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असफ़लता से सफ़लता की ओर – Motivation For All Students

असफ़लता से सफ़लता की ओर – Motivation For All Students
एक छात्र जो असफल हो जाता है, इसका मतलब है वह किसी न किसी परीक्षा में जरुर बैठा है, इसका एक मतलब यह नही है कि उसने कोई न कोई लक्ष्‍य तो तय किया हैं। वह उन सभी छात्रों से श्रेष्‍ठ है जो बिना कोई परीक्षा दिए, हार मान लेते है। परीक्षा देने वाला छात्र भले आज परीक्षा में असफल हो गया  हो लेकिन वह प्रतेक उस छात्र से अधिक आत्‍मविश्‍वास, अधिक योग्‍यता, क्षमता रखता हैं, अधिक जागृत जीवन्‍त है जो उस परीक्षा को देने की हिम्‍मत ही न जुटा पाया। कहते हैं —-
                 ” गिरते है शहसवार ही मैदाने जंग मे,
                वे तिफ्ल क्‍या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें  “
असफलता कभी भी अभिशाप नहीं है। हर सफलता के पीछे असंख्य असफलताओं से प्राप्‍त शिक्षा, सीख, समझ होती हैं। असफलता को सफलता के मार्ग में कभी भी बाधक समझने की गलती नही करनी चाहिए क्योकि व्यक्ति को असफलता मजबूत बनाने का काम करती है।
असफलता को सफलता में बदलना सीखे:
आप यदि किसी परीक्षा में असफल रह जाते है तो आपको अपनी असफलता पर  भूल कर भी पछतावा नही करना चाहिए बल्कि उस असफलता के कारणों को जान कर उनको दूर करने का प्रयास करना चाहिए व कोशिस करनी होगी की आप उन गलतियों को अगली परीक्षा देने जाओ तब उनको न करो।
पूर्ण ईमानदारी का मतलब:
पूर्ण ईमानदारी से तात्पर्य है की आप अपने मन की पूरी शक्ति के साथ अपनी कमजोरियों एवं कमियों को जाने, पहचानें उन कमजोरियों को दूर करने की अपनी पूरी कोशिश करे।
धर्य का मतलब:
धर्य से मतलब है की आप बहुत अच्छे से सोच विचार कर के अपनी असफलता के लिए जिम्‍मेदार विभिन्‍न कारणों पर विचार करें व उनको दूर करने की कोशिस करे साथ अपना प्रयास करते रहें। अच्छे से विचार करे की आपने परीक्षा देने के लिए जो रणनीति बनाई थी उसके अंदर क्या कमी बची रह गई जिसके कारण सफलता आपसे दूर रह गई।
एक-एक कारण की समीक्षा करें:
आपको अपनी असफलता के एक एक सम्भव कारण को जानने की जरुरत है ताकि जब अगली बार आप परीक्षा देने जाओ तो जो गलती पहली बार में की थी कम से कम उन गलतियों को इस बार न दोहराओ।
अपने भाग्‍य या दुर्भाग्‍य को अपनी असफलता हेतु जिम्‍मेदार ठहराने की गलती न करें:
अपनी असफलता का गहन अध्यन करने पर यदि कुछ कारण ऐसे मिले जिनका उपाय आपके बस में नहीं हैं तो आपको अपने अभिभावकों या किसी अच्‍छे मित्र या किसी मनोचिकित्‍सक की राय लेनी चाहिए न की अपने भाग्य को जिम्मेदार समझे।
अपने अभिभावकों की राय लें:
प्राय देखने में आता है कि छात्र स्‍वयं अपनी समस्‍याओं एवं परेशानियों से जूझते रहते हैं। वे अभिभावकों से राय नहीं लेना चाहते क्योकि उनको लगता है  कि अभिभावक नही समझेगे ? , जबकि यह सच नही है भले वो आपकी शैक्षिक समस्‍याओं के सम्‍बन्‍ध में कुछ न कर सकें लेकिन उनका अनुभव आपसे बहुत अधिक हैं। उन्‍होंने भी अपनी जिन्दगी में बहुत-सी समस्‍याओं का सामना किया होगा, उनका कोई मित्र, परिचित आपके काम आ सकता हैं। मेरा मानना है की कम-से-कम आपको उनकी राय से कोई हानि तो नहीं हो सकती हैं।
असफलता ही आपकी सफलता की सबसे बड़ी कुँजी हैं:
अपनी असफलता के कारणों का आकलन पूर्ण के बाद, आप पूर्ण आत्‍मविश्‍वास एवं दृढ़तापूर्वक के साथ पुन: तैयारी करने में लग जाये। आपको निराश होने की कोई आवश्‍यकता नही है, न ही यह सोचने की आवश्‍यकता है कि फिर हो गया तो क्‍या होगा? इसका सीधा-सा जवाब है कि जब ऐसा होगा तो सोचेंगे। आज ऐसा सोचने का कोई औचित्‍य नहीं हैं !
