भारत का इतिहास: एक झलक / History of
India: At a Glance
भारत का इतिहास: एक झलक ! History of
India: At a Glance
No:1. भारत का इतिहास कई हजार
वर्ष पुराना माना जाता है।
No:2. भारत के इतिहास को अगर
विश्व के इतिहास के महान अध्ययनों में से एक कहा जाए तो इसे अतिशयोक्ति नहीं कहा
जा सकता ।
No:3. इसका वर्णन करते हुए भारत
के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, “विरोधाभासों से भरा लेकिन
मजबूत अदृश्य धागों से बंधा”।
No:4. भारतीय इतिहास की विशेषता
है कि वह खुद को तलाशने की सतत प्रक्रिया में लगा रहता है और लगातार बढ़ता रहता है, इसलिए इस बार में समझने की कोशिश करने वालों को यह
मायावी लगता है।
No:5. इस अद्भुत उपमहाद्वीप का
इतिहास लगभग 75,000 साल
पुराना है और इसका प्रमाण होमो सेपियंस की मानव गतिविधि से मिलता है ।
No:6. यह आश्चर्य की बात है कि 5000 साल पहले सिंधु घाटी
सभ्यता के वासियों के ने कृषि और व्यापार पर आधारित पर शहरी संस्कृति विकसित कर ली
थी।
भारत का इतिहास: कालखंड
पाषाण
युग |
70000
से 3300
ई. पू |
मेहरगढ़
संस्कृति |
7000-3300
ई. पू |
सिंधु
घाटी सभ्यता |
3300-1700
ई.पू |
हड़प्पा
संस्कृति |
1700-1300
ई.पू |
वैदिक
काल |
1500–500
ई.पू |
प्राचीन
भारत |
1200
ई.पू–240
ई. |
महाजनपद |
700–300
ई.पू |
मगध
साम्राज्य |
545–320
ई.पू |
सातवाहन
साम्राज्य |
230
ई.पू-199
ई. |
मौर्य
साम्राज |
321–184
ई.पू |
शुंग
साम्राज्य |
184–123
ई.पू |
शक
साम्राज्य |
123
ई.पू–200
ई |
कुषाण
साम्राज्य |
60–240
ई. |
पूर्व
मध्यकालीन भारत |
240
ई.पू–
800 ई. |
चोल
साम्राज्य |
250
ई.पू- 1070
ई |
गुप्त
साम्राज् |
280–550
ई. |
पाल
साम्राज्य |
750–1174
ई. |
प्रतिहार
साम्राज्य |
830–963
ई |
राजपूत
काल |
900–1162
ई. |
मध्यकालीन
भारत |
500
ई.–
1761 ई. |
दिल्ली
सल्तनत |
1206–1526
ई. |
ग़ुलाम
वंश |
1206-1290
ई. |
ख़िलजी
वंश |
1290-1320
ई. |
तुग़लक़
वंश |
1320-1414
ई. |
सैय्यद
वंश |
1414-1451
ई. |
लोदी
वंश |
1451-1526
ई. |
मुग़ल
साम्राज्य |
1526–1857
ई. |
दक्कन
सल्तनत |
1490–1596
ई. |
बहमनी
वंश |
1358-1518
ई. |
निज़ामशाही
वंश |
1490-1565
ई. |
दक्षिणी
साम्राज्य |
1040-1565
ई. |
राष्ट्रकूट
वंश |
736-973
ई. |
होयसल
साम्राज्य |
1040–1346
ई. |
ककातिया
साम्राज्य |
1083-1323
ई. |
विजयनगर
साम्राज्य |
1326-1565
ई. |
आधुनिक
भारत |
1762–1947
ई. |
मराठा
साम्राज्य |
1674-1818
ई. |
सिख
राज्यसंघ |
1716-1849
ई. |
औपनिवेश
काल |
1760-1947
ई. |
प्राचीन भारत का इतिहास
No:1. भारत का इतिहास और संस्कृति
गतिशील है और यह मानव सभ्यता की शुरूआत तक जाती है।
No:2. यह सिंधु घाटी की रहस्यमयी
संस्कृति से शुरू होती है और भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक जाती
है।
No:3. भारत के इतिहास में भारत
के आस पास स्थित अनेक संस्कृतियों से लोगों का निरंतर समेकन होता रहा है।
No:4. उपलब्ध साक्ष्य सुझाते
हैं कि लोहे, तांबे
और अन्य धातुओं के उपयोग काफी शुरूआती समय में भी भारतीय उप महाद्वीप में प्रचलित
थे, जो दुनिया के इस हिस्से
द्वारा की गई प्रगति का संकेत है।
No:5. चौंथी सहस्राब्दि बी. सी.
के अंत तक भारत एक अत्यंत विकसित सभ्यता के क्षेत्र के रूप में उभर चुका था।
सिंधु घाटी की सभ्यता
No:1. भारत का इतिहास सिंधु घाटी
की सभ्यता के जन्म के साथ आरंभ हुआ, और अधिक बारीकी से कहा
जाए तो हड़प्पा सभ्यता के समय इसकी शुरूआत मानी जाती है।
No:2. यह दक्षिण एशिया के
पश्चिमी हिस्से में लगभग 2500 बीसी में फली फूली, जिसे आज पाकिस्तान और
पश्चिमी भारत कहा जाता है।
No:3. सिंधु घाटी मिश्र, मेसोपोटामिया, भारत और चीन की चार
प्राचीन शहरी सबसे बड़ी सभ्यताओं का घर थी।
No:4. इस सभ्यता के बारे में 1920 तक कुछ भी ज्ञात नहीं था, जब भारतीय पुरातात्विक
विभाग ने सिंधु घाटी की खुदाई का कार्य आरंभ किया, जिसमें दो पुराने शहरों
अर्थात मोहन जोदाड़ो और हड़प्पा के भग्नावशेष निकल कर आए।
No:5. भवनों के टूटे हुए हिस्से
और अन्य वस्तुएं जैसे कि घरेलू सामान, युद्ध के हथियार, सोने और चांदी के आभूषण, मुहर, खिलौने, बर्तन आदि दर्शाते हैं कि
इस क्षेत्र में लगभग पांच हजार साल पहले एक अत्यंत उच्च विकसित सभ्यता फली
फूली।
No:6. सिंधु घाटी की सभ्यता
मूलत: एक शहरी सभ्यता थी और यहां रहने वाले लोग एक सुयोजनाबद्ध और सुनिर्मित कस्बों
में रहा करते थे, जो व्यापार के केन्द्र भी थे।
No:7. मोहन जोदाड़ो और हड़प्पा
के भग्नावशेष दर्शाते हैं कि ये भव्य व्यापारिक शहर वैज्ञानिक दृष्टि से बनाए
गए थे और इनकी देखभाल अच्छी तरह की जाती थी।
No:8. यहां चौड़ी सड़कें और एक
सुविकसित निकास प्रणाली थी। घर पकाई गई ईंटों से बने होते थे और इनमें दो या दो से
अधिक मंजिलें होती थी।
No:9. उच्च विकसित सभ्यता
हड़प्पा में अनाज, गेहूं और जौ उगाने की कला ज्ञात थी, जिससे वे अपना मोटा भोजन
तैयार करते थे।
No:10. उन्होंने सब्जियों और फल
तथा मांस, सुअर और अण्डे का सेवन
भी किया।
No:11. साक्ष्य सुझाव देते हैं
कि ये ऊनी तथा सूती कपड़े पहनते थे। वर्ष 1500 से बी सी तक हड़प्पन
सभ्यता का अंत हो गया।
No:12. सिंधु घाटी की सभ्यता के
नष्ट हो जाने के प्रति प्रचलित अनेक कारणों में शामिल है, लगातार बाढ़ और अन्य
