No.-1. ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये, मुहावरा कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- मुहावरा भाषा विशेष
में प्रचलित उस अभिव्यक्तिक इकाई को कहते हैं,
जिसका प्रयोग प्रत्यक्षार्थ से अलग रूढ़
लक्ष्यार्थ के लिए किया जाता है।
इसी परिभाषा से मुहावरे के विषय में
निम्नलिखित बातें सामने आती हैं-
No.-1. मुहावरों का संबंध भाषा विशेष से होता है
अर्थात हर भाषा की प्रकृति, उसकी संरचना तथा सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भो के
अनुसार उस भाषा के मुहावरे अपनी संरचना तथा अर्थ ग्रहण करते हैं।
No.-2. मुहावरों का अर्थ उनके प्रत्यक्षार्थ से भिन्न
होता है अर्थात मुहावरों के अर्थ सामान्य उक्तियों से भिन्न होते हैं। इसका
तात्पर्य यही है कि सामान्य उक्तियों या कथनों की तुलना में मुहावरों के अर्थ
विशिष्ट होते हैं।
No.-3. मुहावरों के अर्थ अभिधापरक न होकर लक्षणापरक
होते हैं अर्थात उनके अर्थ लक्षणा शक्ति से निकलते हैं तथा अपने विशिष्ट अर्थ
(लक्ष्यार्थ) में रूढ़ हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए-
No.-1. कक्षा में प्रथम आने की सूचना पाकर मैं ख़ुशी से
फूला न समाया अर्थात बहुत खुश हो जाना।
No.-2. केवल हवाई किले बनाने से काम नहीं चलता, मेहनत
भी करनी पड़ती है अर्थात कल्पना में खोए रहना।
इन वाक्यों में ख़ुशी से फूला न समाया
और हवाई किले बनाने वाक्यांश विशेष अर्थ दे रहे हैं। यहाँ इनके शाब्दिक अर्थ नहीं
लिए जाएँगे। ये विशेष अर्थ ही 'मुहावरे'
कहलाते हैं।
'मुहावरा'
शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका
अर्थ होता है- अभ्यास। हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, प्रभावशाली, संक्षिप्त
तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है। ये वाक्यांश होते हैं। इनका प्रयोग करते समय
इनका शाब्दिक अर्थ न लेकर विशेष अर्थ लिया जाता है। इनके विशेष अर्थ कभी नहीं
बदलते। ये सदैव एक-से रहते हैं। ये लिंग, वचन और क्रिया के अनुसार वाक्यों में प्रयुक्त
होते हैं।
अरबी भाषा का 'मुहावर:' शब्द
हिन्दी में 'मुहावरा'
हो गया है। उर्दूवाले 'मुहाविरा' बोलते
हैं। इसका अर्थ 'अभ्यास'
या 'बातचीत' से है। हिन्दी में 'मुहावरा' एक
पारिभाषिक शब्द बन गया है। कुछ लोग मुहावरा को रोजमर्रा या 'वाग्धारा' कहते
है।
मुहावरा का प्रयोग करना और ठीक-ठीक
अर्थ समझना बड़ा ही कठिन है, यह अभ्यास और बातचीत से ही सीखा जा सकता है।
इसलिए इसका नाम मुहावरा पड़ गया।
मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता, चमत्कार और प्रवाह उत्पत्र होते है। इसका काम है बात इस खूबसूरती से कहना की सुननेवाला उसे समझ भी जाय और उससे प्रभावित भी हो।
No.-2.मुहावरा की विशेषता
No.-1.मुहावरे का प्रयोग वाक्य के प्रसंग में होता है, अलग
नही। जैसे, कोई कहे कि 'पेट काटना' तो
इससे कोई विलक्षण अर्थ प्रकट नही होता है। इसके विपरीत, कोई
कहे कि 'मैने पेट काटकर' अपने लड़के को पढ़ाया, तो
वाक्य के अर्थ में लाक्षणिकता, लालित्य और प्रवाह उत्पत्र होगा।
No.-2. मुहावरा अपना असली रूप कभी नही बदलता अर्थात
उसे पर्यायवाची शब्दों में अनूदित नही किया जा सकता। जैसे- कमर टूटना एक मुहावरा
है, लेकिन स्थान पर कटिभंग जैसे शब्द का प्रयोग गलत
होगा।
No.-3. मुहावरे का शब्दार्थ नहीं, उसका
अवबोधक अर्थ ही ग्रहण किया जाता है; जैसे- 'खिचड़ी पकाना'। ये दोनों शब्द जब मुहावरे के रूप में
प्रयुक्त होंगे, तब इनका शब्दार्थ कोई काम न देगा। लेकिन, वाक्य
में जब इन शब्दों का प्रयोग होगा, तब अवबोधक अर्थ होगा- 'गुप्तरूप
से सलाह करना'।
No.-4. मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है।
जैसे- 'लड़ाई में खेत आना' ।
इसका अर्थ 'युद्ध में शहीद हो जाना' है, न
कि लड़ाई के स्थान पर किसी 'खेत' का चला आना।
No.-5. मुहावरे भाषा की समृद्धि और सभ्यता के विकास के
मापक है। इनकी अधिकता अथवा न्यूनता से भाषा के बोलनेवालों के श्रम, सामाजिक
सम्बन्ध, औद्योगिक स्थिति, भाषा-निर्माण की शक्ति, सांस्कृतिक
योग्यता, अध्ययन,
मनन और आमोदक भाव, सबका
एक साथ पता चलता है। जो समाज जितना अधिक व्यवहारिक और कर्मठ होगा, उसकी
भाषा में इनका प्रयोग उतना ही अधिक होगा।
No.-6. समाज और देश की तरह मुहावरे भी बनते-बिगड़ते
हैं। नये समाज के साथ नये मुहावरे बनते है। प्रचलित मुहावरों का वैज्ञानिक अध्ययन
करने पर यह स्पष्ट हो जायेगा कि हमारे सामाजिक जीवन का विकास कितना हुआ। मशीन युग
के मुहावरों और सामन्तवादी युग के मुहावरों तथा उनके प्रयोग में बड़ा अन्तर है।
No.-7. हिन्दी के अधिकतर मुहावरों का सीधा सम्बन्ध
शरीर के भित्र-भित्र अंगों से है। यह बात दूसरी भाषाओं के मुहावरों में भी पायी
जाती है; जैसे- मुँह,
कान, हाथ, पाँव इत्यादि पर अनेक मुहावरे प्रचलित
हैं। हमारे अधिकतर कार्य इन्हीं के सहारे चलते हैं।
मुहावरे के प्रयोग में निम्नलिखित
सावधानियाँ बरतनी चाहिए :
No.-1. मुहावरे वाक्यों में ही शोभते हैं, अलग
नहीं। जैसे- यदि कहें 'कान काटना'
तो इसका कोई अर्थ व्यंजित नहीं होता; किन्तु
यदि ऐसा कहा जाय- 'वह छोटा बच्चा तो बड़ों-बड़ों के कान काटता है' तो
वाक्य में अदभुत लाक्षणिकता, लालित्य और प्रवाह स्वतः आ जाता है।
No.-2. मुहावरों का प्रयोग उनके असली रूपों में ही
करना चाहिए। उनके शब्द बदले नहीं जाते हैं। उनके पद-समूहों में रूप-भेद करने से
उसकी लाक्षणिकता और विलक्षणता नष्ट हो जाती है। जैसे- 'नौ-दो
ग्यारह होना' की जगह 'आठ तीन ग्यारह होना' ।
सर्वथा अनुचित है।
No.-3. मुहावरे का एक विलक्षण अर्थ होता है। इसमें
वाच्यार्थ का कोई स्थान नहीं होता। जैसे- 'उलटी गंगा बहाना' का जब वाक्य-प्रयोग होगा, तब
इसका अर्थ होगा- 'रीति-रिवाज के खिलाफ काम करना'।
No.-4. मुहावरे का प्रयोग प्रसंग के अनुसार होता है और
उसके अर्थ की प्रतीति भी प्रसंगानुसार ही होती है। जैसे- अमरीका की निति को सभी
विकासशील राष्ट्र धोखे और अविश्वास की मानते हैं। यदि ऐसा कहा जाय- 'पाकिस्तान
अपना उल्लू सीधा करने के लिए अमीरीका की आरती उतारता है'- तो
यहाँ न तो टेढ़े उल्लू को सीधा करने की बात है,
न ही, दीप जलाकर किसी की आरती उतारने की।
यहाँ दोनों की प्रकृति से अर्थ निकलता है- 'मतलब निकालना और 'खुशामद
करना'।
अतएव, मुहावरे का प्रयोग करते समय इस बात का सदैव ख्याल रखना चाहिए कि समुचित परिस्थिति, पात्र, घटना और प्रसंग का वाक्य में उल्लेख अवश्य हो। केवल वाक्य-प्रयोग कर देने पर संदर्भ के अभाव में मुहावरे अपने अर्थ को अभिव्यक्ति नहीं कर सकते हैं।
मुहावरे : भेद-प्रभेदNo.-3.मुहावरों को निम्नलिखित आधारों पर वर्गीकृत
किया जा सकता है-
No.-1. सादृश्य पर आधारित
No.-2.शारीरिक अंगों पर आधारित
No.-3.असंभव स्थितियों पर आधारित
No.-4.कथाओं पर आधारित
No.-5.प्रतीकों पर आधारित
No.-6.घटनाओं पर आधारित
No.-1. सादृश्य पर आधारित मुहावरे- बहुत से मुहावरे
सादृश्य या समानता पर आधारित होते हैं।
जैसे- चूड़ियाँ पहनना, दाल
न गलना, सोने पर सुहागा, कुंदन-सा चमकना, पापड़
बेलना आदि।
No.-2. शारीरिक अंगों पर आधारित मुहावरे- हिंदी भाषा
के अंतर्गत इस वर्ग में बहुत मुहावरे मिलते हैं।
जैसे- अंग-अंग ढीला होना, आँखें
चुराना, अँगूठा दिखाना, आँखों से गिरना, सिर
हिलाना, उँगली उठाना, कमर टूटना, कलेजा
मुँह को आना, गरदन पर सवार होना, छाती
पर साँप लोटना, तलवे चाटना,
दाँत खट्टे करना, नाक
रगड़ना, पीठ दिखाना,
बगलें झाँकन, मुँह
काला करना आदि।
No.-3. असंभव स्थितियों पर आधारित मुहावरे- इस तरह के
मुहावरों में वाच्यार्थ के स्तर पर इस तरह की स्थितियाँ दिखाई देती हैं जो असंभव
प्रतीत होती हैं।
जैसे- पानी में आग लगाना, पत्थर
का कलेजा होना, जमीन आसमान एक करना, सिर
पर पाँव रखकर भागना, हथेली पर सरसों जमाना, हवाई
किले बनाना, दिन में तारे दिखाई देना आदि।
No.-4. कथाओं पर आधारित मुहावरे- कुछ मुहावरों का जन्म
लोक में प्रचलित कुछ कथा-कहानियों से होता हैं।
जैसे-टेढ़ी खीर होना, एक
और एक ग्यारह होना, हाथों-हाथ बिक जाना, साँप
को दूध पिलाना, रँगा सियार होना, दुम दबाकर भागना, काठ
में पाँव देना आदि।
No.-5. प्रतीकों पर आधारित मुहावरे- कुछ मुहावरे
प्रतीकों पर आधारित होते हैं।
जैसे- एक आँख से देखना, एक
ही लकड़ी से हाँकना, एक ही थैले के चट्टे-बट्टे होना, तीनों
मुहावरों में प्रयुक्त 'एक' शब्द 'समानता'
का प्रतीक है।
इसी तरह से डेढ़ पसली का होना, ढाई
चावल की खीर पकाना, ढाई दिन की बादशाहत होना, में
डेढ़ तथा ढाई शब्द 'नगण्यता'
के प्रतीक है।
No.-6. घटनाओं पर आधारित मुहावरे- कुछ मुहावरों के मूल
में कोई घटना भी रहती है।
जैसे- काँटा निकालना, काँव-काँव
करना, ऊपर की आमदनी, गड़े मुर्दे उखाड़ना आदि।
उपर्युक्त भेदों के अलावा मुहावरों का
वर्गीकरण स्रोत के आधार पर भी किया जा सकता है। हिंदी में कुछ मुहावरे संस्कृत से
आए हैं तो कुछ अरबी-फारसी से आए हैं। इसके अतिरिक्त मुहावरों की विषयवस्तु क्या है, इस
आधार पर भी उनका वर्गीकरण किया जा सकता है। जैसे- स्वास्थ्य विषयक, युद्ध
विषयक आदि। कुछ मुहावरों का वर्गीकरण किसी क्षेत्र विशेष के आधार पर भी किया जा
सकता है। जैसे- क्रीडाक्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले मुहावरे, सेना
के क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले मुहावरे आदि।
यहाँ पर कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके
अर्थ वाक्य में प्रयोग सहित दिए जा रहे है।
No.-1.
अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भष्ट
होना)- विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने राम की
पत्नी का अपहरण किया।
No.-2.
अंक भरना (स्नेह से लिपटा लेना)- माँ
ने देखते ही बेटी को अंक भर लिया।
No.-3.
अंग टूटना (थकान का दर्द)- इतना काम
करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है।
No.-4.
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (स्वयं
अपनी प्रशंसा करना)- अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं
देता।
No.-5.
अक्ल का चरने जाना (समझ का अभाव होना)-
इतना भी समझ नहीं सके ,क्या अक्ल चरने गए है ?
No.-6.
अपने पैरों पर खड़ा होना (स्वालंबी
होना)- युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।
No.-7.
अक्ल का दुश्मन (मूर्ख)- राम तुम मेरी
बात क्यों नहीं मानते, लगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो।
No.-8.
अपना उल्लू सीधा करना (मतलब निकालना)-
आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।
No.-9.
अंगारों पर लेटना (डाह होना, दुःख
सहना) वह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा। मैं जीवन भर अंगारों पर
लोटता रहा हूँ।
No.-10.
