला भाग 1839 में तथा
दूसरा भाग 1846 में छपा। सन् 1871 में दूसरा
संस्करण तीन भागों में छपा। इसमें हिन्दू मुसलमान कवियों और कवियित्रियों का
अंग्रेजी वर्णक्रम से विवरण दिया गया। उनका जीवन वृत्त और रचनाएँ-विवरण तीनों
भागों की पृष्ठ संख्या 1834 थी, 70 के लगभग
हिन्दी कवियों का विवरण। |
No.-2. भाषा काव्य
संग्रह |
पं. महेश दत्त शुक्ल |
सन् 1873 में नवल
किशोर प्रैस, लखनऊ से प्रकाशित। इसमें कुद प्राचीन कवियों की
कविताओं का संग्रह और उनकी संक्षिप्त जीवनियाँ थीं। |
No.-3. शिव सिंह
सरोज |
शिव सिंह सेंगर |
सन् 1881 में उन्नाव
जिले के सेंगर द्वारा लिखित। एक हजार के लगभग हिन्दी कवियों और उनकी रचनाओं का
परिचय। इसी ग्रंथ के आधार पर सर जार्ज ग्रियर्सन ने 'मार्डन
वर्नाक्युलर लिटरेचर आफ हिन्दुस्तान' लिखा। |
No.-4. हिन्दी-कोविद-ग्रंथ-माला
(भाग 2) |
बाबू श्यामसुन्दर दास |
भारतेन्दु कालीन 80 कवियों का
रचना-संकेतों सहित परिचय। 1909 तथा 1914 में प्रकाशित। |
No.-5. मिश्र
बन्धु-विनोद |
श्याम बिहारी मिश्र शुक देव बिहारी मिश्र |
सन् 1913 में तीन
भागों तथा 1934 में चौथे भाग का प्रकाशन। हिन्दी कवियों का प्रथम
विराट् एवं व्यवस्थित इतिवृत्तत्मक ग्रन्थ। |
No.-6. नवरत्न |
श्याम बिहारी मिश्र शुक देव बिहारी मिश्र |
सन् 1910 में प्रकाशित; संशोधित-परिवर्द्धत संसकरण-1934।इसमें तुलसी, सूर, देव, बिहारी, भूषण, मतिराम, केशव, कबीर, चन्द, हरिश्चन्द्र-इन
दस कवियों की विस्तृत समालोचना थी। |
No.-7. कविता कौमुदी
(भाग 2) |
पं. रामनरेश त्रिपाठी |
सन् 1917 में
प्रकाशित। प्रथम भाग में भारतेन्दु से पूर्व के 89 कवियों और
रचनाओं का परिचय दूसरे में 49 आधुनिक
कवियों और उनकी रचनाओं का। |
No.-8. ए स्कैच ऑफ
हिन्दी 'लिटरेचर' |
एडविन ग्रीव्स |
सन् 1918 में
प्रकाशित। इसमें 112 पृष्ठ हैं और 5 भोगों में
विभक्त हैं। |
No.-9. ए हिस्ट्री
ऑफ हिन्दी लिटरेचर |
एफ.आई. के |
सन् 1920 में प्रकाशित
हुई, 116 पृष्ठ हैं, हिन्दी साहित्य
का परिचय मात्र है। |
No.-10. हिन्दी
साहित्य का इतिहास |
पं. रामचन्द्र शुक्ल |
सन् 1929 में प्रकाशित |
No.-11. हिन्दी भाषा
और साहित्य |
डॉ. श्यामसुन्दर दास |
सन् 1930 में
प्रकाशित। कवियों का विवरण मात्र व भाषा विज्ञान। |
No.-12. भारतीय
इतिहास पर हिन्दी का प्रभाव |
पं. शुकदेव बिहारी मिश्र |
सन् 1930-31 (भाषण जो बाद
में पुस्तकार प्रकाशित) |
No.-13. हिन्दी भाषा
और उसके साहित्य का विकास ' |
पं. अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔंध' |
सन् 1929-30 (भाषण जो
पुस्तकार छपे, 719 पृष्ठ भाषा और साहित्य पर अच्छी आलोचना)। |
No.-14. हिन्दी
साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास |
डॉ. सूर्यकांत शास्त्री |
सन् 1930 में प्रकाशित
हिन्दी साहित्य की विश्वजनीन भावनाओं की दृष्टि से तुलना। |
No.-15. हिन्दी का
इतिहास |
पं. रमाशंकर शुक्ल 'रसाल' |
सन् 1931 में
प्रकाशितकेवल उपलब्ध सामग्री का संग्रह किया। |
No.-16. आधुनिक हिन्दी
साहित्य का इतिहास |
कृष्ण शंकर शुक्ल |
सन् 1934 में
प्रकाशित। आधुनिक कवियों और साहित्यकारों का साहित्यिक परिचय दिया। |
No.-17. हिन्दी
साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास |
डॉ. रामकुमार वर्मा |
सन् 1938 में
प्रकाशित। चारण और धार्मिक काल का वर्णन हैं। |
No.-18. हिन्दी
साहित्य का इतिहास |
मिश्र बन्धु |
सन् 1939 में
प्रकाशित। आंगल प्रभाव से पूव्र व्यवस्थित इतिहास। |
No.-19. हिन्दी का
संक्षिप्त इतिहास |
रामनरेश त्रिपाठी |
सन् 1923 इन सभी
ग्रन्थों में साहित्य को ललित साहित्य |
No.-20. हिन्दी का
संक्षिप्त विमर्श |
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी |
सन् 1924 तक ही सीमित
रखा गया। |
No.-21. हिन्दी
साहित्य का संक्षिप्त इतिहास |
डॉ. श्यामसुन्दर दास |
सन् 1931 उस व्यापक
अर्थ में नहीं लिया गया। |
No.-22. हिन्दी
साहित्य का इतिहास |
ब्रज रत्न दास |
जिसमें जीवन चरित, इतिहास, भूगोल, विज्ञान। |
No.-23. हिन्दी
साहित्य का गद्यकाल |
पं. गणेश प्रसाद द्विवेदी |
देशदर्शन, भाषा-शास्त्र, ललित कला। |
No.-24. हिन्दी
साहित्य का सुबोध इतिहास |
बाबू गुलाब राय एम.ए |
सन् 1938 उपयोगी कला, शरीर रक्षा, प्राणि
शास्त्र। |
No.-25 हिन्दी
साहित्य की भूमिका |
पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी |
सन् 1940 समाज शास्त्र, शिक्षा धर्म, समालोचना। |
No.-26. हिन्दी के
निर्माता |
डॉ. श्याम सुंदर दास |
सन् 1941 और अन्य
भाषाओं के साहित्य का। |
No.-27. खड़ी बोली
हिन्दी का इतिहास |
ब्रज रत्न दास |
सन् 1941 अध्ययन शामिल
है। |
No.-28. हिन्दी भाषा
और साहित्य का इतिहास |
आचार्य चतुरसेन |
सन् 1946 में प्रकाशित
सर्वतोभावेन व्यापक अर्थों में प्रकाशित परिपूर्ण हिन्दी साहित्य का सर्वप्रथम
इतिहास, सब विषयों को लिया है, भाषा और लिपि
के प्रसंग भी हैं। |
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