प्राकृतिक विपदाओं का आना जैसे कि भूकंप आदि।
वैदिक सभ्यता
No:1. प्राचीन भारत के इतिहास
में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारंभिक सभ्यता है। इसका नामकरण हिन्दुओं के
प्रारम्भिक साहित्य वेदों के नाम पर किया गया है।
No:2. वैदिक सभ्यता सरस्वती
नदी के किनारे के क्षेत्र जिसमें आधुनिक भारत के पंजाब और हरियाणा राज्य आते हैं, में विकसित हुई।
No:3. वैदिक हिन्दुओं का
पर्यायवाची है, यह
वेदों से निकले धार्मिक और आध्यात्मिक विचारों का दूसरा नाम है।
No:4. इस भारत का इतिहास की
अवधि के दो महान ग्रंथ रामायण और महाभारत थे।
बौद्ध युग
No:1. भगवान गौतम बुद्ध के
जीवनकाल में, ईसा
पूर्व 7 वीं और शुरूआती 6 वीं शताब्दि के दौरान
सोलह बड़ी शक्तियां (महाजनपद) विद्यमान थे।
No:2. अति महत्वपूर्ण गणराज्यों
में कपिलवस्तु के शाक्य और वैशाली के लिच्छवी गणराज्य थे।
No:3. गणराज्यों के अलावा
राजतंत्रीय राज्य भी थे, जिनमें से कौशाम्बी (वत्स), मगध, कोशल, और अवन्ति महत्वपूर्ण
थे।
No:4. इन राज्यों का शासन ऐसे
शक्तिशाली व्यक्तियों के पास था, जिन्होंने राज्य विस्तार और पड़ोसी राज्यों को अपने
में मिलाने की नीति अपना रखी थी।
No:5. तथापि गणराज्यात्मक
राज्यों के तब भी स्पष्ट संकेत थे जब राजाओं के अधीन राज्यों का विस्तार हो
रहा था।
No:6. बुद्ध का जन्म ईसा पूर्व
560 में हुआ और उनका देहान्त
ईसा पूर्व 480 में 80 वर्ष की आयु में हुआ।
No:7. उनका जन्म स्थान नेपाल
में हिमालय पर्वत श्रंखला के पलपा गिरि की तलहटी में बसे कपिलवस्तु नगर का
लुम्बिनी नामक निकुंज था।
No:8. बुद्ध, जिनका वास्तविक नाम
सिद्धार्थ गौतम था, ने बुद्ध धर्म की स्थापना की जो पूर्वी एशिया के
अधिकांश हिस्सों में एक महान संस्कृति के रूप में विकसित हुआ।
सिकंदर का आक्रमण
No:1. ईसा पूर्व 326 में सिकंदर सिंधु नदी को
पार करके तक्षशिला की ओर बढ़ा व भारत पर आक्रमण किया। तब उसने झेलम व चिनाब नदियों
के मध्य अवस्थ्ति राज्य के राजा पौरस को चुनौती दी।
No:2. यद्यपि भारतीयों ने
हाथियों, जिन्हें मेसीडोनिया
वासियों ने पहले कभी नहीं देखा था, को साथ लेकर युद्ध किया, परन्तु भयंकर युद्ध के
बाद भारतीय हार गए।
No:3. सिकंदर ने पौरस को
गिरफ्तार कर लिया, तथा जैसे उसने अन्य स्थानीय राजाओं को परास्त किया था, की भांति उसे अपने
क्षेत्र पर राज्य करने की अनुमति दे दी।
No:4. दक्षिण में हैडासयस व
सिंधु नदियों की ओर अपनी यात्रा के दौरान, सिकंदर ने दार्शनिकों, ब्राह्मणों, जो कि अपनी बुद्धिमानी के
लिए प्रसिद्ध थे, की तलाश की और उनसे दार्शनिक मुद्दों पर बहस की।
No:5. वह अपनी बुद्धिमतापूर्ण
चतुराई व निर्भय विजेता के रूप में सदियों तक भारत में किवदंती बना रहा।
No:6. उग्र भारतीय लड़ाके
कबीलों में से एक मालियों के गांव में सिकन्दर की सेना एकत्रित हुई। इस हमले में
सिकन्दर कई बार जख्मी हुआ।
No:7. जब एक तीर उसके सीने के
कवच को पार करते हुए उसकी पसलियों में जा घुसा, तब वह बहुत गंभीर रूप से
जख्मी हुआ।
No:8. मेसेडोनियन अधिकारियों ने
उसे बड़ी मुश्किल से बचाकर गांव से निकाला।
No:9. सिकन्दर व उसकी सेना
जुलाई 325 ईसा पूर्व में सिंधु नदी
के मुहाने पर पहुंची, तथा घर की ओर जाने के लिए पश्चिम की ओर मुड़ी।
मौर्य साम्राज्य
No:1. मौर्य साम्राज्य की अवधि
(ईसा पूर्व 322 से
ईसा पूर्व 185 तक)
ने भारतीय इतिहास में एक युग का सूत्रपात किया।
No:2. कहा जाता है कि यह वह
अवधि थी जब कालक्रम स्पष्ट हुआ। यह वह समय था जब, राजनीति, कला, और वाणिज्य ने भारत को
एक स्वर्णिम ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
No:3. यह खंडों में विभाजित
राज्यों के एकीकरण का समय था।
No:4. इससे भी आगे इस अवधि के
दौरान बाहरी दुनिया के साथ प्रभावशाली ढंग से भारत के संपर्क स्थापित हुए।
No:5. सिकन्दर की मृत्यु के
बाद उत्पन्न भ्रम की स्थिति ने राज्यों को यूनानियों की दासता से मुक्त कराने
और इस प्रकार पंजाब व सिंध प्रांतों पर कब्जा करने का चन्द्रगुप्त को अवसर
प्रदान किया।
No:6. उसने बाद में कौटिल्य की
सहायता से मगध में नन्द के राज्य को समाप्त कर दिया और ईसा पूर्व और 322 में प्रतापी मौर्य राज्य
की स्थापना की।
No:7. चन्द्रगुप्त जिसने 324 से 301 ईसा पूर्व तक शासन किया, ने मुक्तिदाता की उपाधि
प्राप्त की व भारत के पहले सम्राट की उपाधि प्राप्त की।
No:8. वृद्धावस्था आने पर चन्द्रगुप्त
की रुचि धर्म की ओर हुई तथा ईसा पूर्व 301 में उसने अपनी गद्दी
अपने पुत्र बिंदुसार के लिए छोड़ दी।
No:9. अपने 28 वर्ष के शासनकाल में
बिंदुसार ने दक्षिण के ऊचांई वाले क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की तथा 273 ईसा पूर्व में अपनी
राजगद्दी अपने पुत्र अशोक को सौंप दी।
No:10. अशोक न केवल मौर्य
साम्राज्य का अत्यधिक प्रसिद्ध सम्राट हुआ, परन्तु उसे भारत व विश्व
के महानतम सम्राटों में से एक माना जाता है।
No:11. उसका साम्राज्य हिन्दु
कुश से बंगाल तक के पूर्वी भूभाग में फैला हुआ था व अफगानिस्तान, बलूचिस्तान व पूरे भारत
में फैला हुआ था, केवल सुदूर दक्षिण का कुछ क्षेत्र छूटा था।
No:12. नेपाल की घाटी व कश्मीर
भी उसके साम्राज्य में शामिल थे।अशोक के साम्राज्य की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी
कलिंग विजय (आधुनिक ओडिशा), जो उसके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाली साबित
हुई।
No:13. कलिंग युद्ध में भयानक
नरसंहार व विनाश हुआ। युद्ध भूमि के कष्टों व अत्याचारों ने अशोक के हृदय को
विदीर्ण कर दिया।
No:14. उसने भविष्य में और कोई
युद्ध न करने का प्रण कर लिया।
No:15. उसने सांसरिक विजय के अत्याचारों
तथा सदाचार व आध्यात्मिकता की सफलता को समझा।
No:16. वह बुद्ध के उपदेशों के
प्रति आकर्षित हुआ तथा उसने अपने जीवन को, मनुष्य के हृदय को
कर्तव्य परायणता व धर्म परायणता से जीतने में लगा दिया।
मौर्य साम्राज्य का अंत
No:1. अशोक के उत्तराधिकारी
कमज़ोर शासक हुए, जिससे प्रान्तों को अपनी स्वतंत्रता का दावा करने का
साहस हुआ।
No:2. इतने बड़े साम्राज्य का
प्रशासन चलाने के कठिन कार्य का संपादन कमज़ोर शासकों द्वारा नहीं हो सका।
No:3. उत्तराधिकारियों के बीच
आपसी लड़ाइयों ने भी मौर्य साम्राज्य के अवनति में योगदान किया।ईसवी सन् की प्रथम
शताब्दि के प्रारम्भ में कुशाणों ने भारत के उत्तर पश्चिम मोर्चे में अपना
साम्राज्य स्थापित किया।
No:4. कुशाण सम्राटों में सबसे
अधिक प्रसिद्ध सम्राट कनिष्क (125 ई. से 162 ई. तक), जो कि कुशाण साम्राज्य
का तीसरा सम्राट था।
No:5. कुशाण शासन ईस्वी की
तीसरी शताब्दि के मध्य तक चला। इस साम्राज्य की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ कला
के गांधार घराने का विकास व बुद्ध मत का आगे एशिया के सुदूर क्षेत्रों में विस्तार
करना रही।
गुप्त साम्राज्य
No:1. कुशाणों के बाद गुप्त
साम्राज्य अति महत्वपूर्ण साम्राज्य था। गुप्त अवधि को भारतीय इतिहास का स्वर्णिम
युग कहा जाता है।
No:2. गुप्त साम्राज्य का पहला
प्रसिद्ध सम्राट घटोत्कच का पुत्र चन्द्रगुप्त था। उसने कुमार देवी से विवाह
किया जो कि लिच्छिवियों के प्रमुख की पुत्री थी।
No:3. चन्द्रगुप्त के जीवन
में यह विवाह परिवर्तन लाने वाला था। उसे लिच्छिवियों से पाटलीपुत्र दहेज में
प्राप्त हुआ।
No:4. पाटलीपुत्र से उसने अपने
साम्राज्य की आधार शिला रखी व लिच्छिवियों की मदद से बहुत से पड़ोसी राज्यों को
जीतना शुरू कर दिया। उसने मगध (बिहार), प्रयाग व साकेत (पूर्वी
उत्तर प्रदेश) पर शासन किया।
No:5. उसका साम्राज्य गंगा नदी
से इलाहाबाद तक फैला हुआ था। चन्द्रगुप्त को महाराजाधिराज की उपाधि से विभूषित
किया गया था और उसने लगभग पन्द्रह वर्ष तक शासन किया।
No:6. चन्द्रगुप्त का उत्तराधिकारी
330 ई0 में समुन्द्रगुप्त हुआ
जिसने लगभग 50 वर्ष
तक शासन किया।
No:7. वह बहुत प्रतिभा सम्पन्न
योद्धा था और बताया जाता है कि उसने पूरे दक्षिण में सैन्य अभियान का नेतृत्व
किया तथा विन्ध्य क्षेत्र के बनवासी कबीलों को परास्त किया।
No:8. समुन्द्रगुप्त का उत्तराधिकारी
चन्द्रगुप्त हुआ, जिसे विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है।
No:9. उसने मालवा, गुजरात व काठियावाड़ के
बड़े भूभागों पर विजय प्राप्त की। इससे उन्हे असाधारण धन प्राप्त हुआ और इससे
गुप्त राज्य की समृद्धि में वृद्धि हुई।
No:10. इस अवधि के दौरान गुप्त
राजाओं ने पश्चिमी देशों के साथ समुद्री व्यापार प्रारम्भ किया।
No:11. बहुत संभव है कि उसके
शासनकाल में संस्कृत के महानतम कवि व नाटककार कालीदास व बहुत से दूसरे वैज्ञानिक
व विद्वान फले-फूले।
No:12. गुप्त शासन की अवनतिईसा
की 5वीं शताब्दि के अन्त व
छठवीं शताब्दि में उत्तरी भारत में गुप्त शासन की अवनति से बहुत छोटे स्वतंत्र
राज्यों में वृद्धि हुई व विदेशी हूणों के आक्रमणों को भी आकर्षित किया।
No:13. हूणों का नेता तोरामोरा
था। वह गुप्त साम्राज्य के बड़े हिस्सों को हड़पने में सफल रहा। उसका पुत्र
मिहिराकुल बहुत निर्दय व बर्बर तथा सबसे बुरा ज्ञात तानाशाह था।
No:14. दो स्थानीय शक्तिशाली
राजकुमारों मालवा के यशोधर्मन और मगध के बालादित्य ने उसकी शक्ति को कुचला तथा
भारत में उसके साम्राज्य को समाप्त किया।
हर्षवर्धन
No:1. 7वीं सदी के प्रारम्भ
होने पर, हर्षवर्धन (606-647 इसवी में) ने अपने भाई
राज्यवर्धन की मृत्यु होने पर थानेश्वर व कन्नौज की राजगद्दी संभाली। 612 इसवी तक उत्तर में अपना
साम्राज्य सुदृढ़ कर लिया।
No:2. 620 इसवी में हर्षवर्धन ने
दक्षिण में चालुक्य साम्राज्य, जिस पर उस समय पुलकेसन द्वितीय का शासन था, पर आक्रमण कर दिया परन्तु
चालुक्य ने बहुत जबरदस्त प्रतिरोध किया तथा हर्षवर्धन की हार हो गई।
No:3. हर्षवर्धन की धार्मिक
सहष्णुता, प्रशासनिक
दक्षता व राजनयिक संबंध बनाने की योग्यता जगजाहिर है।
No:4. उसने चीन के साथ राजनयिक
संबंध स्थापित किए व अपने राजदूत वहां भेजे, जिन्होने चीनी राजाओं के
साथ विचारों का आदान-प्रदान किया तथा एक दूसरे के संबंध में अपनी जानकारी का विकास
किया।
No:5. चीनी यात्री ह्वेनसांग, जो उसके शासनकाल में भारत
आया था ने, हर्षवर्धन
के शासन के समय सामाजिक, आर्थिक व धार्मिक स्थितियों का सजीव वर्णन किया है व
हर्षवर्धन की प्रशंसा की है।
No:6. हर्षवर्धन की मृत्यु के
बाद भारत एक बार फिर केंद्रीय सर्वोच्च शक्ति से वंचित हो गया।
बादामी के चालुक्य
No:1. 6ठवीं और 8ठवीं इसवी के दौरान
दक्षिण भारत में चालुक्य बड़े शक्तिशाली थे।
No:2. इस साम्राज्य का प्रथम
शासक पुलकेसन, 540 इसवी
