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बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part – 7

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part – 7
दोस्तो हमनें CTET child development and pedagogy study material तैयार किया है क्योंकि CTET , UPTET  के परीक्षा में बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र का भाग काफी महत्वपूर्ण है। यह study material experts के द्वारा तैयार किया गया है जो अपनी बेबसाइट पर child development and pedagogy question with answers pdf  के One Liner Question and Answer के रुप में उपलब्ध करा रहें है, जो आपको सभी तरह के Teaching के Exam जैसे CTET , UPTET , MP Samvida Teacher , HTET , REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child Development and Pedagogy आता है उसमें काम आयेगी !
आज की हमारी पोस्ट Child Development and Pedagogy का 7th पार्ट है जिसमें कि हम बाल विकाश Child Development and Pedagogy के One Liner से संबंधित Most Important Question and Answer को बताऐंगे ! यदि आपने अभी तक इसके पहले 6 भाग नही पढ़े है तो उनको भी जरुर पढना| तो चलिये दोस्तो शुरु करते हैं !
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part – 7

601.”व्‍यवहार के सामाजिक नियमो से विचलित होने वाले बालक को अपराधी कहते है।उक्‍त कथन है – एडलर का
602. मनोनाटकीय विधि के प्रवर्तक कौन हैं – ट्रो
603. ”वह हर बच्‍चा जो अपनी आयु स्‍तर के बच्‍चो में किसी योग्‍यता में अधिक हो और जो 604. हमारे समाज के लिए कुछ महत्‍वपूर्ण नई देन दे, प्रतिभाशाली बालक है।उक्‍त कथन है – कॉलेसनिक का
605. निरीक्षण और मापन पर विशेष बल देने वाला सम्‍प्रदाय है – व्‍यवहारवाद
606. शिक्षा में संवेगों का क्‍या महत्‍व है बालक के सम्‍पूर्ण व्‍यक्तित्‍व पर प्रभाव पड़ता है।
607.”मूल प्रवृत्तियां चरित्र निर्माण करने के लिए कच्‍ची सामग्री है। शिक्षक को अपने सब कार्यों में उनके प्रति ध्‍यान देना आवश्‍यक है।यह कथन है – रॉस का
608. मूल प्रवृति क्रिया करने का बिना सीखा स्‍वरूप है। जैसे-मूल प्रवृत्ति है – काम
609. ”आदत एक सामान्‍य प्रवृति है। इस प्रवृत्ति का शिक्षा में सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।यह कथन है – रॉस का
610. मैकडूगल ने अनुकरण के कई प्रकार बताए हैं। निम्‍न में से कौन-सा उनमें से नहीं है अचेतन अनुकरण
611. बालक चेतन रूप से सीखने का प्रयास करता है अनुकरण द्वारा
612. समंजन दूषित होता है – कुण्‍ठा से एवं संघर्ष से
613. अधिगम में उन्‍नति पूर्ण सम्‍भव है – सिद्धान्‍त रूप में
614. ‘An Introduction to Social Psychology’ नामक पुस्‍तक में मूल प्रवृत्तियो के 615. सिद्धान्‍तका प्रतिपादन सन् 1908 में किसने किया था – मैक्‍डूगल ने
616. चिन्‍तन शक्ति का प्रयोग देने का अवसर देते है – तर्क, वाद-विवाद, समस्‍या-समाधान
617. बालक का समाजीकरण निम्‍नलिखित तकलीक से निर्धारित होता है समाजमिति तकनीक
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618. मूल प्रवृत्तियों में जिसका वर्गीकरण मौलिक और सर्वमान्‍य है, वह है – मैक्‍डूगल
619. समायोजन की विधियां है – उदात्‍तीकराण्‍, प्रक्षेपण, प्रतिगमन
