श्री प्रणब मुखर्जी ने भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई, 2012 को शपथ ग्रहण की। राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी पी. ए. संगमा को हराया।
प्रणब मुखर्जी का विवाह बाइस वर्ष की आयु में 13 जुलाई, 1957 को शुभ्रा मुखर्जी के साथ हुआ था। उनके दो बेटे और एक बेटी है।
प्रणब मुखर्जी के पिता एक सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए 10 वर्ष से अधिक समय कारागार में व्यतीत किया। श्री मुखर्जी रोजाना औसत 18 घंटे काम करने के आलावा किताबें पढ़ने, संगीत सुनने का शौक भी रखते हैं।
कुछ समय के लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी को छोड़कर राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। सन् 1989 में राजीव गांधी के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने अपने दल का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया। सन् 1991 से लेकर सन् 1996 तक वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर आसीन रहे। वह नरसिंह राव की सरकार में पहली बार 1995 से 1996 तक विदेश मंत्री बने।
उनके द्वारा वही रास्ता सोनिया गाँधी को दिखाया गया जो श्रीमती इंदिरा गाँधी मुश्किल वक्त में अपनाया करती थी। श्री मुखर्जी हमेशा कांग्रेस पार्टी के लिए संकटमोचक साबित हुए। कई वर्षों का राजनीतिक अनुभव प्रणब तथा उनकी पार्टी को हर समस्या का समाधान ढूंढने में मदद करता रहा।
प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, लड़कियों की साक्षरता और स्वास्थ्य जैसी सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए समुचित धन का प्रावधान किया।
इसके अलावा उन्होंने
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम, बिजलीकरण का विस्तार और जवाहरलाल नेहरू
राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन सरीखी बुनियादी सुविधाओं वाले कार्यक्रमों का भी
विस्तार किया।
वह लम्बे समय के लिए देश की आर्थिक नीतियों को
बनाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में ही भारत
ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम क़िस्त नहीं लेने
का गौरव अर्जित किया। सन् 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के
लिए उन्हें पदम् विभूषण से भी नवाजा गया है।
नामांकन भरने से पहले प्रणब मुखर्जी ने 26
जून, 2012 को केन्द्रीय वित्त मंत्री एवं कांग्रेस
पार्टी से इस्तीफा दे दिया। चुनावों में श्री मुखर्जी को 713,763 वोट
तथा श्री संगमा को 315,987 वोट मिले। वह भारी मतों से विजयी हुए तथा उनका
अगला कदम रायसीना हिल्स (राष्ट्रपति भवन) के लिए पक्का हुआ चुका था।
उन्होंने अपने विजयी भाषा में कहा- ''मैं भारत के लोगों का धन्यवाद करना चाहता हूँ कि उन्होंने मुझे इतने सम्मानीय पद के लिए चुना।
'' लोगों का मेरे लिए स्नेह, लगाव
सराहनीय है। मैंने भारत के लोगों से, संसद से बहुत ज्यादा पाया है जितना मैंने उनका
दिया नहीं है। मुझे संविधान की रक्षा की जिम्मेदारी दी गई है और मैं विश्वास
दिलाता हूँ कि मैं आपका विश्वास जीतने का हमेशा प्रयत्न करूंगा।
No comments:
Post a Comment