No.-1.एक भाषा में प्रकट किये गये विचारों को दूसरी भाषा में रूपान्तरित करने को अनुवाद कहते हैं।
अनुवाद करने वाले को अनुवादक और अनुवाद
की हुई रचना को अनूदित कहते हैं। अनुवाद की श्रेष्ठता अनुवादक की योग्यता पर
निर्भर है। अनूदित रचना तभी निर्दोष समझी जाएगी जब मूल लेखों के भावों की पूर्ण
रक्षा की जाय और अनूदित रचना में वही शक्ति हो जो मूल रचना में वर्त्तमान है। यह
काम आसान नहीं है। वास्तव में अनुवादक का कार्य स्वतंत्र लेखक से कहीं अधिक कठिन
है।
अनुवाद की आवश्यकता के निम्नलिखित कारण
हैं :-
No.-1. हिन्दी भाषा में अपने पैरों पर खड़ा होने की
क्षमता उत्पत्र करने के लिए यह आवश्यक है कि संसार की समृद्ध भाषाओं में लिखित
महान् ग्रन्थों का अनुवाद किया जाय। अब तक हमारी दृष्टि अँग्रेजी तक ही सीमित रही, लेकिन
अब हम चीनी, जापानी,
रूसी, जर्मन, फ्रेंच इत्यादि भाषाओं से भी अनुवाद की
सामग्रियाँ लेने लगे हैं। यह शुभ लक्षण है। कोई भी भाषा अनुवादों से परिपुष्ट और
समृद्ध होती है। शब्दों का भांडार बढ़ता है,
\ नये प्रयोग सामने आते हैं और नयी-नयी
शैलियों का जन्म होता है।
No.-2. अनुवाद पाठकों के ज्ञान को भी समृद्ध करता है।
इनसे एक ओर हमारा ज्ञान बढ़ता है और दूसरी ओर हमारी विचारधारा में नये मोड़ जन्म
लेते हैं। इन्हीं अनुवादों के द्वारा हम दूसरे देशों की सभ्यता, संस्कृति, विचार-दृष्टि
और साहित्य से परिचित होते हैं और फिर हम भी उनके धरातल पर पहुँचने की चेष्टा करते
हैं।
अनुवादों से देशों में नव-जागरण आया है, इसके
कई प्रमाण हैं। वेदों और उपनिषदों के अनुवादों से जर्मनी जगी; रूसी, बाल्टेयर
आदि फ्रांसीसी साहित्यकारों के ग्रंथानुवाद से रूस, इंगलैंड इत्यादि देशों में नवचेतना की
लहर आयी और फिर हमारा देश पश्चिमी साहित्य के सम्पर्क में आ कर जागृत हुआ।
अनुवादों से एक ओर देश में राष्ट्रीयता की उमंग आयी और दूसरी ओर राष्ट्रीय एकता का
जन्म हुआ। अतः अनुवाद के प्रयोजन या महत्त्व को हम किसी भी अवस्था में गौण नहीं
मान सकते। इससे हमारा प्रत्यक्ष कल्याण हुआ है।
अनुवाद की विशेषता
No.-3.प्रत्येक भाषा की एक स्वतन्त्र प्रकृति होती है
और उसमें भाव-व्यंजन की कुछ विशिष्ट प्रणालियाँ होती हैं। इसके अतिरिक्त
भित्र-भित्र विषयों के ग्रन्थों में कुछ विशिष्ट प्रकार के भाव तथा शब्द भी होते
हैं। जब हम दूसरी भाषाओं के अवतरण या ग्रन्थों के अनुवाद करते हैं, तब
प्रायः हमें बहुत से नये शब्द गढ़ने पड़ते हैं और बहुत-से पद-प्रकार भी लेने पड़ते
हैं। इस प्रकार के अनुवादों में वे ही अनुवाद श्रेष्ठ समझे जाते हैं जो भाव तथा
विचार को ज्यों-का-त्यों प्रकट करने के अतिरिक्त अपनी भाषा की विशिष्ट प्रकृति का
भी ध्यान रख कर किये जाते हैं। अन्यथा वे सदोष और अग्राह्य होते हैं।
