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Defination of Paragraph Writing

 


No.-1. किसी एक भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गये सम्बद्ध और लघु वाक्य-समूह को अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।

दूसरे शब्दों में- किसी घटना, दृश्य अथवा विषय को संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित ढंग से जिस लेखन-शैली में प्रस्तुत किया जाता है, उसे अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।

सरल शब्दों में- किसी भी विषय को संक्षिप्त एवं प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने की कला को अनुच्छेद लेखन कहा जाता है।

'अनुच्छेद' शब्द अंग्रेजी भाषा के 'Paragraph' शब्द का हिंदी पर्याय है। अनुच्छेद 'निबंध' का संक्षिप्त रूप होता है। इसमें किसी विषय के किसी एक पक्ष पर 80 से 100 शब्दों में अपने विचार व्यक्त किए जाते हैं।

अनुच्छेद में हर वाक्य मूल विषय से जुड़ा रहता है। अनावश्यक विस्तार के लिए उसमें कोई स्थान नहीं होता। अनुच्छेद में घटना अथवा विषय से सम्बद्ध वर्णन संतुलित तथा अपने आप में पूर्ण होना चाहिए। अनुच्छेद की

भाषा-शैली सजीव एवं प्रभावशाली होनी चाहिए। शब्दों के सही चयन के साथ लोकोक्तियों एवं मुहावरों के समुचित प्रयोग से ही भाषा-शैली में उपर्युक्त गुण आ सकते हैं।

इसका मुख्य कार्य किसी एक विचार को इस तरह लिखना होता है, जिसके सभी वाक्य एक-दूसरे से बंधे होते हैं। एक भी वाक्य अनावश्यक और बेकार नहीं होना चाहिए।

अनुच्छेद लेखन को लघु निबंध भी कहा जा सकता है। इसमें सीमित सुगठित एवं समग्र दृष्टिकोण से किया जाता है। शब्द संख्या सीमित होने के कारण लिखते समय थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए।

निबंध और अनुच्छेद लेखन में मुख्य अंतर यह है कि जहाँ निबंध में प्रत्येक बिंदु को अलग-अलग अनुच्छेद में लिखा जाता है, वहीं अनुच्छेद लेखन में एक ही परिच्छेद (पैराग्राफ) में प्रस्तुत विषय को सीमित शब्दों में प्रस्तुत किया जाता है। इसके अतिरिक्त, निबंध की तरह भूमिका, मध्य भाग एवं उपसंहार जैसा विभाजन अनुच्छेद में करने की आवश्यकता नहीं होती।

कार्य- अनुच्छेद अपने-आप में स्वतन्त्र और पूर्ण होते हैं। अनुच्छेद का मुख्य विचार या भाव की कुंजी या तो आरम्भ में रहती है या अन्त में। उच्च कोटि के अनुच्छेद-लेखन में मुख्य विचार अन्त में दिया जाता है।

 अनुच्छेद लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :

 No.-1. अनुच्छेद लिखने से पहले रूपरेखा, संकेत-बिंदु आदि बनानी चाहिए।

No.-2. अनुच्छेद में विषय के किसी एक ही पक्ष का वर्णन करें।

No.-3. भाषा सरल, स्पष्ट और प्रभावशाली होनी चाहिए।

No.-4. एक ही बात को बार-बार न दोहराएँ।

No.-5. अनावश्यक विस्तार से बचें, लेकिन विषय से न हटें।

No.-6. शब्द-सीमा को ध्यान में रखकर ही अनुच्छेद लिखें।

No.-7. पूरे अनुच्छेद में एकरूपता होनी चाहिए।

No.-8. विषय से संबंधित सूक्ति अथवा कविता की पंक्तियों का प्रयोग भी कर सकते हैं।

 अनुच्छेद की प्रमुख विशेषताएँ
No.-2. अनुच्छेद की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है-

No.-1. अनुच्छेद किसी एक भाव या विचार या तथ्य को एक बार, एक ही स्थान पर व्यक्त करता है। इसमें अन्य विचार नहीं रहते।

No.-2. अनुच्छेद के वाक्य-समूह में उद्देश्य की एकता रहती है। अप्रासंगिक बातों को हटा दिया जाता है।

No.-3. अनुच्छेद के सभी वाक्य एक-दूसरे से गठित और सम्बद्ध होते है।

No.-4. अनुच्छेद एक स्वतन्त्र और पूर्ण रचना है, जिसका कोई भी वाक्य अनावश्यक नहीं होता।

No.-5. उच्च कोटि के अनुच्छेद-लेखन में विचारों को इस क्रम में रखा जाता है कि उनका आरम्भ, मध्य और अन्त आसानी से व्यक्त हो जाय।

No.-6. अनुच्छेद सामान्यतः छोटा होता है, किन्तु इसकी लघुता या विस्तार विषयवस्तु पर निर्भर करता है।

No.-7. अनुच्छेद की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।

यहाँ महत्वपूर्ण अनुच्छेद दिया जा रहा है जो Class 10th CBSE और Bihar Board दोनों विद्यार्थियों के काम आयेंगे।

No.-1. समय किसी के लिए नहीं रुकता पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

'समय' निरंतर बीतता रहता है, कभी किसी के लिए नहीं ठहरता। जो व्यक्ति समय के मोल को पहचानता है, वह अपने जीवन में उन्नति प्राप्त करता है। समय बीत जाने पर कार्य करने से भी फल की प्राप्ति नहीं होती और पश्चात्ताप के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं आता। जो विद्यार्थी सुबह समय पर उठता है, अपने दैनिक कार्य समय पर करता है तथा समय पर सोता है, वही आगे चलकर सफलता व उन्नति प्राप्त करता है। जो व्यक्ति आलस में आकर समय गँवा देता है, उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। संतकवि कबीरदास जी ने भी कहा है :

''काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।

पल में परलै होइगी, बहुरि करेगा कब।।''

समय का एक-एक पल बहुत मूल्यवान है और बीता हुआ पल वापस लौटकर नहीं आता। इसलिए समय का महत्व पहचानकर प्रत्येक विद्यार्थी को नियमित रूप से अध्ययन करना चाहिए और अपने लक्ष्य की प्राप्ति करनी चाहिए। जो समय बीत गया उस पर वर्तमान समय बरबाद न करके आगे की सुध लेना ही बुद्धिमानी है।

 No.-2. अभ्यास का महत्त्व पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

यदि निरंतर अभ्यास किया जाए, तो असाध्य को भी साधा जा सकता है। ईश्वर ने सभी मनुष्यों को बुद्धि दी है। उस बुद्धि का इस्तेमाल तथा अभ्यास करके मनुष्य कुछ भी सीख सकता है। अर्जुन तथा एकलव्य ने निरंतर अभ्यास करके धनुर्विद्या में निपुणता प्राप्त की। उसी प्रकार वरदराज ने, जो कि एक मंदबुद्धि बालक था, निरंतर अभ्यास द्वारा विद्या प्राप्त की और ग्रंथों की रचना की। उन्हीं पर एक प्रसिद्ध कहावत बनी :

''करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।

रसरि आवत जात तें, सिल पर परत निसान।।''

यानी जिस प्रकार रस्सी की रगड़ से कठोर पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं, उसी प्रकार निरंतर अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। यदि विद्यार्थी प्रत्येक विषय का निरंतर अभ्यास करें, तो उन्हें कोई भी विषय कठिन नहीं लगेगा और वे सरलता से उस विषय में कुशलता प्राप्त कर सकेंगे।

 No.-3. विद्यालय की प्रार्थना-सभा पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

प्रत्येक विद्यार्थी के लिए प्रार्थना-सभा बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। प्रत्येक विद्यालय में सबसे पहले प्रार्थना-सभा का आयोजन किया जाता है। इस सभा में सभी विद्यार्थी व अध्यापक-अध्यापिकाओं का सम्मिलित होना अत्यावश्यक होता है। प्रार्थना-सभा केवल ईश्वर का ध्यान करने के लिए ही नहीं होती, बल्कि यह हमें अनुशासन भी सिखाती है।

हमारे विद्यालय की प्रार्थना-सभा में ईश्वर की आराधना के बाद किसी एक कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा किसी विषय पर कविता, दोहे, विचार, भाषण, लघु-नाटिका आदि प्रस्तुत किए जाते हैं व सामान्य ज्ञान पर आधारित जानकारी भी दी जाती है, जिससे सभी विद्यार्थी लाभान्वित होते हैं।

जब कोई त्योहार आता है, तब विशेष प्रार्थना-सभा का आयोजन किया जाता है। प्रधानाचार्या महोदया भी विद्यार्थियों को सभा में संबोधित करती हैं तथा विद्यालय से संबंधित महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ भी करती हैं। प्रत्येक विद्यार्थी को प्रार्थना-सभा में पूर्ण अनुशासनबद्ध होकर विचारों को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। प्रार्थना-सभा का अंत राष्ट्र-गान से होता है। सभी विद्यार्थियों को प्रार्थना-सभा का पूर्ण लाभ उठाना चाहिए व सच्चे, पवित्र मन से इसमें सम्मिलित होना चाहिए।

 No.-4. मीठी बोली का महत्त्व पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

'वाणी' ही मनुष्य को अप्रिय व प्रिय बनाती है। यदि मनुष्य मीठी वाणी बोले, तो वह सबका प्यारा बन जाता है और उसमें अनेक गुण होते हुए भी यदि उसकी बोली मीठी नहीं है, तो उसे कोई पसंद नहीं करता। इस तथ्य को कोयल और कौए के उदाहरण द्वारा सबसे भली प्रकार से समझा जा सकता है। दोनों देखने में समान होते हैं, परंतु कौए की कर्कश आवाज और कोयल की मधुर बोली दोनों की अलग-अलग पहचान बनाती है, इसलिए कौआ सबको अप्रिय और कोयल सबको प्रिय लगती है।

''कौए की कर्कश आवाज और कोयल की मधुर वाणी सुन।

सभी जान जाते हैं, दोनों के गुण।।''

मनुष्य अपनी मधुर वाणी से शत्रु को भी अपना बना सकता है। ऐसा व्यक्ति समाज में बहुत आदर पाता है। विद्वानों व कवियों ने भी मधुर वचन को औषधि के समान कहा है। मधुर बोली सुनने वाले व बोलने वाले दोनों के मन को शांति मिलती है। इससे समाज में प्रेम व भाईचारे का वातावरण बनता है। अतः सभी को मीठी बोली बोलनी चाहिए तथा अहंकार व क्रोध का त्याग करना चाहिए।

No.-5. रेलवे प्लेटफार्म पर आधा घण्टा पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

रेलवे स्टेशन एक अद्भुत स्थान है। यहाँ दूर-दूर से यात्रियों को लेकर गाड़ियाँ आती है और अन्य यात्रियों को लेकर चली जाती है। एक प्रकार से रेलवे स्टेशन यात्रियों का मिलन-स्थल है। अभी कुछ दिन पूर्व मैं अपने मित्र की अगवानी करने स्टेशन पर गया। प्लेटफार्म टिकट लेकर मैं स्टेशन के अंदर चला गया।

प्लेटफार्म नं. 3 पर गाड़ी को आकर रुकना था। मैं लगभग आधा घण्टा पहले पहुँच गया था, अतः वहाँ प्रतीक्षा करने के अतिरिक्त कोई चारा न था। मैंने देखा कि प्लेटफार्म पर काफी भीड़ थी। लोग बड़ी तेजी से आ-जा रहे थे। कुली यात्रियों के साथ चलते हुए सामान को इधर-उधर पहुँचा रहे थे। पुस्तकों और पत्रिकाओं में रुचि रखने वाले कुछ लोग बुक-स्टाल पर खड़े थे, पर अधिकांश लोग टहल रहे थे। कुछ लोग राजनीतिक विषयों पर गरमागरम बहस में लीन थे। चाय वाला 'चाय-चाय' की आवाज लगाता हुआ घूम रहा था। कुछ लोग उससे चाय लेकर पी रहे थे। पूरी-सब्जी की रेढ़ी के इर्द-गिर्द भी लोग जमा थे। महिलाएँ प्रायः अपने सामान के पास ही बैठी थीं। बीच-बीच में उद्घोषक की आवाज सुनाई दे जाती थी। तभी उद्घोषणा हुई कि प्लेटफार्म न. 3 पर गाड़ी पहुँचने वाली है।

चढ़ने वाले यात्री अपना-अपना सामान सँभाल कर तैयार हो गए। कुछ ही क्षणों में गाड़ी वहाँ आ पहुँची। सारे प्लेटफार्म पर हलचल-सी मच गई। गाड़ी से जाने वाले लोग लपककर चढ़ने की कोशिश करने लगे। उतरने वाले यात्रियों को इससे कठिनाई हुई। कुछ समय बाद यह धक्कामुक्की समाप्त हो गई। मेरा मित्र तब तक गाड़ी से उतर आया था। उसे लेकर मैं घर की ओर चल दिया।

 

No.-6. मित्र के जन्म दिन का उत्सव पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