अँगूठा दिखाना (समय पर धोखा देना)-
अपना काम तो निकाल लिया, पर जब मुझे जरूरत पड़ी, तब
अँगूठा दिखा दिया। भला, यह भी कोई मित्र का लक्षण है।
No.-11.
अँचरा पसारना (माँगना, याचना
करना)- हे देवी मैया, अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती
हूँ। उसे भला-चंगा कर दो, माँ।
No.-12.
अण्टी मारना (चाल चलना)- ऐसी अण्टीमारो
कि बच्चू चारों खाने चित गिरें।
No.-13.
अण्ड-बण्ड कहना (भला-बुरा या अण्ट-
सण्ट कहना)- क्या अण्ड-बण्ड कहे जा रहे हो। वह सुन लेगा, तो
कचूमर ही निकाल छोड़ेगा।
No.-14.
अन्धाधुन्ध लुटाना (बिना विचारे व्यय)-
अपनी कमाई भी कोई अन्धाधुन्ध लुटाता है ?
No.-15.
अन्धा बनना (आगे-पीछे कुछ न देखना)-
धर्म से प्रेम करो, पर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं
चलती।
No.-16.
अन्धा बनाना (धोखा देना)- मायामृग ने
रामजी तक को अन्धा बनाया था। इस माया के पीछे मौजीलाल अन्धे बने तो क्या।
No.-17.
अन्धा होना (विवेकभ्रष्ट होना)- अन्धे
हो गये हो क्या, जवान बेटे के सामने यह क्या जो-सो बके जा रहे
हो ?
No.-18.
अन्धे की लकड़ी (एक ही सहारा)- भाई, अब
तो यही एक बेटा बचा, जो मुझे अन्धे की लकड़ी है। इसे परदेश न जाने
दूँगा।
No.-19.
अन्धेरखाता (अन्याय)- मुँहमाँगा दो, फिर
भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है।
No.-20.
अन्धेर नगरी (जहाँ धांधली का बोलबाला
हो)- इकत्री का सिक्का था, तो चाय इकत्री में मिलती थी, दस
पैसे का निकला, तो दस पैसे में मिलने लगी। यह बाजार नहीं, अन्धेरनगरी
ही है।
No.-21.
अकेला दम (अकेला)- मेरा क्या ! अकेला
दम हूँ; जिधर सींग समायेगा, चल
दूँगा।
No.-22.
अक्ल की दुम (अपने को बड़ा होशियार
लगानेवाला)- दस तक का पहाड़ा भी तो आता नहीं,
मगर अक्ल की दुम साइन्स का पण्डित बनता
है।
No.-23.
अगले जमाने का आदमी (सीधा-सादा, ईमानदार)-
आज की दुनिया ऐसी हो गई कि अगले जमाने का आदमी बुद्धू समझा जाता है।
No.-24.
अढाई दिन की हुकूमत (कुछ दिनों की
शानोशौकत)- जनाब, जरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की
हुकूमत जाती रहेगी।
No.-25.
अत्र-जल उठना (रहने का संयोग न होना, मरना)-
मालूम होता है कि तुम्हारा यहाँ से अत्र-जल उठ गया है, जो
सबसे बिगाड़ किये रहते हो।
No.-26.
अत्र-जल करना (जलपान, नाराजगी
आदि के कारण निराहार के बाद आहार-ग्रहण)- भाई,
बहुत दिनों पर आये हो। अत्र-जल तो करते
जाओ।
No.-27.
अत्र लगना (स्वस्थ रहना)- उसे ससुराल
का ही अत्र लगता है। इसलिए तो वह वहीं का हो गया।
No.-28.
अपना किया पाना (कर्म का फल भोगना)-
बेहूदों को जब मुँह लगाया है, तो अपना किया पाओ। झखते क्या हो ?
No.-29.
अपना-सा मुँह लेकर रह जाना (शर्मिन्दा
होना)- आज मैंने ऐसी चुभती बात कही कि वे अपना-सा मुँह लिए रह गये।
No.-30.
अपनी खिचड़ी अलग पकाना (स्वार्थी होना, अलग
रहना)-यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उत्रति होने से रही।
No.-31.
अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना (संकट मोल
लेना)- उससे तकरार कर तुमने अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारी है।
No.-32.
अब-तब करना (बहाना करना)- कोई भी चीज
माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा।
No.-33.
अब-तब होना (परेशान करना या मरने के
करीब होना)- दवा देने से क्या ! वह तो अब-तब हो रहा है।
No.-34.
अंग-अंग ढीला होना (अत्यधिक थक
जाना)-विवाह के अवसर पर दिन भर मेहमानों के स्वागत में लगे रहने से मेरा अंग-अंग
ढीला हो रहा हैं।
No.-35.
अंगारे उगलना (कठोर और कड़वी बातें
कहना)- मित्र! अवश्य कोई बात होगी, बिना बात कोई क्यों अंगारे उगलेगा।
No.-36.
अंगारों पर लोटना (ईर्ष्या से व्याकुल
होना)- मेरे सुख को देखकर रामू अंगारों पर लोटता हैं।
No.-37.
अँगुली उठाना (किसी के चरित्र या
ईमानदारी पर संदेह व्यक्त करना)- मित्र! हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे
कोई हम पर अँगुली उठाए।
No.-38.
अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ना (थोड़ा पाकर
अधिक पाने की कोशिश करना)- जब भिखारी एक रुपया देने के बाद और रुपए मांगने लगा तो
मैंने उससे कहा- अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ते हो,
जाओ यहाँ से।
No.-39.
अँगूठा छाप (अनपढ़)- रामेश्वर अँगूठा
छाप हैं, परंतु अब वह पढ़ना चाहता हैं।
No.-40.
अंगूर खट्टे होना (कोई वस्तु न मिलने
पर उससे विरक्त होना)- जब लोमड़ी को अंगूर नहीं मिले तो वह कहने लगी कि अंगूर खट्टे
हैं।
No.-41.
अंजर-पंजर ढीला होना (शरीर शिथिल होना
या बहुत थक जाना)- दिन-भर भागते-भागते आज तो मेरा अंजर-पंजर ढीलाहो गया।
No.-42.
अंडे सेना (घर से बाहर न निकलना; घर
में ही बैठे रहना)- रामू की पत्नी ने कहा कि कुछ काम करो, अंडे
सेने से काम नहीं चलेगा।
No.-43.
अंतड़ियों के बल खोलना (बहुत दिनों के
बाद भरपेट भोजन करना)- आज पंडित जी का न्योता हैं, आज वे अपनी अंतड़ियों के बल खोल देंगे।
No.-44.
अंतड़ियों में बल पड़ना (पेट में दर्द
होना)- दावत में खाना अधिक खाकर मेरी तो अंतड़ियों में बल पड़ गए।
No.-45.
अंतिम घड़ी आना (मौत निकट आना)- शायद
रामू की दादी की अंतिम घड़ी आ गई हैं। वह पंद्रह दिन से बिस्तर पर पड़ी हैं।
No.-46.
अंधा बनना (ध्यान न देना)- अरे मित्र!
तुम तो जान-बुझकर अंधे बन रहे हो- सब जानते हैं कि रामू पैसे वापस नहीं करता, फिर
भी तुमने उसे पैसे उधार दे दिए।
No.-47.
अंधे के हाथ बटेर लगना (अनाड़ी आदमी को
सफलता प्राप्त होना)- रामू मात्र आठवीं पास हैं, फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई। इसी
को कहते हैं- अंधे के हाथ बटेर लगना।
No.-48.
अंधे को दो आँखें मिलना (मनोरथ सिद्ध
होना)- एम.ए., बी.एड. करते ही प्रेम की नौकरी लग गई। उसे और
क्या चाहिए- अंधे को दो आँखें मिल गई।
No.-49.
अंधेर मचना (अत्याचार करना)- औरंगजेब
ने अपने शासनकाल में बहुत अंधेर मचाया था।
No.-50.
अक्ल का अंधा (मूर्ख व्यक्ति)- वह अक्ल
का अंधा नहीं, जैसा कि आप समझते हैं।
No.-51.
अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर फिरना (हर वक्त
मूर्खता का काम करना)- रमेश तो हर वक्त अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता हैं- चीनी
लेने भेजा था, नमक लेकर आ गया।
No.-52.
अक्ल घास चरने जाना (वक्त पर बुद्धि का
काम न करना)- अरे मित्र! लगता हैं, तुम्हारी अक्ल घास चरने गई हैं तभी तो तुमने
सरकारी नौकरी छोड़ दी।
No.-53.
अक्ल ठिकाने लगना (गलती समझ में आना)-
जब तक उस चोर को पुलिस के हवाले नहीं करोगे,
उसकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी।
No.-54.
अगर-मगर करना (तर्क करना या टालमटोल
करना)- ज्यादा अगर-मगर करो तो जाओ यहाँ से;
हमें तुम्हारे जैसा नौकर नहीं चाहिए।
No.-55.
अपना रास्ता नापना (चले जाना)- मैंने
रामू को उसकी कृपा का धन्यवाद देकर अपना रास्ता नापा।
No.-56.
अपना सिक्का जमाना (अपनी धाक या
प्रभुत्व जमाना)- रामू ने कुछ ही दिनों में अपने मोहल्ले में अपना सिक्का जमा लिया
हैं।
No.-57.
अपना सिर ओखली में देना (जान-बूझकर
संकट मोल लेना)- खटारा स्कूटर खरीदकर मोहन ने अपना सिर ओखली में दे दिया हैं।
No.-58.
अपनी खाल में मस्त रहना (अपने आप में
संतुष्ट रहना)- वह तो अपनी खाल में मस्त रहता हैं, उसे किसी से कोई मतलब नहीं हैं।
No.-59.
अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना- (सबसे
अलग रहना)- मोहन आजकल अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाते है।
No.-60.
अंगारों पर पैर रखना (अपने को खतरे में
डालना, इतराना)- भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर देश
की रक्षा करते है।
No.-61.
अक्ल का अजीर्ण होना (आवश्यकता से अधिक
अक्ल होना)- सोहन किसी भी विषय में दूसरे को महत्व नही देता है, उसे
अक्ल का अजीर्ण हो गया है।
No.-62.
अक्ल दंग होना (चकित होना)- मोहन को
पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता लेकिन परीक्षा परिणाम आने पर सब का अक्ल दंग हो गया।
No.-63.
अक्ल का पुतला (बहुत बुद्धिमान)- विदुर
जी अक्ल का पुतला थे।
No.-64.
अन्त पाना (भेद पाना)- उसका अन्त पाना
कठिन है।
No.-65.
अन्तर के पट खोलना (विवेक से काम
लेना)- हर हमेशा हमें अन्तर के पट खोलना चाहिए।
No.-66.
अक्ल के घोड़े दौड़ाना (कल्पनाएँ करना)-
वह हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है।
No.-67.
अपने दिनों को रोना (अपनी स्वयं की
दुर्दशा पर शोक प्रकट करना)- वह तो हर वक्त अपने ही दिनों को रोता रहता हैं, इसलिए
कोई उससे बात नहीं करता।
No.-68.
अलाउद्दीन का चिराग (आश्चर्यजनक या
अद्भुत वस्तु)- रामू कलम पाकर ऐसे चल पड़ा जैसे उसे अलाउद्दीन का चिराग मिल गया हो।
No.-69.
अल्लाह को प्यारा होना (मर जाना)-
मुल्लाजी कम उम्र में ही अल्लाह को प्यारे हो गए।
No.-70.
अपनी डफली आप बजाना- (अपने मन की
करना)- राधा दूसरे की बात नहीं सुनती, वह हमेशा अपनी डफली आप बजाती है।
No.-71.
अंग-अंग ढीला होना (थक जाना)- ऑफिस में
इतना अधिक काम है कि शाम तक अंग-अंग ढीला हो जाता है।
No.-72.
अंग-अंग मुसकाना (अति प्रसन्न होना)-
विवाह की बात पक्की होने की खबर को सुनते ही करीना का अंग-अंग मुसकाने लगा।
No.-73.
अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना (हर समय
मूर्खतापूर्ण कार्य करना)- जो आदमी अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता है उसे मैं इतनी
बड़ी जिम्मेदरी कैसे सौंप सकता हूँ?
No.-74.
अगर मगर करना (टालमटोल करना)- मेरे एक
दोस्त ने मुझसे वायदा किया था कि जब भी कोई जरूरत हो वह मेरी मदद करेगा। आज जब
मैंने मदद माँगी तो अगर-मगर करने लगा।
No.-75.
अगवा करना (अपहरण करना)- मुरली बाबू के
बेटे को डाकुओं ने अगवा कर लिया है और अब पाँच लाख की फिरौती माँग रहे हैं।
No.-76.
अति करना (मर्यादा का उल्लंघन करना)-
भाई, आपने भी अति कर दी है, हमेशा
अपने बच्चों को डाँटते ही रहते हो। कभी तो प्यार से बात किया करो।
No.-77.
अपना-अपना राग अलापना (किसी की न
सुनना)- सभी छात्र एक साथ प्रधानाचार्य के कमरे में घुस गए और लगे अपना-अपना राग
अलापने। बेचारे प्रधानाचार्य सर पकड़कर बैठ गए।
No.-78.
अपनी राम कहानी सुनाना (अपना हाल बताना)-
यहाँ के अधिकारियों ने तो अपने कानों में तेल डाल रखा है। किसी की सुनना ही नहीं
चाहते।
No.-79.
अरमान निकालना (इच्छा पूरी करना)- हो
गई न तुम्हारे मन की। निकाल लो मन के सारे अरमान।
No.-80.
अन्धों में काना राजा- (अज्ञानियों में
अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना)
No.-81.
अंकुश देना- (दबाव डालना)
No.-82.
अंग में अंग चुराना- (शरमाना)
No.-83.
अंग-अंग फूले न समाना- (आनंदविभोर
होना)
No.-84.
अंगार बनना- (लाल होना, क्रोध
करना)
No.-85.