निर्दोष अनुवाद के लिए यह आवश्यक है कि अनुवादक में दो भाषाओं का सम्यक् ज्ञान हो। उसी का अनुवाद अच्छा कहा जायेगा जिसका दोनों भाषाओं पर समान अधिकार होगा और जो उनकी अभिव्यंजना-प्रणाली से भलीभाँति परिचित होगा। यदि ऐसा नहीं होगा तो अनुवाद में त्रुटियाँ रह जायँगी। अँग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करते समय अँग्रेजी और हिन्दी व्याकरण की भित्र-भित्र विशेषताओं को ध्यान में रखना चाहिए।
अनुवाद के प्रकारअनुवाद के तीन प्रकार हैं।
No.-1. शब्दानुवाद या अविकल अनुवाद (Literal translation)
No.-2. भावानुवाद (Faithful translation)
No.-3. स्वतंत्रानुवाद (Free translation)
No.-1. शब्दानुवाद (Literal translation)- यह
मूल भाषा का शाब्दिक अनुवाद हैं।
उदाहरणार्थ- He first went to school in his own village, but while
he was yet very young he went to Calcutta इसका शब्दानुवाद इस प्रकार होगा- 'पहले
वह अपने ही गाँव की पाठशाला में पढ़ने गया। बाद में, जब वह बहुत छोटा ही था, तभी
उसे कलकत्ता पढ़ने जाना पड़ा।' यहाँ 'He
went to Calcutta का सीधा-सादा अनुवाद 'वह
कलकत्ता गया' कर देना ठीक नहीं जँचता क्योंकि यहाँ चर्चा
शिक्षा की हो रही हैं। यहाँ इसका अनुवाद 'पढ़ने जाना पड़ा' लिखना ठीक होगा।
No.-2. भावानुवाद (Faithful translation)- लेखक
के मूल भावों या अर्थों को अपनी भाषा में प्रकट कर देना 'भावानुवाद' है।
अँग्रेजी में इसे 'Faithful translation' कहते हैं। इसमें यह देखना पड़ता है कि मूल भाषा
का एक भी भाव छूटने न पाये। इसकी सफलता इस बात में है कि मूल भाषा के सभी भाव
दूसरी भाषा में रूपान्तरित हो जायँ। यहाँ अनुवादक का ध्यान शब्दों पर न जा कर
विशेष रूप से मूल भाव पर रहता हैं।
यहाँ कुछ अशुद्ध अनुवादों के उदाहरण
दिये जाते हैं :-
अँग्रेजी के शब्द |
अशुद्ध शब्दानुवाद |
शुद्ध भावानुवाद |
Still child |
शान्त बच्चा |
मरा हुआ बच्चा |
Hunger strike |
भूख-हड़ताल |
अनशन |
White ants |
सफेद चींटी |
दीमक |
Trade union |
व्यापार-संघ |
श्रमिक-संघ |
House-breaker |
मकान तोड़ने वाला |
सेंघ मारने वाला |
Coloured race |
रंगीन जाति |
काली जाति |
Scorched earth policy |
घर-फूँक नीति |
सर्वक्षार-निति |
A deed of gift |
दान का कार्य |
दान-पत्र |
A jewel of poet |
कवि का हीरा |
कविरत्न |
The dawn of intellect |
बुद्धि का सबेरा |
ज्ञानोदय |
The fountain of happiness |
सुख की निर्झरणी |
सुख-स्रोत |
An apple of discord |
झगड़ा का सेव |
कलह का मूल कारण |
A man of spirit |
गर्म आदमी |
तेजस्वी पुरुष |
A poet of first water |
पहले पानी का कवि |
उत्कृष्ट कवि |
Man and money |
आदमी और रुपया |
धन-जन |
Heaven and Earth |
स्वर्ग और पृथ्वी |
आकाश-पाताल |
Mind and matter |
मस्तिष्क और पदार्थ |
जड़-चेतन |
Land and task |