मेरे मित्र रोहित का जन्म-दिन था। उसने अन्य लोगों के साथ मुझे भी बुलाया। रोहित के कुछ रिश्तेदार भी आए हुए थे, किन्तु अधिकतर मित्र ही उपस्थित थे। घर के आँगन में ही समारोह का आयोजन किया गया था। उस स्थान को सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया गया था। झण्डियाँ और गुब्बारे टाँगे गए थे। आँगन में लगे एक पेड़ पर रंग-बिरंगे बल्ब जगमग कर रहे थे। जब मैं पहुँचा तो मेहमान आने शुरू ही हुए थे। मेहमान रोहित के लिए कोई-न-कोई उपहार लेकर आते; उसके निकट जाकर बधाई देते; रोहित उनका धन्यवाद करता। क्रमशः लोग छोटी-छोटी टोलियों में बैठकर गपशप करने लगे। संगीत की मधुर ध्वनियाँ गूँज रही थीं। एक-दो मित्र उठकर नृत्य की मुद्रा में थिरकने लगे। कुछ मित्र उस लय में अपनी तालियों का योगदान देने लगे। चारों ओर उल्लास का वातावरण था।

सात बजे के लगभग केक काटा गया। सब मित्रों ने तालियाँ बजाई और मिलकर बधाई का गीत गाया। माँ ने रोहित को केक खिलाया। अन्य लोगों ने भी केक खाया। फिर सभी खाना खाने लगे। खाने में अनेक प्रकार की मिठाइयाँ और नमकीन थे। चुटकुले कहते-सुनते और बातें करते काफी देर हो गई। तब हमने रोहित को एक बार फिर बधाई दी, उसकी दीर्घायु की कामना की और अपने-अपने घर को चल दिए। वह कार्यक्रम इतना अच्छा था कि अब भी स्मरण हो आता है।

 No.-7. जीवन संघर्ष है, स्वप्न नहीं पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम हैं।

जीवन गतिशील एवं बाधाओं से पूर्ण हैं।

स्वप्न असत्य, जबकि जीवन सत्य

मनुष्य का जीवन वास्तव में सुख-दुःख, आशा-निराशा, ख़ुशी-दर्द आदि का मिश्रण है। यह न तो केवल फूलों की सेज है और न ही काँटों का ताज। वस्तुतः जीवन एक अनवरत संघर्ष का नाम है।

जीवन की तुलना एक प्रवाहमान नदी से की जा सकती है। जिस प्रकार एक सरिता अविरल बहती रहती है, समुद्र में लहरे सदा गतिशील रहती हैं, वायु एक क्षण के लिए भी नहीं रुकती, सूर्य, चन्द्रमा, तारे सभी अपने-अपने नियत समय पर उदित एवं अस्त होते हैं, ठीक उसी प्रकार जीवन की गति भी अविरल है। समय के साथ-साथ आगे बढ़ते रहने की प्रबल मानवीय लालसा ही जीवन है।

इस अविरल गति से प्रवाहमान जीवन में अनेक ऊँचे-नीचे रास्ते आते हैं, अनेक बाधाएँ आती हैं। इन्हीं बाधाओं से संघर्ष करते हुए जीवन आगे बढ़ता रहता है। यही कर्म है, यही सत्य है। जीवन में आने वाली बाधाओं से घबराकर रुक जाने वाला या पीछे हट जाने वाला व्यक्ति भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। जीवन सत्य हैं, जबकि स्वप्न असत्य। स्वप्न काल्पनिक है, अयथार्थ है। स्वप्न का महत्त्व केवल वहीं तक है, जहाँ तक वह मनुष्य के जीवन को आगे बढ़ाने में प्रेरक है। मनुष्य स्वप्न के माध्यम से ही ऐसी कल्पनाएँ करता है, जो अयथार्थ होती हैं, लेकिन उस काल्पनिक लोक को वह अपने परिश्रम, उमंग एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से यथार्थ में, वास्तविकता में परिवर्तित कर देता है। वास्तविक जीवन एक कर्तव्य पथ है, जिसके मार्ग में अनेक शूल बिखरे पड़े हैं, लेकिन मनुष्य की इच्छाशक्ति या दृढ़ संकल्प उन बाधाओं और काँटों की परवाह नहीं करता और उन्हें रौंदकर आगे निकल जाता हैं।

जीवन संघर्ष की लंबी साधना है। यह संघर्ष तब तक बना रहता है, जब तक मनुष्य के शरीर में साँस चलती रहती है, संघर्ष से बचा नहीं जा सकता।

 No.-8. कंप्यूटर:आज की जरूरत पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

कंप्यूटर का परिचय

कंप्यूटर से होने वाली हानियाँ

कंप्यूटर की उपयोगिता

कंप्यूटर वास्तव में, विज्ञान द्वारा विकसित एक ऐसा यंत्र है, जो कुछ ही क्षणों में लाखों-करोड़ों गणनाएँ कर सकता है। कंप्यूटर ने मानव जीवन को बहुत सरल बना दिया है। कंप्यूटर द्वारा रेलवे टिकटों की बुकिंग बहुत आसान और समय बचाने वाली हो गई है। आज किसी भी बीमारी की जाँच करने, स्वास्थ्य का पूरा परीक्षण करने, रक्त-चाप एवं ह्रदय गति आदि मापने में इसका भरपूर प्रयोग किया जा रहा है। रक्षा क्षेत्र में प्रयुक्त उपकरणों में कंप्यूटर का बेहतर प्रयोग उन्हें और भी उपयोगी बना रहा है। आज हवाई यात्रा में सुरक्षा का मामला हो या यान उड़ाने की प्रक्रिया, कंप्यूटर के कारण सभी जटिल कार्य सरल एवं सुगम हो गए हैं। संगीत हो या फ़िल्म, कंप्यूटर की मदद से इनकी गुणवत्ता को सुधारने में बहुत मदद मिली है। कंप्यूटर से कुछ हानियाँ भी हैं। कंप्यूटर पर आश्रित होकर मनुष्य आलसी प्रवृत्ति का बनता जा रहा है। कंप्यूटर के कारण बच्चे आजकल घर के बाहर खेलों में रुचि नहीं लेते और इस पर गेम खेलते रहते हैं। इस कारण उनका शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता। कंप्यूटर आज जीवन की आवश्यकता बन गया है। अतः इसका सही ढंग से प्रयोग कर हम अपने जीवन में प्रगति कर सकते हैं।

No.-9. ग्लोबल वार्मिंग पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

ग्लोबल वार्मिंग क्या है तथा कैसे होती हैं ?

दुष्परिणाम

बचाव तथा उपसंहार

वैश्विक तापमान यानी ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। इससे न केवल मनुष्य, बल्कि पृथ्वी पर रहने वाला प्रत्येक प्राणी त्रस्त है। 'ग्लोबल वार्मिंग' शब्द का अर्थ है' संपूर्ण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होना।' हमारी पृथ्वी पर वायुमंडल की एक परत है, जो विभिन्न गैसों से मिलकर बनी है, जिसे ओजोन परत कहते हैं। ये ओजोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी तथा अन्य हानिकारक किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है। मानवीय क्रियाओं द्वारा ओजोन परत में छिद्र हो जाने के कारण सूर्य की हानिकारक किरणें पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर रही हैं।

परिणामस्वरूप पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई समुद्री तथा पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतुओं की प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा छाया हुआ है, साथ ही मनुष्यों को भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यदि समय रहते ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के उपाय नहीं किए, तो हमारी पृथ्वी जीवन के योग्य नहीं रह जाएगी। इसे रोकने के लिए हमें प्रदूषण को कम करना होगा। साथ ही कार्बन डाइ-ऑक्साइड सहित अन्य गैसों के उत्सर्जन में कमी तथा वृक्षारोपण को बढ़ावा देना होगा, जिससे प्रकृति में पर्यावरण संबंधी संतुलन बना रहे।

No.-10. विज्ञापन की बढ़ती हुई लोकप्रियता पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

विज्ञापन की आवश्यकता

विज्ञापनों से होने वाले लाभ

विज्ञापनों से होने वाली हानियाँ

आज के युग को विज्ञापनों का युग कहा जा सकता है। आज सभी जगह विज्ञापन-ही-विज्ञापन नजर आते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ एवं उत्पादक अपने उत्पाद एवं सेवा से संबंधित लुभावने विज्ञापन देकर उसे लोकप्रियता बनाने का हर संभव प्रयास करते हैं। किसी नए उत्पाद के विषय में जानकारी देने, उसकी विशेषता एवं प्राप्ति स्थान आदि बताने के लिए विज्ञापन की आवश्यकता पड़ती है। विज्ञापनों के द्वारा किसी भी सूचना तथा उत्पाद की जानकारी, पूर्व में प्रचलित किसी उत्पाद में आने वाले बदलाव आदि की जानकारी सामान्य जनता को दी जा सकती है।

विज्ञापन का उद्देश्य जनता को किसी भी उत्पाद एवं सेवा की सही सूचना देना है, लेकिन आज विज्ञापनों में अपने उत्पाद को सर्वोत्तम तथा दूसरों के उत्पादों को निकृष्ट कोटि का बताया जाता है। आजकल के विज्ञापन भ्रामक होते हैं तथा मनुष्य को अनावश्यक खरीदारी करने के लिए प्रेरित करते हैं। अतः विज्ञापनों का यह दायित्व बनता है कि वे ग्राहकों को लुभावने दृश्य दिखाकर गुमराह नहीं करें, बल्कि अपने उत्पाद के सही गुणों से परिचित कराएँ। तभी उचित सामान ग्राहकों तक पहुँचेगा और विज्ञापन अपने लक्ष्य में सफल होगा।

No.-11. साहित्य का महत्त्व पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

साहित्य का सामर्थ्य

देश की वास्तविक स्थिति का सजीव चित्रण

साहित्यकारों द्वारा संस्कृति व सभ्यता को बचाने में योगदान

साहित्य सोते हुए मनुष्य को भी जागृत करने का सामर्थ्य रखता है। साहित्य कमजोर एवं शोषितों को उत्साहित करने का कार्य करता है। यह साहित्य ही है, जिसने कई बार हारी हुई लड़ाइयों को भी जीतने में मदद की है। कहा भी गया है कि 'साहित्य समाज का दर्पण' होता है। साहित्य देश की वास्तविक स्थिति का सजीव चित्रण करता है, जिससे प्रभावित होकर समाज के जागरूक लोग सामाजिक बुराइयों को पहचानकर, उनका कारण समझकर तथा उन्हें मिटाने के तरीके ढूँढ़कर उन्हें समाप्त कर देते हैं। जिस समय भारतीय संस्कृति और सभ्यता को दुष्प्रभावित करने का षड्यंत्र किया जा रहा था, उस समय कबीरदास, तुलसीदास, भूषण, प्रेमचंद, रामधारी सिंह 'दिनकर' आदि साहित्यकारों ने जनता को अपनी रचनाओं के माध्यम से शिक्षित एवं संवेदनशील बनाने का कार्य किया। राष्ट्रीयता एवं मानवीय मूल्यों की रक्षा करने में अनेक साहित्यकारों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा हैं। साहित्यकारों ने अपने राष्ट्रीय एवं नैतिक दायित्व को पहचाना तथा उसी के अनुसार कार्य किया। इस प्रकार कह सकते हैं कि साहित्यकार का सामाजिक उत्तरदायित्व होता है। समाज के हित की दृष्टि से लिखा गया साहित्य ही श्रेष्ठ साहित्य कहा जा सकता है।

No.-12.  आधुनिक जीवन में मोबाइल पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

वर्तमान समय में मोबाइल की महत्ता

मोबाइल फोन द्वारा प्राप्त होने वाली सुविधाएँ

मोबाइल फोन से होने वाले नुकसान

मोबाइल आज विश्व में क्रांति का वाहक बन गया है। बिना तारों वाला मोबाइल फोन जगह-जगह लगे ऊँचे टॉवरों से तरंगों को ग्रहण करते हुए मनुष्य को दुनिया के प्रत्येक कोने से जोड़े रहता है।

मोबाइल फोन सेवा प्रदान करने के लिए विभिन्न टेलीफोन कंपनियाँ अपनी-अपनी सेवाएँ देती हैं। मोबाइल फोन बात करने, एसएमएस की सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के खेल, कैलकुलेटर, फोनबुक की सुविधा, समाचार, चुटकुले, इंटरनेट सेवा आदि भी उपलब्ध कराता है। अनेक मोबाइल फोनों में इंटरनेट की सुविधा भी होती है, जिससे ई-मेल भी किया जा सकता है। मोबाइल फोन सुविधाजनक होने के साथ ही नुकसानदायक भी है।

मोबाइल फोन का सबसे बड़ा दोष यह है कि यह समय-असमय बजता ही रहता है। लोग सुरक्षा और शिष्टाचार भूल जाते हैं। अकसर लोग गाड़ी चलाते समय भी फोन पर बात करते हैं, जो असुरक्षित ही नहीं, बल्कि कानूनन अपराध भी है। अपराधी एवं असामाजिक तत्त्व मोबाइल का गलत प्रयोग अनेक प्रकार के अवांछित कार्यों में करते हैं। इसके अधिक प्रयोग से कानों व हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः इन खतरों से सावधान होना आवश्यक है।

 No.-13. ई-कचरा पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

ई-कचरा से तात्पर्य

चिंता का कारण

निपटान के उपाय

ई-कचरा आधुनिक समय की एक गंभीर समस्या है। वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है। इसके फ़लस्वरुप आज नित नए-नए उन्नत तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का उत्पादन हो रहा है। जैसे ही बाजार में उन्नत तकनीक वाला उत्पाद आता है, वैसे ही पुराने यंत्र बेकार पड़ जाते हैं। इसी का नतीजा है कि आज कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, टीवी, रेडियो, प्रिंटर, आई-पोड्स आदि के रूप में ई-कचरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार एक वर्ष में पूरे विश्व में लगभग 50 मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न होता है। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि ई-कचरे का निपटान उस दर से नहीं हो पा रहा है, जितनी तेजी से यह पैदा हो रहा है। ई-कचरे को डालने या खुले में जलाने से पर्यावरण के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों में आर्सेनिक, कोबाल्ट, मरकरी, बेरियम, लिथियम, कॉपर, क्रोम, लेड आदि हानिकारक अवयव होते हैं। इनसे कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया हैं।

अब समय आ गया है कि ई-कचरे के उचित निपटान और पुनः चक्रण पर ध्यान दिया जाए अन्यथा पूरी दुनिया शीघ्र ही ई-कचरे का ढेर बन जाएगी। इसके लिए विकसित देशों को आगे आना होगा और विकासशील देशों के साथ अपनी तकनीकों को साझा करना होगा, क्योंकि विकसित देशों में ही ई-कचरे का उत्पादन अधिक होता है और वे जब-तब चोरी-छिपे विकासशील देशों में उसे भेजते रहते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एक होना होगा।

No.-14.  मेरे जीवन का लक्ष्य पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

जीवन में लक्ष्य की आवश्यकता

लक्ष्य क्यों हैं ?