अंडे का शाहजादा- (अनुभवहीन)
No.-86.
अठखेलियाँ सूझना- (दिल्लगी करना)
No.-87.
अँधेरे मुँह- (प्रातः काल, तड़के)
No.-88.
अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक कर काम करना)
No.-89.
अपना घर समझना- (बिना संकोच व्यवहार)
No.-90.
अड़चन डालना- (बाधा उपस्थित करना)
No.-91.
अरमान निकालना- (इच्छाएँ पूरी करना)
No.-92. अरण्य-चन्द्रिका- (निष्प्रयोजन पदार्थ)
No.-1.
आँख भर आना (आँसू आना)- बेटी की विदाई
पर माँ की आखें भर आयी।
No.-2.
आँखों में बसना (हृदय में समाना)- वह
इतना सुंदर है की उसका रूप मेरी आखों में बस गया है।
No.-3.
आँखे खुलना (सचेत होना)- ठोकर खाने के
बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है।
No.-4.
आँख का तारा - (बहुत प्यारा)-
आज्ञाकारी बच्चा माँ-बाप की आँखों का तारा होता है।
No.-5.
आँखे दिखाना (बहुत क्रोध करना)- राम से
मैंने सच बातें कह दी, तो वह मुझे आँख दिखाने लगा।
No.-6.
आसमान से बातें करना (बहुत ऊँचा होना)-
आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है, जो आसमान से बातें करती है।
No.-7.
आँच न आने देना (जरा भी कष्ट या दोष न
आने देना)- तुम निश्र्चिन्त रहो। तुमपर आँच न आने दूँगा।
No.-8.
आठ-आठ आँसू रोना (बुरी तरह पछताना)- इस
उमर में न पढ़ा, तो आठ-आठ आँसू न रोओ तो कहना।
No.-9.
आसन डोलना (लुब्ध या विचलित होना)- धन
के आगे ईमान का भी आसन डोल जाया करता है।
No.-10.
आस्तीन का साँप (कपटी मित्र)- उससे
सावधान रहो। आस्तीन का साँप है वह।
No.-11.
आसमान टूट पड़ना (गजब का संकट पड़ना)-
पाँच लोगों को खिलाने-पिलाने में ऐसा क्या आसमान टूट पड़ा कि तुम सारा घर सिर पर
उठाये हो ?
No.-12.
आकाश छूना (बहुत तरक्की करना)- राखी एक
दिन अवश्य आकाश चूमेगी
No.-13.
आकाश-पाताल एक करना (अत्यधिक
उद्योग/परिश्रम करना)- सूरज ने इंजीनियर पास करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया।
No.-14.
आकाश-पाताल का अंतर होना (बहुत अधिक
अंतर होना)- कहाँ मैं और कहाँ वह मूर्ख, हम दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है।
No.-15.
आँच आना (हानि या कष्ट पहुँचना)- जब
माँ साथ हैं तो बच्चे को भला कैसे आँच आएगी।
No.-16.
आँचल पसारना (प्रार्थना करना या किसी
से कुछ माँगना)- मैं ईश्वर से आँचल पसारकर यही माँगता हूँ कि तुम कक्षा में
उत्तीर्ण हो जाओ।
No.-17.
आँतें बुलबुलाना (बहुत भूख लगना)-
मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया, मेरी आँतें कुलबुला रही हैं।
No.-18.
आँतों में बल पड़ना (पेट में दर्द
होना)- रात की पूड़ियाँ खाकर मेरी आँतों में बल पड़ गए।
No.-19.
आँधी के आम होना (बहुत सस्ता होना)-
आजकल तो आलू आँधी के आम हो रहे हैं, जितने चाहो,
ले लो।
No.-20.
आँसू पीना या पीकर रहना (दुःख या कष्ट
में भी शांत रहना)- जब राकेश कक्षा में फेल हो गया तो वह आँसू पीकर रह गया।
No.-21.
आकाश का फूल होना (अप्राप्य वस्तु)-
आजकल दिल्ली में घर खरीदना तो आकाश का फूल हो रहा हैं।
No.-22.
आकाश के तारे तोड़ लाना (असंभव कार्य
करना)- श्याम हमेशा आकाश के तारे तोड़ने की बात करता हैं।
No.-23.
आग उगलना (कड़वी बातें कहना)-रमेश तो
हमेशा आग उगलता रहता हैं।
No.-24.
आकाश से बातें करना (अत्यधिक ऊँचा
होना)- मुंबई की इमारतें तो आकाश से बातें करती हैं।
No.-25.
आग बबूला होना (अति क्रुद्ध होना)-
राधा जरा-सी बात पर आग बबूला हो गई।
No.-26.
आग पर लोटना (ईर्ष्या से जलना)- मेरी
कार खरीदने की बात सुनकर रामू आग पर लोटने लगा।
No.-27.
आग में घी डालना (क्रोध को और भड़काना)-
आपसी लड़ाई में अनुपम के आँसुओं ने आग में घी डाल दिया)
No.-28.
आग लगने पर कुआँ खोदना(विपत्ति आने
पर/ऐन मौके पर प्रयास करना)- मित्र, पहले से कुछ करो। आग लगने पर कुआँ खोदना ठीक
नहीं।
No.-29.
आग लगाकर तमाशा देखना (दूसरों में झगड़ा
कराके अलग हो जाना)- वह तो आग लगाकर तमाशा देखने वाला हैं, वह
तुम्हारी क्या मदद करेगा।
No.-30.
आटे-दाल का भाव मालूम होना (दुनियादारी
का ज्ञान होना या कटु परिस्थिति का अनुभव होना)- जब पिता की मृत्यु हो गई तो राकेश
को आटे-दाल का भाव मालूम हो गया।
No.-31.
आग से खेलना (खतरनाक काम करना)- मित्र, तस्करी
करना बंद कर दो, तुम क्यों आग से खेल रहे हो?
No.-32.
आग हो जाना (अत्यन्त क्रोधित हो जाना)-
सुनिल के स्वभाव से सब परिचित हैं, वह एक ही पल में आग हो जाता हैं।
No.-33.
आगा-पीछा न सोचना (कार्य करते समय
हानि-लाभ के बारे में न सोचना)- कुणाल कुछ भी करने से पहले आगा-पीछा नहीं सोचता।
No.-34.
आज-कल करना (टालमटोल करना)- राजू कह रहा
था- उसके दफ्तर में कोई काम नहीं करता, सब आज-कल करते हैं।
No.-35.
आटे के साथ घुन पिसना (अपराधी के साथ
निर्दोष को भी सजा मिलना)- राघव तो जुआरियों के पास केवल खड़ा हुआ था, पुलिस
उसे भी पकड़कर ले गई। इसे ही कहते हैं- आटे के साथ घुन पिसना।
No.-36.
आड़े हाथों लेना (झिड़कना, बुरा-भला
कहना)- सुभम ने जब होमवर्क (गृह-कार्य) नहीं किया तो अध्यापक ने कक्षा में उसे आड़े
हाथों लिया।
No.-37.
आधा तीतर, आधा
बटेर (बेमेल वस्तुएँ)- राजू तो आधा तीतर, आधा बटेर हैं- हिंदुस्तानी धोती-कुर्ते के साथ
सिर पर अंग्रेजी टोप पहनता हैं।
No.-38.
आसमान पर उड़ना (थोड़ा पैसा पाकर
इतराना)- उसकी 10 हजार की लॉटरी क्या खुल गई, वह
तो आसमान पर उड़ रहा हैं।
No.-39.
आसमान पर चढ़ना (बहुत अभिमान करना)-
आजकल मदन का मिजाज आसमान पर चढ़ा हुआ दिखाई देता हैं।
No.-40. आसमान पर थूकना (किसी महान् व्यक्ति को
बुरा-भला कहना)- नेताजी सुभाषचंद्र बोस एक महान् देशभक्त थे उनके बारे में कुछ
कहना-आसमान पर थूकने जैसा हैं।
No.-41.
आसमान पर मिजाज होना (अत्यधिक अभिमान
होना)- सरकारी नौकरी लगने के बाद उसका आसमान पर मिजाज हो गया हैं।
No.-42.
आसमान सिर पर उठाना (अत्यधिक ऊधम
मचाना)- इस बच्चे ने तो आसमान सिर पर उठा लिया हैं, इसे ले जाओ यहाँ से।
No.-43.
आसमान सिर पर टूटना (बहुत मुसीबत आना)-
पिता के मरते ही राजू के सिर पर आसमान टूट पड़ा।
No.-44.
आसमान से गिरे, खजूर
में अटके (एक परेशानी से निकलकर दूसरी परेशानी में आना)- अध्यापक की मदद से राजू
गणित में तो पास हो गया, परंतु विज्ञान में उसकी कम्पार्टमेंट आ गई। इसी
को कहते हैं- आसमान से गिरे, खजूर में अटके।
No.-45.
आस्तीन चढ़ाना (लड़ने को तैयार होना)-
मुन्ना हर वक्त आस्तीन चढ़ाकर रखता हैं।
No.-46.
आह लेना (बद्दुआ लेना)- रमेश के दादा
हमेशा कहते हैं- किसी की आह मत लो, सबकी दुआएँ लो।
No.-47.
आँधी के आम (बिना परिश्रम के मिली
वस्तु)- आँधी के आमों की तरह से मिली दौलत बहुत दिनों तक नहीं रुकती।
No.-48.
आखिरी साँसें गिनना (मरणासन्न होना)-
मदन की माँ आखिरी साँस ले रही है, सभी डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है।
No.-49.
आग देना (मृतक का दाह-संस्कार करना)-
भारतीय संस्कृति के अनुसार पिता की चिता को बड़ा बेटा ही आग देता है।
No.-50.
आफत का मारा (दुखी)- जब कोई नौकरी न
मिली तो ट्यूशन पढ़ाने लगा। आफत का मारा बेचारा क्या करता ?
No.-51.
आफत मोल लेना (व्यर्थ का झगड़ा मोल
लेना)- तुमसे बात करके तो मैंने आफत मोल ले ली। मुझे माफ करो, मैं
तुमसे बात नहीं कर सकता।
No.-52.
आव देखा न ताव (बिना सोच-विचार के काम
करना)- दोनों भाइयों में झगड़ा हो गया। गुस्से में आकर छोटे भाई ने आव देखा न ताव, डंडे
से बड़े भाई का सर फोड़ दिया।
No.-53.
आहुति देना (जान न्योछावर करना)- वीरों
ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए हमेशा अपनी आहुति दी है।
No.-54.
आग का पुतला- (क्रोधी)
No.-55.
आग पर आग डालना- (जले को जलाना)
No.-56.
आग पर पानी डालना- (क्रुद्ध को शांत
करना, लड़नेवालों को समझाना-बुझाना)
No.-57.
आग पानी का बैर- (सहज वैर)
No.-58.
आग बोना- (झगड़ा लगाना)
No.-59.
आग लगाकर पानी को दौड़ाना- (पहले झगड़ा
लगाकर फिर उसे शांत करने का यत्न करना)
No.-60.
आग से पानी होना- (क्रोध करने के बाद
शांत हो जाना)
No.-61. आग में कूद पड़ना- (खतरा मोल लेना)
No.-62.
आन की आन में- (फौरन ही)
No.-63.
आग रखना- (मान रखना)
No.-64.
आसमान दिखाना- (पराजित करना)
No.-65.
आड़े आना- (नुकसानदेह)
No.-66. अगिया बैताल- (क्रोधी)
इ
No.-1.
इंद्र की परी (बहुत सुन्दर स्त्री)-
राधा तो इंद्र की परी हैं, वह तो विश्व सुन्दरी बनेगी।
No.-2.
इज्जत उतारना (अपमानित करना)- जब चीनी
लेकर पैसे नहीं दिए तो दुकानदार ने ग्राहक की इज्जत उतार दी।
No.-3.
इज्जत मिट्टी में मिलाना (प्रतिष्ठा या
सम्मान नष्ट करना) - रामू की शराब की आदत ने उसके परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला
दी हैं।
No.-4.
इधर-उधर की लगाना या इधर की उधर लगाना
(चुगली करना) - मित्र, इधर-उधर की लगाना छोड़ दो, बुरी
बात हैं।
No.-5.
इधर-उधर की हाँकना (बेकार की बातें
करना या गप मारना)- वह हमेशा इधर-उधर की हाँकता रहता हैं, कभी
बैठकर पढ़ता नहीं।
No.-6.
इस कान सुनना, उस
कान निकालना (ध्यान न देना)- उसकी बेकार की बातों को तो मैं इस कान सुनता हूँ, उस
कान निकाल देता हूँ।
No.-7.
इस हाथ देना, उस
हाथ लेना (तुरन्त फल मिलना)- रामदीन तो इस हाथ दे, उस हाथ ले में विश्वास करता हैं।
No.-8.
इंद्र का अखाड़ा (किसी सजी हुई सभा में
खूब नाच-रंग होता है)- पहले जमाने में राजा-महाराजाओं के यहाँ इंद्र का अखाड़ा सजता
था और आजकल दागी नेताओं के यहाँ।
No.-9.
इंतकाल होना (मर जाना)- पिता के इंतकाल
के बाद सारे घर की जिम्मेदारी अब फारुख के कंधों पर ही है।
No.-10.
इशारे पर नाचना (वश में हो जाना)- जो
व्यक्ति अपनी पत्नी के इशारे पर नाचता है वह अपने माँ-बाप की कहाँ सुनेगा।
ई
No.-1.
ईंट से ईंट बजाना (युद्धात्मक विनाश
लाना)- शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईट-से-ईट बजा छोड़ी, मगर
बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी।
No.-2.
ईंट का जबाब पत्थर से देना (जबरदस्त
बदला लेना)- भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा।
No.-3.
ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई
देना)- तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते, तुम्हे देखने को तरस गया, ऐसा
लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो।
No.-4.
ईमान बेचना (बेईमानी करना)- मित्र, ईमान
बेचने से कुछ नहीं होगा, परिश्रम करके खाओ।
No.-5. इधर-उधर करना- (टालमटोल करना)
उ
No.-1.