मे शासनारूढ़ हुआ और कई शानदार विजय हासिल कर उसने शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना
किया।
No:3. उसके पुत्रों कीर्तिवर्मन
व मंगलेसा ने कोंकण के मौर्यन सहित अपने पड़ोसियों के साथ कई युद्ध करके सफलताएं
अर्जित की व अपने राज्य का और विस्तार किया।कीर्तिवर्मन का पुत्र पुलकेसन
द्वितीय, चालुक्य साम्राज्य के
महान शासकों में से एक था, उसने लगभग 34 वर्षों तक राज्य किया।
No:4. अपने लम्बे शासनकाल में
उसने महाराष्ट्र में अपनी स्थिति सुदृढ़ की व दक्षिण के बड़े भूभाग को जीत लिया, उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि
हर्षवर्धन के विरूद्ध रक्षात्मक युद्ध लड़ना थी।तथापि 642 इसवी में पल्लव राजा ने
पुलकेसन को परास्त कर मार डाला।
No:5. उसका पुत्र विक्रमादित्य, जो कि अपने पिता के समान
महान शासक था, गद्दी
पर बैठा।
No:6. उसने दक्षिण के अपने
शत्रुओं के विरूद्ध पुन: संघर्ष प्रारंभ किया। उसने चालुक्यों के पुराने वैभव को
काफी हद तक पुन: प्राप्त किया। यहां तक कि उसका परपोता विक्रमादित्य द्वितीय भी
महान योद्धा था।
No:7. 753 इसवी में विक्रमादित्य
व उसके पुत्र का दंती दुर्गा नाम के एक सरदार ने तख्ता पलट दिया।
No:8. उसने महाराष्ट्र व
कर्नाटक में एक और महान साम्राज्य की स्थापना की जो राष्ट्र कूट कहलाया।
No:9. कांची के पल्लवछठवीं सदी
की अंतिम चौथाई में पल्लव राजा सिंहविष्णु शक्तिशाली हुआ तथा कृष्णा व कावेरी
नदियों के बीच के क्षेत्र को जीत लिया।
No:10. उसका पुत्र व उत्तराधिकारी
महेन्द्रवर्मन प्रतिभाशाली व्यक्ति था, जो दुर्भाग्य से चालुक्य
राजा पुलकेसन द्वितीय के हाथों परास्त होकर अपने राज्य के उत्तरी भाग को खो
बैठा।
No:11. परन्तु उसके पुत्र
नरसिंह वर्मन प्रथम ने चालुक्य शक्ति का दमन किया। पल्लव राज्य नरसिंह वर्मन
द्वितीय के शासनकाल में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचा।
No:12. वह अपनी स्थापत्य कला
की उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध था, उसने बहुत से मन्दिरों का
निर्माण करवाया तथा उसके समय में कला व साहित्य फला-फूला।
No:13. संस्कृत का महान विद्वान
दानदिन उस के राजदरबार में था। तथापि उसकी मृत्यु के बाद पल्लव साम्राज्य की
अवनति होती गई।
No:14. समय के साथ-साथ यह मात्र
स्थानीय कबीले की शक्ति के रूप में रह गया। आखिरकार चोल राजा ने 9वीं इसवी के समापन के
आस-पास पल्लव राजा अपराजित को परास्त कर उसका साम्राज्य हथिया लिया।
No:15. भारत के प्राचीन इतिहास
ने, कई साम्राज्यों, जिन्होंने अपनी ऐसी
बपौती पीछे छोड़ी है, जो भारत के स्वर्णिम इतिहास में अभी भी गूंज रही है, का उत्थान व पतन देखा
है।
No:16. 9वीं इसवी के समाप्त
होते-होते भारत का मध्यकालीन इतिहास पाला, सेना, प्रतिहार और राष्ट्र कूट
आदि – आदि उत्थान से प्रारंभ
होता है।
प्राचीन भारतीय
इतिहास के स्रोतभारतीय इतिहास जानने के स्रोत को तीन
भागों में विभाजित किया जा सकता हैं-
1). साहित्यिक साक्ष्यविदेशी
यात्रियों
2). विवरणपुरातत्त्व सम्बन्धी
3). साक्ष्यसाहित्यिक
साक्ष्यसाहित्यिक साक्ष्य के अन्तर्गत साहित्यिक
ग्रन्थों से प्राप्त ऐतिहासिक वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। साहित्यिक साक्ष्य
को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-धार्मिक साहित्य और लौकिक साहित्य।
धार्मिक साहित्य
No:1. धार्मिक साहित्य के अन्तर्गत
ब्राह्मण तथा ब्राह्मणेत्तर साहित्य की चर्चा की जाती है।
No:2. ब्राह्मण ग्रन्थों
में-वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृति ग्रन्थ आते हैं।
No:3. ब्राह्मणेत्तर ग्रन्थों
में जैन तथा बौद्ध ग्रन्थों को सम्मिलित किया जाता है।
No:4. लौकिक साहित्यलौकिक
साहित्य के अन्तर्गत ऐतिहासिक ग्रन्थ, जीवनी, कल्पना-प्रधान तथा गल्प
साहित्य का वर्णन किया जाता है।
No:5. धर्म-ग्रन्थप्राचीन काल
से ही भारत के धर्म प्रधान देश होने के कारण यहां प्रायः तीन धार्मिक धारायें-
1). वैदिक,
2). जैन एवं
3). बौद्ध प्रवाहित हुईं।
No:6. वैदिक धर्म ग्रन्थ को
ब्राह्मण धर्म ग्रन्थ भी कहा जाता है।ब्राह्मण धर्म-ग्रंथब्राह्मण धर्म – ग्रंथ के अन्तर्गत वेद, उपनिषद्, महाकाव्य तथा स्मृति
ग्रंथों को शामिल किया जाता है।
वेद मुख्य लेख
No:1. वेद एक महत्त्वपूर्ण
ब्राह्मण धर्म-ग्रंथ है। वेद शब्द का अर्थ ‘ज्ञान‘ महतज्ञान अर्थात् ‘पवित्र एवं आध्यात्मिक
ज्ञान‘ है।
No:2. यह शब्द संस्कृत के ‘विद्‘ धातु से बना है जिसका
अर्थ है जानना। वेदों के संकलनकर्ता ‘कृष्ण द्वैपायन’ थे।
No:3. कृष्ण द्वैपायन को वेदों
के पृथक्करण-व्यास के कारण ‘वेदव्यास’ की संज्ञा प्राप्त हुई।
No:4. वेदों से ही हमें आर्यो
के विषय में प्रारम्भिक जानकारी मिलती है। कुछ लोग वेदों को अपौरुषेय अर्थात्
दैवकृत मानते हैं।
No:5. वेदों की कुल संख्या चार
है
1). ऋग्वेद- यह ऋचाओं का
संग्रह है।
2). सामवेद- यह ऋचाओं का
संग्रह है।
3). यजुर्वेद- इसमें
यागानुष्ठान के लिए विनियोग वाक्यों का समावेश है।
4). अथर्ववेद- यह
तंत्र-मंत्रों का संग्रह है।
ब्राह्मण ग्रंथ मुख्य लेख
No:1. ब्राह्मण साहित्ययज्ञों
एवं कर्मकाण्डों के विधान एवं इनकी क्रियाओं को भली-भांति समझने के लिए ही इस
ब्राह्मण ग्रंथ की रचना हुई।
No:2. यहां पर ‘ब्रह्म’ का शाब्दिक अर्थ हैं-
