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Indian General Knowledge

 

No.-1. इन्टरव्यू के इस युग में विद्यार्थियों से विविध विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं। 20वीं शताब्दी में सामान्य ज्ञान (General Knowledge) का महत्व पहले से अधिक बढ़ गया है। लगभग सभी स्पर्धी परीक्षाओं (Competitive Examinations) में इस विषय पर कुछ अंकों के प्रश्न-पत्र दिये जाते हैं।

 ये प्रश्न मौखिक और लिखित दोनों रूपों में होते हैं। विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में भी अब इस विषय को अनिवार्य रूप दिया जा रहा है। विद्यार्थी की योग्यता को परखने का आज यह बहुत बड़ा साधन बन गया है। फलतः सामान्य ज्ञान पर अँगरेजी में ढेर-की-ढेर पुस्तकें प्रकाशित हुई और हो रही हैं। परन्तु हिंदी में इस तरह की पुस्तकों की बहुत कमी हैं।

 नीचे भारतीय सामान्य ज्ञान सम्बन्धी कुछ प्रमुख ज्ञातव्य विषयों का उल्लेख किया जाता है :-

हिन्दू धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय

सनातनी, चार्वाक, वैष्णव, शाक्त, शैव और आर्यसमाजी।

वैष्णव धर्म की दो शाखाएँ

राम शाखा, कृष्ण शाखा।

शैव-धर्म की चार शाखाएँ

कापालिक, कालामुख, पाशुपत, शैव।

धर्म के दस लक्षण

अस्तेय अक्रोध, विद्या, इन्द्रियनिग्रह, दम, धृति, बुद्धि, शुचि, सत्य।

चार धाम

जगन्नाथपुरी, द्वारकापुरी, बदरिकाश्रम, रामेश्वरम्।

सात मोक्षदायक तीर्थस्थान

अयोध्या, अवन्तिका, कांची, कशी, जगन्नाथपुरी, द्वारकापुरी, मथुरा।

हिन्दुओं के कुछ प्रसिद्ध तीर्थस्थान

अयोध्या, काशी, केदारनाथ, कैलाश, गंगोत्री, गंगासागर, गया, चित्रकूट, जम्नोत्री, जगन्नाथपुरी, द्वारकापुरी, पशुपतिनाथ, पुष्कर, प्रयाग, बद्रीनाथ, वृन्दावन, मथुरा, विंध्याचल, रामेश्वर, हरिद्वार।

कुछ प्रमुख यज्ञों के नाम

अश्वमेघ यज्ञ, चातुर्मास्य यज्ञ, नरमेध यज्ञ, पिंडपितृ यज्ञ, पुत्रेष्टि यज्ञ, राजसूय यज्ञ, वाजपेय यज्ञ, सर्वमेध यज्ञ, सोम यज्ञ।

भारतीय व्यक्ति-जीवन के सोलह संस्कार

गर्भाधान, पुंसवन, सीमंत, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकरण, उपनयन, वेदारम्भ, समावर्त्तन, विवाह, गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम और संन्यासाश्रम।

भारतीय जीवन के चार आश्रम

ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्य, वानप्रस्थ और संन्यास।

ईश्वर के दो रूप

सगुण, निर्गुण।

सरस्वती का वाहन

हंस।

सरस्वती का आसन

कमल।

सरस्वती का वाद्ययंत्र

वीणा।

विष्णु का चक्र

सुदर्शन।

विष्णु के प्रहरी

चंड, जय, विजय।

विष्णु की पत्नी

लक्ष्मी।

विष्णु का वाहन

गरुड़।

विष्णु का सारथी

दारुक।

विष्णु का मंत्री

उद्धव।

विष्णु के 24 अवतार

कूर्म, कपिल, कल्कि, कृष्ण, दत्तात्रेय, धन्वंतरि, नरनारायण, नारद, नृसिंह, परशुराम, पृथु, बलराम, ब्रह्मा, बुद्ध, मत्स्य, मोहिनी, यज्ञ, राम, वामन, वाराह, वेदव्यास, हंस, हयग्रीव।

