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Essay on Independence Day

 

Essay on Independence Day

Introduction

स्वतंत्रता दिवस हमारे देश की आजादी का एक शुभ दिन है। यह दिन 15 अगस्त है। यह हमारे देश के इतिहास का एक पवित्र पर्व है। यह सारे भारत का राष्ट्रीय त्योहार है। इसी दिन हमारा देश अँगरेजों की गुलामी से आजाद हुआ था, भारतमाता स्वतंत्र हुई थी।

 History and importance of Independence day

भारत को अपनी स्वतंत्रता के लिए लगभग 200 वर्षों तक लगातार अँगरेजोंसे संघर्ष करना पड़ा। सबसे पहले सन् 1857 में हमने आजादी की पहली लड़ाई छेड़ी थी। लेकिन, उस समय हममें एकता नहीं थी, इसलिए हमलोग हार गये। देश की आजादी के लिए झाँसी की रानी ने अँगरेजों के दाँत खट्टे किये, सरदार भगत सिंह को फाँसी दी गयी और इस प्रकार न जाने कितने नवयुवकों के प्राण गये।

 अंत में,महात्मा गाँधी ने देश को आजाद कराया। 15 अगस्त, 1947 को अँगरेजोंने देश को पूरी तरह आजाद कर दिया और वे भारत से सदा के लिए विदा हो गये। तब से हमारे देश पर अपने देशवासियों का शासन होने लगा। उसी आजादी की याद में हम हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। इस प्रकार हमारे देश के इतिहास में 15 अगस्त, 1947 का दिन बड़ा महत्त्वपूर्ण समझा जाता है।

 Preparation

15 अगस्त की सुबह प्रभात-फेरी होती है। भारतमाता की जय, गाँधीजी की जय और 15 अगस्त जिंदाबाद के नारों में हमारे मन और प्राण का उत्साह प्रकट हो उठता है। हममें नया जोश उमड़ आता है। सभी सरकारी दफ्तरों, कॉलेजों, स्कूलों और अन्य संस्थाओं में प्रायः 8-9 बजे तक झंडा फहराया जाता है। पुलिस की परेड होती है।

 दिल्ली के लाल किले पर प्रधानमंत्री झंडा फहराते है। फिर, बच्चों को मिठाइयाँ दी जाती है। उस दिन सभी स्कूल, कॉलेज और कार्यालय बंद रहते है। स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर जहाँ-तहाँ गोष्ठियों, कवि-सम्मेलनों और प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है।

 मैदानों में खेल-कूद की व्यवस्था की जाती है। जीतनेवालों को इनाम दिये जाते है। स्कूल और कॉलेजों में देश के महावीरों पर फिल्में दिखायी जाती है। जगह-जगह नेताओं के भाषण होते है। रेडियो एवं दूरदर्शन से नये-नये कार्यक्रम सुनने को मिलते है।

 इस प्रकार, सुबह से रात 10-11 बजे तक स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। उस दिन सभी लोग आपसी भेदभाव भुलाकर गले-गले मिलते हैं। क्या हिंदू, क्या मुसलमान, क्या सिख, क्या पारसी- सभी लोग उस दिन पूरे उत्साह से स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। हमारी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता।

 Epilogue

यह स्वतंत्रता दिवस हमारे हजारों-लाखों बलिदानों की कहानी कहता है। इस दिन हमें गाँधीजी का तप, नेहरू का त्याग, सुभाष की वीरता, भगतसिहं का बलिदान और तिलक-गोखले के स्वाभिमान की अनेक कथाएँ याद आती है। इन महान पुरुषों के सामने हमारे सिर श्रद्धा से अपने-आप झुक जाते हैं। ईश्र्चर करें, इन महापुरुषों का जन्म देश में बार-बार हो!

 

 

 

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