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List of Goldman Environment Prize Winners

 

List of Goldman Environment Prize Winners

List of Goldman Environment Prize Winners

No:1. गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार इस बार छ: पर्यावरण कार्यकर्ताओं को दिया गया है। इस पुरस्कार को ग्रीन नोबेल भी कहा जाता है।

No:2. इसमें सबसे चर्चित बोस्निया की महिला मैदा बिलाल है जिन्होंने नदी बचाने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।

गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार 2021 के छ: विजेताओं के नाम हैं

No:1. ग्लोरिया मजीगा (Gloria Majiga)–कामोटो, मलावी, अफ्रीका

No:2. थाई वैन गुयेन (Thai Van Nguyen)–वियतनाम, एशिया

No:3. मैदा बिलाल (Maida Bilal)–बोस्निया और हर्जेगोविना, यूरोप

No:4. किमिको हिरता (Kimiko Hirata)–जापान, द्वीप और द्वीप राष्ट्र

No:5. शेरोन लविग्ने (Sharon Lavigne)–संयुक्त राज्य अमेरिका, उत्तरी अमेरिका

No:6. लिज़ चिकाजे चुरे (Liz Chicaje Churay)–पेरू, दक्षिण और मध्य अमेरिका

About Goldman Environment Prize

No:1. गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार वर्ष 1989 में अमेरिकी परोपकारी (Philanthropists) रिचर्ड और रोडा गोल्डमैन द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है।

No:2. यह पुरस्कार गोल्डमैन पर्यावरण फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है।

No:3. इस पुरस्कार से सम्मानित हो चुके भारतीयों में प्रफुल्ल सामंतारा (वर्ष 2017), रमेश अग्रवाल (वर्ष 2014) राशिदा बी एवं चंपा देवी शुक्ला (वर्ष 2004), एमसी मेहता (वर्ष 1996), मेधा पाटकर (वर्ष 1992) शामिल है।

मैदा बिलाल: एक परिचय

बोस्निया की क्रुसिका नदी को बचाने में जुटी 40 वर्षीय मैदा बिलाल की पिटाई भी की गई, उसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपने गांव की महिलाओं संग नदी पर प्रस्तावित लघु जल विद्युत संयंत्र को नहीं बनने देने के लिए बिलाल ने 500 दिनों तक पहरा दिया। बिलाल ने एक समाचार एजेंसी से कहा, हमने शारीरिक रूप से 503 दिनों तक 24 घंटे नदी की रक्षा की है। अगर जरूरत पड़ी तो हम और 5,300 दिनों तक पहरा देंगे। वह बताती हैं, 2017 की गर्मियों की बात है। ग्रामीणों ने भारी मशीनों को परियोजना के निर्माण स्थल के मार्ग पर एक लकड़ी के पुल को पार करने से रोका। हमलोगों का कहना था कि जल विद्युत परियोजना पर्यावरण को बर्बाद कर देगी। इसके बाद उन्होंने पुलिस के हमले को भी सहन किया। पुलिस का कहना था कि सार्वजनिक शांति व्यवस्था का उल्लंघन करने के लिए उन्हें जबरन ले जाया गया। लेकिन वे लड़े, और डेढ़ साल बाद परमिट रद्द कर दिए जाने के बाद, पुल का नाम बदलकर महिलाओं के नाम पर रखा गया। प्रशिक्षित अर्थशास्त्री बिलाल ने कहा, मैंने अपनी नौकरी खो दी, अपने दोस्तों को खो दिया, मेरी बेटी को स्कूल में तंग किया गया। यह आसान नहीं था। फिर भी मैंने किया। मेरी एक बेटी है और मैं नहीं चाहती कि बड़ी होकर उसे अपनी मां के समान समस्या का सामना करना पड़े। मालूम हो कि बोस्निया अपनी अविरल प्रवाह वाली पहाड़ी नदियों और अछूती प्रकृति के लिए मशहूर है।

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