उड़ती चिड़िया को पहचानना (मन की या
रहस्य की बात तुरंत जानना)- कोई मुझे धोखा नही दे सकता। मै उड़ती चिड़िया पहचान
लेता हुँ।
No.-2.
उन्नीस बीस का अंतर होना (थोड़ा-सा
अन्तर)- रामू और मोहन की सूरत में बस उन्नीस-बीस का अन्तर हैं।
No.-3.
उलटी गंगा बहाना (अनहोनी या लीक से
हटकर बात करना)- अमित हमेशा उल्टी गंगा बहाता हैं - कह रहा था कि वह हाथों के बल
चलकर स्कूल जाएगा।
No.-4.
उँगली उठाना (बदनाम करना या दोषारोपण
करना)- किसी पर खाहमखाह उँगली उठाना गलत हैं।
No.-5.
उँगली पकड़कर पौंहचा पकड़ना (थोड़ा-सा
सहारा या मदद पाकर ज्यादा की कोशिश करना)- उस भिखारी को मैंने एक रुपया दे दिया तो
वह पाँच रुपए और माँगने लगा। तब मैंने उससे कहा - अरे भाई, तुम
तो उँगली पकड़कर पौंहचा पकड़ रहे हो।
No.-6.
उड़ जाना (खर्च हो जाना)- अरे मित्र, महीना
पूरा होने से पहले ही सारा वेतन उड़ जाता हैं।
No.-7.
उड़ती खबर (अफवाह)- मित्र, ये
तो उड़ती खबर हैं। प्रधानमंत्री को कुछ नहीं हुआ।
No.-8.
उड़न-छू हो जाना (गायब हो जाना)- जो भी
हाथ लगा, चोर वही लेकर उड़न-छूहो गया।
No.-9.
उधेड़बुन में पड़ना या रहना (फिक्र या
चिन्ता करना)- रामू को जब देखो, पैसों की उधेड़बुन में लगा रहता हैं।
No.-10.
उबल पड़ना (एकाएक क्रोधित होना)- दादी
माँ से सब बच्चे डरते हैं, पता नहीं वे कब उबल पड़ें।
No.-11.
उलटी माला फेरना (बुराई या अनिष्ट
चाहना)- जब आयुष को रमेश ने चाँटा मारा तो वह उल्टी माला फेरने लगा।
No.-12.
उलटी-सीधी जड़ना (झूठी शिकायत करना)-
उल्टी-सीधी जड़ना तो माया की आदत हैं।
No.-13.
उलटी-सीधी सुनाना (डाँटना-फटकारना)- जब
माला ने दादी का कहना नहीं माना तो वे उसे उल्टी-सीधी सुनाने लगीं।
No.-14.
उलटे छुरे से मूँड़ना (ठगना)- प्रयाग
में पण्डे और रिक्शा वाले गरीब ग्रामीणों को उल्टे छुरे से मूँड़ देते हैं।
No.-15.
उलटे पाँव लौटना (बिना रुके, तुरंत
वापस लौट जाना)- मनीष के घर पर ताला लगा था इसलिए मैं उलटे पाँव लौट आया।
No.-16.
उल्लू बनाना (बेवकूफ बनाना)- कल एक
साधु, ममता को उल्लू बनाकर उससे रुपए ले गया।
No.-17.
उल्लू सीधा करना (अपना स्वार्थ सिद्ध
करना)- मुझे ज्ञात हैं, तुम यहाँ अपना उल्लू सीधा करने आए हो।
No.-18.
उँगलियों पर नचाना (वश में करना)-
इब्राहीम की पत्नी तो उसे अपनी उँगलियों पर नचाती है।
No.-19.
उगल देना (भेद प्रकट कर देना)- जब
पुलिस के डंडे पड़े तो उस चोर ने सब कुछ सच-सच उगल दिया।
No.-20.
उठ जाना (मर जाना)- जो भले लोग होते
हैं उनके उठ जाने के बाद भी दुनिया उन्हें याद करती है।
No.-21.
उलटे मुँह गिरना (दूसरे को नीचा दिखाने
के प्रयास में स्वयं नीचा देखना)- दूसरों को धोखा मत दो। किसी दिन सेर को सवा सेर
मिल गया तो उलटे मुँह गिरोगे।
No.-22.
उल्लू बोलना (वीरान स्थान होना)- जब
पुलिस उस घर में घुसी तो वहाँ कोई नहीं था,
उल्लू बोल रहे थे।
No.-23. उल्लू का पट्ठा (निपट मूर्ख)- उस उल्लू के पट्ठे को इतना समझाया कि दूसरों से पंगा न ले लेकिन उस समय उसने मेरी एक न सुनी। अब जब उलटे मुँह गिरा तो अक्ल आई।
ऊ
No.-1.
ऊँच-नीच समझाना (भलाई-बुराई के बारे
में बताना)- माँ ने पुत्री ममता को ऊँच-नीच समझाकर ही पिकनिक पर जाने दिया।
No.-2.
ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना (बेमेल
काम करना)- कम उम्र की लड़की का अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ विवाह करना ऊँट के गले
में बिल्ली बाँधना हैं।
No.-3.
ऊँट के मुँह में जीरा (अधिक आवश्यकता
वाले के लिए थोड़ा सामान)- पेटू रामदीन के लिए दो रोटी तो ऊँट के मुँह में जीरा
हैं।
No.-4.
ऊल-जलूल बकना (अंट-शंट बोलना)- वह तो
यूँ ही ऊल-जलूल बकता रहता हैं, उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं देता।
No.-5.
ऊसर में बीज बोना या डालना (व्यर्थ
कार्य करना)- मैंने कौशिक से कहा कि अपने घर में दुकान खोलना तो ऊसर में बीज डालना
हैं, कोई और स्थान देखो।
No.-6.
ऊँचा सुनना (कुछ बहरा होना)- जरा जोर
से बोलिए, मेरे पिताजी थोड़ा ऊँचा सुनते हैं।
No.-7.
ऊँच-नीच समझना (भलाई-बुराई की समझ
होना)- दूसरों को राय देने से पहले तुम्हें ऊँच-नीच समझ लेनी चाहिए।
No.-8.
ऊपर की आमदनी (नियमित स्रोत से न होने
वाली आय)- पुलिस की नौकरी में तनख्वाह भले ही कम हो पर ऊपर की आमदनी का तो कोई
हिसाब ही नहीं हैं।
No.-9. ऊपरी मन से कहना/करना (दिखावे के लिए कहना/करना)- वह हमेशा ऊपरी मन से खाना खाने के लिए पूछती थी और मैं हमेशा मना कर देता था।
ए
No.-1.
एक आँख से सबको देखना (सबके साथ एक
जैसा व्यवहार करना)- अध्यापक विद्यालय में सब बच्चों को एक आँख से देखते हैं।
No.-2.
एक लाठी से सबको हाँकना (उचित-अनुचित
का बिना विचार किये व्यवहार)- समानता का अर्थ एक लाठी से सबको हाँकना नहीं है, बल्कि
सबको समान अवसर और जीवन-मूल्य देना है।
No.-3.
एक आँख न भाना (बिल्कुल अच्छा न लगना)-
राजेश का खाली बैठना उसके पिताजी को एक आँख नहीं भाता।
No.-4.
एँड़ी-चोटी का पसीना एक करना (खूब
परिश्रम करना)- दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए सीमा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा
दिया।
No.-5.
एक और एक ग्यारह होना (आपस में संगठित
होकर शक्तिशाली होना)- राजू और रामू पुनः मित्रता करके एक और एक ग्यारह हो गए हैं।
No.-6.
एक तीर से दो शिकार करना (एक साधन से
दो काम करना)- रवि एक तीर से दो शिकार करने में माहिर हैं।
No.-7.
एक से इक्कीस होना (उन्नति करना)- सेठ
जी की दुकान चल पड़ी हैं, अब तो शीघ्र ही एक से इक्कीस हो जाएँगे।
No.-8.
एक ही थैली के चट्टे-बट्टे (एक जैसे
स्वभाव के लोग)- उस कक्षा में तो सब बच्चे एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं- सबके सब
ऊधम मचाने वाले।
No.-9.
एक ही नाव में सवार होना (एक जैसी
परिस्थिति में होना)- देखते हैं आतंकवादी क्या करते हैं - इस होटल में हम सब एक ही
नाव में सवार हैं। अब जो होगा, सबके साथ होगा।
No.-10.
एड़ियाँ घिसना या रगड़ना (बहुत दिनों से
बीमार या परेशान होना)- रामू एक महीने से एड़ियाँ घिस रहा हैं, फिर
भी उसे नौकरी नहीं मिली।
No.-11.
एक से तीन बनाना- (खूब नफा करना)
No.-12.
एक न चलना- (कोई उपाय सफल न होना)
ऐ
No.-1.
ऐरा-गैरा नत्थू खैरा (मामूली व्यक्ति)-
सेठजी ऐरे-गैरे नत्थू खैरे से बात नहीं करते।
No.-2.
ऐरे-गैरे पंच कल्याण (मुफ्तखोर आदमी)-
स्टेशन पर ऐरे-गैरे पंच कल्याण बहुत मिल जाते हैं।
No.-3.
ऐसा-वैसा (साधारण, तुच्छ)-
राजू ऐसा-वैसा नहीं हैं, वह लखपति हैं और वकील भी हैं।
No.-4.
ऐंठना (किसी पर) (अकड़ना, क्रोध
करना)- मुझ पर मत ऐंठना, मैं किसी की ऐंठ बर्दाश्त नहीं कर सकता।
No.-5.
ऐसी की तैसी करना/होना (अपमान
करना/होना)- वह गया तो था मदन को धमकाने पर उलटे ऐसी की तैसी करा के लौट आया।
ओ
No.-1.
ओखली में सिर देना (जान-बूझकर परेशानी
में फँसना)- कल बदमाशों से उलझकर केशव ने ओखली में सिर दे दिया।
No.-2.
ओर छोर न मिलना (रहस्य का पता न चलना)-
रोहन विचित्र आदमी हैं, उसकी योजनाओं का कुछ ओर-छोर नहीं मिलता।
No.-3.
ओस के मोती- (क्षणभंगुर)
औ
No.-1.
औंधी खोपड़ी (उलटी बुद्धि)- मुन्ना तो
औंधी खोपड़ी का हैं, उससे क्या बात करना।
No.-2.
औंधे मुँह गिरना (बुरी तरह धोखा खाना)-
साझेदारी में काम करके रामू औंधे मुँह गिरा हैं।
No.-3.
औने के पौने करना (खरीद-फरोख्त में
पैसे बचाना या चुराना)- अभिषेक बहुत सीधा लड़का हैं, वह औने-पौने करना नहीं जानता।
No.-4.
औने-पौने निकालना या बेचना (कोई वस्तु
बहुत कम पैसों में बेचना)- वह अपना मकान औने-पौने में निकाल रहा हैं, पर
कोई ग्राहक नहीं मिल रहा।
No.-5. और का और होना (विशिष्ट परिवर्तन होना)- घर में सौतेली माँ के आते ही अनिल के पिताजी और के और हो गए।
क
No.-1.
कागजी घोड़े दौड़ाना (केवल लिखा-पढ़ी
करना, पर कुछ काम की बात न होना)- आजकल सरकारी दफ्तर
में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ते है; होता कुछ नही।
No.-2.
कान देना (ध्यान देना)- पिता की बातों
पर कण दिया करो।
No.-3.
कान खोलना (सावधान होना)- कान खोलकर
सुन लो तिम्हें जुआ नही खेलना है।
No.-4.
कण पकरना (बाज आना)- कान पकड़ो की फिर
ऐसा काम न करोगे।
No.-5.
कमर कसना (तैयार होना)- शत्रुओं से लड़ने
के लिए भारतीयों को कमर कसकर तैयार हो जाना चाहिए
No.-6.
कलेजा मुँह का आना (भयभीत होना )-
गुंडे को देख कर उसका कलेजा मुँह को आ गया
No.-7.
कलेजे पर साँप लोटना (डाह करना )- जो
सब तरह से भरा पूरा है, दूसरे की उत्रति पर उसके कलेजे पर साँप क्यों
लोटे।
No.-8.
कमर टूटना (बेसहारा होना )- जवान बेटे
के मर जाने बाप की कमर ही टूट गयी।
No.-9.
किताब का कीड़ा होना (पढाई के अलावा
कुछ न करना )- विद्यार्थी को केवल किताब का कीड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि
स्वस्थ शरीर और उत्रत मस्तिष्कवाला होनहार युवक होना है।
No.-10.
कलम तोड़ना (बढ़िया लिखना)- वाह ! क्या
अच्छा लिखा है। तुमने तो कलम तोड़ दी।
No.-11.
कोसों दूर भागना (बहुत अलग रहना)- शराब
की क्या बात, मै तो भाँग से कोसों दूर भागता हुँ।
No.-12.
कुआँ खोदना (हानि पहुँचाने के यत्न
करना)- जो दूसरों के लिये कुआँ खोदता है उसमे वह खुद गिरता है।
No.-13.
कल पड़ना (चैन मिलना)- कल रात वर्षा हुई, तो
थोड़ी कल पड़ी।
No.-14.
किरकिरा होना (विघ्र आना)- जलसे में
उनके शरीक न होने से सारा मजा किरकिरा हो गया।
No.-15.
किस मर्ज की दवा (किस काम के)- चाहते
हो चपरासीगीरी और साइकिल चलाओगे नहीं। आखिर तुम किस मर्ज की दवा हो?
No.-16.
कुत्ते की मौत मरना (बुरी तरह मरना)-
कंस की किस्मत ही ऐसी थी। कुत्ते की मौत मरा तो क्या।
No.-17.
काँटा निकलना (बाधा दूर होना)- उस
बेईमान से पल्ला छूटा। चलो, काँटा निकला।
No.-18.