आपका लक्ष्य क्या है ?

बनकर क्या करेंगे ?

जीवन में निश्चित सफलता के लिए एक निश्चित लक्ष्य का होना भी अत्यंत आवश्यक है। जिस तरह निश्चित गंतव्य तय किए बिना, चलते रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता, उसी तरह लक्ष्य विहीन जीवन भी निरर्थक होता हैं।

एक व्यक्ति को अपनी योग्यता एवं रुचि के अनुरूप अपने लक्ष्य का चयन करना चाहिए। जहाँ तक मेरे जीवन के लक्ष्य की बात है, तो मुझे बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक रहा है, इसलिए मैं एक शिक्षक बनना चाहता हूँ। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करती है और इस प्रक्रिया में शिक्षक की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती है।

मैं शिक्षक बनकर समाज हित में ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति प्राप्त करना चाहूँगा, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे एवं समर्पित शिक्षकों का अभाव हैं। एक आदर्श शिक्षक के रूप में मैं धार्मिक कट्टरता, प्राइवेट ट्यूशन, नशाखोरी आदि से बचाने हेतु सभी छात्रों का उचित मार्गदर्शन करूँगा। मैं सही समय पर विद्यालय जाऊँगा और अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से करूँगा। शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए सहायक साम्रगियों का भरपूर प्रयोग करूँगा, साथ ही छात्रों को हमेशा अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करूँगा। छात्रों पर नियंत्रण रखने के लिए शौक्षणिक मनोविज्ञान का अच्छा ज्ञान प्राप्त करूँगा। मुझे आज के समाज की आवश्यकताओं का ज्ञान है, इसलिए मैं इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु छात्रों को उनके नैतिक कर्तव्यों का ज्ञान कराऊँगा। अतः मेरे जीवन का लक्ष्य होगा आदर्श शिक्षक बनकर समाज की सेवा करना तथा देश के विकास में योगदान देना।

No.-15. गया समय फिर हाथ नहीं आता पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

समय ही जीवन है

समय का सदुपयोग

समय के दुरुपयोग से हानि

महापुरुषों ने कहा है, ''समय बहुत मूलयवान है। एक बार निकल जाने पर यह कभी वापस नहीं आता।'' वास्तव में, समय ही जीवन है। इसकी गति को रोकना असंभव है। संसार में अनेक उदाहरण हैं, जो समय की महत्ता को प्रमाणित करते हैं। जिसने समय के मूल्य को नहीं पहचाना, वह हमेशा पछताया है। इसके महत्त्व को पहचानकर इसका सदुपयोग करने वाले व्यक्तियों ने अपने जीवन में लगातार सफलता प्राप्त की। जो व्यक्ति समय मिलने पर भी अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाते, वे जीवन में असफल रहते हैं।

जो विद्यार्थी पूरे वर्ष पढ़ाई नहीं करते, वे फेल होने पर पछताते हैं। तब यह उक्ति कि 'अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत' चरितार्थ होती है। विद्यार्थी को समय का मूल्य पहचानते हुए हर पल का सदुपयोग करना चाहिए, क्योंकि जो समय को नष्ट करता है, एक दिन समय उसे नष्ट कर देता है। महान पुरुषों ने समय का सदुपयोग किया और अपने जीवन में सफल हुए। स्वामी दयानंद, महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, मदर टेरेसा आदि इसके ज्वलंत प्रमाण हैं। अतः हमें समय की महत्ता को समझते हुए इसका सदुपयोग करना चाहिए।

No.-16.  आज की बचत कल का सुख पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

बचत का अर्थ एवं स्वरूप

दुःखदायक स्थितियों में बचत का महत्त्व

वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित करना

वर्तमान आय का वह हिस्सा, जो तत्काल व्यय (खर्च) नहीं किया गया और भविष्य के लिए सुरक्षित कर लिया गया 'बचत' कहलाता है। पैसा सब कुछ नहीं रहा, परंतु इसकी जरूरत हमेशा सबको रहती है। आज हर तरफ पैसों का बोलबाला है, क्योंकि पैसों के बिना कुछ भी नहीं।

आज जिंदगी और परिवार चलाने के लिए पैसे की ही अहम भूमिका होती है। आज के समय में पैसा कमाना जितना मुश्किल है, उससे कहीं अधिक कठिन है। पैसे को अपने भविष्य के लिए सुरक्षित बचाकर रखना, क्योंकि अनाप-शनाप खर्च और बढ़ती महँगाई के अनुपात में कमाई के स्रोतों में कमी होती जा रही है, इसलिए हमारी आज की बचत ही कल हमारे भविष्य को सुखी और समृद्ध बना सकने में अहम भूमिका निभाएगी।

जीवन में अनेक बार ऐसे अवसर आ जाते हैं, जैसे आकस्मिक दुर्घटनाएँ हो जाती हैं, रोग या अन्य शारीरिक पीड़ाएँ घेर लेती हैं, तब हमें पैसों की बहुत आवश्यकता होती है। यदि पहले से बचत न की गई तो विपत्ति के समय हमें दूसरों के आगे हाथ फैलाने पड़ सकते हैं।

हमारी आज की छोटी-छोटी बचत या धन निवेश ही हमें भविष्य में आने वाले तमाम खर्चों का मुफ़्त समाधान कर देती हैं। आज की थोड़ी-सी समझदारी आने वाले भविष्य को सुखद बना सकती है। बचत करना एक अच्छी आदत है, जो हमारे वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के लिए भी लाभदायक सिद्ध होती है। किसी जरूरत या आकस्मिक समस्या के आ जाने पर बचाया गया पैसा ही हमारे काम आता है। संक्षेप में कह सकते हैं कि बचत करके हम अपने भविष्य को सँवार सकते हैं।

No.-17. स्वास्थ्य की रक्षा पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

आवश्यकता

पोषक भोजन

लाभकारी सुझाव

वर्तमान समय में प्रत्येक मनुष्य की जीवन-शैली इतनी भागदौड़ से भर गई है कि वे अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर पाने में असमर्थ हो चुके हैं। जहाँ पहले के समय में व्यक्ति की औसत आयु 75 वर्ष थी, वह आज घटकर 60 वर्ष हो गई है। स्वास्थ्य की रक्षा बहुत ही आवश्यक है। खराब स्वास्थ्य के साथ व्यक्ति कोई भी कार्य उचित तौर-तरीके से नहीं कर पाता है। प्रत्येक व्यक्ति को आधारभूत वस्तुओं का संचय करने के लिए स्वस्थ रहने की आवश्यकता है। कहा जाता है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है, इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा हमारे लिए आवश्यक है। स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पोषक भोजन लेना अति आवश्यक है।

हरी सब्जियाँ, दूध, दही, फल आदि का सेवन हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हुए हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करता है। आजकल जंकफूड और फास्ट फूड का प्रचलन अपने चरम पर है। इसकी चपेट में लाखों लोग आ चुके हैं और इसी कारण वे अपना स्वास्थ्य खराब कर चुके हैं।

जकल के बच्चों को मोटापा, सुस्ती व भिन्न-भिन्न प्रकार की बीमारियों ने जकड़ लिया है। हमें जंक फूड एवं फास्ट-फूड से दूरी बनाते हुए पौष्टिक आहार लेने चाहिए, जिससे हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए, अपने और दूसरों के जीवन को खुशियाँ प्रदान कर सकें।

No.-18. जंगल की सुरक्षा पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

सुरक्षा से अभिप्राय

सुरक्षा से लाभ

हानि

हमारी भूमिका

No.-1. सुरक्षा से अभिप्राय- जंगल की सुरक्षा का अभिप्राय है, जंगल में निवास करने वाले जानवरों, पक्षियों, पेड़, पौधे, उनपर आर्थिक रूप से निर्भर रहने वाले प्राणियों की सुरक्षा। जंगल की सुरक्षा में जंगल में निवास करने वाले सभी प्राणी द्वारा स्थापित पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा निहित है। जंगल की सुरक्षा के कारण ही विभिन प्रकार के जीवधारियों के बीच खाद्य शृंखला या भोजन शृंखला का निरंतर प्रवाह होता रहता है।

No.-2. सुरक्षा से लाभ- मानव जाति के अस्तित्व के लिए जंगल की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक हैं। वातावरण को शुद्ध करने, जलवायु नियंत्रण में सहायता, प्राकृतिक वाटरशेड के रूप में कार्य करने और कई लोगों के लिए आजीविका का एक स्रोत है। कई लाइलाज बीमारियों के ओषधियों के लिए हम प्राचीन समय से जंगलों पर निर्भर रहते आ रहे हैं।

No.-3. जंगल के कटाई से हानि- जनसंख्या विस्फोट के कारण निवास के लिए भूमि कम पड़ रही है। इसलिए वनों की कटाई होती है। जंगलों की कमी होने से धरती पर कई नदियां सुख गई है और कई नदियों में पानी कम हो गया है। जल संकट की समस्या भीषण हो सकती है।ग्लोबल वार्मिंग का संकट और बढ़ सकता है। जंगलो की कमी से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने के खतरा रहता है।

No.-4. हमारी भूमिका- जंगलों की सुरक्षा में ही हमारी सुरक्षा निहित है। जंगलों को पुनः स्थापित करने हेतु हम सबको मिलकर अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए। जंगलों को काटने से बचना चाहिए और उनके संरक्षण हेतु राष्ट्रीय नीतियों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करना चाहिए।

यहाँ महत्वपूर्ण अनुच्छेद दिया जा रहा है जो Class 10th CBSE और Bihar Board दोनों विद्यार्थियों के काम आयेंगे।

No.-19. कैसे बदलेगी फुटपाथ की दुनिया पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

फुटपाथ क्या है

फुटपाथ की समस्या

हमारी भूमिका

बदलाव के लिए सुझाव

No.-1. फुटपाथ क्या है- फुटपाथ सडक के किनारे पैदल चलने वाले यात्रियों के लिए सुरक्षित रास्ता होता है। इन सुरक्षित पथ को पगडंडी भी कहा जाता है। फुटपाथ पैदल यात्रियों के चलने के साथ साथ गरीबों के निवास और अर्थ उपार्जन के काम भी आते हैं।

No.-2. फुटपाथ की समस्या- फुटपाथ की सबसे बड़ी समस्या इसका अतिक्रमण होना है।नगर पालिका के ध्यान नही देने के कारण कई तरह के गैर कानूनी दुकान फुटपाथ पर खुल जाने से अतिक्रमण की समस्या उत्पन होती है। गरीब सरकार के तरफ से समुचित रैनबसेरा नहीं होने के कारण रात में सोने हेतु इन फुटपाथों का अतिक्रमण कर लेते हैं। अतिक्रमण के कारण पैदल यात्रियों को असुरक्षित रोड पर चलने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

No.-3. हमारी भूमिका- फुटपाथ को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए हमें संगठित प्रयास करने की जरूरत है। फुटपाथ पर दुकान चलाने वालों को नगर निगम दुकान बना कर वहाँ विस्थापित करें इसके लिए प्रयासरत रहने की जरूरत है। जरूरतमंद के सोने के लिए सरकारी रैनबसेरा का अधिक से अधिक निर्माण करने से अतिक्रमण हटाना संभव हो पाएगा।

No.-4. बदलाव के लिए सुझाव- जनसंख्या वृद्धि, देश में घुसपैठियों की समस्या और गरीबों के उत्थान हेतु सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने से फुटपाथ अपने वास्तविक कार्य को करने के लिए अतिक्रमण मुक्त हो जाएगा। इसके लिए हमें सामूहिक, संगठित और सतत प्रयास निरंतर करना पड़ेगा।

No.-20.  सार-सार को गहि रहे, थोथा देय उड़ाय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

सूक्ति का अर्थ

कथन का स्पष्टीकरण

समाज के लोगों से संबंध

वैचारिक अभिव्यक्ति

No.-1. सूक्ति का अर्थ- साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाए।

भावार्थ कबीर दास जी कहते हैं कि सज्जन लोगों का आचरण सूप के समान होता है। जिस तरह सूप अनाज में से बेकार कणों को उड़ा देता है तथा उपयोगी अनाज को अपने पास रखता है, उसी तरह सज्जन लोग भी व्यर्थ की बातों पर ध्यान नही देते और व्यर्थ की बातों को हवा में उड़ा देते हैं तथा जो बातें उनके लिए उपयोगी होती हैं, उसी बात को ग्रहण करते हैं। सज्जन का यही स्वभाव होता है कि वह वह किसी भी बात में से से उपयोगी ज्ञान को अपने पास रखते हैं, और बेकार की बातों को छोड़ देते है।