620. समायोजन दूषित होता है – कुण्‍ठा से व संघर्ष से
621. एक समायोजित व्‍यक्ति की विशेषता नहीं है – वैयक्तिक उद्देश्‍यों का प्रदर्शन
622. बालक के लिए मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के विकास के लिए पाठ्यक्रम होना चाहिए – रुचियों के अनुकूल
623. वैयक्तिक विभिन्‍नता का मुख्‍य कारण निम्‍नलिखित में से है – आयु एवं बुद्धि का प्रभाव
624. बालक को सीखने के समय ही जिस क्रिया को सीखना होता है, टेपरिकॉर्डर पर रिकॉर्ड करके उसका सम्‍बन्‍ध मस्तिष्‍क से कर दिया जाता है। यह कथन है – सुप्‍त अधिगम
625. निम्‍न में से अधिगम की विधियां है – ये विधि
626. ”अपनी स्‍वाभाविक त्रुटियों के कारण वैज्ञानिक विधि के रूप में निरीक्ष्‍ाण विधि अविश्‍वसनीय है।यह कथन है – डगलस एवं हालैण्‍ड का
627. साक्षात्‍कार को माना जाता है – आत्‍मनिष्‍ठ विधि
628. साक्षात्‍कार मे कम-से-कम व्‍यक्तियों की संख्‍या होती है दो
629. किसी उद्देश्‍य से किया गया गम्‍भीर वार्तालाप ही साक्षात्‍कार है। यह कथन है – गुड एवं हैट का
630. साक्षात्‍कार को समस्‍या समाधान के रूप में किस विद्वान ने परिभाषित किया है – जे. सी. अग्रवाल ने
631. साक्षात्‍कार का स्‍वरूप होता है – विभिन्‍न प्रकार का
632. नैदानिक साक्षात्‍कार का प्रमुख उद्देश्‍य होता है – समस्‍या के कारणों की खोज, घटना के कारणों की खोज
633. व्‍यक्तियों को रोजगार प्रदान करने से पूर्व किया गया साक्षात्‍कार कहलाता हैं – नैदानिक साक्षात्‍कार
634. शोध साक्षातकार का उद्देश्‍य होता है – शोधकर्ता के ज्ञान की परीक्षा
635. एक बालक को शिक्षक के द्वारा पढ़ने के लिए सलाह दी जाती है तथा पढ़ाई में आने वाली विभिन्‍न समस्‍याओं का समाधान किया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्‍कार को माना जायेगा – परामर्श साक्षात्‍कार
636. निम्‍नलिखित में कौन-सी प्रविधि साक्षात्‍कार से सम्‍बन्धित है निर्देशात्‍मक प्रविधि, अनिर्देशात्‍मक प्रविधि
साक्षात्‍कार का प्रथम सोपान है समस्‍या की जानकारी प्राप्‍त करना।
637. क्रो एण्‍ड क्रो के अनुसार साक्षात्‍कार का प्रयोग किया जाता है – निर्देशन में
638. किस विद्वान ने साक्षात्‍कार को परामर्श की प्रक्रिया माना है – रूथ स्‍ट्रैंग ने
639. निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य साक्षात्‍कार की दशाओं से सम्‍बन्धित है – उचित वातावरण, आत्‍मीय व्‍यवहार, पर्याप्‍त समय
640. ग्रीनवुड के अनुसार प्रयोग प्रभाव होता है – उपकल्‍पना का
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641. उपकल्‍पना का निर्माण प्रयोग का सोपान है – द्वितीय
642.”चर वह लक्षण या गुण है जो विभिन्‍न प्रकार के मूल्‍य ग्रहण कर लेता है।यह कथन है – पोस्‍टमैन का तथा ईगन का
643. प्रयोग के परिणाम में जांच होती है – उपकल्‍पना की
644. विवरणात्‍मक विधि में तथ्‍य या घटनाओं को एकत्रित किया जाता है – विवरणात्‍मक रूप में
645. विकासात्‍मक पद्धति का द्वितीय नाम है – उत्‍पत्तिमूलक विधि
646. गर्भावस्‍था से किशोरावस्‍था तक बालकों की वृद्धि एवं विकास का अध्‍ययन सम्‍बन्धित है – विकासात्‍मक विधि से
647. मानसिक उपचारों एवं बौद्धिक अवनति से सम्‍बन्धित तथ्‍यों का अध्‍ययन करने वाली विधि को किस नाम से जाना जाता है – उपचारात्‍मक विधि