कागज काला करना (बिना मतलब कुछ लिखना)-
वारिसशाह ने अपनी 'हीर' के शुरू में ही प्रार्थना की है- रहस्य की बात
लिखनेवालों का साथ दो, कागज काला करनेवालों का नहीं।
No.-19.
किस खेत की मूली (अधिकारहीन, शक्तिहीन)-
मेरे सामने तो बड़ों-बड़ों को झुकना पड़ा है। तुम किस खेत की मूली हो ?
No.-20.
कंठ का हार होना (बहुत प्रिय होना)-
राजू अपनी दादी का कंठ का हार हैं, वह उसका बहुत ख्याल रखती हैं।
No.-21.
कंपकंपी छूटना (डर से शरीर काँपना)-
ताज होटल में आतंकवादियों को देखकर मेरी कंपकंपी छूट गई।
No.-22.
ककड़ी-खीरा समझना (तुच्छ या बेकार
समझना)- क्या तुमने मुझे ककड़ी-खीरा समझ रखा हैं, जो हर समय डाँटते रहते हो।
No.-23.
कचूमर निकालना (खूब पीटना)- बस में
लोगों ने जेबकतरे का कचूमर निकाल दिया।
No.-24.
कच्ची गोली खेलना (अनाड़ीपन दिखाना)-
मैंने कोई कच्ची गोली नहीं खेली हैं, जो मैं तुम्हारे कहने से नौकरी छोड़ दूँगा।
No.-25.
कटकर रह जाना (बहुत लज्जित होना)- जब
मैंने राजू से सबके सामने उधार के पैसे माँगे तो वह कटकर रह गया।
No.-26.
कड़वा घूँट पीना (चुपचाप अपमान सहना)-
पड़ोसी की जली-कटी सुनकर रामलाल कड़वा घूँट पीकर रह गए।
No.-27.
कढ़ी का-सा उबाल आना (जोश या क्रोध
जल्दी खत्म हो जाना)- किशन का क्रोध तो कढ़ी का-सा उबाल हैं, जल्दी
शान्त हो जाएगा।
No.-28.
कतरनी-सी जबान चलना (बहुत बोलना
(अधिकांशत : उल्टा-सीधा बोलना)- अनुपम की कतरनी सी जबान चलती हैं तभी उससे कोई
नहीं बोलता।
No.-29.
कदम उखड़ना (अपनी हार मान लेना या भाग
जाना)- पुलिस का सायरन सुनते ही चोरों के कदम उखड़ गए।
No.-30.
कदम पर कदम रखना (अनुकरण करना)-
महापुरुषों के कदम पर कदम रखना अच्छी आदत हैं।
No.-31.
कफ़न को कौड़ी न होना (बहुत गरीब होना)-
राजू बातें तो राजाओं की-सी करता हैं, पर कफ़न को कौड़ी नहीं हैं।
No.-32.
कफ़न सिर से बाँधना (लड़ने-मरने के लिए
तैयार होना)- हमारे सैनिक सिर से कफ़न बाँधकर ही देश की रक्षा करते हैं।
No.-33.
कबाब में हड्डी होना (सुख-शांति में
बाधा होना)- देखो मित्र, तुम दोनों बात करो, मैं
यहाँ बैठकर कबाब में हड्डी नहीं बनूँगा।
No.-34.
कबाब होना (क्रोध या ईर्ष्या से जलना)-
मेरी सच्ची बात सुनकर राकेश कबाब हो गया।
No.-35.
कब्र में पाँव लटकना (मौत के निकट
होना)- सक्सेना जी के तो कब्र में पाँव लटक रहे हैं, अब वे लम्बी यात्रा नहीं कर सकते।
No.-36.
कमर सीधी करना (आराम करना, लेटना)-
मैं अभी चलता हूँ, जरा कमर सीधी कर लूँ।
No.-37.
कमान से तीर निकलना या छूटना (मुँह से
बात निकलना)- मित्र, कमान से तीर निकल गया हैं, अब
मैं बात से पीछे नहीं हटूँगा।
No.-38.
कल न पड़ना (चैन न पड़ना या बेचैन रहना)-
जब तक दसवीं का परिणाम नहीं आएगा, मुझे कल नहीं पड़ेगी।
No.-39.
कलई खुलना (भेद प्रकट होना)- जब सबके
सामने रामू की कलई खुल गई तो वह बहुत लज्जित हुआ।
No.-40.
कलई खोलना (भेद खोलना या भण्डाफोड़
करना)- राजू मुझे धमका रहा था कि यदि मैंने उसकी बात नहीं मानी तो वह मेरी कलई खोल
देगा।
No.-41.
कलेजा काँपना (बहुत भयभीत होना)-
आतंकवाद के नाम से ही रामू का कलेजा काँप जाता हैं।
No.-42.
कलेजा टुकड़े-टुकड़े होना (बहुत दुःखी
होना)- उसकी कटु बातें सुनकर आज मेरा कलेजा टुकड़े-टुकड़े हो गया।
No.-43.
कलेजा ठण्डा होना (सुख-संतोष मिलना)-
जब रवि की नौकरी लग गई तब उसकी माँ का कलेजा ठण्ड हुआ।
No.-44. कलेजा दूना होना (उत्साह और जोश बढ़ना)- अपने
उत्तीर्ण होने का समाचार पाकर उसका कलेजा दूना हो गया।
No.-45.
कलेजा पत्थर का करना (कठोर या निर्दयी
बनना)- उसने कलेजा पत्थर का करके अपने पुत्र को विदेश भेजा।
No.-46.
कलेजा पसीजना (दया आना)- उसका विलाप
सुनकर सबका कलेजा पसीज गया।
No.-47.
कलेजा फटना (बहुत दुःख होना)- उस
हृदय-विदारक दुर्घटना से मेरा तो कलेजा फट गया।
No.-48.
कलेजे का टुकड़ा (अत्यन्त प्यारा या
पुत्र)- रामू तो अपनी दादी का कलेजे का टुकड़ा हैं।
No.-49.
कलेजे पर छुरी चलना (बातें चुभना)-
उसकी बातों से कलेजे पर छुरियाँ चलती हैं।
No.-50.
कलेजे पर पत्थर रखना (जी कड़ा करना)-
ममता ने अपने कलेजे पर पत्थर रखकर अपनी पुत्री को विदा किया।
No.-51.
कलेजे में आग लगना (ईर्ष्या होना)-
अपने पड़ोसी की ख़ुशी देखकर शीतल के कलेजे में आग लग गई
No.-52.
कसक निकलना (बदला लेना या बैर चुकाना)-
वह मुझसे अपनी कसक निकालकर ही शान्त हुआ।
No.-53.
कसाई के खूँटे से बाँधना (निर्दयी या
क्रूर मनुष्य के हाथों में देना)- उसने खुद अपनी बेटी को कसाई के खूँटे से बाँध
दिया हैं। अब कोई क्या करेगा ?
No.-54.
कहर टूटना (भारी विपत्ति या मुसीबत
पड़ना)- बाढ़ से फसल नष्ट होने पर रामू पर कहर टूट पड़ा।
No.-55.
कहानी समाप्त होना (मर जाना)- थोड़ा
बीमार होने के बाद उसकी कहानी समाप्त हो गई।
No.-56.
काँटे बोना (अनिष्ट करना)- जो काँटे
बोता हैं, उसे काँटे ही मिलते हैं।
No.-57.
काँटों पर लोटना (बेचैन होना)- नौकरी
छूटने के बाद राजू काँटों पर लोट रहा हैं।
No.-58.
काँव-काँव करना (खाहमखाह शोर करना)- ये
गाँव हैं, यहाँ ठीक से रहो, वर्ना सारा गाँव काँव-काँव करने लगेगा।
No.-59.
कागज की नाव (न टिकने वाली वस्तु)-
हमें अपने शरीर पर गर्व नहीं करना चाहिए, ये तो कागज की नाव हैं।
No.-60.
काजल की कोठरी (कलंक का स्थान)- शराबघर
तो काजल की कोठरी हैं, वहाँ मैं नहीं जाऊँगा।
No.-61.
काटो तो खून नहीं (स्तब्ध रह जाना)-
उसे काटो तो खून नहीं, अचानक अध्यापक जो आ गए थे।
No.-62.
काठ का उल्लू (महामूर्ख व्यक्ति)- रामू
तो काठ का उल्लू हैं। उसकी समझ में कुछ नहीं आता।
No.-63.
काठ मार जाना (सुन्न या स्तब्ध रह
जाना)- यह सुनकर मुझे तो काठ मार गया कि मेरा मित्र शहर छोड़कर चला गया।
No.-64.
काठ में पाँव देना (जान-बूझकर विपत्ति
में पड़ना)- तुलसी गाय-बजाय के देत काठ में पाँय।
No.-65.
कान का कच्चा (बिना सोचे-समझे दूसरों
की बातों में आना)- वह तो कान का कच्चा हैं,
जो कहोगे वही मान लेगा।
No.-66.
कान काटना (चालाकी या धूर्तता में आगे
होना)- वह ऑफिस में अभी नया आया हैं, फिर भी सबके कान काटता हैं।
No.-67.
कान खाना (किसी बात को बार-बार कहना)-
अरे मित्र! कान मत खाओ, अब चुप भी हो जाओ।
No.-68.
कान गर्म करना (दण्ड देना)- जब रामू ने
अध्यापक का कहना नहीं माना तो उन्होंने उसके कान गर्म कर दिए।
No.-69.
कान या कानों पर जूँ न रेंगना (किसी की
बात पर ध्यान न देना)- मैं चीख-चीख कर हार गया,
पर मोहन के कान पर जूँ नहीं रेंगा।
No.-70.
कान फूँकना या कान भरना (किसी के
विरुद्ध कोई बात कहना)- रमा कान फूँकने में सबसे आगे हैं, इसलिए
मैं उससे मन की बात नहीं करता।
No.-71.
कान में रुई डालकर बैठना (बेखबर या
लापरवाह होना, किसी की बात न सुनना)- अरे रामू! कान में रुई
डाल कर बैठे हो क्या ? मैं कब से आवाज लगा रहा हूँ।
No.-72.
कानाफूसी करना (निन्दा करना)- अरे भाई!
क्या कानाफूसी कर रहे हो? हमारे आते ही चुप हो गए।
No.-73.
कानी कौड़ी न होना (जेब में एक पैसा न
होना)- अरे मित्र! तुम सौ रुपए माँग रहे हो,
पर मेरी जेब में तो कानी कौड़ी भी नहीं
हैं।
No.-74.
कानोंकान खबर न होना (चुपके-चुपके
कार्य करना)- प्रधानाध्यापक ने सभी अध्यापकों से कहा कि परीक्षा-प्रश्नपत्र आ गए
हैं, किसी को इसकी कानोंकान खबर न हो।
No.-75.
काफूर हो जाना (गायब हो जाना)- पुलिस
को देखते ही वह शराबी न जाने कहाँ काफूर हो गया।
No.-76.
काम तमाम करना (किसी को मार डालना)-
लुटेरों ने कल रामू का काम तमाम कर दिया।
No.-77.
कायापलट होना (पूर्णरूप से बदल जाना)-
इस साल प्रधानाध्यापक ने विद्यालय की कायापलट कर दी हैं।
No.-78.
काल के गाल में जाना (मरना)- इस वर्ष
बिहार में सैकड़ों लोग काल के गाल में चले गए।
No.-79.
कालिख पोतना (कलंकित करना)- ओम ने चोरी
करके अपने परिवार पर कालिख पोत दी हैं।
No.-80.
काले कोसों जाना या होना (बहुत दूर
जाना या बहुत दूर होना)- रामू नौकरी के लिए घर छोड़कर काले कोसों चला गया हैं।
No.-81.
किला फतह करना (बहुत कठिन कार्य करना)-
रामू ने बारहवीं पास करके किला फतह कर लिया हैं।
No.-82.
किसी के कंधे से बंदूक चलाना (किसी पर
निर्भर होकर कार्य करना)- अरे मित्र! किसी के कंधे से बंदूक क्यों चलाते हो, आत्मनिर्भर
बनो।
No.-83.
किसी के आगे दुम हिलाना (खुशामद करना)-
रामू मेरा मित्र हैं, वह मुझ पर मरता हैं अथवा वह मुझ पर जान छिड़कता
हैं।
No.-84.
कीचड़ उछालना (किसी को बदनाम करना)-
बेवजह किसी पर कीचड़ उछालना ठीक नहीं होता।
No.-85.
कीड़े काटना (परेशानी होना)- मात्र 5
मिनट पढ़ने के बाद रमा को कीड़े काटने लगते हैं।
No.-86.
कीड़े पड़ना (कमी या दोष होना)- मेरे
सेबों में क्या कीड़े पड़े हैं, जो आप नहीं खरीदते?
No.-87.
कुएँ का मेंढक (जिसे बहुत कम अनुभव
हो)- पवन तो कुएँ का मेंढक हैं - यह सब जानते हैं।
No.-88.
कुएँ में कूदना (संकट या खतरे का काम
करना)- इस मोहल्ले के सरपंच की गवाही देकर वह कुएँ में कूद गया हैं। अब देखो, क्या
होता हैं?
No.-89.
कुएँ में बाँस डालना (बहुत खोजना)-
ओसामा बिन लादेन के लिए अमेरिका द्वारा कुओं में बाँस डाले गए, पर
उसका कहीं पता नहीं चला।
No.-90.
कुत्ता काटना (पागल होना)- मुझे क्या
कुत्ते ने काटा हैं, जो इतनी रात वहाँ जाऊँगा।
No.-91.
कुत्ते की नींद सोना (अचेत होकर
सोना/कम सोना)- कुत्ते जैसी नींद अथवा कुत्ते की नींद सोने वाले विद्यार्थी निश्चय
ही सफल होते हैं।
No.-92.
कुल्हिया में गुड़ फोड़ना (कोई कार्य
छिपाकर करना)- मित्र, तुम कितना भी कुल्हिया में गुड़ फोड़ लो, पर
सबको ज्ञात हो गया हैं कि तुम्हारी लॉटरी खुल गई हैं।
No.-93.