यज्ञ अर्थात् यज्ञ के विषयों का अच्छी तरह से प्रतिपादन करने वाले ग्रंथ ही ‘ब्राह्मण ग्रंथ’ कहे गये।
No:3. ब्राह्मण ग्रन्थों में
सर्वथा यज्ञों की वैज्ञानिक, अधिभौतिक तथा अध्यात्मिक मीमांसा प्रस्तुत की गयी है। यह
ग्रंथ अधिकतर गद्य में लिखे हुए हैं।
No:4. इनमें उत्तरकालीन समाज
तथा संस्कृति के सम्बन्ध का ज्ञान प्राप्त होता है।
No:5. प्रत्येक वेद (संहिता) के
अपने-अपने ब्राह्मण होते हैं।
आरण्यक मुख्य लेख
No:1. आरण्यक साहित्य आरयण्कों
में दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों यथा, आत्मा, मृत्यु, जीवन आदि का वर्णन होता
है।
No:2. इन ग्रंथों को आरयण्क
इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन ग्रंथों का मनन अरण्य अर्थात् वन में किया जाता था।
No:3. ये ग्रन्थ अरण्यों
(जंगलों) में निवास करने वाले सन्न्यासियों के मार्गदर्शन के लिए लिखे गए थै।
आरण्यकों में
1). ऐतरेय आरण्यक,
2). शांखायन्त आरण्यक,
3). बृहदारण्यक,
4). मैत्रायणी
5). उपनिषद आरण्यक तथा
6). तवलकार आरण्यक (इसे
जैमिनीयोपनिषद ब्राह्मण भी कहते हैं) मुख्य हैं।
No:4. ऐतरेय तथा शांखायन ऋग्वेद
से, बृहदारण्यक शुक्ल
यजुर्वेद से, मैत्रायणी
उपनिषद आरण्यक कृष्ण यजुर्वेद से तथा तवलकार आरण्यक सामवेद से सम्बद्ध हैं।
No:5. अथर्ववेद का कोई आरण्यक
उपलब्ध नहीं है। आरण्यक ग्रन्थों में प्राण विद्या की महिमा का प्रतिपादन विशेष
रूप से मिलता है।
No:6. इनमें कुछ ऐतिहासिक तथ्य
भी हैं, जैसे- तैत्तिरीय आरण्यक
में कुरु, पंचाल, काशी, विदेह आदि महाजनपदों का
उल्लेख है।
उपनिषद मुख्य लेख
No:1. उपनिषदउपनिषदों की कुल
संख्या 108 है।
No:2. प्रमुख उपनिषद हैं- ईश, केन, कठ, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, श्वेताश्वतर, बृहदारण्यक, कौषीतकि, मुण्डक, प्रश्न, मैत्राणीय आदि। लेकिन
शंकराचार्य ने जिन 10 उपनिषदों पर स्पना भाष्य लिखा है, उनको प्रमाणिक माना गया
है।
No:3. ये हैं – ईश, केन, माण्डूक्य, मुण्डक, तैत्तिरीय, ऐतरेय, प्रश्न, छान्दोग्य और बृहदारण्यक
उपनिषद। इसके अतिरिक्त श्वेताश्वतर और कौषीतकि उपनिषद भी महत्त्वपूर्ण हैं।
No:4. इस प्रकार 103 उपनिषदों में से केवल 13 उपनिषदों को ही
प्रामाणिक माना गया है। भारत का प्रसिद्ध आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ मुण्डोपनिषद से लिया गया
है।
No:5. उपनिषद गद्य और पद्य
दोनों में हैं, जिसमें
प्रश्न, माण्डूक्य, केन, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और कौषीतकि
उपनिषद गद्य में हैं तथा केन, ईश, कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।
वेदांग मुख्य लेख
No:1. वेदांगवेदों के अर्थ को
अच्छी तरह समझने में वेदांग काफ़ी सहायक होते हैं। वेदांग शब्द से अभिप्राय है- ‘जिसके द्वारा किसी वस्तु
के स्वरूप को समझने में सहायता मिले’।
No:2. वेदांगो की कुल संख्या 6 है, जो इस प्रकार है-
1). शिक्षा,
2). कल्प,
3). व्याकरण,
4). निरूक्त,
5). छन्द एवं
6). ज्योतिषब्राह्मण
ग्रन्थों में धर्मशास्त्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
धर्मशास्त्र में चार साहित्य आते हैं-
1). धर्म सूत्र,
2). स्मृति,
3). टीका एवं
4). निबन्ध।
स्मृतियाँ मुख्य लेख
No:1. स्मृतियाँ स्मृतियों को ‘धर्म शास्त्र’ भी कहा जाता है- ‘श्रस्तु वेद विज्ञेयों
धर्मशास्त्रं तु वैस्मृतिः।’ स्मृतियों का उदय सूत्रों को बाद हुआ।
No:2. मनुष्य के पूरे जीवन से
सम्बंधित अनेक क्रिया-कलापों के बारे में असंख्य विधि-निषेधों की जानकारी इन
स्मृतियों से मिलती है।
No:3. सम्भवतः मनुस्मृति (लगभग 200 ई.पूर्व. से 100 ई. मध्य) एवं याज्ञवल्क्य
स्मृति सबसे प्राचीन हैं।
No:4. उस समय के अन्य
महत्त्वपूर्ण स्मृतिकार थे- नारद, पराशर, बृहस्पति, कात्यायन, गौतम, संवर्त, हरीत, अंगिरा आदि, जिनका समय सम्भवतः 100 ई. से लेकर 600 ई. तक था।
No:5. मनुस्मृति से उस समय के
भारत के बारे में राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक जानकारी मिलती है।
No:6. नारद स्मृति से गुप्त वंश
के संदर्भ में जानकारी मिलती है। मेधातिथि, मारुचि, कुल्लूक भट्ट, गोविन्दराज आदि टीकाकारों
ने ‘मनुस्मृति’ पर, जबकि विश्वरूप, अपरार्क, विज्ञानेश्वर आदि ने ‘याज्ञवल्क्य स्मृति’ पर भाष्य लिखे हैं।
महाकाव्य मुख्य लेख
No:1. महाकाव्य’रामायण’ एवं ‘महाभारत’, भारत के दो सर्वाधिक
प्राचीन महाकाव्य हैं।
No:2. यद्यपि इन दोनों
महाकाव्यों के रचनाकाल के विषय में काफ़ी विवाद है, फिर भी कुछ उपलब्ध
साक्ष्यों के आधर पर इन महाकाव्यों का रचनाकाल चौथी शती ई.पू. से चौथी शती ई. के
मध्य माना गया है।
रामायण मुख्य लेख
No:1. रामायणरामायण की रचना
महर्षि बाल्मीकि द्वारा पहली एवं दूसरी शताब्दी के दौरान संस्कृत भाषा में की गयी
।
No:2. बाल्मीकि कृत रामायण में
मूलतः 6000 श्लोक थे, जो कालान्तर में 12000 हुए और फिर 24000 हो गये । इसे ‘चतुर्विशिति साहस्त्री
संहिता’ भ्री कहा गया है।
No:3. बाल्मीकि द्वारा रचित
रामायण- बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, युद्धकाण्ड एवं
उत्तराकाण्ड नामक सात काण्डों में बंटा हुआ है।
No:4. रामायण द्वारा उस समय की
राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक
स्थिति का ज्ञान होता है। रामकथा पर आधारित ग्रंथों का अनुवाद सर्वप्रथम भारत से
बाहर चीन में किया गया।
No:5. भूशुण्डि रामायण को ‘आदिरामायण’ कहा जाता है।
महाभारत मुख्य लेख
No:1. महाभारत महर्षि व्यास द्वारा रचित महाभारत महाकाव्य रामायण से
बृहद है। इसकी रचना का मूल समय ईसा पूर्व चौथी शताब्दी माना जाता है।
No:2. महाभारत में मूलतः 8800 श्लोक थे तथा इसका नाम ‘जयसंहिता’ (विजय संबंधी ग्रंथ) था।
No:3. बाद में श्लोकों की
संख्या 24000 होने के पश्चात् यह
वैदिक जन भरत के वंशजों की कथा होने के कारण ‘भारत‘ कहलाया। कालान्तर में
गुप्त काल में श्लोकों की संख्या बढ़कर एक लाख होने पर यह ‘शतसाहस्त्री संहिता’ या ‘महाभारत’ कहलाया।
No:4. महाभारत का प्रारम्भिक
उल्लेख ‘आश्वलाय गृहसूत्र’ में मिलता है। वर्तमान
में इस महाकाव्य में लगभग एक लाख श्लोकों का संकलन है।
महाभारत महाकाव्य 18 पर्वो-
No:1. आदि,
No:2. सभा,
No:3. वन,
No:4. विराट,
No:5. उद्योग,
No:6. भीष्म,
No:7. द्रोण,
No:8. कर्ण,
No:9. शल्य,
No:10. सौप्तिक,
No:11. स्त्री,
No:12. शान्ति,
No:13. अनुशासन,
No:14. अश्वमेध,
No:15. आश्रमवासी,
No:16. मौसल,
No:17. महाप्रास्थानिक एवं
No:18. स्वर्गारोहण में विभाजित
है।
महाभारत में ‘हरिवंश‘ नाम परिशिष्ट है। इस
महाकाव्य से तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति का ज्ञान होता है।
पुराण मुख्य लेख
No:1. पुराणप्राचीन आख्यानों से
युक्त ग्रंथ को पुराण कहते हैं।
No:2. सम्भवतः 5वीं से 4थी शताब्दी ई.पू. तक
पुराण अस्तित्व में आ चुके थे।
No:3. ब्रह्म वैवर्त पुराण में
पुराणों के पांच लक्षण बताये ये हैं।
No:4. यह हैं- सर्प, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर तथा वंशानुचरित।
कुल पुराणों की संख्या 18 हैं-
1). ब्रह्म पुराण
2). पद्म पुराण
3). विष्णु पुराण
4). वायु पुराण
5). भागवत पुराण
6). नारदीय पुराण,
7). मार्कण्डेय पुराण
8). अग्नि पुराण
9). भविष्य पुराण
10). ब्रह्म वैवर्त पुराण,
11). लिंग पुराण
12). वराह पुराण
13). स्कन्द पुराण
14). वामन पुराण
15). कूर्म पुराण
16). मत्स्य पुराण
17). गरुड़ पुराण और
18). ब्रह्माण्ड पुराण
बौद्ध साहित्य मुख्य लेख
No:1. बौद्ध साहित्यबौद्ध
साहित्य को ‘त्रिपिटक‘ कहा जाता है।
No:2. महात्मा बुद्ध के
परिनिर्वाण के उपरान्त आयोजित विभिन्न बौद्ध संगीतियों में संकलित किये गये
त्रिपिटक (संस्कृत त्रिपिटक) सम्भवतः सर्वाधिक प्राचीन धर्मग्रंथ हैं।
No:3. वुलर एवं रीज डेविड्ज
महोदय ने ‘पिटक‘ का शाब्दिक अर्थ टोकरी
बताया है।
No:4. त्रिपिटक हैं-सुत्तपिटक, विनयपिटक और अभिधम्मपिटक।
जैन साहित्य मुख्य लेख
No:1. जैन साहित्यऐतिहसिक
जानकारी हेतु जैन साहित्य भी बौद्ध साहित्य की ही तरह महत्त्वपूर्ण हैं।
No:2. अब तक उपलब्ध जैन साहित्य
प्राकृत एवं संस्कृत भाषा में मिलतें है।
No:3. जैन साहित्य, जिसे ‘आगम‘ कहा जाता है, इनकी संख्या 12 बतायी जाती है।
No:4. आगे चलकर इनके ‘उपांग’ भी लिखे गये । आगमों के
साथ-साथ जैन ग्रंथों में 10 प्रकीर्ण, 6 छंद सूत्र, एक नंदि सूत्र एक अनुयोगद्वार
एवं चार मूलसूत्र हैं।
No:5. इन आगम ग्रंथों की रचना
सम्भवतः श्वेताम्बर सम्प्रदाय के आचार्यो द्वारा महावीर स्वामी की मृत्यु के बाद
की गयी।
पुरातत्त्व मुख्य लेख
No:1. पुरातात्विक साक्ष्य के
अंतर्गत मुख्यतः अभिलेख, सिक्के, स्मारक, भवन, मूर्तियां चित्रकला आदि आते हैं।
No:2. इतिहास निमार्ण में सहायक
पुरातत्त्व सामग्री में अभिलेखों का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
No:3. ये अभिलेख अधिकांशतः
स्तम्भों, शिलाओं, ताम्रपत्रों, मुद्राओं पात्रों, मूर्तियों, गुहाओं आदि में खुदे हुए
मिलते हैं।
No:4. यद्यपि प्राचीनतम अभिलेख
मध्य एशिया के ‘बोगजकोई‘ नाम स्थान से क़रीब 1400 ई.पू. में पाये गये
जिनमें अनेक वैदिक देवताओं – इन्द्र, मित्र, वरुण, नासत्य आदि का उल्लेख मिलता है।
चित्रकला मुख्य लेख
No:1. चित्रकला से हमें उस समय
के जीवन के विषय में जानकारी मिलती है।
No:2. अजंता के चित्रों में
मानवीय भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति मिलती है।
No:3. चित्रों में ‘माता और शिशु‘ या ‘मरणशील राजकुमारी‘ जैसे चित्रों से गुप्तकाल
की कलात्मक पराकाष्ठा का पूर्ण प्रमाण मिलता है।
मध्यकालीन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण विषय
यहाँ मध्यकालीन भारत के इतिहास के कुछ सबसे महत्वपूर्ण
विषयों की सूची दी गई है –
1). दिल्ली सल्तनत
2). भारत के इस्लामी
साम्राज्य
3). दक्कन के राज्य
4). उत्तर भारतीय राज्य
5). विजयनगर साम्राज्य
6). भक्ति और अन्य सांस्कृतिक
और धार्मिक आंदोलन
7). मुगल और सूर शासन और
यूरोपीय लोगों का आगमन
दक्कन के राज्य
No:1. भारत के मध्यकालीन इतिहास
में दक्कन साम्राज्यों का बहुत महत्व है।
No:2. दक्षिणी भारत दक्कन या
दक्षिणापथ क्षेत्रों का हिस्सा है।
No:3. विंध्य और सतपुड़ा
पर्वतमाला, नर्मदा
और ताप्ती नदियों और घने जंगलों द्वारा दक्कन को उत्तरी भारत से अलग किया गया है।
No:4. दक्कन के हिस्से में
चालुक्यों और राष्ट्रकूटों के मध्ययुगीन काल के दौरान वृद्धि देखी गई।
No:5. खिलजी और तुगलक की तरह, इस बार भी दक्षिण भारत
में दिल्ली सल्तनत का विस्तार देखा गया।
चालुक्य (6 वीं -12 वीं शताब्दी ई.)
