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गरीब टैक्सी ड्राइवर के होनहार बेटे ने किया कमाल, कड़ी मेहनत से बना IAS ऑफिसर

 

IAS Azharuddin Quazi Success Story

IAS Azharuddin Quazi Success Story: कहते हैं, ‘जितना बड़ा आप का संघर्ष होता है उतनी ही शानदार आपको कामयाबी मिलती है।हर व्यक्ति को अपनी जीवन यात्रा में सफल होने के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ता है, हाँ, लेकिन कुछ लोगों के जीवन में चुनौतियाँ इस क़दर आती है कि अक्सर उन से घबराकर व्यक्ति हार मान लेता है। परन्तु इस संसार में असंभव कुछ भी नहीं। हम वह सब कर सकते है, जो हम सोच सकते हैं।

 

इसी बात का सटीक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव यवतमाल के रहने वाले अज़हरूद्दीन काज़ी (IAS Azharuddin Quazi) , जिन्होंने अत्यंत ग़रीबी और संघर्षों का सामना करते हुए पढ़ाई की और कड़ी मेहनत करके वर्ष 2020 में IAS ऑफिसर बनकर सबको चौका दिया। आज वे उन सभी गरीब और कमजोर बैकग्राउंड से आने वाले यूपीएससी प्रतिभागियों के लिए मिसाल बन गए हैं जो यह सोचते थे कि ऐसे हालातों में UPSC परीक्षा पास करना नामुमकिन है। चलिए जानते हैं कि अज़हरूद्दीन ने संघर्षों से सफलता तक का सफ़र कैसे तय किया

 

पिता चलाते थे टैक्सी, ग़रीबी में बीता बचपन

अज़हरूद्दीन काज़ी (IAS Azharuddin Quazi) की ज़िन्दगी में बचपन से ही परेशानियों ने डेरा डाला हुआ था। वे एक अत्यंत निर्धन परिवार में जन्मे थे। उनके पिताजी एक टैक्सी ड्राइवर थे और सारे घर की जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर थी। उनकी माँ एक गृहणी थीं, लेकिन उन्हें पढ़ना लिखना पसन्द था। अज़हरूद्दीन के तीन और भाई हैं और बच्चों में वही सबसे बड़े हैं।

 

इस प्रकार से उनके परिवार में कोई 6 लोग हैं, जिनका पालन पोषण करने का जिम्मा अकेले उनके पिताजी ही उठाते थे। उनकी माँ की शादी छोटी उम्र में ही हो गई थी इसलिए उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी थी, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित किया और उनसे जितना बन पड़ा उनका साथ दिया ताकि उनके अधूरे सपनों को वे अपने बच्चों के द्वारा पूरा होते हुए देखें।

 

सरकारी स्कूल से की पढ़ाई, कोचिंग के पैसे नहीं थे तो माँ ने ही पढ़ाया

उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब होने की वज़ह से माता-पिता के पास इतने भी पैसे नहीं होते थे कि वह अपने बच्चों को साधारण स्कूल में भी शिक्षा दिला पाएँ। उनकी माँ ने जैसे तैसे करके सभी बच्चों को यवतमाल में ही एक साधारण सरकारी हिन्दी मीडियम स्कूल में दाखिला कराया। अज़हरूद्दीन की शुरुआती शिक्षा भी उसी विद्यालय से पूरी हुई।

 

एक इंटरव्यू के दौरान अज़हरूद्दीन ने बताया कि उनके पास कोचिंग जाने के पैसे नहीं होते थे इसलिए उनकी माँ है सभी बच्चों को दसवीं कक्षा तक घर पर पढ़ाया करती थीं। फिर बाद में उन्होंने अपना सब्जेक्ट कॉमर्स सेलेक्ट किया तथा ग्रेजुएशन भी पूरा किया। ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के साथ ही वे एक प्राइवेट नौकरी भी किया करते थे, परन्तु फिर भी उनके घर की माली हालत नहीं सुधर पा रही थी।

 

एक IPS ऑफिसर से प्रभावित होकर UPSC परीक्षा देने का किया फैसला

अज़हरूद्दीन आगे बताते हुए कहते हैं कि अब तो उनके परिवार की परिस्थितियाँ ऐसी भी नहीं रही थी कि उनके भाइयों की आगे की पढ़ाई चालू रह पाए। फिर उसी दौरान वर्ष 2010 में अज़हरूद्दीन दिल्ली से सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने का फ़ैसला किया। दरअसल वे किसी समारोह में एक IPS ऑफिसर से मिले थे, जिनका उनके ऊपर काफ़ी प्रभाव पड़ा था और इसी वज़ह से उन्होंने सिविल सर्विसेज जाने का मन बनाया।

 

उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा देने का मन तो बना लिया था लेकिन उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे की वे दिल्ली पहुँच सकें। फिर किसी तरह टिकट का इंतज़ाम करके खड़े-खड़े ट्रेन से दिल्ली पहुँच गए तथा वहाँ जाकर एक ऐसी कोचिंग क्लास में प्रवेश लिया, जो की UPSC प्रतिभागियों को फ्री कोचिंग दिया करते थे। इस कोचिंग संस्थान में उनका चयन हुआ और उन्होंने तैयारी करके पहली बार UPSC की परीक्षा दी।

 

2 बार हुए फेल, फिर तैयारी के लिए बैंक की सरकारी नौकरी छोड़ी

वर्ष 20102011 में अज़हरूद्दीन ने परीक्षा दी, परन्तु दोनों ही बार उन्हें असफलता मिली। इसी बीच उनका परिवार की भी माली हालत अत्यधिक खराब हो गयी थी, तब अज़हरूद्दीन निराश हो गए और उन्हें लगा कि सिविल सेवाओं का क्षेत्र उनके लिए नहीं है। वे सोचने लगे कि ऐसे समय में उन्हें परिवार की मदद करनी चाहिए ताकि उनके भाइयों की पढ़ाई भी चल पाए। फिर उन्होंने कोई जॉब करने का निश्चय किया। फिर क़िस्मत ने साथ दिया और एक सरकारी बैंक में उनकी जॉब लग गई, जहाँ वे PO की पोस्ट पर सेलेक्ट हुए। फिर वे लगातार 7 सालों तक इसी नौकरी में लगे रहे। जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया और साथ ही उनके भाइयों की शिक्षा भी पूरी हो पाई।

 

अज़हरूद्दीन की नौकरी अच्छी चल रही थी और उन्हें प्रमोशन पर प्रमोशन मिल रहा था, परन्तु इसके बावजूद उनके दिल में मलाल था कि वे सिविल सेवा में नहीं जा पाए। फिर उन्होंने एक और बार कोशिश करनी चाही तथा जॉब के साथ परीक्षा की तैयारी भी शुरू करना चाहते थे, लेकिन समय ना मिल पाने की वज़ह से वे तैयारी नहीं कर पा रहे थे।

 

फिर उन्होंने एक ऐसा फ़ैसला लिया, जिसे सुनकर हर कोई उनके फैसले की निंदा कर रहा था और कहा कि वे मूर्खता कर रहे हैं। यह फ़ैसला था, अज़हरूद्दीन के द्वारा अपनी अच्छी खासी सरकारी नौकरी छोड़ने का, जिसमें वे ब्रांच मैनेजर की पोस्ट पर काम कर रहे थे। लेकिन अज़हरूद्दीन अपने सपने को हर हाल में पूरा करना चाहते थे। फिर यह जॉब छोड़ कर वे एक बार फिर UPSC एग्जाम की तैयारी के लिए दिल्ली पहुँचे और तैयारी शुरू की।

 

सेल्फ स्टडी की और बने 2020 बैच के IAS ऑफिसर

हालाँकि अज़हरूद्दीन ने 7 साल पहले ही पढ़ाई छोड़ दी थी, इसलिए उन्हें पता था कि इतने वर्षों बाद फिर से इस परीक्षा की तैयारी करने में उन्हें काफ़ी दिक्कत आने वाली है, लेकिन उन्होंने अपने हौसले कम नहीं होने दिए। फिर करीब 1 वर्ष तक तैयारी करने के पश्चात उन्होंने तीसरी बार प्रयास किया जिसने उनका सिलेक्शन इंटरव्यू राउंड तक हुआ परंतु वे चयनित नहीं हो पाए।

 

फिर अगले वर्ष 2019 में उन्होंने एक बार फिर से प्रयास किया और अन्ततः इस बार उन्हें सफलता मिली। वे 2020 बैच के IAS ऑफिसर बने। आपको बता दें कि IAS अज़हरूद्दीन ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी self-study द्वारा ही कि उन्होंने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। उनके आईएएस बनने के सपने के बीच में बहुत-सी बाधाएँ आई, कभी-कभी तो इस वज़ह से बहुत हताश हो जाते थे तथा सोचते थे कि कहीं उन्होंने ग़लत फ़ैसला तो नहीं कर लिया परंतु फिर वह ख़ुद को मोटिवेट करते और पूरी मेहनत के साथ तैयारी में जुट जाते।

 

IAS बनने के बाद अज़हरूद्दीन अपने गाँव वालों के लिए और इसी तरह के अन्य पिछड़े इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं, जिन्हें मूलभूत सुविधाएँ भी ना मिल पाने की वज़ह से बहुत अधिक समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं।

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