हरक्यूलियन कार्य |
भगीरथ-प्रयत्न |
Aboriginal tribes |
पहले की जातियाँ |
आदिम जातियाँ |
A rising poet |
उगता हुआ कवि |
उदीयमान कवि |
Overwhelmed with grief |
दुःख से आच्छादित |
शोकग्रस्त |
Hostile to country |
देश का दुश्मन |
देशद्रोही |
A cock-and-bull story |
कौआ और साँढ़ की कहानी |
नानी की कहानी |
No.-3. स्वतंत्रता (Free translation)- इसे
'छायानुवाद' भी
कहते हैं। मूल भाषा के अर्थ या भाव को समझ कर स्वतंत्र रूप से किये गये अनुवाद को 'स्वतंत्रतानुवाद' कहते
हैं।
अनुवाद के कुछ सामान्य नियम
अँग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करने के
पहले विद्यार्थियों को निम्नलिखित कुछ सामान्य नियमों से अच्छी तरह परिचित हो जाना
चाहिए। फिर इनके आधार पर हिन्दी-अनुवाद का अभ्यास करना चाहिए। अनुवाद की निश्चित
रीति बताना संभव नहीं हैं क्योंकि शब्दों की तरह वाक्यों की रचना भी अनन्त होती
हैं। लेकिन
निम्नलिखित बातों को ध्यान में रख कर अनुवाद का अभ्यास किया जा सकता हैं :-
No.-1. अँग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करते समय अपनी
भाषा की पद-संघटना तथा वाक्य-रचना की रक्षा करनी चाहिए। हिन्दी में पहले कर्त्ता, फिर
कर्म और अन्त में क्रिया-पद आते हैं; जैसे-
An ideal student prepares his
daily lessons .
इसका अनुवाद इस प्रकार होगा- 'आदर्श
छात्र (कर्त्ता) अपने दैनिक पाठ (कर्म) प्रस्तुत करता है (क्रिया)।' अँग्रेजी
की वाक्य-रचना में पहले कर्त्ता, फिर क्रिया और अन्त में कर्म-पद आते हैं।
अनुवाद करते समय दो भाषाओं की वाक्य-रचना के इस अन्तर को अच्छी तरह स्मरण रखना
चाहिए।
No.-2. अनुवाद करते समय मूल भाषा में आये एकाध शब्द को
छोड़ा भी जा सकता हैं। ऐसा करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि मूल वाक्य का पूरा अर्थ
विकृत न होने पाये। उदाहरणार्थ,
It is raining .
It was 6 o'clock in the morning
.
तुकाराम नामक एक सन्त रहते थे।
वर्षा हो रही हैं।
प्रातः काल के छह बजे थे।
No.-4. कभी-कभी ऐसे अवसर और स्थल भी आते हैं जब कि
अँग्रेजी के कई शब्दों का अनुवाद हिन्दी के एक ही शब्द द्वारा हो सकता हैं; जैसे-
He is the black-sheep of our
family .
He had an apology for a meal
.
The old man is at the point
of death .
इन वाक्यों के अनुवाद क्रमशः इस प्रकार
होंगे :-
No.-1.मैं किंकर्त्तव्यविमूढ़ हूँ।
No.-2.वह हमारे वंश का कुलांगार हैं।
No.-3.उसने नाममात्र का भोजन किया।
No.-4.वृद्ध पुरुष मरणासन्न हैं।
No.-5. इसके विपरीत, कभी-कभी अँग्रेजी के शब्द का अनुवाद
हिन्दी के कई शब्दों के प्रयोग द्वारा होता हैं। खास कर अँग्रेजी के मुहावरों और
कहावतों का प्रयोग करते समय हिन्दी में बड़ी सावधानी रखनी पड़ती हैं। उदाहरणार्थ-
He is a turn-coat .
