बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development
and Pedagogy ) Part – 5
दोस्तो हम अपनी बेबसाइट पर child development and
pedagogy book pdf के One Liner Question and
Answer के पार्ट
उपलब्ध करा रहें है, जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे CTET , UPTET , MP
Samvida Teacher , HTET , REET आदि व अन्य सभी Exams
जिनमें कि Child
Development and Pedagogy आता है उसमें काम आयेगी !
Child Develpment and Pedagogy Question with Answer in Hindi-
आज की हमारी पोस्ट Child Development and
Pedagogy का 5th पार्ट है जिसमें कि हम बाल विकाश
Child
Development and Pedagogy के One Liner से संबंधित Child
Development and Pedagogy Question with Answers pdf को बताऐंगे ! तो चलिये दोस्तो शुरु करते
हैं !
401. विकास की प्रक्रिया
सम्बन्धित है – अधिगम से एवं कौशल अधिगम से
402. अधिगम के लिए आवश्यक
है – बालक की मानसिक स्वस्थता एवं शारीरिक स्वस्थता
403. विकास की मन्द गति
की स्थिति में अधिगम होता है – मन्द
404. कौशलात्मक अधिगम
के लिए प्रमुख आवश्यकता होती है – शारीरिक विकास की
405. अस्थि विकलांग
बालकों के समक्ष अधिगम प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है –
शारीरिक विकास के
कारण
406. स्वस्थ शरीर में
निहित है – स्वस्थ मन
407. व्यक्तित्व को
प्रभावशाली बनाने तथा व्यक्तित्व गुणों के सीखने में आवश्यक होता है –
शारीरिक,
मानसिक एवं सामाजिक
विकास
408. गतिविधि आधारित
अधिगम के लिए आवश्यक है – शारीरिक एवं मानसिक
विकास
409. शारीरिक विकास को
इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि –
यह मानसिक विकास
में योगदान देता है। यह अधिगम में योगदान देता है। यह कौशलों के सीखने में योगदान
देता है।
410. मानसिक रूप से मन्द
बालक का अधिगम स्तर कम होता है क्योंकि ये बालक – विषय-वस्तु पर ध्यान
नहीं दे पाते हैं। इनका मानसिक विकास पूर्ण नहीं होता है।
411. विकलांग बालकों के
समक्ष विद्यालय में समायोजन की समस्या का प्रमुख कारण होता है –
शारीरिक विकास
412. अवधान का सम्बन्ध
होता है – मानसिक विकास से
413. एक बालक अपनी
शैक्षिक समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ है तो माना जाएगा –
मानसिक विकास का
अभाव
414. प्रभावी एवं उच्च
अधिगम के लिए आवश्यक है – मानसिक विकास
415. स्मृति विहीन बालक
का अधिगम स्तर निम्न होता है, क्योंकि –
उसका मानसिक विकास
नहीं होता है।
416. अधिगम से सम्बन्धित
मानसिक शक्तियां हैं – स्मृति,
अवधान,
चिन्तन
417. कक्षा में अधिगम
प्रक्रिया हेतु बालकों का समूह विभाजन किस आधार पर किया जाता है –
मानसिक विकास के
आधार पर
418. अधिगम प्रक्रिया
में प्रमुख भूमिका होती है – मानसिक शक्तियों की
419. किसी कार्य को
सीखने में सफलता के लिए आवश्यक है – उचित शारीरिक विकास,
उचित मानसिक विकास
420. उच्च मानसिक विकास
के लिए आवश्यक है – उत्तम स्वास्थ्य
421. अधिगम प्रक्रिया
में चिन्तन की प्रभावशीलता प्रदर्शित करती है – उच्च मानसिक विकास