No.-2.कथन का स्पष्टीकरण- कथन के स्पष्टीकरण को हंस के द्वारा दूध और पानी को अलग करने के उदहारण से समझ जा सकता है। महात्मा बुद्ध ने डाकू अंगुलिमाल को सही रास्ते पर ले आयें और उसके दुर्गुणों का त्याग करवाते हुए। हमारे धार्मिक और पौराणिक कथाओं में उपरोक्त दोहे के समर्थन और स्पष्टीकरण के लिए अनेक उदाहरण मौजूद हैं।

No.-3. समाज के लोगों से संबंध- उपरोक्त दोहे का मूल उद्देश्य समाज में गलत करने वाले व्यक्तियों को सही राह पर लाना है।उनके अंदर ज्ञान का अलख जगाकर उनको सत्यमार्ग पर वापस लाना है।समाज से बुराई का नाश करने के लिए बुरे व्यक्ति को सही मार्ग पर लाना ही श्रेष्ठ उपाय है। इससे समाज में आपसी सहयोग और सुकर्म के प्रति लोगों का आस्था बढ़ेगा।

No.-4. वैचारिक अभिव्यक्ति- ऐसे विचारों की अभिव्यक्ति से मानव के अंदर मानवता का पुनः उदय होता है। मानवता का उदय प्राणियों के कल्याण का रास्ता प्रशस्त करता है। बुरे व्यक्ति के त्याग के बदले उसके बुराई का अंत करने से मानव जाति का सम्पूर्ण कल्याण संभव है।

No.-18.  विद्या सर्वोत्तम धन है। पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

विद्या एवं धन की तुलना

विद्या की श्रेष्ठता

विद्या रूपी धन का प्रभाव

विद्या एवं धन की तुलना- सामान्य तौर पर समाज में दो तरह की सोच रखने वाले लोग दिखाई देते हैं। एक वे लोग हैं, जो किसी भी प्रकार से धन अर्जित करके धनी बनकर अपने को सफल एवं जीवन को सार्थक मानते हैं। दूसरे प्रकार के लोग वे हैं, जो विद्या एवं ज्ञान के अर्जन में अपना समय लगाते हैं। धन के कारण बना धनी व्यक्ति वास्तविक धनी नहीं है, अपितु विद्या रूपी धन को एकत्र करके उसे ज्ञान एवं विवेक के रूप में सहेजने वाला ही वास्तविक धनी है।

विद्या की श्रेष्ठता- धन संग्रह करने वाले को चोर, डाकुओं एवं ठगों द्वारा धन के चुराए जाने का सदैव भय लगा रहता है। इसके विपरीत विद्या रूपी धन ऐसा धन है, जिसे न कोई चोर चुरा सकता हैं, न कोई दूसरा इसका उपयोग अपने संकीर्ण हितों की पूर्ति के लिए कर सकता है। संस्कृत साहित्य में विद्या की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है- 'स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वानं सर्वत्र पूज्यते' अर्थात राजा अपने देश में पूजा जाता है, लेकिन विद्वान की पूजा सभी जगहों पर होती हैं।

हिंदी के कवि वृंद ने भी विद्या रूपी धन को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए कहा है कि

''सुरसति के भंडार की बड़ी अपूरब बात।

ज्यौं खरचे त्यौं-त्यौं बढ़े, बिन खरचे घटि जात।''

विद्या रूपी धन का प्रभाव- विद्या से धन प्राप्त हो सकता है, किंतु धन से विद्या नहीं प्राप्त की जा सकती। धन खर्च करने पर समाप्त होता है, किंतु विद्या बाँटने अर्थात व्यय करने पर बढ़ती है। अतः यह कहा जा सकता है विद्या ही सर्वोत्तम धन है।

No.-19.  मधुर वाणी का प्रभाव पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

वाणी की मधुरता का अर्थ

मधुर वाणी का प्रभाव

मधुर वाणी की आवश्यकता

मधुर वचन सबसे बड़ी औषधि है। यह मनुष्य को ईश्वर द्वारा प्राप्त सबसे बड़ा वरदान है। मधुर वचनों का प्रभाव ऐसा होता है कि हमसे घृणा करने वाला भी हमारे मृदुवचनों से प्रभावित होकर स्नेह प्रदर्शित करने लगता है। कबीर का कथन है कि हमें ऐसी वाणी बोलनी चाहिए, जिससे मन प्रसन्न हो जाए, जो दूसरों को भी प्रसन्न करे तथा जिसके बोलने से मनुष्य के मन में स्वयं भी शीतलता आए। वाणी के संदर्भ में कोयल और कौवे की उपमा अत्यंत प्रसिद्ध है।

दोनों पक्षों काले रंग के होते है, फिर भी कोयल अपने स्वर की मिठास के कारण सभी को प्रिय तथा कौवा अपने स्वर की कर्कशता के कारण सभी को अप्रिय लगता है। यही नहीं, मीठे बोलों की महत्ता इतिहास प्रसिद्ध है। वाणी की कटुता का परिणाम महाभारत के रूप में मानव-सभ्यता को दिखाई पड़ा, तो मृदुवाणी के प्रभाव से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने परशुराम जैसे क्रोधी ऋषि को भी क्रोध छोड़ विनम्रता अपनाने पर मजबूर कर दिया।

वाणी की मधुरता मनुष्य को और अधिक गुणवान बना देती है, दोषों को ढक देती है। मनुष्य को मीठी वाणी का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि यह बिगड़ी बात को भी बनाने वाली, मन के मैल को धो देने वाली तथा मनुष्य के व्यक्तित्व को सोने जैसा चमका देने वाली है।

इसी कारण संत कवि कबीर ने कहा है-

''वाणी एक अनमोल है, जो कोई बोले जानि।

हिए तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।।''

 No.-20.  स्वतंत्रता का महत्त्व पर पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

स्वतंत्रता का महत्त्व

स्वतंत्रता की आवश्यकता

स्वतंत्रता के लाभ

ऐसा कहा जाता है कि गुलामी के पकवानों से आजादी की सूखी रोटियाँ भली हैं। स्वाधीनता या स्वतंत्रता का मनुष्य के जीवन में अत्यधिक महत्त्व है। यहाँ तक कि यह मनुष्य ही नहीं, बल्कि सृष्टि के प्रत्येक प्राणी का जन्मसिद्ध एवं प्राकृतिक अधिकार है।

गुलामी या पराधीनता बहुत बड़ा अभिशाप है। पशु-पक्षी तक भी स्वतंत्र जीवन जीने के आकांक्षी होते हैं। हिंदी के प्रसिद्ध कवि डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' की कविता में स्वतंत्रता की आकांक्षा को पक्षियों के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है।

पक्षी अपने लिए स्वतंत्रता की माँग करते हुए कहते हैं कि

''हम पक्षी उन्मुक्त गगन के पिंजर बद्ध न गा पाएँगे,

कनक तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएँगे।''

स्वतंत्र रहकर पक्षी को नीम की 'कड़वी फलियाँ' खाना भी स्वीकार है, लेकिन पिंजरे में रहकर सोने की कटोरी में दिए गए मैदे से बना पकवान भी पसंद नहीं हैं। ज ब पशु-पक्षी इस प्रकार की इच्छा रखते हों, तो मनुष्य परतंत्र होकर किस प्रकार सुखी रह सकता है?

स्वतंत्रता व्यक्ति की निर्णायक शक्ति और सर्जनात्मक क्षमता के विकास को बढ़ावा देती है। अंग्रेजी की गुलामी के काल में हमारे देश की जनता का मानसिक, शारीरिक, आर्थिक एवं सामाजिक विकास अत्यंत बाधित हो गया था।

जब देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुए, तब से हमने व्यक्तिगत, सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति की है। स्वतंत्रता सभी सुखों की जननी है।

गोस्वामी तुलसीदास ने भी परतंत्रता को दुखदायी बताते हुए कहा है कि 'पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं' अर्थात पराधीन व्यक्ति को स्वप्न में भी सुख नहीं मिलता। इस प्रकार व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र की उन्नति के लिए स्वतंत्रता का महत्त्व सर्वाधिक है।

No.-21. बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछिताय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

विचारपूर्वक कार्य करने का महत्त्व

बिना विचारे कार्य करने का प्रभाव

विचारपूर्वक कार्य करने की आवश्यकता

हमारे सभी महत्त्वपूर्ण ग्रंथों में इस बात की शिक्षा दी गई है कि मनुष्य को कोई भी कार्य करने से पूर्व अपने बुद्धि-विवेक का उपयोग करके उसे करने के सही तरीके तथा उसके अच्छे-बुरे परिणाम पर विचार कर लेना चाहिए। इस प्रकार विचार करके यदि कोई कार्य किया जाता है, तो व्यक्ति को उस कार्य में निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। इसके विपरीत यदि हम किसी कार्य को पूरी तरह न करके अनियोजित ढंग से करते हैं, तो उसमें हमें असफलता मिलती है। असफलता के कारण कार्य करने में मन नहीं लगता और व्यक्ति खिन्नता का शिकार हो जाता है।

बिना विचारे कार्य करने पर व्यक्ति को मानसिक पीड़ा तो होती ही है, उसे सामाजिक उपेक्षा और तिरस्कार का भी पात्र बनना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उसके मन में यही विचार आता है कि मैंने इस काम को बिना सोचे क्यों कर दिया?

हिंदी के प्रसिद्ध कवि गिरधर ने कार्य करने में सोच-विचार के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए कहा है-

''बिना विचारे जो करै सो पाछे पछिताया।

काम बिगारे आपनो जग में होत हसाया।।''

अतः हमें विचारपूर्वक कार्य करना चाहिए। सोच-समझकर किए गए कार्य से हानि, पछतावा नहीं होता और न ही जग में हँसी होती है।

No.-22. मीडिया का सामाजिक उत्तरदायित्व पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

मीडिया का अर्थ

मीडिया के प्रकार

सामाजिक दायित्व

उपसंहार

मीडिया को हिंदी में 'जनसंचार' कहते हैं। यह सार्वजनिक सूचना, विश्व की घटनाओं की जानकारी, जन-सामान्य की आवाज और मनोरंजन का सशक्त माध्यम है। आधुनिक युग में मीडिया के दो प्रकार हैं- प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। पत्र-पत्रिकाएँ आदि प्रिंट मीडिया तथा रेडियो, टीवी चैनल आदि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अंतर्गत आते हैं। मीडिया अपने इन माध्यमों के द्वारा लोकतंत्र के प्रहरी की भाँति कार्य करता है। देश की समस्याओं तथा उनके समाधान के लिए लोगों में जागरूकता उत्पन्न करना मीडिया का महत्त्वपूर्ण दायित्व है, साथ ही घटनाओं को यथार्थ रूप में समाज के सामने रखना और उनका बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन न करना भी मीडिया का अहम दायित्व है।

प्रायः यह देखा जाता है कि लोकप्रियता हासिल करने के लिए मीडिया छोटी-सी बात को सनसनी बनाकर प्रस्तुत करती है, जिससे समाज में गलत संदेश जाता है, इसलिए मीडिया को चाहिए कि वह सकरात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए समाज-निर्माण में अपना समुचित योगदान करें, ताकि समाज के लोगों को सही जानकारी प्राप्त हो और समाज का कल्याण हो सके। चूँकि समाज का मार्गदर्शन करने वाला और जानकारी प्रदान करने का माध्यम ही यदि अपनी जिम्मेदारियाँ सही ढंग से नहीं निभाएगा, तो समाज के लोगों को सही दिशा कौन प्रदान करेगा? इसलिए मीडिया के अपने दायित्व को समझते हुए समाज का निर्माण करने में अपना योगदान देना होगा, तभी वह लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी कहलाएगा।

 No.-23. देश की संपत्ति, हमारी संपत्ति है पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

राष्ट्रीय संपत्ति का अर्थ

राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा क्यों?

राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य

किसी भी देश का विकास एवं उसकी प्रगति उसके संसाधनों या संपत्ति पर निर्भर करती है, क्योंकि संपत्ति से ही संपन्नता आती है। जिस राष्ट्र के पास जितनी अधिक संपत्ति होती है, वह उतना ही अपने नागरिकों का कल्याण करते हुए विकास कर पाता है। देशहित के लिए प्रयुक्त संसाधनों एवं सुविधाओं के विभिन्न उपकरणों को राष्ट्रीय संपत्ति कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर सरकारी भवन, शैक्षिक संस्थान, चिकित्सालय, रेल, बस, कारखाने, सड़कें, खनिज संपदा, बिजली, पानी आदि हमारी राष्ट्रीय संपत्ति हैं। हमें चाहिए कि इनका जरूरत के मुताबिक उचित उपयोग करें और इन्हें सुरक्षित रखने के उपाय भी करें, क्योंकि यदि हमारे कार्यों से किसी भी रूप में इन्हें क्षति पहुँचती है, तो राष्ट्रीय विकास में बाधा उत्पन्न होगी, जिसके परिणामस्वरूप देश की विशाल जनसंख्या का ठीक ढंग से भरण-पोषण करना असंभव हो जाएगा।

देश की धरती पर मौजूद प्रत्येक वस्तु या संसाधन के लिए जब हमारे मन में यह भाव आ जाएगा कि यह हमारी संपत्ति है और हमें इसका सावधानीपूर्वक उपयोग करना है, तभी राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा हो सकेगी; जैसे- हम ऊर्जा, जल, खनिज संपदा, खाद्यान्न आदि का विवेकपूर्ण उपयोग करें, तो भविष्य में इनकी कमी के संकट से बचा जा सकता है। आज हमें देशहित में एक संकल्प लेने की आवश्यकता है कि 'राष्ट्र की संपत्ति हमारी संपत्ति है और इसकी सुरक्षा करना हमारा सर्वोपरि कर्तव्य हैं।

No.-24.  भारतीय किसान के कष्ट पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

अन्नदाता की कठिनाइयाँ

कठोर दिनचर्या

सुधार के उपाय

भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। इस देश के किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है और मानसून की अनिश्चितता के कारण प्रायः अन्नदाता को कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। समय पर सिंचाई नहीं होने के कारण भी उन्हें आशानुरूप फसल की प्राप्ति नहीं हो पाती। आवश्यक व उपयोगी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण कृषकों की स्थिति और भी दयनीय हो गई है तथा उनके सामने दो वक्त की रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। किसान एक कठोर दिनचर्या का पालन करता है। वह प्रातः उठता है और अपने हल व बैल लेकर खेतों की ओर चला जाता है। वह घंटों खेत जोतता है उसके पश्चात भोजन करता है। खाने के बाद पुनः वह अपने काम में व्यस्त हो जाता है। दिन-रात कठिन परिश्रम करने के बाद भी उसे उचित आहार तथा तन ढकने के लिए समुचित वस्त्र नसीब नहीं होता। सर्दी हो या गर्मी, धूप हो या बरसात उसे दिन-रात खेतों में कठोर परिश्रम करना पड़ता है। किसानों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार ने कुछ उपाय किए है।

'राष्ट्रीय कृषक आयोग' का गठन किसानों की स्थिति सुधारने हेतु किया गया। राष्ट्रीय कृषक आयोग की संस्तुति पर भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषक नीति 2007 की घोषणा की। इसमें कृषकों के कल्याण एवं कृषि के विकास के लिए कई बातों पर जोर दिया है, साथ ही रोजगार गारंटी योजना, किसान क्रेडिट कार्ड आदि भी महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुए हैं। अतः कह सकते हैं कि विभिन्न प्रकार के सरकारी प्रयासों एवं योजनाओं के कारण, आने वाले वर्षों में कृषक समृद्ध होकर भारतीय अर्थव्यवस्था को सही अर्थो में प्रगति की राह पर अग्रसर कर सकेंगे।

No.-25. स्वच्छ्ता आंदोलन पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

क्यों

बदलाव

हमारा उत्तरदायित्व

स्वच्छ्ता सिर्फ सौंदर्य या सुरुचि का विषय नहीं, बल्कि हमारे जीवन-मरण से गहराई से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। भारत सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2014 को प्रारंभ किया गया 'स्वच्छ भारत अभियान' वस्तुतः संक्रामक महामरियों के नियंत्रण, पेयजल सुरक्षा, शहरी आबादी एवं उद्योगों के कामकाज से उत्पन्न कचरे के निपटान जैसी विकट चुनौतियों का सामना करने का आह्वान है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से स्वच्छ्ता आंदोलन आवश्यक है, क्योंकि एक अस्वस्थ व्यक्ति क्षमता रहने के बावजूद चाहकर भी न तो स्वयं और न ही समाज के विकास में उल्लेखनीय योगदान दे सकता है। लोगों को इस अभियान में शामिल होने का आह्वान करके स्वच्छ्ता अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले चुका है।

स्वच्छ्ता आंदोलन से देश की सोच तथा व्यवहार बदला है। यह आचरण में बदलाव का मिशन बन चुका है। समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों और संस्थाओं ने स्वच्छ्ता अभियान में अपनी भागीदारी दिखाई है। लोग स्वच्छ्ता 'एप' का इस्तेमाल कर रहे हैं और शिकायतें दर्ज कराकर भारत को स्वच्छ बनाने के मिशन में योगदान दे रहे हैं। इस प्रकार इस देशव्यापी अभियान के बहाने से ही हमें अच्छी आदतें अपनाने की कोशिश करना चाहिए, क्योंकि जब तक सफाई हमारी आदत का हिस्सा नहीं बन जाती, तब तक गंदगी पुनः लौटती रहेगी। इसलिए हमारा उत्तरदायित्व बनता है कि देश को स्वच्छ बनाने में हम अपना महत्त्वपूर्ण योगदान करें, अपने घर व आस-पड़ोस को साफ रखें, न गंदगी फैलाएँ न ही किसी अन्य को फैलाने दें। अतः स्वच्छ्ता को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना अनिवार्य है।

No.-26.  मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

निराशा अभिशाप

दृष्टिकोण परिवर्तन

सकारात्मक सोच

''मन के हारे हार है मन के जीते जीत'' सूक्ति का अभिप्राय है कि जिसका मन हार जाता है वह बहुत शक्तिशाली होने पर भी पराजित हो जाता है तथा जिसका मन जीत जाता है वह शक्क्ति न होते हुए भी जीत जाता है। व्यक्ति के जीवन में निराशा अभिशाप के समान है। असफलताएँ जीवन प्रक्रिया का स्वाभाविक अंग होती हैं। यदि व्यक्ति असफलताओं से निराश होकर प्रयत्न करना छोड़ दें तो उसे असफलता ही मिलती है। इसलिए व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए और प्रयत्न करते रहना चाहिए। मन अनंत शक्ति का स्रोत है, उसे हीन भावना से बचाए रखना अत्यंत आवश्यक है। मन की अपरिमित शक्ति को भूले बिना अपनी क्षमताओं में विश्वास रखना ही सफलता की मूल कुंजी है। ऐसा करने से हमारे दृष्टिकोण में परिवर्तन होता है तथा मनुष्य कार्य करने के लिए प्रेरित होता है।

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आशा-निराशा, उतार-चढ़ाव और सुख-दुःख चक्र की भाँति ऊपर-नीचे होते रहते हैं। व्यक्ति की हार-जीत उसकी मानसिक शक्ति पर निर्भर करती है, जो व्यक्ति परिस्थिति का सामना हँसी-ख़ुशी करता है वह सफलता अवश्य प्राप्त करता है। इसमें सकारात्मक सोच महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सकारात्मक सोच से व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है और वह दुगुने उत्साह से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है। निष्कर्ष रूप से हम कह सकते हैं कि जिस कार्य को पूरे दृढ़ संकल्प के साथ करेंगे, वह कार्य जरूर पूरा होता है। इसलिए मनुष्य को अपने मन को सुदृढ़ बनाकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।

No.-27. प्लास्टिक की दुनिया पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

प्लास्टिक का अविष्कार और इसका उपयोग

प्लास्टिक के गुण एवं दोष

प्लास्टिक का पर्यावरण पर प्रभाव

प्लास्टिक का अविष्कार ड्यू बोयस एवं जॉन द्वारा किया गया था। प्लास्टिक का उपयोग मशीन के कल-पुर्जों, पानी की टंकियों, दरवाजों, खिड़कियों, चप्पल-जूतों, रेडियों, टेलीविजन, वाहनों के हिस्सों, आदि में किया जाता है, क्योंकि प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ आसानी से खराब नहीं होतीं। यदि किसी कारण ये टूट-फूट जाएँ, तो इन्हें फिर से बनाकर पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

इनमें मनचाहा रंग मिलाकर इन्हें अधिक आकर्षक भी बनाया जा सकता है। यही कारण है कि प्लास्टिक से बने आकर्षक रंग-बिरंगे फूल असली फूलों से अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। आज लोगों को बाजार से सामान प्लास्टिक से बने आकर्षक थैलों में पैक करके मिलता है।

इसके अनेक उपयोग के बावजूद प्लास्टिक से बनी वस्तुओं से पर्यावरण बुरी तरह दुष्प्रभावित हो रहा है। प्लास्टिक कभी न गलने-सड़ने वाला पदार्थ है, जिसके कारण भूमि, जल, पर्यावरण आदि अत्यधिक प्रदूषित होते जा रहे हैं। अतः हमें प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना चाहिए, तकि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।

 No.-28. भारत में बाल मजदूरी की समस्या पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

बाल मजदूरी का अर्थ

बाल मजदूरी के कारण

बाल मजदूरी को दूर करने का उपाय

'बाल मजदूरी' से तात्पर्य ऐसी मजदूरी से है, जिसके अंतर्गत 5 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चे किसी संस्थान में कार्य करते हैं। जिस आयु में उन बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए, उस आयु में वे किसी दुकान, रेस्टोरेंट पटाखे की फैक्टरी, हीरे तराशने की फैक्टरी, शीशे का सामान बनाने वाली फैक्टरी अदि में काम करते है।

भारत जैसे विकासशील देश में बाल मजदूरी के अनेक कारण हैं। अशिक्षित व्यक्ति शिक्षा का महत्त्व न समझ पाने के कारण अपने बच्चों को मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं। जनसंख्या वृद्धि बाल मजदूरी का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। निर्धन परिवार के सदस्य पेट भरने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को काम भेज देते हैं।

भारत में बाल मजदूरी को गंभीरता से नहीं लिए जाने के कारण इसे प्रोत्साहन मिलता है। देश में कार्य कर रही सरकारी, गैर-सरकारी और निजी संस्थाओं की इस समस्या के प्रति गंभीरता दिखाई नहीं देती।

बाल मजदूरी की समस्या का समाधान करने के लिए सरकार कड़े कानून बना सकती है। समाज के निर्धन वर्ग को शिक्षा प्रदान करके बाल मजदूरी को प्रतिबंधित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर भी बाल मजदूरी को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसी संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, जो बाल मजदूरी का विरोध करती हैं या बाल मजदूरी करने वाले बच्चों के लिए शिक्षा से जुड़े कार्यक्रम चलाती हैं।

 No.-29. प्रातःकालीन भ्रमण पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

प्रकृति से संपर्क

शारीरिक व्यायाम

सेहत के लिए उपयोगी व लाभदायक

प्रातःकालीन भ्रमण शरीर को स्वस्थ और निरोगी रखने की शारीरिक क्रियाओं में से एक है। प्रातःकालीन के भ्रमण से मनुष्य को स्वच्छ वायु प्राप्त होती है, जिससे मनुष्य में एक नवस्फूर्ति और नवजीवन का संचार होता है। मनुष्य प्रकृति के संपर्क में आकर आनंद का अनुभव करता है। प्रकृति के मनोरम दृश्यों को देखकर उसका मन प्रफुल्लित ही उठता है। प्रातःकालीन भ्रमण करने से हमारी शारीरिक शक्ति के साथ-साथ मानसिक शक्ति का भी विकास होता है। हमारे मन से विकार दूर हो जाते हैं। प्रातःकालीन मन प्रसन्न होने के कारण मनुष्य का संध्या तक का समय बड़ी प्रसन्नता से व्यतीत होता है।

सुबह की ठंडी वायु प्रत्येक प्राणी के लिए लाभदायक होती है। प्रातःकालीन भ्रमण से व्यक्ति के शरीर तथा मन मस्तिष्क में तरोताजगी का संचार होता है। प्रातःकालीन भ्रमण व्यक्ति की सेहत के लिए भी बहुत उपयोगी एवं लाभदायक है। हमें प्रातःकालीन नियमित रूप से भ्रमण करना चाहिए, जिससे हमारा मन, बुद्धि और शरीर शांत, प्रसन्न एवं दृढ़ रह सके। अतः स्वस्थ, निरोगी,प्रसन्नचित्त एवं दीर्घजीवी बनने के लिए प्रातःकाल का भ्रमण सर्वोत्तम साधन है। वर्तमान युग में तो यह एक वरदान के समान है।

 No.-30. आलस्य : मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

आलस्य और मनुष्य जीवन

आलस्य के नुकसान

सफलता पाने के लिए आलस्य को त्यागना आवश्यक

आलस्य दुःख, दरिद्रता, रोग परतंत्रता, अवनति आदि का जनक है। आलस्य के रहते हुए मनुष्य को विकास और उसके ज्ञान में वृद्धि का प्रश्न ही नहीं उठता। आलस्य को राक्षसी प्रवृत्ति की पहचान कहा जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रातःकाल की शुद्ध वायु अत्यंत आवश्यक है। आलसी व्यक्ति इस हवा का आनंद भी नहीं उठा पाते और प्रातःकालीन भ्रमण एवं व्यायाम के अभाव में उनका शरीर रोगग्रस्त हो जाता है। आलसी विद्यार्थी पूरा वर्ष सोकर गुजारता है। और परिणाम आने पर सबसे आँखें चुराता है।

आलस्य मनुष्य की इच्छाशक्ति को कमजोर बनाकर उसे असफलता के गर्त में धकेल देता है। आलसी को छोटे-से-छोटा काम भी पहाड़ के समान कठिन लगने लगता है और वह इससे छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के बहाने तलाशने लगता है।

आलस्य का त्याग करने से मनुष्य को अपने लक्ष्य को निश्चित समय में प्राप्त करने में सफलता मिलती है। जीवन में वही व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है, जो आलस्य को पूरी तरह त्यागकर कर्म के सिद्धांत को अपना ले। इस प्रकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य ही है। यह मनुष्य को पतन के मार्ग पर ले जाता है और कुछ ही समय में मनुष्य का नाश कर देता है। अतः इसका त्याग करने में ही मनुष्य का कल्याण निहित है।

 No.-31. शारीरिक शिक्षा और योग पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