विष्णु के प्रमुख दस अवतार

मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।

लक्ष्मी का वाहन

उल्लू।

शिव की आठ मूर्तियाँ

अग्निमूर्ति (रुद्र), आकाशमूर्ति (भीम), क्षितिमूर्ति (सर्व), चन्द्रमूर्ति (महादेव), जलमूर्ति (भव), यजमानमूर्ति (पशुपति), वायुमूर्ति (उग्र), सूर्यमूर्ति (ईशान) ।

अष्ट भैरवों के नाम

असितांग, काल, क्रोध, चन्द्रचूड़, ताम्रचूड़, महाभैरव, रुद्र, संहार।

शिव के नंदीगण

तुंडी नंदिक भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय भी शिव के गण हैं।

शिव का बाजा

डमरू।

शिव का धनुष

पिनाक।

सात प्रसिद्ध विप

दारद, प्रदीपन, ब्रह्मपुत्र, वत्सनाभ, शौक्लिकेय, सारोष्ट्रिक, सौराष्ट्रिक।

पार्वती का वाहन

सिंह।

कार्तिकेय का वाहन

मोर।

गणेशजी का वाहन

चूहा।

पंच देवियाँ

दुर्गा, राधा, लक्ष्मी, वाणी, शाकंभरी।

सात माताएँ

इन्द्राणी, कौमारी, ब्राह्मी माहेश्वरी चमराड़ा वैष्णवी, वाराही।

नौ कन्याएँ

कल्याणी, कालिका, कुमारी, चंडिका, दुर्गा, त्रिमूर्ति, रोहिणी, शांभवी, सुभद्रा।

नौ शक्तियाँ

इन्द्राणी, कार्तिकी, नारसिंही, ब्रह्माणी, माहेश्वरी, रौद्री, वाराही, वैष्णवी, सर्वमंगला।

दस महाविद्याए

कमला, काली, छिन्नमस्ता, तारा, धूमावती, बगला, भुवनेश्वरी, भैरवी, मातंगी, षोडशी।

ग्यारह देवयोनियाँ

अप्सरा, किन्नर, गंधर्व, गुह्यक, देव, पिशाच, भूत, यक्ष, रक्ष, विद्याधर, सिद्धि।

दस विश्वदेवा

आद्रव, काम, काल, क्रतु, दक्ष, ध्वनि, पुरूरवा, रोचक, वसु, सत्य।

33 देवताओं के स्थान

स्वर्ग- 11, पृथ्वी- 11, अंतरिक्ष- 11

ऋग्वेद के प्रमुख देवता

अग्नि, अयमा, अश्विद्वय, इन्द्र, उशना, उषा, त्रित, त्वष्टा, पर्यन्य, पूषा, मरुत, रुद्र, यम, वसु, वायु, सोम, विष्णु।

पंचदेव कन्या

अहल्या, कुन्ती, तारा, द्रौपदी और मंदोदरी।

ऋग्वेद की कुछ प्रमुख देवियाँ

इन्द्राणी, इला, उषा, पृथिबी, राका, रोदशी, सरस्वती, सुनृता।

इन्द्र की स्त्री

इन्द्राणी।

इन्द्र का पुत्र

जयन्त।

इन्द्र का सारथी

मातलि।

इन्द्र का हाथी

ऐरावत।

इन्द्र को प्रधान

अप्सराएँ अलंबुषा, उर्वशी, घृताची, मेनका, रंभा।

स्वर्ग के वैद्य

अश्विनीकुमार।

कुबेर का सौतेला भाई

रावण।

कुबेर का पुत्र

नलकूबर।

कुबेर की पुरी

अलकापुरी।

कुबेर का विमान

पुष्पक।

कुबेर का ऐश्वर्य

आठ सिद्धियाँ, नव-निधियाँ और सतरह ऋद्धियाँ।

आठ सिद्धियाँ

अणिमा, ईशित्व, गरिमा, प्राकाम्य, प्राप्ति, महिमा, लघिमा, वशित्व।

नौ निधियाँ

कच्छप, खर्व, नद, नील, पद्म, मकर, महापद्म, मुकुन्द, शंख।

कामदेव का वाहन

तोता।

कामदेव के पाँच वाण

उन्मादन, तापन, शोषण, सम्मोहन, स्तंभन।

कामदेव के पाँच पुष्पवाण

अरविन्द, अशोक, अस्त्र, नवमल्लिका, नीलकमल।

कामदेव की पत्नी

रति।

वरुण का वाहन

मकर।

वरुण की पत्नी

वारुणी।

वरुण का पुत्र

अगस्त।

सूर्य की बारह कलाएँ

क्षमा, ज्वालिनी, तापिनी, धारिणी, धूम्रा, बोधिनी, भोगदा, मरीचि, रुचि, विश्वा, सुषुम्णा।