648. गिलफोर्ड द्वारा चिन्‍तन का माना गया है – प्रतीकात्‍मक व्‍यवहार
649. वैलेन्‍टाइन ने चिन्‍तन को स्‍वीकार किया है – श्रृंखलाबद्ध विचारों के रूप में
650. गैरेट के अनुसार चिन्‍तन है – रहस्‍यपूर्ण व्‍यवहार
651. गैरेट चिन्‍तन में प्रतीकों के अन्‍तर्गत सम्मिलित करता है – बिम्‍बों को, विचारों को, प्रत्‍ययों को
652. चिन्‍तन है – संज्ञानात्‍मक क्रिया
653. चिन्‍तन की आवश्‍यकता होती है – समस्‍या समाधान के लिए
654. एक बालक कक्षा में अमर्यादित व्‍यवहार करता है तो शिक्षक को उसकी गतिविधि के 655. आधार पर उसके बारे में करना चाहिए – चिन्‍तन एवं विचार
656. परीक्षा में सही प्रश्‍न का उत्‍तर याद करने के लिए छात्रों द्वारा की जाती है चिन्‍तन
657. निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य चिन्‍तन के साधनों से सम्‍बन्धित है – प्रतिमा, प्रत्‍यय, प्रतीक
658. निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य चिन्‍तन के साधनों से सम्‍बन्धित नहीं है – प्रतीक
659. कक्षा में बालक शहीद भगत सिंह की प्रतिमा को देखकर चिन्‍तन करता है तो वह चिन्‍तन के किस साधन का प्रयोग करता है – प्रतिमा
660. शिक्षक द्वारा क से कलम तथा अ से अनार बताया जाता है तो छात्र कलम एवं अनार के 661. बारे में चिन्‍तन करता है। शिक्षक द्वारा चिन्‍तन की प्रक्रिया में चिन्‍तन के किस साधन का प्रयोग किया गया – प्रत्‍यय
662. + के चिन्‍ह को देखकर छात्र इसके विभिन्‍न पक्षों पर चिन्‍तन प्रारम्‍भ कर देता है। इसका 663. यह प्रयास चिन्‍तन के किस साधन का प्रयोग माना जायेगा – प्रतीक एवं चिन्‍ह
664. एक छात्र अपने शिक्षक को देखकर उसके गुण एवं व्‍यवहार के बारे में चिन्‍तन करने लगता है, चिन्‍तन का यह स्‍वरूप कहलायेगा – प्रत्‍यक्ष चिन्‍तन
665. एक बालक कक्षा अध्‍यापक को देखकर कहता है कि सर आ गये बालक के चिन्‍तन का यह स्‍वरूप कहलायेगा प्रत्‍यक्षात्‍मक चिन्‍तन
666. किस शिक्षा शास्‍त्री ने विचारात्‍मक चिन्‍तन को ही प्रमुख रूप से स्‍वीकार किया है – फ्रॉबेल ने
667. एक शिक्षक गृहकार्य न करने वाले छात्रों के बारे में पूर्ण चिन्‍तन करने के बाद उनको गृहकार्य करके लाने में प्रेरित करते हुए इस समस्‍या का समाधान करता है उसका यह चिन्‍तन माना जायेगा – विचारात्‍मक चिन्‍तन
668. विभिन्‍न प्रकार के शैक्षिक अनुसन्‍धान एक आविष्‍कार से सम्‍बन्धित चिन्‍तन को सम्मिलित किया जा सकता है – सृजनात्‍मक चिन्‍तन
669. चित्‍त की योग्‍यता निर्भर करती है – बुद्धि पर
670. चिन्‍तन की योग्‍यता सर्वाधिक पायी जाती है – प्रतिभाशाली बालक में
671. जिस बालक में ज्ञान के प्रति रुचि होगी उसका चिन्‍तन स्‍तर होगा – सर्वोत्‍तम
672. चिन्‍तन के विकास हेतु बालक को किस विधि से शिक्षण करना चाहिए – समस्‍या समाधान विधि
673. बालक के समक्ष समस्‍या प्रस्‍तुत करने से बालक में विकास होगा – चिन्‍तन का
674. जो छात्र तार्किक दृष्टि से कमजोर होते हैं अर्थात् तर्क का स्‍तर सामान्‍य से कम होता है उनका चिन्‍तन होता है – सामान्‍य से कम
675. निम्‍नलिखित में किस तथ्‍य का चिन्‍तन में महत्‍वपूर्ण योगदान होता है – रुचि, तर्क, बुद्धि
676. गैरेट के अनुसार तर्क का सम्‍बन्‍ध होता है – क्रमानुसार चिन्‍तन से
677. बुडवर्थ के अनुसार तर्क है – तथ्‍य एवं सिद्धान्‍तों का मिश्रण