शारीरिक शिक्षा का तात्पर्य ऐसी शिक्षा से है, जिसमें शारीरिक गतिविधियों के द्वारा शरीर को स्वस्थ रखने की कला सिखाई जाती है। शारीरिक विकास के साथ-साथ इससे व्यक्ति का मानसिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास भी होता है।

शारीरिक शिक्षा में योग का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य शरीर, मन एवं आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करना होता है। यह मन शांत एवं स्थिर रखता है, तनाव को दूर कर सोचने की क्षमता, आत्मविश्वास एवं एकाग्रता को बढ़ाता है। नियमित रूप से योग करने से शरीर स्वस्थ तो रहता ही है, साथ ही यदि कोई रोग है तो इसके द्वारा उसका उपचार भी किया जा सकता है।

कुछ रोगों में तो दवा से अधिक लाभ योग करने से होता है। तमाम शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि योग संपूर्ण जीवन की चिकित्सा पद्धति है। पश्चिमी देशों में भी योग के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है और लोग तेजी से इसे अपना रहे हैं। योग की बढ़ती लोकप्रियता एवं महत्त्व का ही प्रमाण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी योग का समर्थन करते हुए 21 जून को योग दिवस घोषित कर दिया है।

वर्तमान परिवेश में योग न सिर्फ हमारे लिए लाभदायक है, बल्कि विश्व के बढ़ते प्रदूषण एवं मानवीय व्यस्तताओं से उपजी समस्याओं के निवारण में इसकी सार्थकता और भी बढ़ गई है। यही कारण है कि धीरे-धीरे ही सही, आज पूरी दुनिया योग की शरण ले रही है।

 No.-32.  पुस्तकें पढ़ने की आदत पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

पढ़ने की घटती प्रवृत्ति

कारण और हानि

पढ़ने की आदत से लाभ

पुस्तकें हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंश है। पुस्तकों के अध्ययन से हम भिन्न-भिन्न प्रकार के ज्ञान अर्जित करने में सक्षम होते हैं। पुस्तकें विद्यालयी विद्यार्थियों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए एक उपयोगी साधन है। विधार्थियों का ज्ञानार्जन पुस्तकों द्वारा संभव होता है, वहीं बुजुर्गों के लिए समय व्यतीत एवं मनोरंजन के साधन रूप में पुस्तकें कार्य करती हैं। वर्तमान दौर में तकनीकों का प्रसार इस हद तक हो चुका है कि आज पुस्तकों का स्थान मोबाइल फोन, लैपटॉप, आईपैड, टैबलेट आदि ने ले लिया है।

इनका आकर्षण इतना अधिक हो गया है कि लोगों ने पुस्तकों को पढ़ना बहुत कम कर दिया है। आज पुस्तकें न पढ़ने का कारण विविध प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं। इन उपकरणों के कारण लोग भले ही कुछ ज्ञान अर्जित कर लेते हैं, परंतु समय का जो दुरुपयोग आज का युवा वर्ग कर रहा है उसको भर पाना असंभव प्रतीत होने लगा है। पुस्तक पढ़ने की आदत से हम नित दिन अध्ययनशील रहते हैं। इससे पढ़ने में नियमितता बनी रहती है तथा हम मानसिक रूप से भी स्वस्थ बने रहते है। अतः हमें सदैव पुस्तक पढ़ने की आदत बनानी चाहिए।

No.-33. वन एवं वन्य संपदा पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

वन एवं वन्य संपदा क्या है?

इनका महत्त्व

वन एवं वन संपदा पर खतरा

सामान्यतः एक ऐसा विस्तृत भू-भाग जो पेड़-पौधों से आच्छादित हो, 'वन' कहलाता है। वन मनुष्य के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान है। वनों से हमें अनेक लाभ होते हैं। इन से हमें प्राणवायु ऑक्सीजन मिलती है, जो हमारे जीवन का आधार है। इसके अतिरिक्त, वनों से हमें फर्नीचर के लिए लकड़ी, फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ, औषधियों आदि वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। वन मृदा अपरदन रोकने व वर्षा करवाने में भी सहायक होते हैं।

वनों का एक लाभ और भी है। इनके कारण ही वन्य-जीवन फलता-फूलता है। वन्य का अर्थ है- वन में उत्पन्न होने वाला। इस प्रकार वन्य-जीवन का तात्पर्य उन जीवों से है जो वन में पैदा होते हैं और वन ही उनका आवास-स्थल बनता है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 75000 प्रकार की जीव-प्रजातियाँ पाई जाती है, जिनमें से अधिकांश वनों में पाई जाती है। इनमें सिंह, चीता, लोमड़ी, गीदड़, लकड़बग्घा, हिरण, जिराफ, नीलगाय, साँप, मगरमच्छ आदि प्रमुख हैं।

यदि वन न हों तो इन सभी जीवों का अस्तित्व ही मिट जाएगा, जबकि मनुष्य के साथ इन जीवों का सह-अस्तित्व आवश्यक है क्योंकि इससे प्रकृति में संतुलन बना रहता है। हालाँकि पिछले कुछ समय से वन एवं वन्य संपदा पर खतरा मँडरा रहा है। वनों से ढके हुए क्षेत्रों में कमी हो रही है, जिससे वन्य-जीवन भी विलुप्त होता जा रहा है। राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार, देश के 33% भू-भाग पर वन होने चाहिए, परंतु इस नीति पर ठीक से अमल नहीं किया जा रहा है। प्रशासन तंत्र को शीघ्र ही विषय पर संज्ञान लेना चाहिए और वन एवं वन्य संपदा के संरक्षण हेतु उचित कदम उठाने चाहिए।

No.-35. पहला सुख- निरोगी काया पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

आशय

व्यायाम और स्वास्थ्य

समाज को लाभ

एक सुखमय जीवन को जीने के लिए 7 सुखों की आवश्यकता होती है जिसमें सबसे पहला व प्रमुख सुख निरोगी काया है। अगर हम इस पहले सुख से ही वंचित रहेंगे तो दुनिया का कोई भी सुख हमें आनंद नहीं दे पाएगा।

इसलिए कहा जाता है

पहला सुख निरोगी काया

दूजा सुख घर में हो माया

तीजा सुख सुलक्षणा नारी

चौथा सुख हो पुत्र आज्ञाकारी

पाँचवा सुख हो सुन्दर वास

छठा सुख हो अच्छा पास

सातवाँ सुख हो मित्र घनेरे

और नहीं जगत में दुःख बहुतेरे।

निरोगी काया के लिए सबसे पहले व्यायाम जरूरी है। प्रातः कालीन उठकर व्यायाम करना निरोगी काया का पहला गुण है यदि व्यायाम सही है तो स्वास्थ्य अपने आप ठीक रहता है। एक अस्वस्थ व्यक्ति का मन मस्तिष्क स्वभाव सभी अस्त-व्यस्त रहते हैं। एक निरोगी व्यक्ति अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोटी कमाने से लेकर विद्या अर्जित करने और कला कौशल क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। इसलिए निरोगी काया जीवन की प्रथम आवश्यकता है यदि व्यक्ति निरोग है तो वह अपनी प्रसन्नता बनाये रह सकता है और दूसरों को भी बाँट सकता है। वो समाज, वो देश विकास कर सकता है जिसका निवासी स्वस्थ हो। स्वस्थ व्यक्ति एक स्वस्थ समाज का व देश का निर्माण कर सकता है। जहाँ समाज को लाभ मिलेगा वहाँ समाज सुन्दर व स्वस्थ होगा। इसलिए कहा गया है कि व्यक्ति को स्वस्थ रहना चाहिए।

No.-36. मोबाइल फोन पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

लोकप्रियता

सूचना क्रांति

लाभ हानि

पिछले कुछ दशकों से हमारे रोजाना जीवन में बहुत तबदीली हुई है। रोज बाजार में नए-नए उत्पादन सामने आ रहे हैं जो हमारी जीवन शैली को तब्तदील कर रहे हैं नए उत्पादों में एक है मोबाइल। यह बिना तार के नैटवर्क से जुड़ा होता है। मोबाइल सीधा किसी भी व्यक्ति से जुड़ सकता है जिसके पास मोबाइल है। इससे सारा संसार जैसे सुकुड़ सा गया है। अब यह बात सोचने की है कि मोबाइल फैशन का हिस्सा है या एक जरूरत है। आज संसार में इसकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसने तो लैपटॉप को भी पीछे छोड़ दिया है इसमें ऐसी ऐसी सुविधाएँ मिलने लगी हैं। यह बात सही है इस मोबाइल ने सूचना संचार के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति ला दी है।

विज्ञान की इस तरक्की से हम कहाँ से कहाँ तक पहुँच चुके हैं। बच्चों से बुजुर्गों तक के जीवन में एक रचनात्मक परिवर्तन ला दिया है। जो कुछ बचा था वो मोबाइल कम्पनियों ने पूरा कर दिया है। कुछ प्राइवेट कंपनियों के आगमन से प्रतिस्पर्धा की बाढ़ सी आ गई है। आज के स्मार्ट फोन का प्रयोग करके हमें ऑनलाइन बैंकिंग सुविधा प्राप्त हुई है। रेलवे टिकट, दवा, भोजन आदि सभी मोबाइल से घर बैठे मँगवा सकते हैं। विद्यार्थी वर्ग में यू-ट्यूब, व्हाट्सएप से शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक परिवर्तन लाकर इस क्षेत्र में लगातार परिवर्तन आ रहे हैं। दूसरा शौपिंग के क्षेत्र में भी परिवर्तन आए हैं। फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसी कम्पनियों ने भयंकर परिवर्तन ला दिया है।

नौकरियों के लिए भी मोबाइल महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। जिससे मोबाइल इन्टरनेट वरदान साबित हुआ है। लाभ के साथ-साथ इसकी हानियाँ भी उतनी अधिक हैं। समाज में आतंकवादी भी इससे हानि पहुँचा रहे हैं। विद्यार्थी भी अपना अधिक समय इस पर बिताते हैं इससे उनको शारीरिक हानियाँ बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। मोबाइल बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड से चोरी भी अधिक बढ़ गई है। आतंकी फोन पर वायरस व स्पामिंग आदि भेजकर गोपनीय जानकारी चोरी करके आपराधिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। निष्कर्ष रूप से हम कह सकते है कि मोबाइल के लाभ-हानि दोनों है।

No.-36. एक ठंडी सुबह पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

कब, कहाँ

क्यों है याद

क्या मिली सीख

25 दिसम्बर का दिन था। प्रात:काल सात बजे सोकर उठने पर मैंने महसूस किया आज की सुबह पहले से ठंडी है। खिड़की के बाहर देखा तो दूर-दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। चारों ओर कुहरा छाया हुआ था। मन न होते हुए भी मुझे बिस्तर से उठना पड़ा। नित्यकर्म से निपट कर गर्म कपड़े पहनकर घर से बाहर निकला। बाहर बर्फीली हवा चल रही थी। सड़क पर बर्फ भी जमी हुई थी। यह सब दिसम्बर के समय था हिमाचल प्रदेश के कुल्लु का यह दृश्य था। इस ठंडी सुबह में बहुत ही बहुत कम लोग नजर आ रहे थे।

पास की नहर भी जम गई थी पेड़ों के पत्तों पर बर्फ चमक रही थी। बर्फ के छोटे-छोटे कण सूरज के हल्की किरणों से जगमगा रहे थे। चारों ओर निस्तब्धता छाई हुई थी। मेरा शरीर एक दम सुन्न सा पड़ गया था और काँपने भी लगा था। सामान्य सर्दी में रहने वाले हम इतनी बर्फ वाली ठंड में जो कभी न देखी न ही सही अब तक केवल सपनों आशाओं में कल्पना करते थे आज प्रत्यक्ष देखने व सहने से जीवन का आनन्द मिल रहा था तो आज का दिन याद तो रहेगा ही। इस प्रकार के मौसम से सीख मिलती है कि जीवन के अनेक रंग हैं जिसका आनन्द भी उठाना चाहिए पर अपने स्वाथ्य को ध्यान में रखकर।

No.-37. वृक्षारोपण का महत्त्व पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

वृक्षारोपण का अर्थ

वृक्षारोपण क्यों

हमारा दायित्व

वर्तमान वैज्ञानिक युग में जहाँ विकास के नाम पर धरती का दोहन किया जा रहा है तथा पर्यावरण को प्रतिपल ध्वस्त किया जा रहा है वहाँ वृक्षारोपण का महत्त्व स्वतः सिद्ध हो जाता है। वृक्ष प्रकृति की अनमोल संपदा है। मनुष्य एवं वृक्ष का अटूट सम्बन्ध है। वृक्षों से प्राप्त लकड़ी विभिन्न रूपों में मनुष्य के काम आती है। वृक्षों से हमें फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ, औषधियाँ आदि प्राप्त होती हैं। शुद्ध वायु एवं तपती दोपहर में छाया वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वृक्ष वर्षा में सहायक होते हैं एवं भूमि को उर्वरक बनाते हैं। वे प्रदूषण को समाप्त कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वृक्ष बाढ़-सूखा एवं मिट्टी के कटान आदि प्राकृतिक आपदाओं से हमारी रक्षा करते हैं हमारी संस्कृति में वृक्षों को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है।