को
422. प्रतिभाशाली बालकों
का अधिगम स्तर उच्च पाया जाता है क्योंकि उनका मानसिक विकास होता है –
उच्च
423. अरस्तू के अनुसार,
शिक्षा का प्रमुख
उद्देश्य माना जाता है – मानसिक शक्तियों का
विकास
424. मानसिक विकास की
मन्दता प्रभावित करती है – अधिगम को
425. शिक्षक के मानसिक
स्वास्थ्य का प्रभाव पड़ता है – शिक्षण अधिगम दोनों
पर
426. संवेगों का सम्बन्ध
होता है – मूल प्रवृत्ति से
427. अधिगम की प्रक्रिया
के प्रभावी रूप से विकसित होने के लिए आवश्यक है – संवेगात्मक
स्थिरता
428. वैज्ञानिक विधियों
का प्रयोग प्रमुख रूप से अधिगम में उन छात्रों के लिए किया जा सकता है,
जो छात्र होता है –
प्रतिभाशाली,
उच्च मानसिक विकास
वाले
429. भौतिक विकास एवं
अधिगम के मूल में समावेश है – संवेगात्मक विकास
430. व्यवहार के सीखने
में योगदान होता है – संवेगों का
431. शैशवावस्था में
प्रमुख रूप से विकसित होता है – प्रेम,
भय,
क्रोध
432. सृजन की क्रिया किस
संवेग से बाधित होती है – घृणासे
433. व्यवहार में
मर्यादा का समावेश पाया जाता है – संवेगात्मक
स्थिरता के कारण एवं संवेगात्मक अस्थिरता के कारण
434. बालक शीघ्रता से
निर्णय लेने की क्षमता सीखता है – किशोरावस्था में
435. एक किशोर भूख लगने
पर खाना बनाने का प्रयास करता है तथा खाना बनाना सीख जाता है। उसका यह प्रयास माना
जाएगा – संवेग द्वारा सीखना
436. एक बालक को धन की
आवश्यकता होने पर पिता से धन मांगता है। इसके लिए उपेक्षा मिलने पर वह धन कमाने
के लिए विभिन्न कौशलों को सीखने लगता है। इस कार्य में किस संवेग का योगदान होता
है – आत्म अभिमान का
437. व्यक्तित्व
निर्माण एवं विकास की प्रक्रिया में योगदान होता है – संवेगों का स्थायित्व
438. एक बालक मर्यादित
व्यवकार को सीखता है। इसके मूल में उद्देश्य निहित होता है –
चारित्रिक,
नैतिक,
सामाजिक विकास का
439. चारित्रिक विकास के
अन्तर्गतविकास सम्बन्धी क्रियाओं को बालक सीखता है – आत्म अनुशासन,
मर्यादित व्यवहार,
नैतिक व्यवहार
440. चरित्र को माना
जाता है – सामाजिक धरोहर
441. मुनरो के अनुसार,
चरित्र में समावेश
होता है – स्थायित्व का एवं सामाजिक निर्णय लेने का
442. चारित्रिक विकास
सम्बन्धी क्रियाओं को बालक सीखता है – पूर्वजों से,
परिवार से,
शिक्षक एवं
विद्यालय से
443. एक बालक सत्य
इसलिए बोलना सीखता है क्योंकि यह चरित्र का सर्वोत्तम गुण है उसकी यह सीखने की
प्रक्रिया है – सकारात्मक
444. अच्छे चरित्र की
ओर संकेत करता है – नैतिकता,
मानवता,
कर्तव्यनिष्ठा
445. ‘हम’
की भावना से सम्बन्धित
क्रियाओं को बालक किस अवस्था में सीखता है – बाल्यावस्था में
446. बालक विद्यालय में
शिक्षक के गुणों को ग्रहण करता है क्योंकि वह शिक्षक को स्वीकार करता है –
चरित्रवान व्यक्ति
के रूप में
447. एक बालक चोरी करना
छोड़कर सत्य का आचरण सीखता है तो उसको सीखने की प्रक्रिया के मूल में समाहित होता
है – चारित्रिक विकास की भावना
448. नैतिक क्रियाओं को
सीखने के समय बालक की आयु होती है – लगभग 4 वर्ष
449. क्रो एण्ड क्रो के