ज्यदातर व्‍यक्तियों के तनाव का प्रमुख कारण उनकी भविष्‍य की बुरी आशंकाओं की कल्‍पना करना होता हैं। ऐसी कल्‍पनाएं जो कभी घटित ही नहीं होती हैं। लेकिन वो मन में उनकी कल्पनाए करता रहता है। आप इस बार असफल हुए तो क्‍या हो गया। आपका यह निर्णय कि मुझे पुन: प्रयास करूँ तो असफलता मिल सकती हैं, तभी तो आप प्रयास हेतु तैयार हुए हैं। और जब आपमें यह आत्‍मविश्‍वास है तो पूरे संकल्‍प एवं लगन से जुट जाएं सफलता क्‍यों नहीं मिलेगी? कोई आशंका मन में न लाएं। हर सफल व्‍यक्ति कितनी ही बार असफल होता हैं, फिर आप निराश क्‍यों हो रहे हैं। आशा, आत्‍मविश्‍वास, दृढ़-संकल्‍प, कड़ी मेहनत के साथ अपनी कमियों/कमजोरियों का सच्‍चा आकलन कर उनका परिर्माजन करने से हर असम्‍भव कार्य सम्‍भव होता हैं।
 ” असफलता सफलता की पहली सीढ़ी है
लोग मेरे बारे में क्‍या कहेगें?
लोग क्या कहेंगे या बोलेगे? यह एक ऐसा विचार है जो सभी के मन में जरुर आता है लेकिन यह उससे भी बड़ी सच्चाई है की जिसने अपने अंदर उत्पन इस विचार पर विजय पा ली तो समझो उसने अपनी जिन्दगी में सफलता को हासिल कर लिया या वः सफलता के भुत नजदीक पहुच गया है। इसलिए सबसे पहले अपने मन में उत्पन होने वाले इस बीमारी को जड़ से खत्म कर दो। फिर देखना आपको आपकी सफलता केसे आसानी से मिलती जाती है। अपनी पूरी र्इमानदारी, लगन एवं निष्‍ठा से अपने कर्तव्‍य का पालन करते हुए लगातार आगे बढ़ते जाये।
नकारात्‍मक सोच वाले व्‍यक्तियों से दुरी बनाकर रखे:
आपको जीवन में नकारात्मक विचार वाले लोगों से दुरी बनाने की जरुरत है, आपके बहुत-से मित्र, रिश्‍तेदार, व्‍यक्ति इसे होंगे, जो आपको आगे बढ़ते हुए देखना पसंद नही करते होंगे। जिनकी सोच में आत्‍महीनता, निराशावादी विचारों ने अपनी जगह बना ली है, ऐसे व्‍यक्तियों से आपको दूरी बना कर रखनी होगी।
तो दोस्तो मै GovtJobNotes की तरफ से आप सभी को आने बाली आपकी सफ़लता के लिये अभी से बधाई देता हूं  अपने लक्ष्‍य का निर्धारण अपनी क्षमता एवं योग्‍यता के सन्‍दर्भ में करें। एक बार तय कर लिया तो फिर डटकर मेहनत करें एवं ” दुनिया को दिखा दें कि उनकी सोच कितनी संकीर्ण एवं नकारात्‍मक थी।

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