कोढ़ में खाज होना (संकट पर संकट होना)-
रामू को तो कोढ़ में खाज हो गई हैं- पहले वह फेल हो गया, फिर
बीमार पड़ गया।
No.-94.
कोर-कसर न रखना (जी-तोड़ प्रयास करना)-
मैंने पढ़ने में अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी हैं, आगे
ईश्वर की इच्छा हैं।
No.-95.
कोरा जवाब देना (साफ इनकार करना)-
मैंने मामाजी से पैसे उधार माँगे तो उन्होंने मुझे कोरा जवाब दे दिया।
No.-96.
कोल्हू का बैल (अत्यधिक परिश्रमी
व्यक्ति)- धीरू चौबीस घण्टे काम करता हैं, वह तो कोल्हू का बैल हैं।
No.-97.
कौड़ियों के मोल बिकना (बहुत सस्ता
बिकना)- आजकल मकान कौड़ियों के मोल बिक रहे हैं।
No.-98.
कौड़ी कफ़न को न होना (बहुत गरीब होना)-
उसके पास कौड़ी कफ़न को नहीं हैं और बातें लाखों की करता हैं।
No.-99.
कौड़ी के तीन-तीन होना (बहुत सस्ता
होना)- आजकल तो कलर टी. वी. कौड़ी के तीन-तीन हैं। अब नहीं लोगे, तो
कब लोगे?
No.-100.
कौड़ी को न पूछना (बहुत तुच्छ समझना)-
यह बिल्कुल सच हैं- गरीब आदमी को कोई कौड़ी को भी नहीं पूछता।
No.-101.
कौड़ी-कौड़ी दाँतों से पकड़ना (बहुत कंजूस
होना)- रामू इतना अमीर हैं, फिर भी कौड़ी-कौड़ी दाँतों से पकड़ता हैं।
No.-102. क्रोध पी जाना (क्रोध को दबाना)- रामू ने मुझे
बहुत अपशब्द कहे, परन्तु उस समय मैं अपना क्रोध पी गया, वरना
उससे झगड़ा हो जाता।
No.-103.
कंचन बरसना (लाभ ही लाभ होना)- सेठजी
पर लक्ष्मी की असीम कृपा है, चारों ओर कंचन बरस रहा है।
No.-104.
कन्नी काटना (आँख बचाकर भाग जाना)-
मेरा कर्ज न लौटना पड़े इसलिए वह आजकल मुझसे कन्नी काटता फिरता है।
No.-105.
कच्चा खा जाना (कठोर दंड देना)- अगर
उसके सामने झूठ बोला तो वह तुम्हें कच्चा खा जाएगी।
No.-106.
कच्चा चिट्ठा खोलना (गुप्त बातों का
उद्घाटन करना)- यदि तुमने मेरी बात न मानी तो सारी दुनिया के सामने तुम्हारा कच्चा
चिट्ठा खोल दूँगा।
No.-107.
कानून छाँटना (निरर्थक तर्क उपस्थित
करना)- मेरे सामने ज्यादा कानून मत छाँटो, मेरा काम कर सकते हो कर दो।
No.-108.
किस्मत की धनी (भाग्यशाली)- मेरा दोस्त
सचमुच में किस्मत का धनी है पहले ही प्रयास में उसे नौकरी मिल गई।
No.-109.
कूप मंडूक (सीमित ज्ञान वाला व्यक्ति)-
रोहन तो कूप मंडूक है। उससे पढ़ाई-लिखाई की बात करना व्यर्थ है।
No.-110.
कान पकना (एक ही बात सुनते-सुनते तंग आ
जाना)- तुम्हारी बकवास सुनते-सुनते तो मेरे कान पक गए। अब बंद करो अपनी रामकथा।
No.-111.
काले पानी की सजा देना (देश निकाले का
दंड देना)- देश के साथ गद्दारी करने वालों को तो काले पानी की सजा होनी चाहिए।
No.-112.
केंचुल बदलना (व्यवहार बदलना)- पहले तो
मुझसे वह ठीक से बात करती थी पर अब न जाने क्यों उसने केंचुल बदल ली है।
No.-113.
कोठे पर बैठना (वेश्या का पेशा करना)-
वह बहुत बड़ा गुंडा है न जाने कितनी मासूम लड़कियों को कोठे पर बिठा चुका है।
No.-114.
क्या से क्या हो जाना (स्थिति बदल
जाना)- क्या से क्या हो गया? सोचा कुछ था हो कुछ गया।
No.-115.
क्या पड़ी है (कुछ जरूरत नहीं)- तुमको
क्या पड़ी है जो दूसरों के मामले में टाँग फँसाते हो।
No.-116.
कलेजा फटना- (दिल पर बेहद चोट पहुँचना)
No.-117.
करवटें बदलना- (अड़चन डालना)
No.-118.
काला अक्षर भैंस बराबर- (अनपढ़, निरा
मूर्ख)
No.-119.
काँटों में घसीटना- (संकट में डालना)
No.-120.
काम तमाम करना- (मार डालना)
No.-121.
किनारा करना- (अलग होना)
No.-122.
कोदो देकर पढ़ना- (अधूरी शिक्षा पाना)
No.-123.
कपास ओटना- (सांसरिक काम-धन्धों में
लगे रहना)
No.-124.
कोल्हू का बैल- (खूब परिश्रमी)
No.-125.
कौड़ी का तीन समझना- (तुच्छ समझना)
No.-126.
कौड़ी काम का न होना- (किसी काम का न
होना)
No.-127.
कौड़ी जोड़ना- (छोटी-मोटी सभी आय को
कंजूसी के साथ बचाकर रखना)
No.-128.
कटे पर नमक छिड़कना- विपत्ति के समय और
दुःख देना)
No.-129. कोहराम मचाना- (दुःखपूर्ण चीख -पुकार)
ख
No.-1.
ख़ाक छानना (भटकना)- नौकरी की खोज में
वह खाक छानता रहा।
No.-2.
खून-पसीना एक करना (अधिक परिश्रम
करना)- खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है।
No.-3.
खरी-खोटी सुनाना (भला-बुरा कहना)-
कितनी खरी-खोटी सुना चुका हुँ, मगर बेकहा माने तब तो ?
No.-4.
खून खौलना (क्रोधित होना)- झूठ बातें
सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है।
No.-5.
खून का प्यासा (जानी दुश्मन होना)-
उसकी क्या बात कर रहे हो, वह तो मेरे खून का प्यासा हो गया है।
No.-6.
खेत रहना या आना (वीरगति पाना)- पानीपत
की तीसरी लड़ाई में इतने मराठे आये कि मराठा-भूमि जवानों से खाली हो गयी।
No.-7.
खटाई में पड़ना (झमेले में पड़ना, रुक
जाना)- बात तय थी, लेकिन ऐन मौके पर उसके मुकर जाने से सारा काम
खटाई में पड़ गया।
No.-8.
खेल खेलाना (परेशान करना)- खेल खेलाना
छोड़ो और साफ-साफ कहो कि तुम्हारा इरादा क्या है।
No.-9.
खटाई में डालना (किसी काम को लटकाना)-
उसनेतो मेरा काम खटाई में डाल दिया। अब किसी और से कराना पड़ेगा।
No.-10.
खबर लेना (सजा देना या किसी के विरुद्ध
कार्यवाई करना)- उसने मेरा काम करने से इनकार किया हैं, मुझे
उसकी खबर लेनी पड़ेगी।
No.-11.
खाई से निकलकर खंदक में कूदना (एक
परेशानी या मुसीबत से निकलकर दूसरी में जाना)- मुझे ज्ञात नहीं था कि मैं खाई से
निकलकर खंदक में कूदने जा रहा हूँ।
No.-12.
खाक फाँकना (मारा-मारा फिरना)- पहले तो
उसने नौकरी छोड़ दी, अब नौकरी की तलाश में खाक फाँक रहा हैं।
No.-13.
खाक में मिलना (सब कुछ नष्ट हो जाना)-
बाढ़ आने पर उसका सब कुछ खाक में मिल गया।
No.-14.
खाना न पचना (बेचैन या परेशान होना)-
जब तक श्यामा अपने मन की बात मुझे बताएगी नहीं,
उसका खाना नहीं पचेगा।
No.-15.
खा-पी डालना (खर्च कर डालना)- उसने
अपना पूरा वेतन यार-दोस्तों में खा-पी डाला,
अब उधार माँग रहा हैं।
No.-16.
खाने को दौड़ना (बहुत क्रोध में होना)-
मैं अपने ताऊजी के पास नहीं जाऊँगा, वे तो हर किसी को खाने को दौड़ते हैं।
No.-17.
खार खाना (ईर्ष्या करना)- वह तो मुझसे
खार खाए बैठा हैं, वह मेरा काम नहीं करेगा।
No.-18.
खिचड़ी पकाना (गुप्त बात या कोई
षड्यंत्र करना)- छात्रों को खिचड़ी पकाते देख अध्यापक ने उन्हें डाँट दिया।
No.-19.
खीरे-ककड़ी की तरह काटना (अंधाधुंध
मारना-काटना)- 1857 की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को
खीरे-ककड़ी की तरह काट दिया था।
No.-20.
खुदा-खुदा करके (बहुत मुश्किल से)-
रामू खुदा-खुदा करके दसवीं में उत्तीर्ण हुआ हैं।
No.-21.
खुशामदी टट्टू (खुशामद करने वाला)- वह
तो खुशामदी टट्टू हैं, खुशामद करके अपना काम निकाल लेता हैं।
No.-22.
खूँटा गाड़ना (रहने का स्थान निर्धारित
करना)- उसने तो यहीं पर खूँटा गाड़ लिया हैं,
लगता हैं जीवन भर यहीं रहेगा।
No.-23.
खून-पसीना एक करना (बहुत कठिन परिश्रम
करना)- रामू खून-पसीना एक करके दो पैसे कमाता हैं।
No.-24.
खून के आँसू रुलाना (बहुत सताना या
परेशान करना)- रामू कलियुगी पुत्र हैं, वह अपने माता-पिता को खून के आँसू रुला रहा
हैं।
No.-25.
खून के आँसू रोना (बहुत दुःखी या
परेशान होना)- व्यापार में घाटा होने पर सेठजी खून के आँसू रो रहे हैं।
No.-26.
खून-खच्चर होना (बहुत मारपीट या झगड़ा
होना)- सुबह-सुबह दोनों भाइयों में खून-खच्चर हो गया।
No.-27.
खून सवार होना (बहुत क्रोध आना)- उसके
ऊपर खून सवार हैं, आज वह कुछ भी कर सकता हैं।
No.-28.
खून पीना (शोषण करना)- सेठ रामलाल जी
अपने कर्मचारियों का बहुत खून चूसते हैं।
No.-29.
ख्याली पुलाव पकाना (असंभव बातें
करना)- अरे भाई! ख्याली पुलाव पकाने से कुछ नहीं होगा, कुछ
काम करो।
No.-30.
खून ठण्डा होना (उत्साह से रहित होना
या भयभीत होना)- आतंकवादियों को देखकर मेरा तो खून ठण्डा पड़ गया।
No.-31.
खेल बिगड़ना (काम बिगड़ना)- अगर पिताजी
ने साथ नहीं दिया तो हमारा सारा खेल बिगड़ जाएगा।
No.-32.
खेल बिगाड़ना (काम बिगाड़ना)- यदि हमने
मोहन की बात नहीं मानी तो वह बना-बनाया खेल बिगाड़ देगा।
No.-33.
खोटा पैसा (अयोग्य पुत्र)- कभी-कभी
खोटा पैसा भी काम आ जाता हैं।
No.-34.
खोपड़ी खाना या खोपड़ी चाटना (बहुत बातें
करके परेशान करना)- अरे भाई! मेरी खोपड़ी मत खाओ, जाओ यहाँ से।
No.-35.
खोपड़ी खाली होना (श्रम करके दिमाग का
थक जाना)- उसे पढ़ाकर तो मेरी खोपड़ी खाली हो गई,
फिर भी उसे कुछ समझ नहीं आया।
No.-36.
खोपड़ी गंजी करना (बहुत मारना-पीटना)-
लोगों ने मार-मार कर चोर की खोपड़ी गंजी कर दी।
No.-37.
खोपड़ी पर लादना (किसी के जिम्मे जबरन
काम मढ़ना)- अधिकतर कर्मचारियों के छुट्टी पर जाने के कारण एक या दो कर्मचारियों की
खोपड़ी पर काम लादना पड़ा।
No.-38.
खोलकर कहना (स्पष्ट कहना)- मित्र, जो
कहना हैं, खोलकर कहो,
मुझसे कुछ भी मत छिपाओ।
No.-39.
खोज खबर लेना (समाचार मिलना)- मदन के
दादा जी घर छोड़कर चले गए। बहुत से लोगों ने उनकी खोज खबर ली तो भी उनका पता नहीं
चला।
No.-40.
खोद-खोद कर पूछना (अनेकानेक प्रश्न
पूछना)- खोद-खोद कर पूछना बंद करो, मैं इस तरह के सवालों के जबाब नहीं दूँगा।
No.-41.
खून सूखना- (अधिक डर जाना)
No.-42.
खून सफेद हो जाना- (बहुत डर जाना)
No.-43.
खम खाना- (दबना, नष्ट
होना)
No.-44.
खटिया सेना- (बीमार होना)
No.-45.
खा-पका जाना- (बर्बाद करना)
No.-46. खूँटे के बल कूदना- (किसी के भरोसे पर जोर या जोश दिखाना)
ग
No.-1.
गले का हार होना (बहुत प्यारा)-
लक्ष्मण राम के गले का हर थे।
No.-2.
गर्दन पर सवार होना (पीछा ना छोड़ना )-
जब देखो, तुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।
No.-3.
गला छूटना (पिंड छोड़ना)- उस कंजूस की
दोस्ती टूट ही जाती, तो गला छूटता।
No.-4.
गर्दन पर छुरी चलाना (नुकसान पहुचाना)-
मुझे पता चल गया कि विरोधियों से मिलकर किस तरह मेरे गले पर छुरी चला रहे थेो।
No.-5.