सूर्य के पुत्र

अश्विनीकुमार, कर्ण, यम, शनि, सुग्रीव, मनुवैवस्वत।

सूर्य की कन्या

यमुना।

चन्द्रमा की पत्नी

रोहिणी।

चन्द्रमा का पुत्र

बुध।

चन्द्रमा की सोलह कलाएँ

अंगदा, अमृता, कांति, चन्द्रिका, ज्योत्स्ना, तुष्टि, धृति, प्रीति, पुष्टि, पूर्ण, पूर्णामृता, पूषा, मानदा, रति, शशनी, श्री।

पवन की पत्नी

अंजना।

पवन के पुत्र

भीम, हनुमान।

चौदह यम

धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, यम, काल, सर्वभूतक्षय, औदुभ्बर, दघ्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त।

सात नरक

अवटनिरोधन, क्षारमर्दन, दंदशूक, पर्यावर्त्तन, रक्षोगणभोजन, सूलप्रोत, सूचीमुख।

अष्ट नाग

अनंत, कर्कोटक, कुलीर, तक्षक, पद्म, महापद्म, वासुकी, शंख।

लक्ष्मण की पत्नी

उर्मिला।

शत्रुध्न की पत्नी

श्रुतकीर्ति।

भरत की पत्नी

मांडवी।

रावण की माता

केशिनी।

रावण की स्त्री

मंदोदरी।

रावण का भाई

विभीषण, कुंभकरण।

पाँच पाण्डव

युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव।

द्रोपदी के पाँच पुत्र

प्रतिविध्य, श्रुतसोम, श्रुतकीर्ति, शतानिक, श्रुतक्रमा।

अभिमन्यु की माता

सुभद्रा (अर्जन की दूसरी पत्नी) ।

अभिमन्यु की पत्नी

उत्तरा।

अभिमन्यु का पुत्र

परीक्षित।

भीम की पत्नियाँ

हिडिंबा, बलंधरा।

हिडिम्बा का पुत्र

घटोत्कच।

बलंधरा का पुत्र

सरवग।

आदि कवि

वाल्मीकि।

'महाभारत' के रचयिता

वेदव्यास।

जैनधर्म की दो शाखाएँ

दिगम्बर और श्वेताम्बर।

जैनधर्म के पाँच महाव्रत

अपरिग्रह, अस्तेय, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, सत्य।

बौद्धधर्म के दो सम्प्रदाय

महायान और हीनयान।

बौद्धधर्म के चार आर्य सत्य

दुःख, दुःख-समुदाय, दुःख-निरोध, दुःख-निरोधगामिनी प्रतिपदा।

भगवान बुद्ध की पत्नी

यशोधरा।

भगवान बुद्ध का पुत्र

राहुल।

भगवान बुद्ध के दो प्रसिद्ध शिष्य

मोग्गलायन और आनन्द।

बौद्धधर्म के कुछ प्रसिद्ध तीर्थ-स्थान

कुशीनगर, बोधगया, लुम्बिनी, सारनाथ।

चार वेदों के नाम

ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।

वेदों के चार भाग

संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद्।

चार संहिताएँ

ऋक्-संहिता, यजुःसंहिता, समसंहिता, अथर्वसंहिता।

प्रमुख ब्राह्मण-ग्रन्थ

ऐतरेय, सांख्यायन (ऋग्वेद), पंचविंश (सामवेद), षडविंश (सामवेद), तैत्तिरीय (यजुर्वेद), शतपथ, गोपथ।