यदि मनुष्य जाति को बचाना है तो वृक्षों को बचाना होगा और हमें वृक्षारोपण का उत्सव करना होगा। इसीलिए एक बच्चा एक वृक्ष का नारा दिया गया है। वृक्षों की 50 मीटर की एक कतार वाहनों के शोर को 30-50 डेसीबल तक कम करती है। इसी तरह चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष वातावरण में उड़ रही धूल को रोकते एवं वायु को शुद्ध करते हैं। वनसंरक्षण का उद्देश्य केवल वृक्षों को लगाना ही नहीं वरन वृक्षारोपण करने के बाद उनकी उचित देखभाल भी है। निजी क्षेत्र में स्वयंसेवी युवकों को संगठन बनाकर वृक्षारोपण का कार्य करना चाहिए और वृक्षारोपण को सामूहिक समारोह के रूप में आयोजित करना चाहिए।

No.-38. इंटरनेट की दुनिया पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

इंटरनेट का तात्पर्य

सूचना का मुख्य साधन

लाभ तथा हानि

आज का विश्व विज्ञान की नींव पर टिका है। मनुष्य ने विज्ञान के द्वारा अनेक शक्तियाँ सुख-सुविधाएँ तथा चमत्कारी साधनों का आविष्कार किया है जिसमें इंटरनेट अत्यधिक महत्त्वपूर्ण और अद्भुत है। इंटरनेट पूरे विश्व के सभी कंप्यूटर को जोड़ने का काम करता है। इंटरनेट समस्त सूचनाओं का विश्वसनीय और त्वरित साधन बन चुका है। यह ऐसा इलेक्ट्रॉनिक साधन है जिसने अपनी अनगिनत विशेषताओं के बल पर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दस्तक दी है। विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में गणित और चिकित्सा की जटिल तथा विस्तृत सूचनाएँ एकत्र करने में इंटरनेट का व्यापक रूप से प्रयोग हो रहा है। रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों पर इंटरनेट का प्रयोग आरक्षण आदि के लिए किया जा रहा है। बैकों, लेखा विभागों में इंटरनेट चमत्कारी भूमिका निभा रहा है। आय-व्यय का ब्योरा, अनगिनत खातों का हिसाब इंटरनेट के माध्यम से ही संबंधित व्यक्ति तक पहुँचाया जा रहा है।

मनोरंजन के रूप में इंटरनेट आज घर-घर में पहुँच चुका है। अन्तरिक्ष तथा दूर संचार के क्षेत्र में इंटरनेट ने क्रान्ति ला दी है। इन्टरनेट ज्ञान का भण्डार बन गया है। इसके माध्यम से अल्प समय में ही विश्व की कोई भी सूचना, आँकड़े या समाचार तुरन्त ही प्राप्त किए जा सकते हैं। छात्रों के लिए यह वरदान साबित हो रहा है। इंटरनेट के द्वारा वे सुगमता से गूढ़ ज्ञान को प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। आज इंटरनेट के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इन सब सुविधाओं के बाद भी इंटरनेट की अनेक कमियाँ भी हैं। विशेष रूप से अपरिपक्व या कम जानकारी रखने वालों के लिए यह अभिशाप भी है। छात्रों का अधिकतर समय इसके साथ व्यर्थ हो जाता है।

No.-39.  आधुनिक जीवन पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

आवश्यकताओं में वृद्धि

अशांति

क्या करें

नगरीय सभ्यता से आधुनिक जीवन का प्रारंभ हुआ है और औद्योगिक क्रांति से इसमें पंख लग गये हैं। धीरे-धीरे आधुनिक जीवन में पारंपरिक रूढ़ियाँ हो गई और सामाजिक स्तर पर रहन-सहन के ढंग में भारी परिवर्तन आया। आधुनिकता का प्रभाव इतना सशक्त है कि वह व्यक्ति के विचारप्रवाह में बाधा डालती है। आधुनिकता से मनुष्य में असंतुष्टि उत्पन्न होती है। अपनी भौतिक, राजनैतिक, आर्थिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त विश्व के कोई भी पदार्थ उसे आकर्षित नहीं करते हैं। दिवा-रात्रि वह वैयक्तिक असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यग्र रहता है। वह स्वयं को विशाल आधुनिक सभ्यता का प्रामाणिक अंग सिद्ध करने के लिए आजीवन असफल प्रयास करता रहता है। वह इस कल्पना में डूबा रहता है कि वह सभ्यता का संचालक है, लेकिन इसकी अनिवार्यताओं से दूर भागने में असमर्थ है। आधुनिक युग की आवश्यकताएँ अपने उग्रतम रूप में पीड़ादायक और विडंबनापूर्ण हैं।

आधुनिक जीवन के नशे में डूबा आदमी उनसे बच नहीं सकता। उसकी आवश्यकताएँ बहुमत के आधार पर, स्वामियों के आदेश, पड़ोसियों के मतें, और कुछ स्वार्थी व्यक्तियों के निर्णयों पर आधारित होती हैं जिन्हें वह पूरा करने के लिए बाध्य होगा है भले ही वह परोक्ष रूप में उसके लिए कष्टकारक ही क्यों न हो। आधुनिक जीवन में आधुनिक व्यक्ति के पास किसी प्रकार के सतही आनंद के लिए समय और ऊर्जा का अभाव रहता है। आधुनिक व्यक्ति प्रवासी है; जो परिवर्तनशील समाज में रहता है और विरोधी परंपरा को ग्रहण करता है। वह हर बात को तर्क की तुला पर तोलता है। भावनाओं की मधुरता धीरे-धीरे कम होती जाती है और एकल परिवार का जन्म होता है। आधुनिक जीवन के संबंध में बात करते समय हमारा ध्यान महानगरों की संस्कृति की ओर केन्द्रित होता है।

आधुनिक जीवन की प्रक्रिया में महानगरों के जीवन में यांत्रिकता आ गई है, यहाँ की आर्थिक संपन्नता लोगों को शहरों की ओर भागने को प्रवृत्त करती है। आधुनिक जीवन को सीधा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ा है इससे उसका जीवन और अधिक एकाकी और अशांत हो गया है। पहले मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च, नगर, परिवार, समाज आदि सभी एकता के सूत्र में बंधे हुए थे। आज सब ओर आपाधापी और मैं का भाव भरा हुआ है। इन परिस्थितियों में मानव अपनी परंपरा का त्याग किए बिना ही आधुनिक जीवन शैली को स्वीकार करना चाहिए तभी जीवन सुखमय हो सकता है।

No.-40. अपनी भाषा प्यारी भाषा पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

अपनी भाषा का परिचय

प्यारी क्यों है?

अन्य भाषाओं से मेल

अपनी भाषा प्यारी भाषा

हर देश की अपनी भाषा होती है। भाषा के माध्यम से ही हम एक-दूसरे की बातों और विचारों को समझ और समझा पाते हैं। भारत देश में वैसे तो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं पर हिन्दीहमारे देश की अपनी और प्यारी भाषा है। हिन्दी भाषा को 14 सितम्बर के दिन दुल्हन की तरह सजाया, धजाया और मनाया जाता है। इस दिन प्रतिवर्ष हम हिन्दी दिवस मनाते हैं। हिन्दी भाषा है भावनाओं की, भारत की संस्कृति और परंपराओं की इसलिए यह भाषा, एक प्यारी भाषा का दर्जा पाने की हकदार है। हिन्दी अपने आप में एक मिलनसार और विशाल हृदय वाली भाषा है, जिसने अन्य अनेक भाषाओं को भी व्यापक रूप में अपने शब्दकोश में समाहित किया हुआ है। हिन्दी हमारे देश की जन सम्पर्क की भाषा है और भारतीयों के दिल में रची-बसी भाषा है।

गूंज उठे भारत की धरती, हिन्दी के जय गानों से।

पूजित पोषित परिर्द्धित हो, बालक वृद्ध जवानों से।

 No.-41.  स्वच्छता अभियान पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

क्या है।

क्यों और कैसे

सुझाव

स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा चलाया जाने । वाला एक राष्ट्रव्यापी सफाई अभियान है। इस अभियान द्वारा भारत को एक स्वच्छ राष्ट्र बनाया जाएगा। इस अभियान में शौचालयों का निर्माण करवाना, पीने का साफ पानी हर घर तक पहुँचाना, ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, सड़कों की सफाई करना और देश का नेतृत्व करने के लिए देश के बुनियादी ढाँचे को बदलना शामिल है। स्वच्छ भारत का सपना राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने देखा था। स्वच्छ भारत अभियान 2 अक्टूबर, 2014 को गाँधी जयंती के दिन भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने राजघाट में शुरू किया था। उन्होंने एक मंत्र दिया कि हम न गन्दगी खुद करेंगे और न दूसरों को करने देंगे।इस अभियान को सफल बनाने के लिए हमें सर्वप्रथम स्वयं स्वच्छ रहना होगा तभी हम अपने वातावरण और पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते हैं।

एक कदम स्वच्छता की ओर

 No.-42. लड़कियों की शिक्षा पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

समाज में लड़कियों का स्थान

शिक्षा की अनिवार्यता और बाधाएँ

सबका सहयोग

जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न है, वह तो लड़कों की हो या लड़कियों की, दोनों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। शिक्षा का कार्य तो व्यक्ति के विवेक को जगाकर, उसे सही दिशा प्रदान करना है, परन्तु फिर भी भारत जैसे विकासशील देश में लड़कियों की शिक्षा का महत्व इसलिए अधिक है कि वे देश की भावी पीढ़ी को योग्य बनाने के कार्य में उचित मार्ग दर्शन कर सकती हैं। एक शिक्षित और विकसित मन-मस्तिष्क वाली नारी अपनी आय, परिस्थिति, घर के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकता आदि का ध्यान रखकर उचित व्यवस्था एवं संचालन कर सकती है। इसलिए आज लड़कियों को शिक्षित किया जाने लगा है। स्त्री-शिक्षा के आँकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। स्त्री शिक्षा के महत्व को लोगों ने सहर्ष स्वीकारा है।

 No.-43. जहाँ-चाह वहाँ राह पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

इच्छाशक्ति का महत्व

इच्छाएँ और जीवन मूल्य (स्वाभिमान, संतोष, सत्य आदि)

चाह से राह का निर्माण

जहाँ-चाह वहाँ राह प्रत्येक व्यक्ति के मन में किसी न किसी लक्ष्य को पाने की कामना रहती है। जिसके मन में जो चाह या कामना होती है वह उसकी पूर्ति की दिशा में कार्य करता है। मानव-जीवन में इच्छाशक्ति का अत्यंत महत्व है। व्यक्ति अपने लक्ष्य पर पहुँचने के लिए परिश्रम करता है। वह कर्म करने में रुचि रखता है तथा अपने लक्ष्य को पाने के लिए सर्वस्व समर्पित करने को तैयार रहता है। ऐसे व्यक्ति के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं, परंतु वह प्रत्येक बाधा का सामना करते हुए अपने पथ पर निरंतर अग्रसर होता है।

कठिनाइयों के बीच में से रास्ता निकालकर निरंतर आगे बढ़ने वाले लोग ही मानव जाति का आदर्श होते हैं। जब अथक परिश्रम के बाद हमारी इच्छाओं की पूर्ति होती है। तब हमारे भीतर स्वाभिमान, संतोष, सत्य आदि जीवन मूल्यों का वास होता है। ऐसे लोगों की राह पर चलकर ही अनेक लोग जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भी ऐसी ही एक महान नारी थीं। चाह से ही राह का निर्माण होता है। अतः कहा जा सकता है कि जहाँ चाह होती है वहाँ राह अपने आप बन जाती है।

No.-44. मेरे सपनों का भारत पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

भारत प्राकृतिक स्थिति

उन्नत भारत की चाह

सुनियोजित भारत

भारत के बारे में मेरी कल्पना

भ्रष्टाचार मुक्त भारत

भारतवर्ष की पावन धरती का प्राकतिक सौंदर्य अत्यन्त अद्भुत है। हिमालय भारत के माथे का दिव्य मुकुट है। तथा हिंद महासागर भारत माता के चरणों को स्पर्श करे धन्य होता है। उत्तर में हिमालय तथा पूर्व-पश्चिम । एवं दक्षिण में सागर इस महान् देश की रक्षा करते हैं। यहाँ के पर्वत और उनसे निकलने वाले झरने तथा नदियाँ भारत की शोभा में चार चाँद लगाते हैं। भारत में कहीं पर्वत हैं, तो कहीं मरुभूमि है, कहीं मैदान हैं, तो कहीं पठारे । यहाँ के उपजाऊ खेतों में हरी-भरी फसलें लहलहाती हैं। यहाँ के समुद्रों की छटा देखते ही बनती है।

 

भारत हमारी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि है। भारत सदियों से विश्व का मार्गदर्शक बना हुआ था। अब भारत की प्रतिष्ठा दिनप्रतिदिन धूमिल होती जा रही है। मैं अपने देश भारत को पुनः विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर अंकित करना चाहता हूँ। यह तभी संभव हो सकेगा जब देश का हर नागरिक अपने दायित्वों का भली-भाँति निर्वाह करेगा। लोग अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे और भ्रष्टाचार से देश को मुक्ति दिलाने का प्रयास करेंगे। हमारे देश का विकास अवरोधित हो चुका है इसका प्रमुख कारण देश में व्याप्त भ्रष्टाचार है। यह हमारे देश की बुनियाद को खोखला कर रहा है। अतः यदि हम अपने देश भारत को पुनः उसकी गरिमा दिलाना चाहते हैं, उसे वही सोने की चिड़िया बनाना चाहते हैं, तो हमें अपने राष्ट्र में व्याप्त सभी बुराइयों को मिलकर मिटाना होगा तभी हमारा देश सुनियोजित रहकर अमन, चैन तथा खुशहाली की मिसाल बन सकेगा।

