यहाँ सीबीएसई 10 वीं हिन्दी-A 2017 के व्याकरण से संबंधित प्रश्नों का उत्तर दिया जा रहा हैं।
खंड - ख
व्यावहारिक व्याकरण
No.-5. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
No.-1. वे उन सब लोगों से मिले, जो
मुझे जानते थे। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर- (सरल वाक्य)- वह मुझे जानने
वाले सभी लोगों से मिले।
No.-2. पंख वाले चींटे या दीमक वर्षा के दिनों में
निकलते हैं। (वाक्य का भेद लिखिए)
उत्तर- सरल वाक्य
No.-3. आषाढ़ की एक सुबह एक मोर ने मल्हार के
मियाऊ-मियाऊ को सुर दिया था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर- (संयुक्त वाक्य)- आषाढ़ की एक
सुबह थी और उस दिन एक मोर ने मल्हार के मियाऊ-मियाऊ को सुर दिया था।
No.-1. फुरसत ने मैना खूब रियाज करती है। (कर्मवाच्य
में)
उत्तर- (कर्मवाच्य)- फुरसत में मैना के
द्वारा खूब रियाज किया जाता है।
No.-2. फाख्ताओं द्वारा गीतों को सुर दिया जाता है।
(कर्तृवाच्य में)
उत्तर- (कर्तृवाच्य)- फाख्ताएँ गीतों को सुर देती हैं।
No.-3. बच्चा साँस नहीं ले प् रहा था। (भाववाच्य में)
उत्तर- (भाववाच्य)- बच्चे से साँस नहीं
ली जा रही थी।
No.-4. दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में एक
साथ कूदा जा रहा था। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर- (कर्तृवाच्य)- दो-तीन पक्षी
अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदे जा रहे थे।
मनुष्य केवल भोजन करने के लिए जीवित
नहीं रहता है, बल्कि वह अपने भीतर की सूक्ष्म इच्छाओं की
तृप्ति भी चाहता है।
उत्तर- मनुष्य- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग
कर्ताकारक।
वह- सर्वनाम, एकवचन, पुरुषवाचक, पुल्लिंग, कर्ताकारक।
सूक्ष्म- विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, गुणवाचक।
चाहता- क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, वर्तमान
काल।
No.-1.उपयुक्त उस खेल को यद्यपि मृत्यु का भी दण्ड है,
पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दण्ड और
प्रचण्ड है।
अतएव कल उस नीच को रण-मध्य जो मारूँ न
मैं,
तो सत्य कहता हूँ कभी शस्त्रास्त्र फिर
धारूँ न मैं।
उत्तर- वीर
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता
पेट पीठ दोनों मिलकर है एक
चल रहा लकुटिया टेक
उत्तर- करुण
No.-2. No.-1. श्रृंगार रस का स्थायी भाव लिखिए।
उत्तर- रति
No.-2. निम्नलिखित काव्यांश में स्थायी भाव क्या हैं?
कब दवै दाँत दूध कै देखौं, कब
तोतैं, मुख बचन झरैं।
कब नंदहिं बाबा कहि बोले, कब
जननी कहि मोहिं ररै।
उत्तर- वात्सल्य
No.-14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए
संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 250 शब्दों में निबन्ध लिखिए।
No.-1. विज्ञापन की दुनिया
विज्ञापन का युग
भ्रमजाल और जानकारी
सामाजिक दायित्व
भ्रष्टाचार क्या हैं?
सामाजिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार
कारण और निवारण
अभ्यास और परिश्रम
जुझारूपन और आत्मविश्वास
धैर्य और जीत का सेहरा
No.-15. अपनी दादी की चित्र-प्रदर्शनी पर अपनी
प्रतिक्रिया लिखते हुए उन्हें बधाई-पत्र लिखिए
नई दिल्ली।
सादर चरण स्पर्श।
आशा करती हूँ कि आप स्वस्थ होंगी। आपके
द्वारा जो प्रदर्शनी लगाई गई थी, वो मुझे बहुत पसन्द आई है। आपने जिन चित्रों का
प्रयोग प्रदर्शनी में किया था, वे बहुत ही आकर्षक एवं मनमोहक थे। दर्शकों
द्वारा उनकी बहुत प्रशंसा की गयी थी। परिवार के सभी सदस्यों द्वारा भी उसकी सराहना
की गई।
आपकी प्यारी पोती
अनीता
जिला शिक्षा अधिकारी,
जोधपुर, (राज)।
रोजगार समाचार दिनांक 16/4/ 2017 के
माध्यम से यह ज्ञात हुआ कि आपके अधीन प्राथमिक शिक्षकों के कुछ स्थान रिक्त हैं
तथा उनके लिए आवेदन-पत्र आमन्त्रित किए गए है। मैं भी इसी पद के लिए अपना
आवेदन-पत्र आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रही हूँ। मेरी शैक्षणिक योग्यताएँ अनुभव तथा
अन्य विवरण निम्नलिखित है।
मैंने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
से 1997 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा भी द्वितीय श्रेणी
से उत्तीर्ण की है।
मैंने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
से ही वर्ष 1995 में हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में
उत्तीर्ण की है।
मैंने राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र
जोधपुर (राज) से बेसिक टीचर कोर्स वर्ष 2002 में सफलतापूर्वक पूरा किया है। (STC) इस
परीक्षा में भी अच्छे अंक प्राप्त किए।
प्रार्थी
अनीता कुमारी
No.-16. निम्नलिखित गद्यांश का शीर्षक लिखकर एक तिहाई
शब्दों में सार लिखिए :
तब इस बात से छोटे बच्चों को परिचित करा देना वांछनीय जान पड़ता है कि नाख़ून का बढ़ना मनुष्य के भीतर की पशुता की निशानी है और उसे नहीं बढ़ने देना मनुष्य की अपनी इच्छा है, अपना आदर्श है। बृहत्तर जीवन में अस्त्र-शस्त्रों को बढ़ने देना मनुष्य की पशुता की निशानी है और उनकी बाढ़ को रोकना मनुष्यत्व का तकाजा।
मनुष्य में जो घृणा है, जो अनायास-बिना सिखाए- आ जाती है, वह पशुत्व का द्योतक है और अपने को संयत रखना दूसरों के मनोभावों का आदर करना मनुष्य का स्वधर्म है। बच्चे यह जाने तो अच्छा हो कि अभ्यास और तप से प्राप्त वस्तुएँ मनुष्य की महिमा को सूचित करती है।
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