छह वेदांग

कल्प, छंद, ज्योतिष, निरुक्त, व्याकरण, शिक्षा।

प्रस्थानत्रयी

उपनिषद् , ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता।

कुछ प्रमुख उपनिषद्

ईश, ऐतरेय, कठ, केन, छांदोग्य, तैत्तिरीय, प्रश्न, बृहदारण्यक, मांडूक्य, मुंडक।

भारतीय षड्दर्शन

मीमांसा, वेदान्त, सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक।

वेदान्त के विभिन्न सम्प्रदाय और उसके आचार्य

शंकर-अद्वैतवाद, मध्वाचार्य-द्वैतवाद, निम्बार्क-द्वैताद्वैतवाद, रामानुज-विशिष्टाद्वैतवाद, वल्लभाचार्य-शुद्धा-द्वैतवाद, श्रीकंठ-शैवविशिष्टाद्वैतवाद।

षड्दर्शनों के आचार्य

मीमांसा-जैमिनी, वेदान्त-शंकर, सांख्य-कपिल, योग-पतंजलि, न्याय-गौतम।

अट्ठारह पुराण

अग्नि, कूर्म, गरुड़, नारद, पद्म, ब्रह्म, ब्रह्म वैवर्त, ब्रह्मांड, भविष्य, भागवत, मत्स्य, मार्कण्डेय, लिंग, वाराह, वामन, विष्णु, शिव, स्कंद। (सबके अन्त में 'पुराण' शब्द लगता है।)

प्रधान स्मृतियाँ

अंगिरा, कात्यायन, दक्ष, नारद, पराशर, पितामह, पुलत्स्य, प्रचेतस, प्रजापति, वृहस्पति, मनु, मरीचि, यम, याज्ञवल्क्य, विश्वामित्र, व्यास, हारीत।

रामचरितमानस के महाकवि

तुलसीदास।

बौद्धों के तीन धर्म-ग्रन्थ

अभिधम्म, पिटक, विनय पिटक, सुत्त पिटक।

दो तरह की कलाएँ

उपयोगी कला, ललित कलाएँ।

छह ललित कलाएँ

काव्यकला, संगीतकला, चित्रकला, मूर्तिकला, वास्तुकला, नृत्यकला।

संगीत-स्वर के तीन भेद

मंद्रस्वर, मध्यस्वर, तारस्वर।

संगीत के छह प्रसिद्ध राग

दीपक, भैरव, मालकोश, मेघ, श्री, हिंडोल।

दो प्रकार के प्रधान नृत्य

ताण्डव, लास्य।

काव्य के दो भेद

श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य।

नायक के चार भेद

धीरोदात्त, धीरोद्धत, धीरललित, धीरप्रशान्त।

नायिका के तीन भेद

स्वकीया, परकीया, सामान्या।

काव्य के नौ रस

श्रृंगार, करुण, वीर, हास्य, भयानक, रौद्र, वीभत्स, शांत, अद्भुत।

श्रृंगार के दो भेद

वियोग श्रृंगार और संयोग श्रृंगार।

हास्य के छह भेद

अहसित, अपहसित, उपहसित, विहसित, स्मित, हसित।

वीर-रस के तीन भेद

दयावीर, दानवीर, युद्धवीर।

तीन प्रकार के अलंकार

शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार।

काव्य के तीन गुण

ओज, प्रसाद और माधुर्य।

हिन्दी कविता के कुछ प्रमुख छन्द

कवित्त, कुण्डलिया, गीति, घनाक्षरी, चौपाई, छप्पय, दोहा, गीतिका, रोला, लावनी, हरिगीतिका, मालिनी, द्रुतविलम्बित इत्यादि।

भारत की प्राचीन भाषाएँ

संस्कृत, पालि, प्राकृत और अपभ्रंश।

भारत की 14 प्रमुख आधुनिक भाषाएँ

असमिया, उड़िया, कन्नड़, गुजराती, तामिल, तेलगु, पंजाबी, बंगला, मराठी, मलयालम, लहंदा, हिन्दी, सिन्धी और उर्दू।

18 प्रकार की विद्याएँ

अथर्ववेद, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद, ऋग्वेद, कल्प, गांधर्ववेद, छन्द, ज्योतिष, धनुर्वेद, धर्मशास्त्र, निरुक्त, न्याय, पुराण, मीमांसा, यजुर्वेद, व्याकरण, शिक्षा, सामवेद।