अनुसार, जन्म के समय बालक होता है –
सामाजिक व असामाजिक
450. बालक सामाजिक व्यवहार
को तीव्र गति से सीखता है – सामाजिक विकास की
अवस्था में
451. बालक अपनी क्रियाओं
को परिणाम के आधार पर सीखने का प्रयास किस अवस्था में करता है –
5
से 6 वर्ष
452. सामूहिक व्यवहार
को बालक प्रथम रूप में सीखता है – शैशवावस्था के अन्त
में
453. सामाजिक भावना से
सम्बन्धित कार्यों को बालक सीखने लगता है – बाल्यावस्था में
454. आत्म प्रेम
अर्थात् स्वयं को आकर्षक बनाने की गतिविधियों को बालक सीखता है –
किशोरावस्था में
455. गिरोह बनाने की
प्रवृत्ति बालक सीखता है – बाल्यावस्था में
456. किशोरावस्था में
बालकों द्वारा समायोजन की प्रक्रिया को सीखने में अस्थिरता का समावेश होने का कारण
है – संवेगों की तीव्रता
457. सामाजिक कार्यों
में उत्साह एवं तीव्रता का प्रदर्शन एवं उन्हें सीखने की प्रक्रिया किस अवस्था
में तीव्र गति से सम्भव होती है – किशोरावस्था
458. बालक को सामाजिक
गुणों को सीखने में सहायता करता है – खेल व पाठ्यक्रम
सहगामी क्रियाएं
459. सामाजिक कार्यों को
सीखने के लिए आवश्यक है – उत्तम स्वास्थ्य,
मानसिक स्वास्थ्य,
संवेगात्मक
स्थिरता
460. सामाजिक विकास एवं
कार्यों के सीखने में प्रभाव होता है – वंशानुक्रम का
461. क्रो एण्ड क्रो के
अनुसार, कौन-से विकास साथ-साथ चलते हैं –
सामाजिक विकास एवं
संवेगात्मक विकास
462. सामाजिक विकास को
प्रभावित करता है – संवेगात्मक व मानसिक
विकास तथा वंशानुक्रम
463. तथ्यात्मक ज्ञान
को सीखने में सर्वप्रथम आवश्यकता होती है – भाषायी विकास की
464. हरलॉक के अनुसार,
बालक सर्वाधिक
सामाजिक कार्यों को सीखता है – समूह में
465. भाषायी क्रियाओं को
बालक सर्वप्रथम सीखता है – परिवार से
466. शैशवावस्था में
भाषायी तथ्यों के सीखने में सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है – परिवार की संस्कृति
एवं सभ्यता का
467. सामान्य भाषायी
अधिगम की स्थिति में बालक लगभग 200 से 225 तक शब्ध किस आयु
वर्ग में सीखता है – 2 वर्ष में
468. भाषायी ज्ञान को
परिष्कृत करने का साधन है – विद्यालय
469. भाषायी तथ्यों को
कौन अधिक तीव्र गति से सीखता है – बालक व बालिका
470. निम्नलिखित में
कौन सी संस्था भाषायी तथ्यों को सीखने में बालक की सहायता करती है –
समुदाय एवं घर,
विद्यालय एवं
परिवार, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति
471. भाषायी अधिगम को प्रभावित
करने वाला कारक है – स्वास्थ्य एवं
बुद्धि
472. भाषायी अधिगम
सर्वाधिक प्रभावित होता है – हकलाने से एवं
तुतलाने से
473. स्मिथ के अनुसार,
जन्म के बाद के
प्रथम दो वर्षों में लम्बी अवधि तक रोगग्रस्त होने के कारण भाषायी विकास की
क्रिया हो जाती है – मन्द एवं सामान्य
474. भाषायी अधिगम
प्रभावित होता है – सामाजिक स्थिति से
475. सृजनात्मक
विकासमें निहित होती है – बाल कल्पना
476. बालक में आयु की
वृद्धि के साथ-साथ कल्पना का स्वरूप होता है – मन्द
477. गणित में सृजनात्मकता
के माध्यम से शिक्षण में बालकों को प्रदान किया जा सकता है –
