No.-1. तत्सम शब्द- हिन्दी भाषा का विकास संस्कृत भाषा से हुआ है। अतः इसी भाषा से सीधे शब्द हिन्दी में आये हैं। इन्हें तत्सम शब्द कहते हैं।
जैसे- नासिका, मुख, सूर्य, चन्द्रमा, रात्रि
आदि।
जैसे- चाँद, सूरज, रात, नाक, मुँह
आदि।
तत्सम |
तद्भव |
तत्सम |
तद्भव |
चन्द्र |
चाँद |
ग्राहक |
गाहक |
मयूर |
मोर |
विद्युत |
बिजली |
वधू |
बहू |
नृत्य |
नाच |
चर्म |
चमड़ा |
गौ |
गाय |
ग्रीष्म |
गर्मी |
अज्ञानी |
अज्ञानी |
अकस्मात् |
अचानक |
अग्नि |
आग |
आलस्य |
आलस |
उज्ज्वल |
उजला |
कर्म |
काम |
नवीन |
नया |
स्वर्ण |
सोना |
शत |
सौ |
श्रंगार |
सिंगार |
सर्प |
साँप |
कूप |
कुआँ |
कोकिल |
कोयल |
मृत्यु |
मौत |
सप्त |
सात |
घृत |
घी |
दधि |
दही |
दुग्ध |
दूध |
धूम्र |
धुआँ |
दन्त |
दाँत |
छिद्र |
छेद |
अमूल्य |
अमोल |
आश्चर्य |
अचरज |
अश्रु |
आँसू |
कर्ण |
कान |
कृषक |
किसान |
ग्राम |
गाँव |
हस्ती |
हाथी |
आम्र |
आम |
मक्षिका |
मक्खी |
शर्कर |
शक्कर |
सत्य |
सच |
हस्त |
हाथ |
हरित |
हरा |
शिर |
सिर |
गृह |
घर |
चूर्ण |
चूरन |
कुम्भकार |
कुम्हार |
कटु |
कड़वा |
नग्न |
नंगा |
भगिनी |
बहिन |
वार्ता |
बात |
भगिनी |
बहिन |
मृत्तिका |
मिट्टी |
पुत्र |
पूत |
कपाट |
किवाड़ |
छत्र |
छाता |
धैर्य |
धीरज |
कर्ण |
कान |
भुजा |
बाँह |
पाद |
पाँव |
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