गड़े मुर्दे उखाड़ना (दबी हुई बात फिर
से उभारना)- जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखारने से क्या लाभ ?
No.-6.
गागर में सागर भरना (एक रंग -ढंग पर न
रहना)- उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
No.-7.
गुल खिलना (नयी बात का भेद खुलना, विचित्र
बातें होना)- सुनते रहिये, देखिये अभी क्या गुल खिलेगा।
No.-8.
गिरगिट की तरह रंग बदलना (बातें
बदलना)- गिरगिट की तरह रंग बदलने से तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेगा।
No.-9.
गाल बजाना (डींग हाँकना)- जो करता है, वही
जानता है। गाल बजानेवाले क्या जानें ?
No.-10.
गिन-गिनकर पैर रखना (सुस्त चलना, हद
से ज्यादा सावधानी बरतना)- माना कि थक गये हो,
मगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो ? शाम
के पहले घर पहुँचना है या नहीं ?
No.-11.
गुस्सा पीना (क्रोध दबाना)- गुस्सा
पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा न होता, तो उसकी गत बना छोड़ता।
No.-12.
गूलर का फूल होना (लापता होना)- वह तो
ऐसा गूलर का फूल हो गया है कि उसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है।
No.-13.
गुदड़ी का लाल (गरीब के घर में गुणवान
का उत्पत्र होना)- अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे।
No.-14.
गाँठ में बाँधना (खूब याद रखना )- यह
बात गाँठ में बाँध लो, तन्दुरुस्ती रही तो सब रहेगा।
No.-15.
गुड़ गोबर करना (बनाया काम बिगाड़ना)-
वीरू ने जरा-सा बोलकर सब गुड़-गोबर कर दिया।
No.-16.
गुरू घंटाल(दुष्टों का नेता या सरदार)-
अरे भाई, मोनू तो गुरू घंटाल है, उससे
बचकर रहना।
No.-17.
गंगा नहाना (अपना कर्तव्य पूरा करके
निश्चिन्त होना)- रमेश अपनी बेटी की शादी करके गंगा नहा गए।
No.-18.
गच्चा खाना (धोखा खाना)- रामू गच्चा खा
गया, वरना उसका कारोबार चला जाता।
No.-19.
गजब ढाना (कमाल करना)- लता मंगेशकर ने
तो गायकी में गजब ढा दिया हैं।
No.-20.
गज भर की छाती होना- (अत्यधिक साहसी
होना)- उसकी गज भर की छाती है तभी तो अकेले ने ही चार-चार आतंकवादियों को मार
दिया।
No.-21.
गढ़ फतह करना (कठिन काम करना)- आई.ए.एस.
पास करके शंकर ने सचमुच गढ़ फतह कर लिया।
No.-22.
गधा बनाना (मूर्ख बनाना) अप्रैल फूल डे
वाले दिन मैंने रामू को खूब गधा बनाया।
No.-23.
गधे को बाप बनाना (काम निकालने के लिए
मूर्ख की खुशामद करना)- रामू गधे को बाप बनाना अच्छी तरह जानता हैं।
No.-24.
गर्दन ऐंठी रहना (घमंड या अकड़ में
रहना)- सरकारी नौकरी लगने के बाद तो उसकी गर्दन ऐंठी ही रहती हैं।
No.-25.
गर्दन फँसना (झंझट या परेशानी में
फँसना)- उसे रुपया उधार देकर मेरी तो गर्दन फँस गई हैं।
No.-26.
गरम होना (क्रोधित होना)- अंजू की दादी
जरा-जरा सी बात पर गरम हो जाती हैं।
No.-27.
गला काटना (किसी की ठगना)- कल अध्यापक
ने बताया कि किसी का गला काटना बुरी बात हैं।
No.-28.
गला पकड़ना (किसी को जिम्मेदार ठहराना)-
गलती चाहे किसी की हो, पिताजी मेरा ही गला पकड़ते हैं।
No.-29.
गला फँसाना (मुसीबत में फँसाना)- अपराध
उसने किया हैं और गला मेरा फँसा दिया हैं। बहुत चतुर है वो!
No.-30.
गला फाड़ना (जोर से चिल्लाना)- राजू कब
से गला फाड़ रहा है कि चाय पिला दो, पर कोई सुनता ही नहीं।
No.-31.
गले पड़ना (पीछे पड़ना)- मैंने उसे एक
बार पैसे उधार क्या दे दिए, वह तो गले ही पड़ गया।
No.-32.
गले पर छुरी चलाना (अत्यधिक हानि
पहुँचाना)- उसने मुझे नौकरी से बेदखल करा के मेरे गले पर छुरी चला दी।
No.-33.
गले न उतरना (पसन्द नहीं आना)- मुझे
उसका काम गले हीं उतरता, वह हर काम उल्टा करता हैं।
No.-34.
गाँठ का पूरा, आँख
का अंधा (धनी, किन्तु मूर्ख व्यक्ति)- सेठ जी गाँठ के पूरे, आँख
के अंधे हैं तभी रामू का कहना मानकर अनाड़ी मोहन को नौकरी पर रख लिया हैं।
No.-35.
गाजर-मूली समझना (तुच्छ समझना)- मोहन
ने कहा कि उसे कोई गाजर-मूली न समझे, वह बहुत कुछ कर सकता है।
No.-36.
गाढ़ी कमाई (मेहनत की कमाई)- ये मेरी
गाढ़ी कमाई है, अंधाधुंध खर्च मत करो।
No.-37.
गाढ़े दिन (संकट का समय)- रमेश गाढ़े
दिनों में भी खुश रहता है।
No.-38.
गाल फुलाना (रूठना)- अंशु सुबह से ही
गाल फुलाकर बैठी हुई है।
No.-39.
गुजर जाना (मर जाना)- मेरे दादाजी तो
एक साल पहले ही गुजर गए और तुम आज पूछ रहे हो।
No.-40.
गुल खिलाना (बखेड़ा खड़ा करना)- यह लड़का
जरूर कोई गुल खिला कर आया है तभी चुप बैठा है।
No.-41.
गुलछर्रे उड़ाना (मौजमस्ती करना)- मित्र, परीक्षाएँ
नजदीक हैं और तुम गुलछर्रे उड़ा रहे हो।
No.-42.
गूँगे का गुड़ (वर्णनातीत अर्थात जिसका
वर्णन न किया जा सके)- दादाजी कहते हैं कि ईश्वर के ध्यान में जो आनंद मिलता है, वह
तो गूँगे का गुड़ है।
No.-43.
गोता मारना (गायब या अनुपस्थित होना)-
अरे मित्र! तुमने दो दिन कहाँ गोता मारा, नजर नहीं आए।
No.-44.
गोली मारना (त्याग देना या ठुकरा
देना)- रंजीत ने कहा कि बस को गोली मारो, हम तो पैदल जायेंगे।
No.-45
गौं का यार (मतलब का साथी)- रमेश तो
गौं का यार है, वो बेमतलब तुम्हारा काम नहीं करेगा।
No.-46.
गोद भरना (संतान होना, विवाह
से पूर्व कन्या के आँचल में नारियल आदि सामान देकर विवाह पक्का करना)- सुरेश की
बहन का गोद भर गई है, अब अगले माह शादी होनी है।
No.-47.
गोद लेना (दत्तक बनाना, अपना
पुत्र न होने पर किसी बच्चे को विधिवत अपना पुत्र बनाना)- महिमा दीदी के जब कोई
संतान नहीं हुई तो उन्होंने एक बच्चा गोद लिया।
No.-48.
गोद सूनी होना (संतानहीन होना)- जब
तुम्हारी गोद सूनी है तो किसी बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेते ?
No.-49.
गोबर गणेश (मूर्ख)- वह तो एकदम गोबर
गणेश है, उसकी समझ में कुछ नहीं आता।
No.-50.
गोलमाल करना (काम बिगाड़ना/गड़बड़ करना)-
मुंशी जी ने सेठ जी का सारे हिसाब-किताब का गोलमाल कर दिया।
No.-51.
गंगाजली उठाना (हाथ में गंगाजल से भरा
पात्र लेकर शपथपूर्वक कहना)- मैंने गंगाजली उठा ली तो भी उसे मेरी बात पर यकीन
नहीं हुआ।
No.-52.
गाल बजाना- (डींग मारना)
No.-53.
काल के गाल में जाना- (मृत्यु के मुख
में पड़ना)
No.-54.
गंगा लाभ होना- (मर जाना)
No.-55.
गीदड़भभकी- (मन में डरते हुए भी ऊपर से
दिखावटी क्रोध करना)
No.-56.
गुड़ियों का खेल- (सहज काम)
No.-57.
गतालखाते में जाना-(नष्ट होना)
No.-58.
गाढ़े में पड़ना- (संकट में पड़ना)
No.-59.
गोटी लाल होना- (लाभ होना)
No.-60.
गढ़ा खोदना- (हानि पहुँचाने का उपाय
करना)
No.-61. गूलर का कीड़ा- (सीमित दायरे में भटकना)
No.-1.
घर का न घाट का (कहीं का नहीं)- कोई
काम आता नही और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे
जिये।
No.-2.
घाव पर नमक छिड़कना (दुःख में दुःख
देना)- राम वैसे ही दुखी है, तुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।
No.-3.
घोड़े बेचकर सोना (बेफिक्र होना)- बेटी
तो ब्याह दी। अब क्या, घोड़े बेचकर सोओ।
No.-4.
घड़ो पानी पड़ जाना (अत्यन्त लज्जित होना
)- वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ
पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया।
No.-5.
घी के दीए जलाना (अप्रत्याशित लाभ पर
प्रसत्रता)- जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रही,
वह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या
है, घी के दीये जलाओ।
No.-6.
घर बसाना (विवाह करना)- उसने घर क्या
बसाया, बाहर निकलता ही नहीं।
No.-7.
घात लगाना (मौका ताकना)- वह चोर दरवान
इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वर्ना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ
की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता ?
No.-8.
घाट-घाट का पानी पीना (हर प्रकार का
अनुभव होना)- मुन्ना घाट-घाट का पानी पिए हुए है, उसे कौन धोखा दे सकता है।
No.-9.
घर आबाद करना (विवाह करना)- देर से ही
सही, रामू ने अपना घर आबाद कर लिया।
No.-10.
घर का उजाला (सुपुत्र अथवा इकलौता
पुत्र)- सब जानते हैं कि मोहन अपने घर का उजाला हैं।
No.-11.
घर काट खाने दौड़ना (सुनसान घर)- घर में
कोई नहीं है इसलिए मुझे घर काट खाने को दौड़ रहा है।
No.-12.
घर का चिराग गुल होना (पुत्र की मृत्यु
होना)- यह सुनकर बड़ा दुःख हुआ कि मेरे मित्र के घर का चिराग गुल हो गया।
No.-13.
घर का बोझ उठाना (घर का खर्च चलाना या
देखभाल करना)- बचपन में ही अपने पिता के मरने के बाद राकेश घर का बोझ उठा रहा है।
No.-14.
घर का नाम डुबोना (परिवार या कुल को
कलंकित करना)- रामू ने चोरी के जुर्म में जेल जाकर घर का नाम डुबो दिया।
No.-15.
घर घाट एक करना (कठिन परिश्रम करना)-
नौकरी के लिए संजय ने घर घाट एक कर दिया।
No.-16.
घर फूँककर तमाशा देखना (अपना घर स्वयं
उजाड़ना या अपना नुकसान खुद करना)- जुए में सब कुछ बर्बाद करके राजू अब घर फूँक के
तमाशा देख रहा है।
No.-17.
घर में आग लगाना (परिवार में झगड़ा
कराना)- वह तो सबके घर में आग लगाता फिरता हैं इसलिए उसे कोई अपने पास नहीं बैठने
देता।
No.-18.
घर में भुंजी भाँग न होना (बहुत गरीब
होना)- रामू के घर में भुंजी भाँग नहीं हैं और बातें करता है नवाबों की।
No.-19.
घाव पर मरहम लगाना (सांत्वना या तसल्ली
देना)- दादी पहले तो मारती है, फिर घाव पर मरहम लगाती है।
No.-20.
घाव हरा होना (भूला हुआ दुःख पुनः याद
आना)- राजा ने अपने मित्र के मरने की खबर सुनी तो उसके अपने घाव हरे हो गए।
No.-21.
घास खोदना (तुच्छ काम करना)- अच्छी
नौकरी छोड़ के राजू अब घास खोद रहा है।
No.-22.
घास न डालना (सहायता न करना या बात तक
न करना)- मैनेजर बनने के बाद राजू अब मुझे घास नहीं डालता।
No.-23.
घी-दूध की नदियाँ बहना (समृद्ध होना)-
श्रीकृष्ण के युग में हमारे देश में घी-दूध की नदियाँ बहती थीं।
No.-24.
घुटने टेकना (हार या पराजय स्वीकार
करना)- संजू इतनी जल्दी घुटने टेकने वाला नहीं है, वह अंतिम साँस तक प्रयास करेगा।
No.-25.
घोड़े पर सवार होना (वापस जाने की जल्दी
में होना)- अरे मित्र, तुम तो सदैव घोड़े पर सवार होकर आते हो, जरा
हमारे पास भी बैठो।
No.-26.
घोलकर पी जाना (कंठस्थ याद करना)- रामू
दसवीं में गणित को घोलकर पी गया था तब उसके 90 प्रतिशत अंक आए हैं।
No.-27.
घनचक्कर (मूर्ख/आवारागर्द)- किस
घनचक्कर को मेरे पास लाए हो, इसे तो बात करने की भी तमीज नहीं है।
No.-28.
घपले में पड़ना (किसी काम का खटाई में
पड़ना)- लोन के कागज पूरे न होने के कारण लोन स्वीकृति का मामला घपले में पड़ गया
है।
No.-29.
घर उजड़ना (गृहस्थी चौपट हो जाना)-
रामनायक की दुर्घटना में मृत्यु क्या हुई, दो महीने में ही उसका सारा घर उजड़ गया।
No.-30.