678. स्किनर के अनुसार तर्क का आशय है – कारण एवं प्रभावों के सम्‍बन्‍धों की मानसिक स्‍वीकृति से
679. तर्क द्वारा प्राप्‍त किया जा सकता है – निश्चित लक्ष्‍य
680. तर्क में किसी घटना के बारे में खोजा जाता है – घटना का कारण
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681. तर्क में प्रमुख भूमिका होती है – पूर्व ज्ञान की, पूर्व अनुभव की, पूर्व अनुभूतियों की
682. तर्क में प्रमुख प्रकार माने जाते हैं – दो
683. वे बालक जो सामाजिक, भावनात्‍मक, बौद्धि, शैक्षिक किसी भी या सभी पक्षों में औसत बालकों से भिन्‍न होते हैं तथा सामान्‍य विद्यालयी कार्यक्रम उनके लिए पर्याप्‍त नहीं होते हैं, कहलाते हैं असामान्‍य बालक
684. व्‍यक्ति के मानसिक तनाव को कम करने की प्रत्‍य‍क्ष विधि है बाधा दूर करना
685. बाल अपराध के लिए बुरी संगति को उत्‍तरदायी किसने माना है हीली व ब्रोनर ने
686. पिछड़े बालकों को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रसर करने के लिए क्‍या करना चाहिए घर तथा स्‍कूल में बालकों के समायोजन में सहायता, विशेष स्‍कूलों की व्‍यवस्‍था, पाठान्‍तर क्रियाओं की व्‍यवस्‍था
687. मानसिक रूप से पिछड़े बालकों की समस्‍या निम्‍न में से नहीं है परिवार में समायोजित होते हैं।
688. बाल अपराध को दूर करने के लिए क्‍या करना चाहिए परिवार के वातावरण में सुधार, स्‍कूल के वातावरण में सुधार, समाज के वातावरण में सुधार
689. बालापराध की वह विधि जिसमें बालक की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखकर सामाजिक वातावरण में परिवर्तन लाया जाता है, वह है वातावरणात्‍मक विधि
690.”सृजनात्‍मकता मुख्‍यत: नवीन रचना या उत्‍पादन में होती है।यह कथन है ड्यूबी का
691. गिलफोर्ड ने सृजनात्‍मकता के अनेक परीक्षण बताये हैं, जिनमें प्रमुख है चित्रपूर्ति परीक्षण, प्रोडक्‍ट इम्‍प्रूवमैन्‍ट टास्‍क
692. टोरेन्‍स ने सृजनात्‍मक व्‍यक्ति की कितनी व्‍यक्तित्‍व विशेषताओं की सूची तैयार की है – 84
693. ”सृजनात्‍मकता का एक गुण है जिसमें किसी नवीन तथा इच्छित वस्‍तु का निर्माण किया जाता है।यह कथन है इन्‍द्रेकर का
694. बालक के मानसिक रूप से अस्‍वस्‍थ होने के कारण है विद्यालय का वातावरण, सामाजिक वातावरण, पारिवारिक वातावरण
695.”वह बालक जो अपने अध्‍ययन के मध्‍यकाल में अपनी कक्षा का कार्य जो उसकी आयु के अनुसार सामान्‍य है, करने में असमर्थ रहता है।वह कौन-सा बालक है पिछड़ा बालक
696. कोई भी व्‍यवहार जो सामाजिक नियमों या कानूनों के विरुद्ध बालकों द्वारा किया जाता है, तो वह कहलाता है बालापराध
697. निम्‍नलिखित में से कौन-सा कारक जटिल बालकों की जटिलताओं को जन्‍म नहीं देता है अच्‍छी संगत
698. बालापराध के कारण है वंशानुक्रमीय वातावरण, समाज व पारिवारिक वातावरण, विद्यालय का वातावरण
699. निम्‍न में से बालापराध का कारण नहीं है वंशानुक्रम, मन्‍दबुद्धिता, निर्धनता
700. विकलांक बालकों से हम समझते हैं, जो शारीरिक दोष रखते हैं।
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1 comment:

  1. Bhai yeh jo meri website se copy kiya he content jaldi hata le , me nahi chahta teri website pe koi strike aaye

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