समय के अनुसार निकलने वाली पत्रिकाओं के नाम

दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक, षाणमासिक।

चार अन्तरिन्द्रियाँ

अहंकार, चित्त, बुद्धि, मन।

पाँच कर्मेन्द्रियाँ

उपस्थ, गुदा, पैर, मुँह, हाथ।

पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ

चक्षु, जिह्या, श्रोत्र, त्वचा, नासिका।

आठ प्रकार के विवाह

आर्ष, आसुर, गान्धर्व, दैव, पिशाच, प्रजापत्य, ब्राह्म, राक्षस।

सात प्रकार की माताएँ

गुरु की पत्नी, गाय, जन्मदात्री, दूध पिलाने वाली दाई, ब्राह्मणी, मातृभूमि, राजपत्नी।

नौ तरह के रत्न

नीलम, पुष्पराग, मरकत, माणिक्य, मूँगा, मोती, वैदूर्य, हीरा, गोमेद।

नवग्रह

केतु, गुरु, चन्द्रमा, बुध, मंगल, राहु, शनि, शुक्र, सूर्य।

बारह प्रमुख राशियाँ

कन्या, कर्क, कुम्भ, तुला, धनु, मकर, मिथुन, मीन, मेष, वृश्चिक, वृष, सिंह।

सप्तर्षि

शतपथ के अनुसार- अत्रि, कश्यप, गौतम, भरद्वाज, यमदग्नि, वशिष्ठ, विश्वामित्र।
महाभारत के अनुसार- अंगिरा, अत्रि, ऋतु, पुलस्त्य, पुलह, मरीचि, वशिष्ठ।

दस दिशाएँ

अग्निकोण, ईशानकोण, पश्चिम, पूर्व, वायुकोण।

दस दिग्पाल

अग्नि, इन्द्र, ईश, कुवेर, नैऋत, ब्रह्मा, यम, वरुण, वायु, शेष।

दिन-रात के आठ पहर

अपराह्न, उत्तराह्न, उषा, त्रियामा, निशीथ, पूर्वाह्न, प्रदोप, मध्याह्न । (एक पहर =3 घंटे)

पाँच प्रकार की वायु

अपान वायु (गुदा), उदान वायु (छाती), प्राण वायु (सिर), व्यान वायु (ह्रदय), समान वायु (नाभि)।

तीन तरह की अग्नियाँ

जठरानल, दावानल, बड़वानल।

तीन कर्म

संचित, प्रारब्ध, क्रियमाण।

उपासना के तीन काण्ड

कर्म, भक्ति और ज्ञान।

तीन गुण

सत्त्व, रजस्, तमस्,

तीन शारीरिक दोष

वात, पित्त और कफ।

तीन देव

ब्रह्मा, विष्णु और महेश।

तीन लोक

स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल।

तीन ऋण

देव-ऋण, ऋषि-ऋण और पितृ-ऋण।

तीन ताप

दैहिक, दैविक और भौतिक।

तीन श्रोता (जीव)

मुक्त, मुमुक्ष, विषयी।

चतुरंगिणी सेना

हाथी, घोड़ा, रथ और पैदल।

चार योनियाँ

यरायुज, अण्डज, स्वदेज, उद्भिज।

चार युग

सत्ययुग, त्रेता , द्वापर और कलियुग।

चार प्रमाण

प्रत्यक्ष, हनुमान, उपमान और शब्द।

चार पुरुषार्थ

धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।

चार वर्ण

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।

चार अवस्थाएँ

जागृति, सुषुप्ति, स्वप्न और समाधि।

चार प्रकार के भक्त

आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी और ज्ञानी।

चार प्रकार के दंड

साम, दाम, दण्ड और भेद।

पंचामृत

दूध, दही, घी, शहद और शक़्कर।

पाँच तत्त्व

पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश।

पाँच जीवन-कोश

अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनन्दमय।

पाँच प्राण

प्राण, अपान, उदान, समान और व्यान।

छह शत्रु

काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य।

 

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