मध्यकालीन भारत के इतिहास में इस अवधि को आगे तीन
उप-भागों में विभाजित किया जा सकता है –
1). प्रारंभिक पश्चिमी चालुक्य
2). बाद में पश्चिमी चालुक्य
3). पूर्वी चालुक्य
प्रारंभिक पश्चिमी चालुक्य
No:1. वे कर्नाटक राज्य में छठी
शताब्दी ईस्वी के दौरान सत्ता में आए ।
No:2. बीजापुर जिले के वातापी
को उनकी राजधानी घोषित किया गया।
No:3. प्रारंभिक पश्चिमी
चालुक्यों के शासक थे – जयसिंह और रामराय, पुलकेशिन I।
बाद में पश्चिमी चालुक्य
मध्यकालीन भारत के इतिहास में इस काल के शासकों ने
राष्ट्रकूट का अंत किया, कुछ प्रसिद्ध और प्रसिद्ध शासक थे –
1). सोमेश्वर II
2). विक्रमादित्य VI
3). सोमेश्वर चतुर्थ
पूर्वी चालुक्य
No:1. पूर्वी चालुक्य की
स्थापना विष्णु वर्धन ने की थी जो पुलकेशिन द्वितीय के भाई थे।
No:2. उनके वंशजों में से एक
कुलोथुंगा चोल था जिसे बाद में चोल शासक के रूप में ताज पहनाया गया था।
चालुक्यों का योगदान-
No:1. वे हिंदू धर्म के प्रचारक
और अनुयायी थे।
No:2. ऐहोल शिलालेख की रचना
रविकीर्ति जैन ने की थी जो पुलकेशिन द्वितीय के दरबार में कवि थे।
No:3. चालुक्य शासक वास्तुकला
के सबसे महान संरक्षक थे।
No:4. इस अवधि में तेलुगु
साहित्य का विकास हुआ।
उत्तर भारतीय राज्य
No:1. मध्यकालीन भारत के इतिहास
में यह युग 8वीं और
18वीं शताब्दी ईस्वी के बीच
का है हर्ष और पुलकेशिन द्वितीय के शासन के साथ, प्राचीन भारतीय इतिहास का
अंत हो गया।
No:2. सबसे महान उत्तर भारतीय
राज्यों में से एक राजपूत थे।
राजपूत
No:1. राजपूतों को भगवान राम या
भगवान कृष्ण के वंशज के रूप में जाना जाता है।
No:2. राजपूत काल 647 ईस्वी से 1200 ईस्वी तक शुरू होता है, वे प्रारंभिक मध्ययुगीन
काल का हिस्सा हैं।
No:3. बारहवीं शताब्दी में हर्ष
की मृत्यु के बाद , भारत का भाग्य राजपूतों के हाथों में था।
No:4. राजपूत प्राचीन क्षत्रिय
परिवारों का हिस्सा हैं और 36 कुलों में विभाजित हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं
–
1). बंगाल के पलास
2). कन्नौजू के राठौर
3). मालवाड़ के परमार
4). बंगाल की सेना
5). दिल्ली और अजमेर के चौहान
6). गुजरात के सोलंकी
दिल्ली सल्तनत
दिल्ली सल्तनत काल 1206 ईस्वी से शुरू हुआ और 1526 ईस्वी तक जारी रहा और
इसने कई राजवंशों और शासकों को देखा, मध्यकालीन भारत के इतिहास
की इस अवधि में कुछ प्रमुख राजवंश नीचे सूचीबद्ध हैं –
1). खिलजी राजवंश
2). तुगलक राजवंश
3). सैय्यद राजवंश
खिलजी राजवंश
No:1. दिल्ली के इलबारी राजवंश
के तहत, खिलजी सेवा करते थे।
No:2. खिलजी राजवंश के संस्थापक
मलिक फिरोज थे, जिन्हें
मूल रूप से कैकुबाद ने इलबारी राजवंश के पतन के दिनों में एरिज-ए-मुमालिक के रूप
में नामित किया था।
No:3. इस वंश के दो प्रमुख शासक
थे –
1). जलाल-उद-दीन फिरोज खिलजी
2). अलाउद्दीन खिलजी
तुगलक राजवंश
No:1. मध्यकालीन भारत के समय
में, तुगलक वंश का उदय हुआ और
वह तुर्क-भारतीय मूल का था।
No:2. 1312 से 1413 तक दिल्ली सल्तनत पर
राजवंश का शासन था।
No:3. तुगलक वंश के शासनकाल के
दौरान, भारत ने घरेलू और विदेश
नीति में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का अनुभव किया।
No:4. इस वंश के प्रमुख शासक थे
–
1). गयास-उद-दीन तुगलकी
2). मुहम्मद-बिन-तुगलकी
3). फिरोज तुगलक
सैय्यद राजवंश
No:1. खिज्र खान ने 1414 ई. में सैय्यद वंश की
स्थापना की और जब अलाउद्दीन शाह शासक हुआ तो इस वंश का शासन समाप्त हो गया।
No:2. इस वंश के प्रमुख शासक थे
–
1). खिज्र खान
2). मुबारक शाही
3). मुहम्मद शाही
4). अलाउद्दीन शाह
भक्ति आंदोलन
No:1. प्रारंभिक मध्यकालीन युग
में, दक्षिण भारत के अलवर और
नयनार संतों ने वैष्णव और शैव भक्तिवाद को नया ध्यान और अभिव्यक्ति दी।
No:2. परंपरा के अनुसार बारह
अलवर और 63 नयनार थे। मध्यकालीन
भारत में धार्मिक सुधार के रूप में शुरू हुए भक्ति आंदोलन का एक केंद्रीय घटक
मोक्ष प्राप्त करने के लिए भक्ति का उपयोग था।
No:3. 8 वीं से 18 वीं शताब्दी का युग
भक्ति आंदोलन को समर्पित है, जहां कई संत (हिंदू, मुस्लिम, सिख) भक्ति मसीहा (भक्ति)
के रूप में उभरे, लोगों को सामान्य स्थिति से आत्मज्ञान के लिए मोचन के
माध्यम से जीवन के परिवर्तन की शिक्षा दी।
कुछ महत्वपूर्ण भक्ति आंदोलन संत और उनके योगदान हैं –
साधू |
संत योगदान |
आदि शंकराचार्य |
उन्होंने हिंदू
धर्म को एक नया स्थान दिया और एकेश्वरवाद के सिद्धांत का पालन किया |
रामानुजः |
वे विशिष्टाद्वैत
के उपदेशक थे और उन्होंने प्रभातिमार्ग को प्रोत्साहित किया। |
माधवाचार्य |
वे द्वैत के
सिद्धांत के प्रचारक थे। |
सूरदास |
वह उत्तरी भारत
में कृष्ण पंथ को लोकप्रिय बनाने के लिए जिम्मेदार हैं |
गुरुनानक |
वह सिख धर्म के
संस्थापक थे। |
यूपीएससी और एसएससी परीक्षाओं के लिए भारत का इतिहास के प्रश्न
Que.-1. विजयनगर का साम्राज्य हरिहर राय-I जिसने 1336-1356 की अवधि के लिए सत्ता पर
शासन किया, वह किस
वंश से संबंधित था?
