No.-1. पद- वाक्य से अलग रहने पर 'शब्द' और वाक्य में प्रयुक्त हो जाने पर शब्द 'पद' कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में- वाक्य में प्रयुक्त
शब्द पद कहलाता है।
सरल शब्दों में- जब दो या दो से अधिक
पद मिलकर एक पद का कार्य करते हैं तब उन्हें पदबंध कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में- कई पदों के योग से
बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का काम करता है, 'पदबंध' कहते
है।
डॉ० हरदेव बाहरी ने 'पदबन्ध' की
परिभाषा इस प्रकार दी है- वाक्य के उस भाग को,
जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध
होकर अर्थ तो देते हैं, किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते- पदबन्ध या
वाक्यांश कहते हैं।
जैसे-
No.-2. यह लड़की अत्यंत सुशील और परिश्रमी है।
No.-3. नदी बहती चली जा रही है।
No.-4. नदी कल-कल करती हुई बह रही थी।
पदबंध के भेदमुख्य पद के आधार पर पदबंध के पाँच
प्रकार होते हैं-
No.-1. संज्ञा-पदबंध
No.-2. विशेषण-पदबंध
No.-3. सर्वनाम पदबंध
No.-4. क्रिया पदबंध
No.-5. क्रियाविशेषण या अव्यय पदबंध
No.-1. संज्ञा-पदबंध- वह पदबंध जो वाक्य में संज्ञा का
कार्य करे, संज्ञा पदबंध कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- पदबंध का अंतिम अथवा
शीर्ष शब्द यदि संज्ञा हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हो तो वह 'संज्ञा
पदबंध' कहलाता है।
No.-1.चार ताकतवर मजदूर इस भारी चीज को उठा पाए।
No.-2. राम ने लंका के राजा रावण को मार गिराया।
No.-3. अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्र थे।
No.-4. आसमान में उड़ता गुब्बारा फट गया।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'संज्ञा
पदबंध' है।
दूसरे शब्दों में- जब एक से अधिक पद
मिलकर विशेषण पद का कार्य करें, तो उसे विशेषण पदबंध कहा जाता हैं।
No.-1. तेज चलने वाली गाड़ियाँ प्रायः देर से पहुँचती
हैं।
No.-2. उस घर के कोने में बैठा हुआ आदमी जासूस है।
No.-3. उसका घोड़ा अत्यंत सुंदर, फुरतीला
और आज्ञाकारी है।
No.-4. बरगद और पीपल की घनी छाँव से हमें बहुत सुख
मिला।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'विशेषण
पदबंध' है।
No.-3. सर्वनाम पदबंध- वह पदबंध जो वाक्य में सर्वनाम
का कार्य करे, सर्वनाम पदबंध कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- जब कई पद मिलकर
सर्वनाम पद का कार्य करें, तो उसे सर्वनाम पदबंध कहा जाता है।
उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य देखिए-
बिजली-सी फुरती दिखाकर आपने बालक को
डूबने से बचा लिया।
शरारत करने वाले छात्रों में से कुछ
पकड़े गए।
विरोध करने वाले लोगों में से कोई नहीं
बोला।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द
सर्वनाम पदबंध हैं क्योंकि वे क्रमशः 'आपने' 'कुछ' और 'कोई' इन सर्वनाम शब्दों से सम्बद्ध हैं।
दूसरे शब्दों में- जब कई क्रियाएँ
मिलकर एक क्रिया पद का कार्य करें, तो उसे क्रिया पदबंध कहा जाता है।
No.-1. वह बाजार की ओर आया होगा।
No.-2. मुझे मोहन छत से दिखाई दे रहा है।
No.-3.सुरेश नदी में डूब गया।
No.-4. अब दरवाजा खोला जा सकता है।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'क्रिया
पदबंध' है।
No.-5. क्रियाविशेषण या अव्यय पदबंध- वह पदबंध जो
वाक्य में अव्यय का कार्य करे, अव्यय पदबंध कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- जब कई पद मिलकर
क्रियाविशेषण पद का कार्य करते हैं, तो उसे क्रियाविशेषण या अव्यय पदबंध कहा जाता
हैं।
इस पदबंध का अंतिम शब्द अव्यय होता है।
उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य देखिए-
अपने सामान के साथ वह चला गया।
सुबह से शाम तक वह बैठा रहा।
इन वाक्यों में काला छपे शब्द अव्यय
पदबंध हैं।
संज्ञा पदबंध में संज्ञा के पहले
आनेवाले पदबंध प्रायः विशेषण पदबंध ही हुआ करते हैं, इसलिए यदि उन विशेषण पदबंधों को संज्ञा
के साथ मिलाकर लिखा जाए तो वे संज्ञा पदबंध तथा संज्ञा से अलग करके लिखा जाए तो वे
विशेषण पदबंध होते हैं। जैसे-
बेकार बैठनेवाले लोग जीवन में कभी सफल
नहीं होते।
इसमें बेकार बैठनेवाले लोग संज्ञा पदबंध है, जबकि बेकार बैठनेवाले विशेषण पदबंध।
पदबन्ध और उपवाक्य में अन्तरपदबन्ध और उपवाक्य में अन्तर है-
उपवाक्य (Clause) भी
पदबन्ध (Phrase) की तरह पदों का समूह है, लेकिन
इससे केवल आंशिक भाव प्रकट होता है, पूरा नहीं। पदबन्ध में क्रिया नहीं होती, उपवाक्य
में क्रिया रहती है; जैसे-'ज्योंही वह आया, त्योंही मैं चला गया।' यहाँ
'ज्योंही
वह आया' एक उपवाक्य है, जिससे पूर्ण अर्थ की प्रतीति नहीं
होती।
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