घिग्घी बँध जाना (डर के कारण आवाज न
निकलना)- वैसे तो रोहन अपनी बहादुरी की बहुत डींगे मारता है पर कल रात एक चोर को
देखकर उसकी घिग्घी बँध गई।
No.-31.
घुट-घुट कर मरना (असहय कष्ट सहते हुए
मरना)- गरीबों पर अत्याचार करने वाले घुट-घुट कर मरेंगे।
No.-32.
घुटा हुआ (छँटा हुआ बदमाश)- प्रमोद पर
विश्वास मत करना एकदम घुटा हुआ है।
No.-33.
घर का मर्द- (बाहर डरपोक)
No.-34.
घर का आदमी-(कुटुम्ब, इष्ट-मित्र)
No.-35. घातपर चढ़ना- (तत्पर रहना)
No.-36.
चल बसना (मर जाना)- बेचारे का बेटा भरी
जवानी में चल बसा।
No.-37.
चार चाँद लगाना (चौगुनी शोभा देना)- निबन्धों
में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाता है।
No.-38.
चिकना घड़ा होना (बेशर्म होना)- तुम ऐसा
चिकना घड़ा हो तुम्हारे ऊपर कहने सुनने का कोई असर नहीं पड़ता।
No.-39.
चिराग तले अँधेरा (पण्डित के घर में
घोर मूर्खता आचरण )- पण्डितजी स्वयं तो बड़े विद्वान है, किन्तु
उनके लड़के को चिराग तले अँधेरा ही जानो।
No.-40.
चैन की बंशी बजाना (मौज करना)- आजकल
राम चैन की बंशी बजा रहा है।
No.-41.
चार दिन की चाँदनी (थोड़े दिन का सुख)-
राजा बलि का सारा बल भी जब चार दिन की चाँदनी ही रहा, तो
तुम किस खेत की मूली हो ?
No.-42.
चींटी के पर लगना या जमना (विनाश के
लक्षण प्रकट होना)- इसे चींटी के पर जमना ही कहेंगे कि अवतारी राम से रावण बुरी
तरह पेश आया।
No.-43.
चूँ न करना (सह जाना, जवाब
न देना)- वह जीवनभर सारे दुःख सहता रहा, पर चूँ तक न की।
No.-44.
चादर से बाहर पैर पसारना (आय से अधिक
व्यय करना)- डेढ़ सौ ही कमाते हो और इतनी खर्चीली लतें पाल रखी है। चादर के बाहर
पैर पसारना कौन-सी अक्लमन्दी है ?
No.-45.
चाँद पर थूकना (व्यर्थ निन्दा या
सम्माननीय का अनादर करना)- जिस भलेमानस ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, उसे
ही तुम बुरा-भला कह रहे हो ?भला, चाँद पर भी थूका जाता है ?
No.-46.
चूड़ियाँ पहनना (स्त्री की-सी असमर्थता
प्रकट करना)- इतने अपमान पर भी चुप बैठे हो! चूड़ियाँ तो नहीं पहन रखी है तुमने ?
No.-47.
चहरे पर हवाइयाँ उड़ना (डरना, घबराना)-
साम्यवाद का नाम सुनते ही पूँजीपतियों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती है।
No.-48.
चाँदी काटना (खूब आमदनी करना)-
कार्यालय में बाबू लोग खूब चाँदी काट रहे है।
No.-49.
चम्पत हो जाना (भाग जाना)- जब काम करने
की बारी आई तो राजू चंपत हो गया।
No.-50.
चकमे में आना (धोखे में पड़ना)- किशोर
किसी के चकमे में आने वाला नहीं है, वह बहुत समझदार है।
No.-51.
चकमा देना (धोखा देना)- वह बदमाश मुझे
धोखा देकर भाग गया।
No.-52.
चक्कर में आना (फंदे में फँसना)- मुझसे
गलती हो गई जो मैं उस ठग के चक्कर में फँस गया।
No.-53.
चना-चबैना (रूखा-सूखा भोजन)- आजकल रामू
चना-चबैना खाकर गुजारा कर रहा हैं।
No.-54.
चपत पड़ना (हानि अथवा नुकसान होना)- नया
मकान खरीदने में रमेश को 20 हजार की चपत पड़ी।
No.-55.
चमक उठना (उन्नति करना)- रामू ने जीवन
में बहुत परिश्रम किया है, अब वह चमक उठा है।
No.-56.
चमड़ी उधेड़ना या खींचना (बहुत पीटना)-
राजू, तुमने दुबारा मुँह खोला तो मैं तुम्हारी चमड़ी
उधेड़ दूँगा।
No.-57.
की धूल (तुच्छ व्यक्ति)- हे प्रभु! मैं
तो आपके चरणों की धूल हूँ, मुझ पर दया करो।
No.-58.
चलता पुर्जा (चालाक)- रवि चलता पुर्जा
है, उससे बचकर रहना ही अच्छा है।
No.-59.
चस्का लगना (बुरी आदत)- धीरू को
धूम्रपान का बहुत बुरा चस्का लग गया है।
No.-60.
चाँद का टुकड़ा (बहुत सुन्दर)- रामू का
पुत्र तो चाँद का टुकड़ा है, वह उसे प्रतिदिन काला टीका लगाता है।
No.-61.
चाँदी कटना (खूब लाभ होना)- आजकल रामरतन
की कारोबार में चाँदी कट रही है।
No.-62.
चाँदी ही चाँदी होना (खूब धन लाभ
होना)- अरे मित्र! यदि तुम्हारी ये दुकान चल गई तो चाँदी ही चाँदी हो जाएगी।
No.-63.
चाँदी का जूता (घूस या रिश्वत)- जब
रामू ने लाइन में लगे बिना अपना काम करा लिया तो उसने मुझसे कहा- तुम भी चाँदी का जूता
मारो और काम करा लो, लाइन में क्यों लगे हो?
No.-64.
चाट पड़ना (आदत पड़ना)- रानी को तो चाट
पड़ गई है, वह बार-बार पैसा उधार माँगने आ जाती है।
No.-65.
चादर देखकर पाँव पसारना (आमदनी के
अनुसार खर्च करना)- पिताजी ने मुझसे कहा कि आदमी को चादर देखकर पाँव पसारने चाहिए, वरना
उसे पछताना पड़ता है।
No.-66.
चादर के बाहर पैर पसारना (आय से अधिक
व्यय करना)- जो लोग चादर के बाहर पैर पसारते हैं हमेशा तंगी का ही अनुभव करते रहते
हैं।
No.-67.
चार सौ बीस (कपटी एवं धूर्त व्यक्ति)-
मुन्ना चार सौ बीस है, इसलिए सब उससे दूर रहते हैं।
No.-68.
चार सौ बीसी करना (छल-कपट या धोखा
करना)- मित्र, तुम मुझसे चार सौ बीसी मत करना, वर्ना
अच्छा नहीं होगा।
No.-69.
चिकनी-चुपड़ी बातें (धोखा देने वाली
बातें)- एक व्यक्ति चिकनी-चुपड़ी बातें करके रामू की माँ को ठग ले गया।
No.-70.
उड़ जाना (चले जाना या गायब हो जाना)-
अरे भाई, कब से तुमसे कहा था कि शहद अच्छा है, ले
लो। अब तो चिड़िया उड़ गई। जाओ अपने घर।
No.-71.
चिड़िया फँसाना (किसी को धोखे से अपने
वश में करना)- जब परदेस में एक आदमी मुझे फुसलाने लगा तो मैंने उससे कहा- अरे भाई, अपना
काम करो। ये चिड़िया फँसने वाली नहीं है।
No.-72.
चिनगारी छोड़ना (लड़ाई-झगड़े वाली बात
करना)- राजू ने ऐसी चिनगारी छोड़ी कि दो मित्रों में झगड़ा हो गया।
No.-73.
चिराग लेकर ढूँढना (बहुत छानबीन या
तलाश करना)- मैंने माँ से कहा कि राजू जैसा मित्र तो चिराग लेकर ढूँढ़ने से भी नहीं
मिलेगा, इसलिए मैं उसे अपने घर लाया हूँ।
No.-74.
चिल्ल-पौं मचना (शोरगुल होना)- जब
कक्षा में अध्यापक नहीं होते तो चिल्ल-पौं मच जाती है।
No.-75.
चीं बोलना (हार मान लेना)- आज राजू
कबड्डी में चीं बोल गया।
No.-76.
चींटी के पर निकलना (मृत्यु के निकट
पहुँचना)- रामू ने जब ज्यादा आतंक मचाया तो मैंने कहा- लगता है, अब
चींटी के पर निकल आए हैं।
No.-77.
चुटकी लेना (हँसी उड़ाना)- जब रमेश डींग
मारता है तो सभी उसकी चुटकी लेते हैं।
No.-78.
चुटिया हाथ में लेना (पूर्णरूप से
नियंत्रण में होना)- मित्र, उस बदमाश की चुटिया मेरे हाथ में हैं। तुम
फिक्र मत करो।
No.-79.
चुल्लू भर पानी में डूब मरना (अत्यन्त
लज्जित होना)- जब सबके सामने राजू का झूठ पकड़ा गया तो उसके लिए चुल्लू भर पानी में
डूब मरने वाली बात हो गई।
No.-80.
चूना लगाना (ठगना)- कल एक अनजान आदमी
गोपाल को 100 रुपए का चूना लगा गया।
No.-81.
चूहे-बिल्ली का बैर (स्वाभाविक विरोध)-
राम और मोहन में तो चूहे-बिल्ली का बैर है। दोनों भाई हर समय झगड़ते रहते हैं।
No.-82.
चेहरे का रंग उड़ना (निराश होना)- जब
रानी को परीक्षा में फेल होने की सूचना मिली तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया।
No.-83.
चेहरा खिलना (खुश होना)- जब अमित दसवीं
में उत्तीर्ण हो गया तो उसका चेहरा खिल गया।
चेहरा तमतमाना (बहुत क्रोध आना)- जब
बच्चे कक्षा में शोर मचाते हैं तो अध्यापक का चेहरा तमतमा जाता हैं।
No.-84.
चैन की वंशी बजाना (सुख से समय
बिताना)- मेरा मित्र डॉक्टर बनकर चैन की वंशी बजा रहा हैं।
No.-85.
चोटी और एड़ी का पसीना एक करना (खूब
परिश्रम करना)- मुकेश ने नौकरी के लिए चोटी और एड़ी का पसीना एक कर दिया हैं।
No.-86.
चोली-दामन का साथ (काफी घनिष्ठता)-
धीरू और वीरू का चोली-दामन का साथ है।
No.-87.
चोटी पर पहुँचना (बहुत उन्नति करना)-
अध्यापक ने कक्षा में कहा कि चोटी पर पहुँचने के लिए व्यक्ति को अथक परिश्रम करना
पड़ता है।
No.-88. चोला छोड़ना (शरीर त्यागना)- गाँधीजी ने चोला
छोड़ते समय 'हे राम'
कहा था।
No.-89.
चंडू खाने की (निराधार बात)- मेरे सामने
तुम चंडूखाने की मत सुनाया करो। मुझे तुम्हारी किसी भी बात पर यकीन नहीं है।
No.-90.
चट कर जाना (सबका सब खा जाना)- वह तीन
दिन से भूखा था, सारा खाना एकदम चट कर गया।
No.-91.
चप्पा-चप्पा छान डालना (हर जगह जाकर
देख आना)- पुलिस ने जंगल का चप्पा-चप्पा छान मारा लेकिन चोरों का सुराग न मिला।
No.-92.
चरबी चढ़ना (मदांध होना)- लॉटरी लगते ही
प्रमोद पर चरबी चढ़ गई है, दूसरों को कुछ समझता ही नहीं है।
No.-93.
चहल-पहल होना (रौनक होना)- दिवाली के
कारण आज बाजार में बहुत चहल-पहल है।
No.-94.
चाकरी बजाना (सेवा करना)- रामकमल ने
अपने अधिकारी की खूब चाकरी बजाई फिर भी उसका प्रमोशन न हो सका।
No.-95.
चिल्ले का जाड़ा (बहुत भयंकर ठंड)-
जनवरी माह में दिल्ली में चिल्ले का जाड़ा पड़ता है। अगर इन्हीं दिनों जाना पड़े तो
गरम कपड़े लेकर जाना।
No.-96.
चुगली खाना/लगाना (पीछे-पीछे निंदा
करना)- जो लोग पीछे-पीछे दूसरों की चुगली लगाते/खाते हैं उनकी पोल जल्दी ही खुल
जाती है।
No.-97.
चुटकी बजाते-बजाते (चटपट)- आपका यह काम
तो मैं चुटकी बजाते-बजाते पूरा कर दूँगा, आप चिंता न करें।
No.-98.
चूँ-चूँ का मुरब्बा (बेमेल चीजों का
योग)- यह पार्टी तो चूँ-चूँ का मुरब्बा है। न जाने इस पार्टी में कहाँ-कहाँ के लोग
शामिल हैं।
No.-100.
चूर चूर कर देना (नष्ट करना)- कारगिल
युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान का घमंड चूर-चूर कर दिया था।
No.-101.
चूल्हा जलना (खाना बनना)- रामेश्वर के
यहाँ इतनी तंगी है कि दो दिन से घर में चूल्हा तक नहीं जला है।
No.-102.
चौखट पर माथा टेकना (अनुनय-विनय करना)-
वैष्णोदेवी की चौखट पर जाकर माथा टेको, तभी कष्ट दूर होंगे।
No.-103.
चल निकलना- (प्रगति करना, बढ़ना)
No.-104.
चिकने घड़े पर पानी पड़ना- (उपदेश का कोई
प्रभाव न पड़ना)
No.-105.
चुनौती देना- (ललकारना)
No.-106.
चण्डूखाने की गप- (झूठी गप)
No.-107.
चींटी के पर जमना- (ऐसा काम करना जिससे
हानि या मृत्यु हो
No.-108.
चाचा बनाना- (दण्ड देना)
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