Might is right .
A bad workman quarrels with
his tools .
इसके अनुवाद इस प्रकार होंगे :-
वह बड़ी-बड़ी बातें करता हैं।
वह अपने सिद्धान्तों पर अटल नहीं रहता।
जिसकी लाठी, उसकी
भैंस- हिन्दी मुहावरा।
नाच न जाने आँगन टेढ़।
यहाँ कुछ उदाहरण दिया जा रहा हैं-
Merits and demerits दोष-गुण Sleight
of hand हस्त-कौशल Greed of money घन-लिप्सा
The struggle for existence जीवन-संघर्ष Sailing in the air गगन-विहारी
Dear as life प्राणप्रिय The Iron Age कलियुग A boarding house छात्रावास A
man of rank प्रतिष्ठित पुरुष Absorbed in meditation ध्यान-मग्न Wild with fear भयाकुल
No.-8. हिन्दी-अनुवाद में सबसे बड़ी कठिनाई अँग्रेजी
मुहावरों और कहावतों के रूपान्तर में होती हैं,
क्योंकि अँग्रेजी में इनका अपना अर्थ
होता हैं। हिन्दी और अँग्रेजी की भाषाओं में वही भेद हैं जो भेद दोनों के मुहावरों
में हैं। अतः अँग्रेजी के मुहावरों का अर्थ जाने बिना उनका अनुवाद करना ठीक न
होगा। सच तो यह है कि अँग्रेजी मुहावरों का हिन्दी-रूपान्तर, व्यावहारिक
रूप से, सम्भव भी नहीं हैं। इसलिए यह आवश्यक हैं कि हम
पहले मूल मुहावरों के अर्थ जान लें और फिर अपनी भाषा में उनसे मिलते-जुलते मुहावरे
खोजें।
मुहावरे (Idioms)
The time is up |
समय हो गया। |
He went to the next world |
उसका परलोकवास हो गया। |
He is undone |
उसका सर्वनाश हो गया। |
He saw the light in 1870 |
सन् १८७० में उसका जन्म हुआ। |
He is laughing in the sleeve |
वह मन-ही-मन हँस रहा हैं। |
All things were at sixes and sevens |
सभी चीजें तितर-बितर हो रही थीं। |
He pocketed the insult |
उसने चुपचाप अपमान सहन कर लिया। |
It is really a Herculean task |
यह वास्तव में बड़ा कठिन काम हैं। |
He calls a spade a spade |
वह उचित (यथार्थ) वक्ता हैं। |
I am out of pocket |
मेरा हाथ खाली हैं। |
He moved heaven and earth |
इस काम के लिए उसने आकाश-पाताल एक कर दिया। |
All is well that ends well |
अन्त भला तो सब भला। |
कहावतें (Proverbs)
Many a little makes a nickle |
बूँद-बूँद तालाब भरता हैं। |
To give tit for tat |
मुँहतोड़ जवाब देना; जैसे को
तैसा। |
A bird in hand is worth two in the bush |
नौ नगद न तेरह उधार। |
An idle mans brain is the workshop of the devil |
खाली मन शैतान का अड्डा। |
Birds of the same feather flock together |
चोर-चोर मौसेरे भाई। |
To be pure, everything is pure |
मन चंगा तो कठौती में गंगा। |
As we sow, so we reap |
जैसी करनी, वैसी भरनी। |
Might is right |
जिसकी लाठी उसकी भैंस। |
Distance lends enchantment to the view |
दूर का ढोल सुहावन; घर का जोगी
जोगड़ा बाहर का सिद्ध। |
To cast pearls before swine |
बन्दर के हाथ में नारियल; बन्दर क्या जाने आदी का स्वाद ? |
Where there is a will, there is a way |
जहाँ चाह, तहाँ राह। |
To break a bruised reed |
जले पर नमक छिड़कना। |