गणितीय आकृतियों का
निर्माण
478. बालक द्वारा मिट्टी
के घर एवं खिलौनों का निर्माण करना सूचक है – सृजनात्मक विकास
का
479. एक बालक एक मूर्ति
को देखकर उसे बनाने का प्रयास करने लगता है, उसके इस मूल में
समाहित है – सृजनात्मकता
480. बालकों को कविताओं
के माध्यम से शिक्षण करना प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि कविताओं में निहित
होती है – सौन्दर्य
481. सौन्दर्यात्मक
विकास एवं मूल्य अधिगम से सम्बन्धित है – प्रत्यक्ष रूप से
एवं अप्रत्यक्ष रूप से
482. बालक द्वारा राजा,
चोर एवं सिपाही की
भूमिका का निर्वहन करना एवं उनकी गतिविधियों को सीखना निर्भर करता है –
सृजनात्मकता के
विकास पर
483. संगीत एवं लोकगीत
का अधिगम बालक शीघ्रता से करते हैं, क्योंकि इसमें
निहित है – सौन्दर्य एवं भाव पक्ष
484. प्राकृतिक संसाधनों
का अधिगम में प्रयोग करने के लिए छात्रों में किस विकास की आवश्यकता होती है –
सृजनात्मकता विकास
की
485. सीखने के नियम
आधारित है – प्रयास और त्रुटि विधि पर
486. प्रयास एवं त्रुटि
द्वारा सीखना ही – उद्दीपक
प्रतिक्रिया का सिद्धान्त है।
487.”व्यवहार के कारण
व्यवहार में कोई भी परिवर्तन अधिगम है” ऐसा कहा गया है –
गिलफोर्ड द्वारा
488. पावलॉव था –
एक रूसी
मनोवैज्ञानिक
489. सीखने के नियमों के
प्रतिपादक है – थार्नडाइक
490. अधिगम के विभिन्न
विद्धान्त व्याख्या करते हैं – अधिगम के उत्पन्न
एवं व्यक्त होने की प्रक्रिया की
491. पावलॉव ने सम्बन्ध
प्रत्यावर्तन सिद्धान्त का प्रयोग सर्वप्रथम किस पर किया –
कुत्ते पर
492. अन्तदृष्टि या सूझ
का सिद्धान्त के जनक है – कोहलर
493. जिस सिद्धान्त के
अनुसार, प्राणी किसी परिस्थिति को देख करके तथा
अनुभव करके उसकी पूर्ण आकृति बनाते हैं, वह है –
गेस्टाल्ट का
सिद्धान्त
494. अनुकरण सिद्धान्त
के द्वारा बालक में क्या विकसित किया जा सकता है – सद्विचार,
सद्व्यवहार का
495. बालक को सीखने के
समय ही, जिस क्रिया को सीखना होता है,
टेपरिकॉर्डर पर
रिकॉर्ड करके उसका सम्बन्ध मस्तिष्क से कर दिया जाता है। यह कथन है –
सुप्त अधिगम
496. शिक्षण और अधिगम –
एक सिक्के के दो
पहलू हैं, शिक्षण से अधिगम तथा अधिगम से शिक्षण की
प्राप्ति होती है। दोनों गत्यात्मक प्रक्रियांएं हैं।
497. सीखने के सूझ के
सिद्धान्त की शैक्षिक उपयोगिता निम्न में से नहीं है – यह सिद्धान्त समय
पर सीखने पर अधिक बल नहीं देता।
498. निम्न में से
अधिगम की विधियां है – अवलोकन विधि,
करके सीखना,
सुप्त अधिगम व
सामूहिक विधि
499. सीखने का सूझ के
सिद्धान्त में किस जानवर पर प्रयोग किया गया – चिम्पैंजी पर
500.सीखने में रुकावट
आने का कारण है – पुरानी आदतों का नई
आदतों से संघर्ष, कार्य की जटिलता,
शारीरिक सीमा
Note:- यदि आपने इसका पहला पार्ट नही पढ़ा है तो उसको भी जरुर पढ़े:
Sar tet ke balvikash part 2,3,4,5,6,7 ki PDF deal do
ReplyDeleteSir child pedagogy ki part 2,3,4,5,5,7 ki pdf daal dejiye
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