 No.-45. समय-नियोजन पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

अर्थ

व्यवस्था

लाभ

प्रत्येक कार्य को नियोजित समय पर करना समय-नियोजन कहलाता है। समय का बहुत अधिक महत्व है। समय का सदुपयोग हमारे जीवन को खुशियों से भर सकता है और अमूल्य क्षण नष्ट होने से बच जाते हैं। यह सफलता का प्रथम सोपान है।

उपयुक्त समय पर उपयुक्त कार्य करना चाहिए। रोगी के मर जाने पर उसे औषधि प्रदान करने से कोई लाभ नहीं होता। फिर तो वही बात होती है-अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत ।अर्थात् किसी भी कार्य को सम्पन्न करने का एक निश्चित समय होता है। उस समय के निकल जाने के बाद यदि कार्य हो भी जाए तो उसकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है।

आग लगने पर कुआँ खोदने वाला व्यक्ति कभी भी, अपना घर नहीं बचा पाता। उसका सर्वनाश निश्चित ही होता है। जो विद्यार्थी परीक्षा के दिनों में भी अध्ययन नहीं करता वह परीक्षा परिणाम घोषित होने पर आँसू ही बहाता है। जो समय नष्ट करता है, समय उसे नष्ट . कर देता है। जो समय को बचाता है, समय का सम्मान करता है, तो समय भी उस व्यक्ति को बचाता है, तथा उसे सम्मान देता है।

 No.-46.  मित्रता पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

मित्रता का महत्त्व

अच्छे मित्र के लक्षण

लाभ-हानि

मित्रता एक अनमोल धन है। यह एक ऐसी धरोहर है जिसका मूल्य लगा पाना संभव नहीं है। इस धन व धरोहर के सहारे मनुष्य कठिन से कठिन समय से भी बाहर निकल आता है। भगवान के द्वारा मनुष्य को परिवार मिलता है और मित्र वह स्वयं बनाता है। जीवन के संघर्षपूर्ण मार्ग पर चलते हुए उसके साथ उसका मित्र कन्धे से कन्धा मिलाकर चलता है। हर व्यक्ति को मित्रता की आवश्यकता होती है। वह चाहे सुख के क्षण हों या दुःख के क्षण, मित्र उसके साथ रहता है। किसी विशेष गूढ़ बात पर मित्र ही उसे सही सलाह देकर उसका मार्गदर्शन करता है।

मित्र ही उसका सही अर्थों में सच्चा शुभचिंतक, मार्गदर्शक, शुभ इच्छा रखने वाला होता है। सच्ची मित्रता में प्रेम व त्याग का भाव होता है। मित्र की भलाई दूसरे मित्र का कर्त्तव्य होता है। सच्चा मित्र वही होता है जो विपत्ति के समय अपने मित्र के साथ दृढ़ निश्चय होकर खड़ा रहता है। हमें चाहिए कि जब भी किसी को अपना मित्र बनाएं तो सोच विचार कर बनाएं क्योंकि जहाँ एक सच्चा मित्र आपका साथ दे, आपको ऊँचाई तक पहुँचा सकता है, कपटी मित्र अपने स्वार्थ के लिए आपको पतन के रास्ते पर भी पहुँचा सकता है। जो आपके मुंह पर आपका सगा बने और पीठ पीछे आपकी बुराई करे ऐसे मित्र को दूर से नमस्कार कहने में ही भलाई है।

 No.-47. दहेज प्रथा- एक अभिशाप पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

सामाजिक समस्या

रोकथाम के उपाय

युवकों का कर्तव्य

दहेज प्रथा हिन्दू समाज की नवीनतम बुराईयों में से एक है। विगत बीस-पच्चीस वर्षों में यह बुराई इतनी बढ़कर सामने आई है कि इसका प्रभाव समाज की आर्थिक एवं नैतिक अवस्था की कमर तोड़ रहा है। इस प्रथा के पीछे लोभ की दुष्प्रवृत्ति है। दहेज प्रथा भारत के सभी क्षेत्रों और वर्गों में व्याप्त है। दहेज प्रथा को जीवित रखने वाले तो थोड़े से व्यक्ति हैं, परन्तु समाज पर इसका कुप्रभाव अत्यधिक पड़ रहा हैं। कितनी ही बार देखा जाता है कि पिता को अपनी सुंदर लड़की की शादी धन के अभाव के कारण किसी भी बिना पढ़े-लिखे, अवगुणों से भरपूर लड़के के साथ करनी पड़ती है। कई बार सुनने में आता है कि दहेज प्रथा के कारण या तो लड़की ने आत्महत्या कर ली या ससुराल में उसे प्रताड़ित करते हुए जलाकर अथवा किसी भी तरीके से मार दिया गया।

दहेज प्रथा की बीमारी पढ़े-लिखे लोगों में अनपढ़ लोगों की अपेक्षा अधिक फैली हुई है। सरकार ने दहेज प्रथा के विरुद्ध कानून बना दिया है, लेकिन दहेज प्रथा के विरुद्ध प्रताड़ित होने के बावजूद कोई वकील और कचहरी के चक्कर लगाना नहीं चाहता। अतः कानून को और सख्त बनाना पड़ेगा। लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलवाना आवश्यक है ताकि वह स्वयं के अधिकारों के प्रति जागरूक हों। इस प्रथा को तो समाज का युवावर्ग ही तोड़ने में समर्थ हो सकता है। वह वर्तमान परम्पराओं का एक बार तिरस्कार कर दे, तो दहेज प्रथा धीरे-धीरे खत्म हो सकती है।

 No.-48. कम्प्यूटर पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

उपयोगी वैज्ञानिक अविष्कार

विविध क्षेत्रों में कम्प्यूटर

लाभ-हानि

कम्प्यूटर के अविष्कार से जीवन, आफिस, संचार एवं/फोटो/डाटा के क्षेत्र में जो क्रांति आई है, वह आज तक के दूसरे आविष्कारों के मुकाबले बहुत तीव्र है। कम्प्यूटर के माध्यम से डिजाइनिंग व छपाई को एक नया आयाम मिला। कम्प्यूटर के अविष्कार के साथ कई नये कार्यक्षेत्रों का जन्म हुआ जिससे रोजगार के नये अवसर पैदा हुए। आज कम्प्यूटर हर क्षेत्र में अपना स्थान बना चुका है। रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा, सरकारी या गैर-सरकारी कार्यालय, बैंक, पत्र-पत्रिकाओं। समाचार पत्रों का कार्यालय हो, कुछ ही क्षणों में हम कम्प्यूटर के माध्यम से अपने कार्यों को सफलतापूर्वक कर सकते है। अपने कार्यों को और अच्छा बनाने के लिए ई-मेल का सहारा लेते हैं। आज ई-मेल भी हर क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण जरूरत के रूप में सामने आया है। इसी तरह से दुनिया के किसी शहर क्षेत्र की जानकारी, कोई महत्वपूर्ण सूचना या प्रसिद्ध व्यक्तियों के बारे में जानकारी हमें ''गूगल'' से मिल जाती है।

कम्प्यूटर के लाभ हैं, तो इससे जुड़ी हानियाँ भी कम नहीं हैं। यदि कम्प्यूटर में वायरस आ जाए, तो समस्त जानकारियाँ, फाइल इत्यादि नष्ट हो जाती हैं। कुछ आपराधिक मानसिकता के लोगों द्वारा, तो कई बैंकों या देश की सुरक्षा संबंधी क्षेत्रों में कम्प्यूटर व इन्टरनेट के माध्यम से घुसपैठ की जाती है। साइबर क्राइम इसी से जुड़ा होता है जो अत्यधिक चिन्ता का विषय है। इसके अतिरिक्त कम्प्यूटर पर ज्यादा बैठने वाले लोगों को, सिर दर्द, पीठ दर्द, स्पोन्डोलाइटिस, आँखों संबंधी परेशानी जैसी कई बीमारियाँ हो जाती हैं।

 

No.-49. विज्ञान के आधुनिक चमत्कार पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

मानव जीवन और विज्ञान

आधुनिक आविष्कार

लाभ-हानि

वर्तमान समय विज्ञान का है। विज्ञान ने हमें अनेक चमत्कारी वस्तुएँ प्रदान की है। विज्ञान के आधुनिक चमत्कार हैं- कम्प्यूटर, इंटरनेट और स्मार्ट मोबाइल फोन। इसके अलावा यातायात, चिकित्सा शिक्षा, जनसंचार, मुद्रण आदि क्षेत्रों में विज्ञान के चमत्कारों/आविष्कारों ने हमारा जीवन बहुत सुखद एवं सुविधाजनक बना दिया है। जब से कम्प्यूटर के साथ इंटरनेट को जोड़ दिया गया है, तब से विज्ञान के और नये-नये आविष्कारों में क्रांति सी आ गयी है। किस जगह पर कहाँ और क्या हो रहा है, हमें तुरन्त खबर मिल जाती है। आने वाले 8, 10 दिनों में मौसम कैसा रहेगा, उसका पूर्वानुमान लगा लिया जाता है। घर बैठे सारी सूचनाएँ उपलब्ध हो जाती हैं। सारे बिल घर बैठे जमा हो जाते हैं। बैंकिंग का काम हो जाता है।

हवाई, रेल अथवा बस की टिकट बुक हो जाती है। 5 मिनट के अन्दर टैक्सी सर्विस आपके घर पर मुहैया हो जाती है। मोबाइल फोन भी एक वरदान है। हम सभी के साथ चौबीस घंटे संपर्क में रहते हैं। फेसबुक और व्हाट्सएप सोशल मीडिया के जरिये हम जाने-अनजाने सभी व्यक्तियों से विचारों का आदान-प्रदान कर सकते है। यह फोन कैमरे और घड़ी का भी काम करता है। अब तो फोन पर भी इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है।

No.-50. शारीरिक श्रम पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

श्रम और मानव जीवन

लाभ

सुझाव

श्रम संसार में सफलता दिलाने का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साधन है। श्रम करके ही हम जीवन की इच्छा-आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकते हैं। यह संसार कर्मक्षेत्र है। यहाँ कर्म करके ही सफलता पाई जा सकती है। काम में सफलता तभी मिलती है जब हम ईमानदारी से परिश्रम/मेहनत करते हैं। श्रम से जीवन को गति मिलती है। यदि हम मेहनत नहीं करना चाहते, दूसरे शब्दों में यदि हम श्रम की उपेक्षा करते है तो हमारे जीवन में एक ठहराव आने लगता है। हमारे सामने चींटी का उदाहरण है। चींटी को श्रमजीवी कहा गया है। वह श्रम करके एक-एक दाना जमा करती है ताकि वर्षाकाल में उसे भोजन का अभाव न हो। हम भी श्रम करके भावी कठिनाइयों और शारीरिक बीमारियों से जूझने की हिम्मत जुटा सकते है। श्रम न करने वाले लोग भाग्यवादी होते हैं, वास्तव में वे आलसी होते हैं। श्रम करने से कतराते हैं। उन्हें यह बात भली-भांति समझ लेनी चाहिए कि जीवन में श्रम के बलबूते पर ही सफलता पायी जा सकती है।

 No.-51. कंप्यूटर हमारा मित्र पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

क्या है

विद्यार्थियों के लिए उपयोग

सुझाव

ऑक्सफॉर्ड डिक्शनरी के अनुसार, ''कंप्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो अनेक प्रकार की तर्कपूर्ण गणनाओं के लिए प्रयोग किया जाता है।'' कंप्यूटर बिजली से चलने वाली मशीन है, जिसकी प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होती है- इनपुट, प्रोसेस, आउटपुट अर्थात जब हम कंप्यूटर में कोई डाटा इनपुट करते हैं, तो कंप्यूटर उस डाटा को प्रोसेस करके प्रयोगकर्ता को आउटपुट प्रदान करता है।

 आज का युग कंम्प्यूटर का युग है। कंप्यूटर ने मानव जीवन को सरल बना दिया है। कंप्यूटर बड़े से बड़े काम को कुछ मिनटों में पूरा कर देता है। कंप्यूटर प्रत्येक वर्ग के जीवन का एक अनिवार्य अंग है। बच्चे हों या युवा, प्रौढ़ हों या बुजुर्ग कंप्यूटर ने सभी वर्गों में अपनी अनिवार्यता सिद्ध कर दी है। विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर वर्तमान समय में बहु उपयोगी साधन प्रतीत होता है। गणित, अंग्रेजी, विज्ञान, सामान्य ज्ञान आदि विषयों का अध्ययन विद्यार्थियों द्वारा कंप्यूटर के माध्यम से किया जा सकता है।

 पढ़ाई-लिखाई से लेकर मनोरंजन आदि तक के लिए कंप्यूटर अपनी महत्ता को दर्शाता है। इन सभी के अतिरिक्त विद्यार्थियों द्वारा इसका गलत ढंग से प्रयोग किया जाता है, जिसके कारण वे अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और जीवन को बर्बाद कर लेते हैं। अतः प्रत्येक विद्यार्थी को कंप्यूटर का प्रयोग अपने मित्र की भाँति करना चाहिए, जिससे वे अधिकाधिक लाभ अर्जित कर सकें। कंप्यूटर का गलत ढंग से उपयोग करने से विद्यार्थियों को बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अतः प्रत्येक विद्यार्थी को कंप्यूटर का प्रयोग अच्छी चीजों को ढूँढने, अध्ययन आदि करने हेतु करना चाहिए।

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