It was a nine days wonder |
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात। |
It takes two people to make a quarrel |
एक हाथ से ताली नहीं बजती। |
No.-9. अनुवाद में कभी-कभी वाच्य-परिवर्तन भी किया जा
सकता हैं। कर्मवाच्य का अनुवाद कर्त्तृवाच्य में और कर्त्तृवाच्य का अनुवाद
कर्मवाच्य या भाववाच्य में भी हम कर सकते हैं। वाक्य-रचना में सुन्दरता और प्रवाह
लाने के लिए हम ऐसा करते हैं।
मुझसे चला नहीं जाता- कर्मवाच्य।
उसकी नियुक्ति किरानी के पद पर हुई
हैं।
No.-10.अनुवाद में प्रत्यक्ष वाक्य (Direct Speech) और
परोक्ष वाक्य (Indirect Speech) में भी परस्पर परिवर्तन किये जा सकते हैं। ऐसा
करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हिन्दी में जब सरल वाक्य परोक्ष ढंग से लिखना
होता है तब सर्वनाम, क्रिया या काल को बदलने की जरूरत नहीं होती, केवल
'कि'जोड़
देने से काम चल जाता हैं। अँग्रेजी में ऐसा नहीं होता। अतः छात्रों को परोक्ष
वाक्य का अनुवाद करते समय विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए।
परोक्ष वाक्य- राम ने कहा कि मैं जाता
हूँ।
अँग्रेजी के परोक्ष कथन (Indirect Narration) का हिन्दी अनुवाद प्रत्यक्ष वाक्य में भी आसानी
से किया जा सकता हैं; जैसे :-
He said that he was going
home and would return soon with his family .
इनका अनुवाद इस प्रकार किया जायेगा :-
उन्होंने कहा, ''मैं
घर जा रहा हूँ और शीघ्र ही सपरिवार लौटूँगा।''
एक और उदाहरण लीजिये :-
My father asked me to be
truthful and dutiful, otherwise I would not prosper in life .
मेरे पिता ने कहा- ''तुम्हें
सत्यवादी और कर्त्तव्यपरायण होना चाहिए, नहीं तो तुम जीवन में उन्नति न करोगे।''
हिन्दी में प्रत्यक्ष और परोक्ष
वाक्यों के हिन्दी-अनुवाद में बड़ी गड़बड़ी दिखाई पड़ती हैं। प्रायः लोग अँग्रेजी की
शैली का अंधानुकरण करते हैं। इसके बारे में श्रीयुत रामचन्द्र वर्मा ने ''अच्छी
हिन्दी'' में लिखा हैं- ''अँग्रेजी व्याकरण में कथन के दो भेद
किये गये हैं- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष। हमलोगों ने भी यह तत्त्व ग्रहण कर लिया
हैं। यह हमारे लिए नितान्त निरर्थक तो नहीं हैं; कुछ अंशों में यह उपयोगी भी हैं और
आवश्यक भी। पर बिना समझे-बूझे इनका प्रयोग नहीं होना चाहिए।
अनुवाद का कार्य बड़ा कठिन हैं। इसके
लिए दो भाषाओं का अच्छा ज्ञान होना आवश्यक हैं। अक्सर अँग्रेजी भाषा से अनुवाद के
लिए अवतरण, विश्वविद्यालय के प्रश्न-पत्रों में, दिये
जाते हैं। अँग्रेजी के प्रचलित और व्यावहारिक शब्दों की सूची हम दे चुके हैं।
अनुवाद का अभ्यास करने के पहले विद्यार्थियों को इन शब्द-भांडारों का अध्ययन कर
लेना चाहिए। यहाँ हम अँग्रेजी के कुछ अवतरण अभ्यास के लिए दे रहे हैं। परीक्षा-भवन
में अनुवाद-कार्य करने के पहले इन अवतरणों का हिन्दी-अनुवाद कर लेना अपेक्षित
होगा।
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