A. संगमा राजवंश
B. सलुवा राजवंश
C. तुलुवा राजवंश
D. अरविदु राजवंश
Que.-2. ‘उपरीकर’ शब्द का प्रयोग गुप्त साम्राज्य के दौरान किस संदर्भ में
किया गया था?
A. सभी विषयों पर एक अतिरिक्त कर लगाया जाता है।
B.फल, जलाऊ लकड़ी, फूल आदि की आवधिक
आपूर्ति।
C. यह लोगों द्वारा राजा को स्वेच्छा से दी जाने
वाली भेंट थी।
D. उत्पादन में राजा का प्रथागत हिस्सा सामान्यत: उत्पादन
का 1/6 भाग होता है।
Que.-3. 1491-1503 की अवधि के लिए, तुलुवा नरसा ने विजयनगर
साम्राज्य पर शासन किया। वह किस राजवंश से संबंधित था?
A. संगमा राजवंश
B. सलुवा राजवंश
C. तुलुवा राजवंश
D. अरविदु राजवंश
Que.-4. चोल साम्राज्य में विभाजित किया गया था?
A.मंडलम, नाडु, कुर्रम और वलनाडु
B.मंडलम, नाडु, मलखंड और अवंती
C.मंडलम, भूमि, अवंती और वलनाडी
D. मंडलम, नाडु, कुर्रम और मलखंड
Que.-5. बिंबिसार ने निम्नलिखित में से किस राजवंश की स्थापना की?
A. नंद
B. हरियाणा
C. मौर्य
D. शुंग
Que.-6. अभिलेखों के अध्ययन को किस नाम से जाना जाता है?
A. पुरातत्व
B. न्यूमिज़माटिक
C. एपिग्राफी
D. पुरालेख
Que.- 7. पंचतंत्र पुस्तक किसने लिखी?
A. कालिदास
B. विष्णु शर्मा
C. चाणक्य:
D. नागार्जुन
Que.-8. सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान सबसे अधिक चित्रित जानवर कौन
सा था?
A. हाथी
B. शेर
C. सांड
D. कुत्ता
Que.-9. गजनी किस देश की एक छोटी सी रियासत थी?
A. तुर्की
B. मंगोलिया
C. फा
D. अफगानिस्तान
Que.-10. किताब-उल-हिंद पुस्तक किसने लिखी है?
A. अबू सईद
B. अबुल फजली
C. फिरदौसी
D. एआई-बेरुनी
Que.-11. ‘मुस्लिम फकीरों’ का नायक नेता कौन था?
A. मजनू शाही
B. दादू मियां
C. टीपू
D. चिराग अली शाह
Que.-12. निम्नलिखित में से कौन शासन विज्ञान पर एक ग्रंथ के रूप
में माना जाता है?
A. महाभारत:
B. रामायण
C. कौटिल्य का अर्थशास्त्र:
D. चंद्रावती रामायण
Que.-13. बौद्धों के लिए प्रसिद्ध विक्रमशिला विश्वविद्यालय की
स्थापना किस पाल शासक ने की थी?
a. महिपाल:
b. देवपाल:
c. गोपाल
d. धर्मपाल:
Que.-14. ढिल्लिका (दिल्ली) शहर की स्थापना किसने की?
a. चौहान
b. तोमर
c.पवार
d.परिहार
Que.-15. निम्नलिखित में से किस राजवंश के तहत, शैव नयनमार और वाष्णवते
अलवर ने भक्ति पंथ का प्रचार किया?
A. पल्लव, पांड्य और चोल
B. पल्लव, काकत्य और चोल
C. पल्लव, पांड्य और चेरसी
D. राष्ट्रकूट, पांड्य और चोल
Answers--
क्या आप यह जांचने के लिए तैयार हैं कि आपको कौन से
प्रश्न सही लगे? उपरोक्त
इतिहास के प्रश्नों की उत्तर कुंजी नीचे दी गई है:
Q1. संगम राजवंश (A)
Q2. सभी विषयों पर एक अतिरिक्त कर लगाया गया (A)
Q3. तुलुवा राजवंश (C)
Q4. मंडलम, नाडु, कुर्रम और वालानाडु (A)
Q5. हरियाणा (B)
Q6. एपिग्राफी (C)
Q7. विष्णु शर्मा (B)
Q8. सांड (C)
Q9. अफगानिस्तान (D)
Q10. अबुल फजल (A)
Q11. मजनूं शाह (B)
Q12. कौटिल्य का अर्थशास्त्र (C)
Q13. धर्मपाल (D)
Q14. तोमर (B)
Q15. पल्लव, पांड्य और चोल (A)
भारत का इतिहास : FAQs
Que.-1. प्राचीन काल में भारत का
क्या नाम था?
Ans- आर्यावर्त
Que.-2. भारत अस्तित्व में कब आया?
Ans- 26 जनवरी 1950
Que.-3. भारत की सभ्यता कितनी
पुरानी है?
Ans- भारत की सभ्यता को लगभग 8,000 साल पुरानी माना जाता
है।
Que.-4. भारतवर्ष का नाम भारत
क्यों पड़ा?
Ans- माना जाता है की ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर भारत नाम
पड़ा।
Que.-5. इतिहास में कितने काल है?
Ans- 4
Que.-6. इतिहास को कितने काल
खंडों में बांटा गया है?
Ans- तीन
i). प्राचीन काल
ii). मध्यकालीन काल
iii). आधुनिक काल
Que.-7. राजा दुष्यंत किस के
पुत्र थे?
Ans- ऐति नामक राजा के
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